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ऋतुचर्या- यह शब्द आयुर्वेद में इस्तेमाल होता है जिसका मतलब मौसम के हिसाब से जीवनशैली अपनाना। आयुर्वेद में सेहतमंद जिंदगी पाने के लिएप्रकृति के करीब रहने को ज्यादा महत्व दिया गया है।
बारिश के मौसम में आप भारीपन, चिपचिपा, त्वचा पर खुजली, कमजोरी और पेट का हमेशा फूला रहना महसूस करते हैं। यही नहीं इस मौसम में पाचन की अग्नि जिसे जठराग्नि कहते हैं वह भी असंतुलित रहती है। गर्मी के मौसम में झुलसी हुई त्वचा की समस्या बारिश के मौसम के शुरुआती दिनों में भी मौजूद रहती है, इस मौसम में बादलों के बीच से जब धूप पड़ती है तो वह त्वचा को झुलसाती है।
बारिश के मौसम में होने वाली दिक्कतों से बचने के लिए आयुर्वेद कुछ खास उपाय बताता है। अगर आपने तीन दोषों वात, पित्त और कफ़ को संतुलित रखा तोबारिश के मौसम में बीमारियों की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
तीनों दोषों में से वात दोष दिमाग और शरीर को नियंत्रित करता है। यह खून का दौरा, गंदगी को निकालना, सांस लेना और मानसिक गतिविधियों को नियंत्रित करता है। गर्मियों में वात शरीर में इकट्टा हो जाता है और बारिश होने के साथ ही बढ़ जाता है।
पित्त शरीर की गर्मी, पाचन तंत्र की मजबूती के लिए जिम्मेदार होता है। जब हम तनाव में होते हैं तब यह हमारे फैसलों, व्यवहार पर असर डालता है। बारिश के मौसम में नमी की अधिकता होती है जिससे पाचन की अग्नि कमजोर हो जाती है। इसलिए पेट से जुड़ी तमाम समस्याएँ होना इस मौसम में होना आम है।
कफ शारीरिक बनावट, शरीर के उत्तकों, माँस, वसा, हड्डियों और नसों को नियंत्रित करता है। यह मौसम कफ़ दोष को असंतुलित करता है। इससे साँस से संबंधित परेशानियाँ होने लगती हैं जैसे खाँसी, साँस में घरघराहट और संक्रमण। जिन लोगों को जोड़ों के दर्द की परेशानी है कफ़ के बढ़ने से उनका दर्द भी बार-बार उठने लगता है । तीनों दोषों को संतुलित करने के लिए और बीमारियों को दूर रखने के लिए आयुर्वेद में कुछ बहुत कारगर उपाय बताए गए हैं।
अपने शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए यह आसान आयुर्वेदिक उपाय अपनाएँ और बीमारियों की चिंता किए बिना बारिश के मौसम का मज़ा लें।
जमीन पर ना तो बैठें ना ही लेटें क्योंकि इससे वात बढ़ सकता है जो जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है।
संक्रमण से बचने के लिए नाखूनों को कटा हुआ और साफ़ रखें।
पाचन की परेशानियों से बचने के लिए दिन में सोने से बचें।
बारिश के मौसम में सेहतमंद रहने के लिए आयुर्वेद पंचकर्म उपचार की सलाह देता है।
गीले कपड़ों में ना रहें, भीगने पर तुरंत कपड़े बदल लें।
वात को संतुलित करने वाले आहार लें जैसे ताजे फल,सब्जियाँ और फलियाँ। मसालेदार भोजन से और ज्य़ादा खाने से बचें।
पाचन मजबूत करने के लिए जरा सा नमक और नींबू के रस के साथ अदरक का एक टुकड़ा चबाएँ।
यह आसान उपाय आपको बीमारियों से बचाएँगे और बारिश के मौसम का मज़ा लेने में खलल नहीं डालेंगे।
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