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आधुनिक समय में तनाव मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। अन्य कारकों की तुलना में मनुष्य के जीवन में उसके दुष्प्रभाव से सबसे अधिक हानि होती है। तनाव के साथ निपटने का तरीका सीखें और अपने जीवन में तनाव पर जीत पाने के लिए कुछ व्यावहारिक राय प्राप्त करें।
तनाव सबके जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। शरीर, मन और आत्मा पर प्रतिदिन भावनात्मक, आर्थिक और जीवन शैली के कारकों का दबाव पड़ता है। जैसे, तनावपूर्ण रिश्ते, बढ़ती हुई अपराधों की घटनायें, बेहद महँगाई, साथियों का दबाव, प्रौद्योगिकी निर्भरता, अपर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और हवा, आदि।
आयुर्वेद के अनुसार जब हमारा मन असंतुलित अवस्था में होता है तब हमपर तनाव का असर होता है। संतुलित मन वह होता है जो मजबूत और स्थिर होता है और क्या सही है, क्या गलत है यह निर्णय ले सकता है। असंतुलित मन में असमंजस और तनाव उत्पन्न होते हैं।
प्राण वात और साधक पित्त मन को नियंत्रित करते हैं। प्राण वात, वात का एक उप-दोष है जो दिमाग और इन्द्रियों का नियंत्रण करता है। साधक पित्त, पित्त का एक उप-दोष है जो भावनाओं और ह्रदय पर उनके प्रभाव को नियंत्रित करता है।
इसके अतिरिक्त मन के तीन गुण होते हैं। वे हैं -सत्त्व, राजस और तामस। ज्ञान और पवित्रता सत्त्व के, क्रिया और आवेग राजस के, और निष्क्रियता व अज्ञान तामस के लक्षण हैं। जब सत्त्व कम हो जाता है एवं राजस और / या तामस बढ़ जाता है तो मानसिक असंतुलन या विकार उत्पन्न होते हैं। जब मन पर राजस और तामस हावी होते हैं उसका नियंत्रण करने वाले उप-दोष असंतुलित हो जाते हैं। साधक पित्त जलन और प्राण वात सूखापन उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। जब यह अवस्था दीर्घकाल तक चलती है तो मन तनावग्रस्त हो जाता है और घबराहट, डिप्रेशन, डर और बेचैनी जैसे मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
एक व्यक्ति की तनाव से निपटने की शक्ति उसके मन में सत्त्व के स्तर पर निर्भर करती है। जैसे-जैसे सत्त्व घटता है मानसिक शक्ति, मजबूती और सही व गलत का निर्णय करने की शक्ति भी घटती है। इसलिए सत्त्व को बढ़ाने और राजस और तामस को कम करने के लिए अपने मन को सजीव करना अच्छा है। जब सत्त्व अधिक होता है तो राजस और तामस का कार्य भी सकारात्मक और निर्माणकारी होता है। ऐसी स्थिति में वे संतुलन या स्वास्थ्य की अवस्था प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
आहार का विनियमन, नियमित व्यायाम, सक्रिय जीवन शैली, और सकारात्मक सोच कुछ ऐसे कारक हैं जो मन को सजीव करने और स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं। यहाँ पर कुछ सरल पर प्रभावशाली युक्तियां बताई गई हैं जो प्रतिदिन के तनाव के साथ ज्यादा अच्छी तरह से निपटने में आपकी सहायता करेंगी -
सही भोजन खाएँ
तनाव को कम करने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें जो सत्त्व को बढ़ाते हैं, जैसे ताज़े फल, फलों का रस, सब्जियाँ (कच्ची, पकाई हुई या उबली हुई), सब्जियों का रस, अंकुरित दालें, मेवा, शहद, दूध, घी, ताज़ा मक्खन, छाछ, आदि। कोशिश करके चाय, कॉफ़ी, मैदे की चीज़ें, चॉकलेट्स, सफ़ेद चीनी की चीज़ें, गहरी तली हुई चीज़ें और तेज़ मसाले कम खाएं क्योंकि ये राजस को बढ़ाते हैं। मांस, मछली, अंडा, रसायन का उपयोग करके संरक्षित या पैक किए हुए खाद्य पदार्थ तामस को बढ़ाते हैं, इसलिए हो सके तो इनसे दूर रहें।
जब आप ध्यान करते हैं तो आपके विचार काफी देर के लिए एक चीज़ पर केंद्रित होते हैं। इस अभ्यास से साँस लेने की प्रक्रिया को धीमा करने, रक्त चाप के स्तर को सामान्य बनाने, मांसपेशियों व नसों को विश्रांति प्रदान करने और इसके फलस्वरूप तनाव को कम करने में सहायता मिलती है।
हमारा साँस लेने का तरीका मन से संबंधित होता है। जब हम तनावग्रस्त होते हैं तो हमारी साँसें छोटी और उथली होती हैं। यह साँस लेने की प्रणाली के लिए अच्छा नहीं होता है। अगली बार जब आप को तनाव महसूस हो तो आप अपनी साँस को देखें। आराम से बैठ जाएं और कुछ गहरी साँसें लें। इससे आपको अच्छा लगेगा। जब हम ठीक से साँस लेते हैं तो हम अपने शरीर में प्राण को पुनर्जीवित करने में सहायता करते हैं। इससे शरीर में ऑक्सीजन का सुचारू रूप से संचार होता है और वह सब महत्वपूर्ण अंगों तक आराम से पहुँच जाता है।
आजकल की प्रतियोगिता भरी दुनिया में अधिकतर लोगों को खासतौर से व्यावसायिक व्यक्तियों को नियमित रूप से गहरी नींद में सोने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है। नींद पूरी न होने के कारण पाचन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है जिसकी वजह से दोषों का असंतुलन हो सकता है। ऐसी अवस्था में शरीर ठीक से तनाव से नहीं निपट पाता है।
अभ्यंग और शिरोधार, जैसे पंचकर्म उपचार नसों और सिर में तनाव को कम करने में बहुत प्रभावशाली हैं। अभ्यंग में पूरे शरीर की मालिश करते हैं और शिरोधार में माथे पर तेल उड़ेलते हैं।
अधिकतर ऐसा होता है कि हमलोग तनाव के बारे में बात नहीं करते हैं, अपने से भी नहीं, इसलिए उससे छुटकारा नहीं प्राप्त कर पाते हैं। याद रखें, हर बार आप तनाव को दबाते हैं वह एकत्र होता जाता है और धीरे-धीरे आपके जीवन का हिस्सा बन जाता है। अगर आपने अभी तक अपनी समस्याओं के बारे में बात नहीं की है तो अब करें। आप चाहें तो अपने विचारों को लिख भी सकते हैं। ऐसा करने से आप उनके समाधान के बारे में सोच पाएंगे और आपको अच्छा लगेगा।
यदि आप एक व्यस्त व्यावसायिक हैं तो समय का प्रबंधन आपके लिए अधिक तनावपूर्ण बात हो सकती है। इसलिए आपको अपने जीवन को व्यवस्थित करना चाहिए। काम करने के लिए उचित सारणी बनायें, सूची बनायें और एक-एक करके काम पूरा करें। ऐसा करने से आप अनेक कारकों का नियंत्रण कर पाएंगे जो बिना वजह आपके जीवन में तनाव उत्पन्न कर रहे हैं।
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