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नीम जिसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में नीम्बा भी कहा गया है, इसका इस्तेमाल सैकड़ों सालों से इसके चिकित्सीय गुणों की वजह से कई बीमारियों में किया गया है। साधारण तौर पर इसको ग्रामीण दवा कहा जाता है। इसके पेड़ को अंग्रेजी में मार्गोसा या इंडियन लिलैक भी कहा जाता है और यह ज्य़ादातर भारत में और कुछ दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में उगता है।आयुर्वेद में नीम के कई उपयोग हैं।
नीम का रस कसैला, गुण है रूखा, पाचन में हल्का और वीर्य में ठंडी प्रकृति का है। गर्मियों में नीम का इस्तेमाल प्राकृतिक पित्त गुणों को संतुलित करने के लिए किया जाता है जो गर्मियों में गर्म और तैलीय होते हैं।
शीत यानि यह शरीर को ठंडक का अहसास कराता है, व्रणहारा यानि यह शुद्ध है और घावों को ठीक करता है, कुष्ठाहारा यानि त्वचा की बीमारियों में फायदा पहुँचाता है और पित्ताहारा यानि पित्त को संतुलित करता है।
हम आपको नीम के 5 चमत्कारी फायदे बताते हैं जो इस हरे भेर पेड़ को आयुर्वेद में खास बनाता है।
नीम के अंदर एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी इन्फ्लेमेट्री और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। आयुर्वेदिक उपचारों में नीम का इस्तेमाल मुँहासों, एलर्जी, त्वचा के संक्रमण, खुजली, एक्ज़िमा और पित्ती होने पर किया जाता है। नीम की पत्तियों का लेप और छाल त्वचा की समस्याओं में बहुत फायदेमंद है। यह आपकी त्वचा को साफ, बीमारियों से मुक्त और चमकदार बना सकती है। नहाने से 5-10 मिनट पहले नीम की पत्तियों का पेस्ट लगाएँ। अगर आपको ताज़ी नीम की पत्तियाँ ना मिलें तो जीवा नीम मड पैक जिसमें मुल्तानी मिट्टी के गुण भी शामिल हैं इसका इस्तेमाल करें।
रूसी होने का कारण है कि वात और पित्त का असंतुलन। नीम बिगड़े हुए कफ़ और वात को संतुलित करता है, इसलिए यह रूसी को खत्म करता है। सिर की त्वचा से पपड़ी जीवाणुओं की वजह से निकलती है, नीम के अंदर एंटी बैक्टीरियल यानि जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो जीवाणुओं को खत्म करते हैं और भविष्य में आपके सिर की त्वचा को सुरक्षित भी रखते हैं। 2-3 मुट्ठी ताज़ी नीम की पत्तियां लें, एक कप गर्म पानी लें और इसमें नीम की पत्तियों को रातभर के लिए भिगो दें। अगले दिन इसका एक लेप बनाएं और बालों पर लगाएं, फिर कुछ देर बाद नहा लें।
आयुर्वेद में नीम का इस्तेमाल दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है क्योंकि इसमें सूजन को कम करने के गुण होते हैं। जोड़ों के दर्द ऑस्टियोअर्थराइटिस यानि अस्थि संधिशोध गठिया, रूमीटोएड अर्थराइटिस यानि संधिशोध गठिया में आम बात है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए 250 मिली पानी में 100 ग्राम नीम की पत्तियाँ 30 मिनट तक उबालें या फिर तब तक उबालें जब तक पानी आधा न हो जाए। नीम के गुणों वाले इस घोल का 50 मिली हिस्सा दिन में दो बार पिएँ, इसको एक महीने तक दोहराने से फायदा पहुँचेगा।
नीम के अंदर एंटी बैक्टीरियल गुण हैं जो जीवाणुओं से लड़ने में काफी असरदार हैं। नीम आधारित दंतमंजन का नियमित इस्तेमाल दांतों पर मैल और टार जमने नहीं देता। अगर हो सके तो नीम की टहनी चबाएं, इसकी कड़वाहट विषैले तत्वों को हटाएगी और मुँह की लार को बेहतर बनाएगी। आप नीम दंतमंजन का इस्तेमाल कर सकते हैं उससे भी यही फायदे होंगे। आयुर्फ्रेश टूथपेस्ट का इस्तेमाल एक अच्छी सलाह है।
जब खून अशुद्ध होने लगता है तो यह कील, मुँहासे और दूसरी कई त्वचा की बीमारियाँ देता है। अशुद्ध खून की वजह से शारीरिक कमजोरी आती है, बाल गिरते हैं और नजर कमजोर हो जाती है। खून को साफ करने के मामले में नीम बहुत कारगर है क्योंकि यह शरीर से विषैले तत्वों को दूर करता है। नीम पाउडर और हल्दी का मिश्रण खून साफ करने का बेहतरीन तरीका है। अगर आपको नीम की ताज़ी पत्तियाँ न मिलें तो आप नीम सिरप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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