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समय पूर्व रजोनिवृत्ति: कारण, लक्षण और उपचार

रजोनिवृत्ति उम्र के साथ जुड़ी हुई एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन कभी-कभी औरतें रजोनिवृत्ति के लक्षण काफी कम उम्र में महसूस करती हैं, जिससे कई उलझने पैदा होती हैं।

वायु का असंतुलन अंडाशय के कार्य को प्रभावित करके अंडों का निर्माण रोक देता है। जिन औरतों में रजोनिवृत्ति के पूर्वकाल में वात, पित्त का असंतुलन मौजूद रहा हो उनको इस अवस्था में कठिनाइयां भुगतनी पड़ सकती है।

हर औरत रजोनिवृत्ति से गुजरती है। बढ़ती उम्र का ये नैसर्गिक परिणाम होता है, जो मासिक धर्म का अंत सूचित करता है। स्त्री के इस्ट्रोजेन हॉर्मोन में कमी लाने वाली ये अवस्था स्त्री को पित्तावस्था से वातावस्था में ले जाती है। वात को तीनों दोषों में प्रधान माना जाता है। रक्ताभिसरण, हृदयगति, श्वसन, तथा न्यूरो हॉर्मोनल प्रणाली सहित शरीर और मन की सारी गतिविधियों को वात ही नियंत्रित करता है।

इसकी वजह से वायु का असंतुलन अंडाशय के कार्य को प्रभावित करके अंडों का निर्माण रोक देता है, जो रजोनिवृत्ति का कारण बनता है।

अगर रजोनिवृत्ति उम्र के साथ होने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया है, तो समय से पहले क्यों होती है?

समयपूर्व रजोनिवृत्ति के कारण दो भागों में बांटे जा सकते हैंः वैद्यकीय तथा जीवनशैली।

वैद्यकीय घटकः

  • प्राथमिक अंडाशय न्यूनता

  • हायपोथलॉमस और पिच्यूटरी ग्रंथी के ट्युमर्स

  • गर्भाशय या अंडाशय का शल्यचिकित्सा द्वारा निकाला जाना

  • कैंसर के लिए केमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी

  • दीर्घकालीन विकार

  • मानसिक रोग

जीवनशैली के घटकः

  • स्ट्रेस और तनाव

  • व्यायाम का अभाव

  • जंक फूड और निकृष्ट आहार

  • धूम्रपान, मद्यपान, व्यसनाधीनता

  • अनेक पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध

  • वैधव्य या अन्य दुखद घटनाओं से हुई भावनात्मक उथल-पुथल

  • विवाह में देरी, गर्भधारण में देरी

समयपूर्व रजोनिवृत्ति ऐसा विकार नहीं जिसे नजरअंदाज किया जा सकता है। इस्ट्रोजन का घटा हुआ स्तर ऑस्टियापोरोसिस, मसूड़ों के विकार, मोतिया बिंद जैसी कई समस्याएं निर्माण कर सकता है। वो बृहदांत्र और अंडाशय के कर्क रोग की संभावना भी बढा़ देता है। समयपूर्व रजोनिवृत्ति ठीक नहीं की जा सकती, हमारी कोशिश इससे बचने की होगी, इसलिए आहार और जीवनशैली में ये बदलाव करने चाहिएः

  • संतुलित आहार वक्त पर लेना चाहिए। जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स को ना कहिए और शक्कर तथा कैफिन की मात्रा हर दिन नियंत्रण में रखिए।

  • अचार, चटनी जैसे तीखे, खट्टे और नमकीन पदार्थ से परहेज करें। गर्म, ताजे पदार्थ और पेय सेवन करें तथा जीरा, सौंफ जैसे मसालों का इस्तेमाल करें।

  • हर रोज़ कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।

  • भावनात्मक असंतुलन को दूर करने के लिए ध्यान करें।

  • रासायनिक कीटनाशकों से मुक्त जैविक फल और सब्जियाँ खरीदें।

  • धूम्रपान, मद्यपान और मादक पदार्थों का सेवन न करें।

  • थोड़ी दूर दृष्टि और जीवनशैली में बदलाव से महिलाएं खुद को समयपूर्व रजोनिवृत्ति से बचा सकती हैं और वेदनामुक्त, सुखी, दीर्घायु पा सकती हैं।

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