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गड़बड़ मलाशय, मलत्याग में जलन, अनियमित मलत्याग- ये सारी की सारी लगभग एक ही बीमारी हैं जिसे आयुर्वेद में ग्रहणी रोग कहा जाता है।
सारी असुविधाओं से अलग देखा जाए तो अनियमित मलत्याग कई बार बेइज्जती का कारण बनता है, खासकर गर्मियों में जब तापमान ज्यादा होता है और पाचन तंत्र बढ़ते हुए तापमान की वजह से पहले से ही दबाव झेल रहा होता है। जब गर्मी चरम पर होती है तो अनियमित मलत्याग की बारी आने पर स्थिति बहुत ही खराब हो जाती है। गर्मियों के शुरुआती हफ्तों अनियमित मलत्याग के मरीजों को अक्सर शिकायत रहती है कि उन्हें पेट में किसी चीज़ के फड़फड़ाने का अहसास होता है।
डुओडेनम यानि छोटी आंत का शुरुआती हिस्सा पाचन से पहले भोजन को रोककर रखता है और यह पाचन की अग्नि की जगह होती है। इर्रिटेबल बाउल मूवमेंट जिसें ग्रहणी रोग कहते हैं इसका मतलब है कि आंतें भोजन को ग्रहण नहीं कर पा रही हैं, जिससे पाचन नहीं हो पा रहा है।आयुर्वेद के मुताबिक आईबीएस यानि ग्रहणी रोग के पीछे कुछ खास कारण हो सकते हैं।
अनियमित मलत्याग की दिक्कतों के पीछे कुछ खास कारण होते हैं जिसमें ऊलजलूल खानपान, हानिकारक आहार, गरिष्ठ भोजन, ठंडा आहार, सूखा या जंक फूड ये सभी शारीरिक कारण हैं, जबकि नींद कम आना, देर रात तक जागना, दिन में सोना, उदास रहना, गुस्सा, डर ये सारे मानसिक कारण हैं।
आयुर्वेद में ग्रहणी रोग यानि अनियमित मलत्याग के लिए असरदार उपचार है। लंबे समय तक राहत पाने वाले उपचार के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें। हम आपको इर्रिटेबल बाउल मूवमेंट सिंड्रोम यानि अनियमित मलत्याग के लिए कुछ घरेलू उपचार बताते हैं, इसकी मदद से आप गर्मी में इससे परेशान नहीं होंगे।
प्लांटैगो ओवाटा के बीज की भूसी एक जादुई जड़ी बूटी है जो कब्ज और दस्त में काफी फायदा पहुँचाती है। यह भूसी गंदगी को जोड़ती है और ज्यादा पानी सोखती है जिसकी वजह से मलत्याग में आसानी होती है और आपको बार-बार शौचालय नहीं जाना पड़ता है। यह पेट के अंदरूनी भाग में एक रक्षात्मक परत भी जोड़ती है जिसकी वजह से एसिडिटी की दिक्कत नहीं होती है। बेहतर परिणाम पाने के लिए भूसी में आप दही भी मिला सकते हैं। दही के अंदर कुछ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पेट की दिक्कतों में आराम पहुँचाते हैं।
आयुर्वेद मानता है कि न पचाया जा सका आहार कई बीमारियों का कारण होता है। इसकी आम कहते हैं और यह पाचन तंत्र में मौजूद न पच पाए भोजन के कणों से बनता है। सौंफ शरीर की अतिरिक्त वसा को मिटाता है, आम बनने से रोकता है। आप भुनी हुई सौंफ का पाउडर बनाकर, उसे गर्म पानी के साथ भी ले सकते हैं।
वैकल्पिक तौर पर आप आधा चम्मच सौंफ उबाल लें, पानी को कुछ देर के लिए छोड़ दें फिर इसे छानकर पिएँ। जीवा डायजेस्टऑल चूर्ण में सौंफ और कई दूसरे प्राकृतिक तत्व मिले हुए हैं जिससे अनियमित मलत्याग में आराम मिलता है
कद्दू का सूप अनियमित मलत्याग की दिक्कत में काफी आराम पहुँचाता है। अपने लिए अपना पसंदीदा कद्दू का सूप तैयार करें। इसको सादा और पौष्टिक रखें। कद्दू के सूप से ज्य़ादा फ़ायदा लेने के लिए बनाते समय इसमें अदरक के पिसे हुए टुकड़े डालें और पीने से पहले इसमें धनिया की पत्तियाँ, जीरा पाउडर, काली मिर्च डालकर गर्मा गर्म पिएँ।
इर्रिटेबल बाउल मूवमेंट यानि ग्रहणी रोग को आयुर्वेद जड़ से खत्म करता है और लंबा आराम देता है। सही उपचार पाने के लिए हमारे डॉक्टर से संपर्क करें फोन करें 0129-4040404 पर।
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