Knockout Offer. Get upto 25% OFF or Buy 2 Get 1 Free, Select your offer! Limited Period offer till stocks last! Best Prices only on store.jiva.com
Help us serve you better
Understand the root-cause of your problem, and begin your personalized treatment today.
पंचकर्म थेरेपीज् की सुंदरता यह है कि वो शरीर के हर सेल यानी कोषिक को साफ करती है। जहां वमन और नस्य मुख्यतः कफ दोष और श्वसन संस्था को विशुद्ध करते हैं, वहां विरेचन पित्तदोष और पाचन तंत्र पर कार्य करता है। कई लोग रेचक द्रव्यों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आयुर्वेद सम्मत इसके पीछे की सोच बहुत कम लोग जानते हैं।
विरेचन इन व्याधियों से पीडि़त मरीजों को दिया जाता हैः अम्लपित्त, मलावरोध, ग्रहणी रोग, मलावरोध युक्त इरिटेबल बॉवेल सिन्ड्रोम, बवासीर, पांडुरोग, पीलिया, यकृत रोग, पथरी के विकार, पुराने बुखार, उदर, सूजन, उल्टी, एक्जिमा, सोरीयासिस-अर्टिकेरीया जैसे त्वचारोग, मूत्रविकार, फायलेरिया, हर्पिस, अस्थमा, स्थौल्य, मधुमेह आदि।
विरेचन इन व्यक्तियों को नहीं दिया जाताः डायरिया, डिसेंटरी, नवज्वर के मरीज, पेट से रक्तस्त्राव करने वाले विकार जैसे अल्सर, गर्भवती महिलायें, 16 से कम 65 से ज्यादा उम्र के लोग, दुर्बल व्यक्ति, हाल ही में जिन के पेट का ऑपरेशन हुआ है ऐसे लोग।
स्नेहन के लिए सुयोग्य घृत या तैल।
रेचन के लिए सुयोग्य औषधि जैसे त्रिवृत, त्रिफला इत्यादि।
विरेचन करवाने वाले व्यक्ति को 3 से 7 दिनों तक औषधि घृत या तेल वर्धमान मात्रा में उसकी अग्नि के शक्तिनुसार पिलाया जाता है। उस दौरान गर्म पानी, भूख लगने पर हल्का आहार सेवन करने के लिए कहा जाता है। दौड़, धूप करने से मनाई की जाती है। हर रोज़ उसको तेल से मसाज तथा भाप से स्वेदन किया जाता है। स्नेहसिद्धी होने के बाद 1-2 दिनों का अवकाश रखा जाता है, ताकि स्नेहन-स्वेदन से विचलित हुए मल पेट में आकर जम सके।
विरेचन के दिन सुबह मरीज को रेचक द्रव्य सुयोग्य मात्रा में दिया जाता है। कुछ ही घंटों में उसको दस्त आना शुरु हो जाते हैं। इस दौरान मरीज को गर्म पानी पीने को कहा जाता है, जो इस प्रक्रिया में मददगार होता है।
विरेचन रुक जाने के बाद अगले कुछ दिन रोगी को सौम्य, हल्का आहार दिया जाता है। अब पाचन संस्था पूरी तरह से सक्षम हो जाए तब उसे सामान्य आहार लेने की अनुमति दी जाती है।
विरेचन से पहले स्नेहन-स्वेदन अच्छी तरह से करना चाहिये।
रेचक द्रव्य की मात्रा सही हो, ताकि अत्यधिक डिहाड्रेशन न हो।
जिन्हें हफ्तेभर चलने वाला यह उपचार करवाना संभव न हो, उनके लिए आयुर्वेद में हर रोज़ दिये जाने वाले ''नित्य विरेचन'' का प्रावधान है। इसमें स्नेहन-स्वेदनादि पूर्वकर्म नहीं किये जाते। मरीज को हर रोज सामान्यतः रात को रेचक द्रव्य सही मात्रा में दिया जाता है और सुयोग्य आहार-विहार करने को कहा जाता है। सुबह मरीज को एक-दो दस्त होने की संभावना रहती है। जब तक शरीर की अपेक्षित शुद्धि नहीं हो जाती, तब तक नित्य विरेचन जारी रखा जाता है।
To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.
Subscribe to the monthly Jiva Newsletter and get regular updates on Dr Chauhan's latest health videos, health & wellness tips, blogs and lots more.
Understand the root-cause of your problem, and begin your personalized treatment today
100% secure information
Comment
Be the first to comment.