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आयुर्वेद में शरीर को तीन प्रमुख दोषों के संतुलन पर आधारित किया गया है - वायु, पित्त, और कफ। पित्त हमारे शारीर में त्रिदोषीय बल की असंतुलन की एक स्थिति है। यह दोष शरीर के अंदर के प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं और अगर इसमें कोई असंतुलन होता है, तो यह स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। पित्त दोष के बढ़ जाने पर शरीर में गरमी बढ़ती है, जिससे तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि पीलिया, आमाशय के रोग, त्वचा संबंधित समस्याएं, और अन्य रोग। इसलिए, ‘पित्त का रामबाण इलाज’ आवश्यक है जो हमें आयुर्वेद से मिलता है।
पित्त के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधियां एक कुशल रूप हैं। आमला जैसी जड़ी-बूटियां पित्त को शांत करने में मदद करती हैं। आयुर्वेद में इन औषधियों को 'पित्तशामक' कहा जाता है, जो शरीर की गरमी को शांत करती हैं और प्राकृतिक रूप से शरीर को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
जीवा आयुर्वेद के अनुसार, आहार का बड़ा हिस्सा हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, और इसलिए सही आहार का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है। पित्त के रोगियों को ताजा, ठंडे, और मीठे आहार का सेवन करना चाहिए। तुलसी, काली मिर्च, जीरा, धनिया, और मेथी से बनी चाय पिना भी फायदेमंद है, क्योंकि इनमें पित्त को शांत करने वाले गुण होते हैं।
योग और प्राणायाम भी पित्त के इलाज में मदद करते हैं। योगासन और प्राणायाम से शरीर का तापमान संतुलित रहता है और पित्त की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। सूर्य नमस्कार, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम, और कपालभाति इसमें शामिल हैं जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
सही दिनचर्या बनाना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। नियमित रूप से सोना, उठना, और भोजन करना, सब पित्त को नियंत्रित रखने में मदद करता है। समय पर खाना खाना, पानी पीना, और विश्राम लेना भी आवश्यक है ताकि शरीर का संतुलन बना रहे।
नियमित रूप से गरम पानी से स्नान करना भी एक उत्तम साधन है। यह शरीर की गंधक की वृद्धि को रोकने में मदद करता है, जिससे पित्त की समस्याएं दूर हो सकती हैं।
अगर किसी को पित्त की समस्याएं हैं, तो उन्हें अपनी दिनचर्या में और आहार में स्थायी बदलाव करना चाहिए। इसमें तेल, मिर्च, गरम तल, और तला हुआ खाद्य शामिल है, जिनसे आपको बचना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, पित्त के इलाज के लिए प्राकृतिक उपचार हैं जो हमें स्वास्थ्यपूर्ण और संतुलित जीवन जीने में मदद करते हैं। यदि किसी को इस तरह की समस्याएं हैं, तो उन्हें एक आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए ताकि वे सही दिशा में उपचार कर सकें। ध्यान रखें, हर व्यक्ति का शरीर अलग है और उसकी आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए ही सही इलाज किया जा सकता है।
इन सभी उपायों का पालन करके हम पित्त संतुलन को बनाए रख सकते हैं और जीवा आयुर्वेद के सुझावों के साथ स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं। तो अपने नजदीकी जीवा क्लिनिक पर जाएँ या कॉल करें
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