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पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार

पीलिया का इलाज सिर्फ लक्षणों को दबाने से नहीं होता, इसके लिए जड़ से उपचार ज़रूरी होता है। जीवा आयुर्वेद में आपको निजीकृत आयुर्वेदिक इलाज मिलता है, जिसमें हर्बल दवाएँ, जीवनशैली में बदलाव और खानपान सुधार शामिल हैं, वो भी अनुभवी वैद्य की देखरेख में

पीलिया क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Jaundice?)

अगर आपकी त्वचा और आँखों में पीलापन आ जाए, भूख कम लगने लगे, थकान ज़्यादा महसूस हो, और पेशाब का रंग गहरा पीला हो जाए – तो हो सकता है कि आपको पीलिया (Jaundice) हो गया हो। यह एक आम बीमारी है जिसमें शरीर में बिलीरुबिन नाम का पित्त रस (bile pigment) ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ जाता है। जब लीवर ठीक से काम नहीं करता या पित्त के रास्ते में रुकावट आ जाती है, तो बिलीरुबिन शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और इसका असर त्वचा और आँखों पर दिखाई देता है।

पीलिया कई कारणों से हो सकता है – जैसे वायरल इन्फेक्शन (जैसे हेपेटाइटिस), ज़्यादा शराब पीना, खून की बीमारी, पित्त की नली में रुकावट, या फिर अनुवांशिक समस्याएँ।

अब बात करते हैं आयुर्वेद की। आयुर्वेद में पीलिया को "कामला" कहा जाता है। यह एक पित्त दोष जनित रोग है, जिसका मतलब है कि आपके शरीर में पित्त असंतुलित हो गया है। जब आप बहुत ज़्यादा तीखा, खट्टा, नमकीन, या तला हुआ खाना खाते हैं या अत्यधिक शराब पीते हैं, तो पित्त बढ़ जाता है। इससे शरीर की रक्त (रक्त धातु) और मांस धातु प्रभावित होती हैं, जिसके कारण कामला रोग होता है।

अगर आप पहले से एनीमिक हैं, तो आपके पीलिया होने का खतरा और बढ़ जाता है। आयुर्वेद यह भी मानता है कि पीलिया शरीर में जमा हुए "आम" (toxins) और कमज़ोर "अग्नि" की वजह से होता है।

आयुर्वेद सिर्फ लक्षणों का इलाज नहीं करता, बल्कि रोग की जड़ पर काम करता है। जीवा आयुर्वेद में आपको ऐसे हर्बल उपचार, पंचकर्म थेरेपी, और डाइट की सलाह दी जाती है जो आपके पाचन को मज़बूत करें, लीवर को डिटॉक्स करें और पित्त दोष को संतुलित करें।

अगर आप पीलिया से परेशान हैं, तो अब देरी न करें। आयुर्वेदिक तरीके से जड़ से इलाज शुरू करें।

पीलिया के प्रकार (Types of Jaundice)

अगर आपको पीलिया हो गया है या उसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि पीलिया कितने प्रकार का होता है। हर तरह का पीलिया शरीर में अलग कारण से होता है और उसका इलाज भी उसी के हिसाब से किया जाता है।

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों के अनुसार, पीलिया मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है:

1. प्री-हेपेटिक पीलिया (Pre-hepatic Jaundice)

यह तब होता है जब आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिकाएँ) ज़्यादा मात्रा में टूटने लगती हैं। इस प्रक्रिया को हीमोलिसिस (Hemolysis) कहते हैं। जब बहुत ज़्यादा RBC टूटते हैं, तो बिलीरुबिन बहुत तेज़ी से बनता है और लीवर उसे संभाल नहीं पाता।
अगर आपको थकान, एनीमिया या कोई खून की बीमारी है, तो यह प्रकार हो सकता है।

2. हेपेटिक पीलिया (Hepatic Jaundice)

यह पीलिया तब होता है जब आपका लीवर खुद ही ठीक से काम नहीं कर रहा हो। इसका कारण हो सकता है – हेपेटाइटिस, शराब से लीवर को नुकसान, या दवाओं का साइड इफेक्ट।
इसमें पाचन भी बिगड़ सकता है और आपको थकावट, उल्टी और बुखार जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

3. पोस्ट-हेपेटिक या सब-हेपेटिक पीलिया (Obstructive Jaundice)

इस पीलिया में समस्या लीवर में नहीं, बल्कि पित्त की नली (bile duct) में होती है। जब पित्त बाहर निकलने का रास्ता बंद हो जाता है, जैसे पित्त की पथरी, ट्यूमर या सूजन की वजह से – तब बिलीरुबिन शरीर में जमा हो जाता है।

पीलिया होने के आम कारण (Common Causes of Jaundice)

अगर आप थकान, आँखों में पीलापन, भूख की कमी या पेट में दर्द जैसा कुछ महसूस कर रहे हैं, तो यह सिर्फ एक साधारण समस्या नहीं है। हो सकता है आपके शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ रहा हो, और इसका कारण आपके लीवर या खून से जुड़ी कोई दिक्कत हो। पीलिया एक संकेत है कि शरीर के अंदर कुछ गड़बड़ है, और उसका कारण जानना बहुत ज़रूरी है।

यहाँ कुछ आम कारण दिए गए हैं जिनकी वजह से आपको पीलिया हो सकता है:

  • लीवर का खराब होना: जब लीवर कमज़ोर हो जाता है, तो वह खून से बिलीरुबिन को ठीक से छान नहीं पाता। इससे बिलीरुबिन शरीर में जमा होने लगता है और पीलिया हो सकता है।
  • पित्त की नली में रुकावट: लीवर से निकलने वाला पित्त एक नली के ज़रिए आंतों में जाता है। अगर यह नली पथरी, ट्यूमर या सूजन की वजह से बंद हो जाए, तो पित्त और बिलीरुबिन वापस खून में मिलने लगते हैं।
  • हेमोलिटिक एनीमिया: इसमें आपके शरीर की लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) बहुत तेज़ी से टूटती हैं, जिससे बिलीरुबिन की मात्रा अचानक बढ़ जाती है।
  • वायरल इन्फेक्शन: जैसे हेपेटाइटिस A, B, C, जो लीवर को नुकसान पहुँचाते हैं और उसकी कार्यक्षमता को कमज़ोर कर देते हैं।
  • जन्मजात या अनुवांशिक रोग: जैसे गिल्बर्ट सिंड्रोम या क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम, जो लीवर को बिलीरुबिन को ठीक से प्रबंधित करने से रोकते हैं।
  • अत्यधिक शराब का सेवन: लम्बे समय तक शराब पीने से लीवर को नुकसान होता है और धीरे-धीरे पीलिया जैसी स्थिति बन जाती है।
  • दवाओं का साइड इफेक्ट: कुछ दवाएँ लीवर पर बुरा असर डालती हैं और पीलिया का कारण बन सकती हैं।

पीलिया के लक्षण (Signs and Symptoms of Jaundice)

पीलिया सिर्फ आँखों और त्वचा के पीले होने तक ही सीमित नहीं होता। यह शरीर के अंदर चल रही गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। अगर आप इसके लक्षणों को समय रहते पहचान लें, तो इसका इलाज जल्दी और आसानी से हो सकता है। नीचे कुछ सामान्य लक्षण बताए गए हैं जो आपको पीलिया होने पर महसूस हो सकते हैं:

  • त्वचा और आँखों का पीला पड़ जाना: यह सबसे पहला और साफ़ नज़र आने वाला लक्षण होता है। जैसे ही शरीर में बिलीरुबिन बढ़ता है, इसका असर सबसे पहले आँखों और चेहरे पर दिखाई देता है।
  • गहरे पीले रंग का पेशाब आना: जब बिलीरुबिन खून में बढ़ता है, तो वह पेशाब के ज़रिए बाहर निकलने की कोशिश करता है, जिससे उसका रंग बहुत गहरा हो जाता है।
  • भूख कम लगना: पीलिया में पाचन कमज़ोर हो जाता है, जिससे खाने का मन नहीं करता और वज़न भी कम होने लगता है।
  • थकान और कमज़ोरी महसूस होना: शरीर में खून की कमी और लीवर की कमज़ोरी के कारण दिनभर सुस्ती और थकावट बनी रहती है।
  • पेट में दर्द या भारीपन: खासकर दाईं तरफ पेट में दर्द या दबाव महसूस हो सकता है क्योंकि यकृत उसी हिस्से में होता है।
  • उल्टी आना या मतली लगना: यह पाचन तंत्र की गड़बड़ी और लीवर की खराब स्थिति को दर्शाता है।
  • खून की उल्टी या शरीर पर आसानी से नीला पड़ना: अगर आपको अचानक से खून की उल्टी या बिना वजह शरीर पर नीले निशान दिखने लगें, तो यह गंभीर लक्षण हो सकते हैं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • बुखार आना: खासकर बच्चों में यह पीलिया का शुरुआती संकेत हो सकता है।

Symptoms

गहरे पीले रंग का पेशाब आना

जब बिलीरुबिन खून में बढ़ता है, तो वह पेशाब के ज़रिए बाहर निकलने की कोशिश करता है, जिससे उसका रंग बहुत गहरा हो जाता है।

भूख कम लगना

पीलिया में पाचन कमज़ोर हो जाता है, जिससे खाने का मन नहीं करता और वज़न भी कम होने लगता है।

पेट में दर्द या भारीपन:

खासकर दाईं तरफ पेट में दर्द या दबाव महसूस हो सकता है क्योंकि यकृत उसी हिस्से में होता है।

खून की उल्टी

अगर आपको अचानक से खून की उल्टी या बिना वजह शरीर पर नीले निशान दिखने लगें, तो यह गंभीर लक्षण हो सकते हैं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

गहरे पीले रंग का पेशाब आना
भूख कम लगना
पेट में दर्द या भारीपन:
खून की उल्टी
 

क्या आपको इनमें से कोई लक्षण है? (पीलिया)

सभी लागू विकल्प चुनें।

  • आँखों या त्वचा में पीलापन
  • गहरे पीले रंग का पेशाब
  • भूख में कमी
  • लगातार थकान या कमज़ोरी
  • पेट में दर्द या भारीपन
  • उल्टी या मतली
  • खून की उल्टी या शरीर पर नीले निशान
  • बुखार (खासकर बच्चों में)

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जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति – पीलिया के लिए एक संपूर्ण आयुर्वेदिक तरीका

जीवा आयुर्वेद में पीलिया का इलाज सिर्फ लक्षणों को दबाने तक सीमित नहीं रहता। यहाँ हर व्यक्ति के शरीर, जीवनशैली और समस्या की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज तैयार किया जाता है। यह इलाज शरीर को अंदर से साफ करता है, लीवर को मज़बूत करता है और पाचन अग्नि को संतुलित रखता है, जिससे आपको संपूर्ण और स्थायी लाभ मिलता है।

जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति के मूल सिद्धांत – आपकी सेहत के लिए संपूर्ण आयुर्वेदिक देखभाल

  • हर्बल आयुर्वेदिक दवाएँ (HACCP प्रमाणित): जीवा की दवाएँ वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई जड़ी-बूटियों से बनती हैं, जो शरीर को अंदर से साफ करती हैं, रोगों से लड़ने की ताकत देती हैं और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • योग, ध्यान और मानसिक शांति: तनाव को कम करने और मन को शांत करने के लिए योग और ध्यान बेहद असरदार हैं। ये आसान अभ्यास आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मज़बूत बनाते हैं।
  • पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार: पंचकर्म, तेल मालिश और शरीर की शुद्धि करने वाले नैचुरल ट्रीटमेंट आपके शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करते हैं और अंदरूनी संतुलन को बहाल करते हैं।
  • आहार और जीवनशैली की सलाह: आयुर्वेदिक डॉक्टर आपको ऐसा आहार और दिनचर्या बताते हैं जो आपकी प्रकृति (बॉडी टाइप) के अनुसार हो। इससे आपका शरीर मज़बूत बनता है और भविष्य में बीमारियाँ होने का खतरा भी कम होता है।

पीलिया में असरदार आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Medicines for Jaundice)

अगर आप पीलिया से परेशान हैं और बार-बार थकान, आँखों का पीलापन या भूख की कमी जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो आपको सिर्फ लक्षणों को दबाने वाला इलाज नहीं, बल्कि जड़ से इलाज चाहिए। आयुर्वेद में कई ऐसी शक्तिशाली जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक दवाएँ हैं जो लीवर की कार्यक्षमता को सुधारती हैं, शरीर को डिटॉक्स करती हैं और बिलीरुबिन के स्तर को संतुलित करती हैं।

यहाँ कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक दवाएँ दी गई हैं, जो पीलिया में बहुत उपयोगी मानी जाती हैं:

  • कुटकी (Kutki): यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो आपके लीवर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है और बिलीरुबिन के स्तर को कम करने में मदद करता है।
  • भूम्यामलकी (Bhumyamalaki): यह जड़ी-बूटी लीवर की कोशिकाओं को ठीक करती है और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाती है। यह सिरोसिस जैसे गंभीर रोगों में भी लाभकारी है।
  • दारुहरिद्रा (Daruharidra): इसमें मौजूद बर्बेरिन (Berberine) नामक तत्व पित्त के स्राव को बढ़ाता है और लीवर को मज़बूत बनाता है।
  • कालमेघ (Kalmegh): इसमें एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण होते हैं जो लीवर की सूजन कम करते हैं और पाचन को सुधारते हैं।
  • एलोवेरा (Aloe Vera): यह लीवर और किडनी दोनों को डिटॉक्स करता है और शरीर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को बाहर निकालने में सहायक होता है।
  • हल्दी (Haldi): यह खून को साफ करती है, लीवर की सफाई करती है और बिलीरुबिन के स्तर को कंट्रोल में रखती है।
  • गिलोय (Giloy): यह एक बेहतरीन इम्यूनिटी बूस्टर है जो लीवर को डिटॉक्स करता है और सूजन को कम करता है।
  • शंखपुष्पी (Shankhpushpi): इसमें मौजूद फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट लीवर को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • तुलसी के पत्ते (Tulsi Leaves): आयरन, कैल्शियम और विटामिन-C से भरपूर तुलसी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
  • कचनार (Kachnar): इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण लीवर की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं।
  • बेल (Bael): यह पाचन को सुधारता है, शरीर को ऊर्जा देता है और पीलिया के लक्षणों से राहत दिलाता है।
  • आंवला (Amla): विटामिन-C से भरपूर आंवला इम्यून सिस्टम को मज़बूत करता है और शरीर को भीतर से साफ करता है।

अगर आप पीलिया के इलाज के लिए आयुर्वेद को अपनाना चाहते हैं, तो इन जड़ी-बूटियों का उपयोग डॉक्टर की सलाह से करें। सही समय पर सही दवा लेने से पीलिया पूरी तरह से ठीक हो सकता है, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।

FAQs

पीलिया में आयुर्वेदिक रूप से कुटकी, भूम्यामलकी, गिलोय, कालमेघ, आंवला और हल्दी जैसी जड़ी-बूटियाँ बहुत असरदार मानी जाती हैं। ये दवाएँ लीवर को डिटॉक्स करती हैं, पाचन सुधारती हैं और शरीर से बिलीरुबिन को बाहर निकालने में मदद करती हैं।

अगर आप पीलिया को जड़ से ठीक करना चाहते हैं, तो सिर्फ दवा ही नहीं, बल्कि सही खानपान, दिनचर्या और आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह को भी अपनाना होगा। शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालना और पित्त दोष को संतुलित करना ज़रूरी है।

हल्के मामलों में आराम, सादा खाना और पर्याप्त पानी से पीलिया में सुधार हो सकता है। लेकिन अगर लक्षण गंभीर हैं, तो बिना इलाज के लीवर को नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए आयुर्वेदिक दवा और डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।

कुछ लोगों का मानना है कि धूप से पीलिया ठीक होता है, लेकिन इसका कोई पक्का वैज्ञानिक या आयुर्वेदिक आधार नहीं है। धूप में बैठना विटामिन D के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन पीलिया का इलाज नहीं। सही इलाज ज़रूरी है।

आपको हल्का, ताज़ा और सुपाच्य खाना खाना चाहिए। मूंग की दाल, पका हुआ पपीता, नारियल पानी, गिलोय का रस, आंवले का जूस और बेल का शरबत बहुत लाभकारी माने जाते हैं। तले, मसालेदार और तेलीय चीजों से पूरी तरह बचें।

हर प्रकार का पीलिया संक्रामक नहीं होता। हेपेटाइटिस A और E जैसे वायरस वाले पीलिया में छूत फैल सकती है, खासकर गंदा पानी या खाना खाने से। साफ-सफाई का ध्यान रखने से आप संक्रमण से बच सकते हैं।

पीलिया का सीधा संबंध लीवर से होता है, लेकिन यह खून की बीमारी (जैसे हेमोलिटिक एनीमिया) या पित्त की नली में रुकावट से भी हो सकता है। इसलिए इसका सही कारण जानकर ही इलाज करना चाहिए।

नहीं, नवजात शिशुओं में पीलिया आम होता है और कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है। लेकिन बड़ों में पीलिया अक्सर किसी गंभीर कारण से होता है और उसका इलाज ज़रूरी होता है। दोनों का इलाज अलग तरीके से होता है।

हाँ, पीलिया में भूख और प्यास कम हो जाती है जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है। नारियल पानी, बेल का शरबत, गुनगुना पानी और फलों का रस शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं।

अगर आप बहुत ज़्यादा थके हुए हैं तो आराम करना ही बेहतर है। लेकिन हल्की वॉक, ध्यान और योग जैसी चीज़ें धीरे-धीरे शुरू की जा सकती हैं ताकि शरीर में ऊर्जा बनी रहे। जोरदार व्यायाम से बचना चाहिए।

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