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पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार

पीलिया का इलाज सिर्फ लक्षणों को दबाने से नहीं होता, इसके लिए जड़ से उपचार ज़रूरी होता है। जीवा आयुर्वेद में आपको निजीकृत आयुर्वेदिक इलाज मिलता है, जिसमें हर्बल दवाएँ, जीवनशैली में बदलाव और खानपान सुधार शामिल हैं, वो भी अनुभवी वैद्य की देखरेख में

Symptoms

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पीलिया क्या है? (What is Jaundice)

पीलिया (Jaundice) एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा और आँखों में पीलेपन का रंग दिखने लगता है। यह तब होता है जब शरीर में बिलीरुबिन नामक पित्त रस बढ़ जाता है और लीवर उसे ठीक से बाहर नहीं निकाल पाता।

इसका कारण हो सकता है — वायरल संक्रमण (हेपेटाइटिस), शराब का सेवन, पित्त नली में रुकावट, खून की बीमारी या अनुवांशिक समस्या। इससे शरीर थकान, कमजोरी और भूख की कमी जैसी परेशानियाँ महसूस करता है।

आयुर्वेद क्या कहता है?

आयुर्वेद में पीलिया को कामला कहा गया है, जो पित्त दोष की वृद्धि से होता है। जब व्यक्ति अत्यधिक मसालेदार, तैलीय या गर्म प्रकृति का भोजन लेता है, तो पित्त असंतुलित होकर लीवर पर असर डालता है।

आयुर्वेद के अनुसार यह रोग तब भी होता है जब शरीर में आम (toxins) जमा हो जाते हैं और अग्नि (digestive fire) कमज़ोर हो जाती है। इसलिए इसका इलाज केवल लक्षणों को नहीं, बल्कि शरीर के अंदर की सफाई और दोष संतुलन पर केंद्रित होता है।

पीलिया के प्रकार (Types of Jaundice)

  • 1. प्री-हेपेटिक पीलिया: जब लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) अत्यधिक टूटती हैं, जिससे बिलीरुबिन बढ़ता है।
  • 2. हेपेटिक पीलिया: जब लीवर खुद ठीक से काम नहीं करता, जैसे हेपेटाइटिस या शराब सेवन से।
  • 3. पोस्ट-हेपेटिक पीलिया: जब पित्त की नली में रुकावट (जैसे पथरी या सूजन) हो जाती है।

पीलिया के कारण (Common Causes)

  • लीवर की कार्यक्षमता का कमज़ोर होना
  • पित्त नली में अवरोध या पथरी
  • हेमोलिटिक एनीमिया से RBC का टूटना
  • वायरल हेपेटाइटिस (A, B, C)
  • शराब का अत्यधिक सेवन
  • अनुवांशिक रोग (Gilbert Syndrome आदि)
  • कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट

पीलिया के लक्षण (Symptoms)

  • त्वचा और आँखों में पीलेपन का आना
  • गहरे पीले रंग का पेशाब
  • भूख में कमी और वज़न घटाना
  • लगातार थकान और सुस्ती
  • दाईं तरफ पेट में दर्द या भारीपन
  • उल्टी या मिचली लगना
  • बुखार, खासकर बच्चों में

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic View)

आयुर्वेद के अनुसार, पीलिया तब होता है जब पित्त दोष बढ़कर रक्त धातु और मांस धातु को प्रभावित करता है। शरीर में जमा आम विषाक्तता लीवर को कमज़ोर करती है। इसलिए आयुर्वेदिक उपचार में लीवर डिटॉक्स, रक्त शोधन और पाचन अग्नि सुदृढ़ीकरण पर ध्यान दिया जाता है।

जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति (Jiva Ayunique™ Approach)

  • हर्बल दवाएँ: वैज्ञानिक रूप से तैयार जड़ी-बूटियाँ जैसे कुटकी, कालमेघ, भूम्यामलकी जो लीवर को डिटॉक्स करती हैं।
  • पंचकर्म और डिटॉक्स थेरेपी: शरीर से विषैले तत्व निकालने के लिए।
  • योग और ध्यान: मानसिक शांति और तनाव नियंत्रण के लिए।
  • आहार एवं दिनचर्या: पित्त शांत करने वाला हल्का, सादा और सुपाच्य भोजन।

आयुर्वेदिक औषधियाँ (Ayurvedic Remedies for Jaundice)

  • कुटकी (Kutki): लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है और बिलीरुबिन घटाती है।
  • भूम्यामलकी (Bhumyamalaki): हेपेटोप्रोटेक्टिव जड़ी-बूटी जो लीवर डैमेज को ठीक करती है।
  • कालमेघ (Kalmegh): सूजन और विषाक्तता घटाने वाला प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट।
  • गिलोय (Guduchi): शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाती है और लीवर को साफ करती है।
  • हल्दी (Turmeric): खून को शुद्ध करती है और सूजन घटाती है।
  • आंवला (Amla): विटामिन-C से भरपूर, लीवर और पाचन तंत्र दोनों को मज़बूत करता है।
  • बेल और तुलसी: शरीर को ठंडक और ऊर्जा देती हैं।

जीवनशैली सुझाव (Lifestyle Tips)

  • हल्का, सुपाच्य भोजन करें — जैसे मूंग दाल, पपीता, बेल का शरबत।
  • तेल, मसाले और शराब से परहेज़ करें।
  • अधिक पानी और नारियल पानी का सेवन करें।
  • तनाव और देर रात जागने से बचें।
  • नियमित योग और ध्यान से मानसिक शांति बनाए रखें।

अपने इलाज की शुरुआत करें

अगर आप पीलिया के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह लीवर की गहरी समस्या का संकेत हो सकता है। आयुर्वेद में इसका जड़ से सुरक्षित इलाज संभव है, जो लीवर को पुनर्जीवित कर शरीर का संतुलन बहाल करता है।

आज ही निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और जीवा आयुर्वेद के अनुभवी वैद्य से व्यक्तिगत इलाज प्राप्त करें।

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