भारत में हर साल लाखों लोग सर्जरी करवाते हैं, लेकिन उसके बाद शरीर की रिकवरी सुचारू रूप से नहीं होने पर कई तरह की जटिलताएँ सामने आती हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत में लगभग 15 लाख मरीज़ों को सर्जरी के बाद संक्रमण और जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, जिससे रिकवरी की प्रक्रिया कठिन और लंबी हो जाती है। इसमें बुज़ुर्ग मरीज़ों के लिए यह जोखिम और भी बढ़ जाता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से कमज़ोर होती है।
कमज़ोरी, थकान, गिरती इम्यूनिटी और दिमाग़ी संतुलन (जैसे डोपामाइन स्तर का गिरना) जैसी समस्याएँ सर्जरी के बाद सामान्य रूप से देखी जा सकती हैं, खासकर 60 वर्ष से ऊपर के लोगों में। इन समस्याओं से न केवल शरीर प्रभावित होता है बल्कि आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
ऐसे ही एक अनुभव 75 वर्षीय सरला गुप्ता जी का है, जिनकी कहानी यह बताती है कि सर्जरी के बाद सामान्य इलाज के बावजूद अगर शरीर की क्षमता कमज़ोर हो जाए तो जीवन कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सर्जरी के बाद उन्हें सिर्फ़ शारीरिक परेशानियाँ नहीं आईं, बल्कि रोज़ के कामकाज में भी गिरावट दिखाई दी और एक बार गिरने के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर भी हो गया। उनकी कमज़ोरी इतनी बढ़ गई थी कि रोज़मर्रा के काम करना भी मुश्किल हो गया था।
जब पारंपरिक इलाज से समस्या संतोषजनक रूप से ठीक नहीं हुई, तब उन्होंने जीवाग्राम से आयुर्वेदिक उपचार लेने का निर्णय लिया। यहाँ पर पंचकर्म थेरेपी, आयुर्वेदिक दवाएँ, मालिश और समग्र पोषण पर ध्यान देकर उनके शरीर को पहले जैसी ताक़त वापस लाने की कोशिश की गई। इस प्रक्रिया में न केवल उनकी इम्यूनिटी में सुधार आया, बल्कि डोपामाइन से संबंधित असंतुलन और कमज़ोरी जैसे लक्षणों में भी धीरे-धीरे सुधार दिखा।
आइए आगे जानते हैं कि किस तरह सर्जरी के बाद कमज़ोर शरीर ने आयुर्वेद के सहारे फिर से ताक़त पाई और सरला गुप्ता जी के अनुभव ने कई लोगों के लिये उम्मीद जगाई।
सर्जरी के बाद सरला गुप्ता जी की सेहत अचानक क्यों गिरने लगी?
सरला गुप्ता जी की उम्र उस समय 75 वर्ष थी, जब उनकी सर्जरी हुई। इस उम्र में शरीर की सहनशक्ति पहले जैसी नहीं रहती। सर्जरी के बाद शरीर को फिर से संभलने के लिए समय, सही पोषण और अंदरूनी ताक़त की ज़रूरत होती है। लेकिन जब यह संतुलन ठीक से नहीं बन पाता, तो धीरे-धीरे सेहत गिरने लगती है।
सर्जरी के बाद सरला गुप्ता जी के शरीर में कुछ शुरुआती संकेत साफ़ दिखने लगे थे। पहले जो काम वे आसानी से कर लेती थीं, अब वही काम भारी लगने लगे। घर के छोटे-छोटे काम करते समय थकान जल्दी हो जाती थी। शरीर में पहले जैसी मज़बूती नहीं रह गई थी। यह स्थिति इस बात का संकेत थी कि शरीर की रिकवरी क्षमता कमज़ोर पड़ चुकी है।
बुज़ुर्ग उम्र में सर्जरी के बाद शरीर को खुद को ठीक करने में ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर उस समय शरीर को सही सहारा न मिले, तो मांसपेशियाँ ढीली पड़ने लगती हैं, संतुलन बिगड़ता है और गिरने का खतरा बढ़ जाता है। सरला गुप्ता जी के साथ भी यही हुआ। एक बार गिरने के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया, जिससे उनकी परेशानी और बढ़ गई।
अगर आप या आपके घर में कोई बुज़ुर्ग सर्जरी के बाद अचानक कमज़ोर महसूस करने लगे, तो यह सिर्फ़ उम्र का असर नहीं होता। यह शरीर की अंदरूनी ताक़त के कमज़ोर होने का संकेत भी हो सकता है, जिसे समय पर समझना बहुत ज़रूरी होता है।
डोपामाइन कम होने से शरीर और दिमाग पर क्या असर पड़ता है?
शरीर और मन का संतुलन कुछ रासायनिक तत्वों पर निर्भर करता है। इन्हीं में से एक तत्व मन को स्थिर रखने, हिम्मत बनाए रखने और शरीर को सक्रिय रखने में मदद करता है, जिसे आम भाषा में डोपामाइन कहा जाता है। जब इसकी मात्रा कम होने लगती है, तो असर सिर्फ़ दिमाग पर ही नहीं, पूरे शरीर पर दिखने लगता है।
सरला गुप्ता जी के मामले में यह कमी साफ़ दिखाई देने लगी थी।
- उन्हें बिना वजह डर महसूस होने लगा था।
- चलते समय आत्मविश्वास कम हो गया था।
- शरीर में अस्थिरता आने लगी थी, जिससे गिरने का डर हमेशा बना रहता था।
जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो व्यक्ति खुद को कमज़ोर महसूस करने लगता है, भले ही बाहर से कोई बड़ी बीमारी न दिखे। मन थका-थका सा रहता है और शरीर का साथ नहीं देता। बुज़ुर्गों में यह स्थिति ज़्यादा गंभीर हो सकती है, क्योंकि उनका शरीर पहले से ही धीमी गति से काम कर रहा होता है।
अगर आप महसूस करते हैं कि सर्जरी या किसी बीमारी के बाद मन में डर बढ़ गया है, चलने-फिरने में भरोसा नहीं रहा, या शरीर का संतुलन बार-बार बिगड़ रहा है, तो यह अंदरूनी असंतुलन का संकेत हो सकता है। ऐसे समय में सिर्फ़ दर्द या बाहरी समस्या पर ध्यान देना काफ़ी नहीं होता, बल्कि पूरे शरीर और मन के संतुलन को समझना ज़रूरी हो जाता है।
Immunity गिरने का मतलब क्या होता है और यह बुज़ुर्गों के लिए क्यों ख़तरनाक है?
इम्यूनिटी का मतलब है शरीर की वह ताक़त, जो उसे बीमारियों से बचाती है और अंदर से मज़बूत बनाए रखती है। जब यह ताक़त कम हो जाती है, तो शरीर छोटी-छोटी परेशानियों से भी ठीक से लड़ नहीं पाता।
सरला गुप्ता जी की इम्यूनिटी सर्जरी के बाद काफ़ी गिर चुकी थी। इसका असर यह हुआ कि उन्हें जल्दी थकान होने लगी, शरीर भारी-भारी सा रहने लगा और चोट या गिरने के बाद ठीक होने में ज़्यादा समय लगने लगा। यही वजह थी कि एक साधारण गिरावट ने गंभीर फ्रैक्चर का रूप ले लिया।
बुज़ुर्गों में इम्यूनिटी का गिरना इसलिए ज़्यादा ख़तरनाक होता है क्योंकि
- शरीर की मरम्मत करने की क्षमता पहले से कम होती है।
- संक्रमण जल्दी पकड़ लेते हैं।
- ताक़त लौटने में समय ज़्यादा लगता है।
अगर आप देखते हैं कि सर्जरी या बीमारी के बाद शरीर पहले जैसा नहीं संभल पा रहा, बार-बार थकान रहती है, या चलने में अस्थिरता है, तो यह इम्यूनिटी के कमज़ोर होने का साफ़ संकेत हो सकता है। ऐसे में केवल आराम करना काफ़ी नहीं होता। शरीर को अंदर से मज़बूत करने की ज़रूरत होती है, ताकि वह फिर से खुद को संभाल सके।
सरला गुप्ता जी की कहानी यही सिखाती है कि सर्जरी के बाद दिखने वाली कमज़ोरी, डर और असंतुलन को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। सही समय पर सही दिशा में इलाज लिया जाए, तो शरीर फिर से ताक़त पा सकता है और जीवन में भरोसा लौट सकता है।
आयुर्वेद सर्जरी के बाद की कमज़ोरी और डोपामाइन की कमी को कैसे देखता है?
आयुर्वेद शरीर को अलग-अलग हिस्सों में बाँटकर नहीं देखता, बल्कि उसे एक पूरे तंत्र के रूप में समझता है। सर्जरी के बाद जब शरीर अचानक कमज़ोर पड़ जाता है, तो आयुर्वेद इसे केवल घाव या दर्द की समस्या नहीं मानता। इसके पीछे शरीर की अंदरूनी ताक़त, संतुलन और ऊर्जा के कम हो जाने को मुख्य कारण माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर की ताक़त को बल कहा जाता है। यही बल आपको चलने, काम करने और रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीने की क्षमता देता है। सर्जरी के बाद यह बल अचानक घट सकता है, खासकर बुज़ुर्गों में। जब बल कम होता है, तो शरीर जल्दी थक जाता है और संतुलन बिगड़ने लगता है।
इसी तरह ओज को शरीर की जीवन शक्ति माना जाता है। यह वही शक्ति है जो आपको अंदर से मज़बूत रखती है और बीमारियों से बचाती है। जब ओज कम होता है, तो मन डरने लगता है, आत्मविश्वास घटता है और शरीर का साथ छूटने लगता है। सरला गुप्ता जी के साथ भी यही हुआ। सर्जरी के बाद उनका शरीर और मन दोनों कमज़ोर हो गए थे।
आयुर्वेद में वात दोष को गति और संतुलन का कारक माना गया है। जब वात असंतुलित होता है, तो
- शरीर में अस्थिरता आती है
- डर और घबराहट बढ़ती है
- गिरने का खतरा बढ़ जाता है
डोपामाइन की कमी को आयुर्वेद मन और शरीर के इसी असंतुलन से जोड़कर देखता है। अगर आप भी सर्जरी के बाद खुद को पहले जैसा स्थिर और मज़बूत महसूस नहीं कर रहे, तो आयुर्वेद इसे शरीर की गहराई से समझने की कोशिश करता है, न कि सिर्फ़ ऊपर से लक्षण दबाने की।
जीवाग्राम में सरला गुप्ता जी की सेहत को समझकर इलाज कैसे तय किया गया?
जीवाग्राम में सरला गुप्ता जी का इलाज किसी एक रिपोर्ट या समस्या के आधार पर तय नहीं किया गया। यहाँ सबसे पहले उनकी पूरी स्थिति को समझा गया। उनकी उम्र, सर्जरी का इतिहास, गिरने के बाद हुआ फ्रैक्चर, लगातार बनी कमज़ोरी और गिरती प्रतिरक्षा शक्ति—इन सभी बातों को ध्यान में रखा गया।
इलाज तय करने से पहले यह समझना ज़रूरी था कि
- शरीर की ताक़त कितनी बची है
- थकान और डर किस स्तर तक है
- शरीर खुद को ठीक करने में कितना सक्षम है
बुज़ुर्ग उम्र में हर शरीर की ज़रूरत अलग होती है। इसलिए सरला गुप्ता जी के लिए कोई तैयार इलाज नहीं अपनाया गया, बल्कि उनकी ज़रूरत के अनुसार योजना बनाई गई। इस योजना का मक़सद सिर्फ़ दर्द कम करना नहीं था, बल्कि शरीर को अंदर से फिर से मज़बूत बनाना था।
अगर आप भी सर्जरी या किसी बड़ी बीमारी के बाद यह महसूस करते हैं कि दवाइयों के बावजूद शरीर संभल नहीं पा रहा, तो यह समझना ज़रूरी है कि इलाज तभी असर करता है जब वह आपकी पूरी स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाए। जीवाग्राम में यही दृष्टिकोण अपनाया गया, जिससे सरला गुप्ता जी के शरीर को सही दिशा में सहारा मिल सका।
सर्जरी के बाद कमज़ोरी झेल रहे लोगों के लिए यह अनुभव क्या सीख देता है?
सरला गुप्ता जी की कहानी उन सभी लोगों के लिए एक सीख है, जो सर्जरी के बाद लगातार कमज़ोरी, डर और असंतुलन से जूझ रहे हैं। यह अनुभव बताता है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर को ज़्यादा समझदारी और धैर्य की ज़रूरत होती है।
अगर आप या आपके घर में कोई सर्जरी के बाद
- जल्दी थक जाता है
- चलने-फिरने में डर महसूस करता है
- या खुद को पहले जैसा मज़बूत नहीं पाता
तो इसे सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। यह शरीर का संकेत होता है कि उसे अंदर से सहारे की ज़रूरत है।
सरला गुप्ता जी ने यह साबित किया कि सही दिशा में किया गया आयुर्वेदिक इलाज शरीर को फिर से ताक़त दे सकता है। जब इलाज व्यक्ति की उम्र, स्थिति और ज़रूरत के अनुसार हो, तो सुधार सिर्फ़ शरीर में ही नहीं, बल्कि मन में भी दिखाई देता है।
यह अनुभव यह भी सिखाता है कि सर्जरी के बाद की कमज़ोरी कोई स्थायी स्थिति नहीं होती। सही देखभाल, सही उपचार और सही वातावरण से शरीर दोबारा संतुलन पा सकता है। अगर आप भी ऐसी स्थिति से गुज़र रहे हैं, तो समय रहते कदम उठाना ही सबसे बड़ा इलाज है।
निष्कर्ष
सरला गुप्ता जी की कहानी यह याद दिलाती है कि सर्जरी के बाद दिखने वाली कमज़ोरी सिर्फ़ समय की बात नहीं होती, बल्कि शरीर के अंदर चल रहे असंतुलन का संकेत होती है। उम्र बढ़ने के साथ यह चुनौती और भी गहरी हो जाती है, लेकिन सही दिशा में उठाया गया कदम स्थिति को बदल सकता है। आयुर्वेद ने उनके शरीर को बाहर से नहीं, अंदर से संभालने का काम किया—ताक़त लौटाई, डर कम किया और आत्मविश्वास फिर से जगाया।
अगर आप भी महसूस करते हैं कि इलाज के बाद शरीर आपका साथ नहीं दे रहा, तो यह समझना ज़रूरी है कि हर शरीर को व्यक्तिगत देखभाल की ज़रूरत होती है। सरला गुप्ता जी का अनुभव दिखाता है कि जब इलाज व्यक्ति की ज़रूरत के अनुसार हो, तो जीवन की गुणवत्ता फिर से बेहतर हो सकती है।
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FAQs
- सर्जरी के बाद लगातार कमज़ोरी क्यों बनी रहती है?
सर्जरी के बाद शरीर की अंदरूनी ताक़त कम हो जाती है। उम्र बढ़ने पर रिकवरी धीमी होती है, जिससे थकान, असंतुलन और कमज़ोरी लंबे समय तक बनी रह सकती है।
- डोपामाइन की कमी से बुज़ुर्गों को क्या परेशानियाँ हो सकती हैं?
डोपामाइन कम होने पर डर, अस्थिरता, आत्मविश्वास की कमी और गिरने का खतरा बढ़ सकता है। इसका असर चलने-फिरने और रोज़मर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है।
- सर्जरी के बाद इम्यूनिटी गिरने का क्या मतलब है?
इम्यूनिटी गिरने से शरीर संक्रमण और चोट से ठीक से नहीं लड़ पाता। थकान बढ़ती है और मामूली समस्याएँ भी गंभीर रूप ले सकती हैं।
- आयुर्वेद सर्जरी के बाद की कमज़ोरी को कैसे देखता है?
आयुर्वेद इसे शरीर की ताक़त, जीवन शक्ति और संतुलन के कम होने से जोड़कर देखता है और पूरे शरीर को मज़बूत बनाने पर ध्यान देता है।
- पंचकर्म थेरेपी सर्जरी के बाद कैसे मदद करती है?
पंचकर्म शरीर की अंदरूनी सफ़ाई करता है, थकान कम करता है और ऊर्जा लौटाने में मदद करता है, जिससे शरीर फिर से संतुलन पा सकता है।

































