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PCOD Success Story: जब दवाइयाँ काम न करें, Ayurveda दिखाता है असली रास्ता

Information By Dr. Keshav Chauhan

Vyjayanti जी, 43 वर्ष, फ़रीदाबाद निवासी, लंबे समय से PCOD की वजह से अनियमित पीरियड्स और बढ़ते तनाव से जूझ रही थीं, लेकिन आयुर्वेदिक इलाज ने उनके जीवन में फिर से संतुलन और सहजता लौटाई। PCOD की वजह से रोज़मर्रा के काम मुश्किल हो गए थे और परिवार पर असर पड़ा था। Allopathy में ऑपरेशन तक सुझाया गया, लेकिन वैजयंती जी ने जीवा आयुर्वेद का व्यक्तिगत उपचार चुना। धीरे-धीरे उनके पीरियड्स नियमित हुए और मानसिक संतुलन भी लौटा। वैजयंती जी बताती हैं कि “Jiva Sehat ka number ने मेरा जीवन बदल दिया।”

भारत में महिलाओं में Polycystic Ovarian Syndrome (PCOS) या PCOD एक बड़ी समस्या बन चुकी है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार भारत में हर दस में से करीब एक से दो महिला PCOD की समस्या से प्रभावित हो सकती हैं, और कई मामलों में यह अनियमित पीरियड्स, हार्मोनल असंतुलन और तनाव का कारण बनता है।

जैसे कि Vyjayanti जी की कहानी में भी देखा गया, PCOD सिर्फ़ एक शारीरिक समस्या नहीं होती, बल्कि आपके रोज़मर्रा के जीवन पर गहरा असर डालती है। वैजयंती जी को अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन की वजह से रोज़ के काम प्रभावित होने लगे थे। घर पर बच्चों को समय पर खाना न दे पाने जैसे छोटे-छोटे काम भी तनाव का कारण बन गए थे, और उन्होंने Allopathy में ऑपरेशन तक का विकल्प सुना, लेकिन अंत में उन्होंने आयुर्वेदिक इलाज को चुना और जीवन में सकारात्मक बदलाव देखा।

इस ब्लॉग में हम यह समझेंगे कि PCOD वास्तव में क्या है, यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित कर सकता है, और वैजयंती जी जैसे लोगों की सफलता की कहानी से आप क्या सीख सकते हैं जब दवाइयाँ जवाब न दें और आयुर्वेद असली रास्ता दिखाए।

PCOD क्या है और यह महिलाओं की ज़िंदगी को कैसे प्रभावित करता है?

पीसीओडी एक ऐसी समस्या है जो बाहर से दिखाई नहीं देती, लेकिन शरीर के अंदर बहुत कुछ बदल देती है। इसमें महिला शरीर के हार्मोन संतुलन में गड़बड़ी होने लगती है, जिसका सबसे पहला असर मासिक धर्म पर पड़ता है। कभी पीरियड्स देर से आते हैं, कभी बहुत ज़्यादा दिनों तक रुक जाते हैं, तो कभी अचानक बहुत ज़्यादा या बहुत कम हो जाते हैं। धीरे-धीरे यह समस्या शरीर की पूरी लय को बिगाड़ने लगती है।

जब शरीर के हार्मोन संतुलित नहीं रहते, तो इसका असर सिर्फ़ गर्भाशय तक सीमित नहीं रहता। वजन बढ़ना, चेहरे पर दाने, थकान, चिड़चिड़ापन और बार-बार मन बदलना जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। कई महिलाएँ इसे सामान्य समझकर नज़रअंदाज़ कर देती हैं, लेकिन समय के साथ यह परेशानी गहरी होती चली जाती है।

यहाँ सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि पीसीओडी धीरे-धीरे असर करती है। शुरुआत में आपको लगता है कि बस पीरियड्स ही तो गड़बड़ हैं, लेकिन कुछ समय बाद आपको महसूस होने लगता है कि शरीर पहले जैसा साथ नहीं दे रहा। रोज़ के कामों में मन नहीं लगता, ऊर्जा कम हो जाती है और हर छोटी बात तनाव देने लगती है। इसी वजह से पीसीओडी को ऐसी समस्या कहा जाता है जो चुपचाप महिलाओं की ज़िंदगी को प्रभावित करती रहती है।

अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन से मानसिक तनाव कैसे बढ़ने लगता है?

जब शरीर के हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो उसका असर सीधे मन पर पड़ता है। अनियमित पीरियड्स के साथ-साथ मन में बेचैनी, डर और उदासी बढ़ने लगती है। कई बार बिना किसी वजह के गुस्सा आ जाता है, तो कभी बिना कारण आँखें भर आती हैं। यह स्थिति धीरे-धीरे मानसिक थकान में बदल जाती है।

वैजयंती जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। वह पहले से कहीं ज़्यादा भावुक हो गई थीं। छोटी-छोटी बातें उन्हें अंदर तक हिला देती थीं। उन्हें खुद समझ नहीं आता था कि वह ऐसा क्यों महसूस कर रही हैं। यह हार्मोनल असंतुलन का असर था, जिसे अक्सर लोग कमज़ोरी समझ लेते हैं।

जब आप लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहते हैं, तो आत्मविश्वास भी कम होने लगता है। आपको लगने लगता है कि आप किसी काम के लायक नहीं हैं, जबकि सच्चाई यह होती है कि आपका शरीर और मन मदद माँग रहे होते हैं। पीसीओडी में मानसिक तनाव इसलिए बढ़ता है क्योंकि समस्या सिर्फ़ एक अंग की नहीं होती, बल्कि पूरे शरीर के संतुलन से जुड़ी होती है।

अगर समय रहते इस ओर ध्यान न दिया जाए, तो यह तनाव और गहराता चला जाता है। वैजयंती जी की कहानी यही दिखाती है कि पीसीओडी को समझना सिर्फ़ लक्षणों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह जानना ज़रूरी है कि यह समस्या शरीर और मन दोनों को कैसे प्रभावित करती है।

जब PCOD का समाधान दवाइयों और ऑपरेशन तक सीमित रह जाए, तब महिलाएँ क्या महसूस करती हैं?

जब किसी महिला को पीसीओडी की पहचान होती है, तो ज़्यादातर मामलों में उसे यही बताया जाता है कि लंबे समय तक दवाइयाँ चलेंगी या फिर आगे चलकर ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ सकती है। यह सुनते ही मन में डर बैठ जाता है। आपको लगता है कि शायद यह समस्या अब जीवन भर साथ रहेगी और शरीर हमेशा दवाइयों पर ही निर्भर रहेगा।

अक्सर ऐसा होता है कि दवाइयों से कुछ समय के लिए पीरियड्स नियमित दिखने लगते हैं, लेकिन जैसे ही दवा बंद होती है, समस्या फिर लौट आती है। इससे मन में असमंजस पैदा होता है। आप सोचने लगते हैं कि क्या यही एकमात्र रास्ता है। ऑपरेशन का नाम सुनते ही कई महिलाओं के मन में डर, चिंता और अनिश्चितता बढ़ जाती है।

वैजयंती जी के साथ भी यही हुआ। उन्हें बार-बार यही कहा गया कि पीसीओडी में दवाइयाँ या ऑपरेशन ही समाधान है। यह बात उन्हें भीतर से परेशान कर रही थी। उन्हें डर लगने लगा था कि अगर शरीर को लंबे समय तक ऐसे ही चलाया गया, तो आगे और समस्याएँ न बढ़ जाएँ। इस तरह की सलाह न सिर्फ़ शरीर पर, बल्कि मन पर भी भारी पड़ती है।

जब इलाज केवल लक्षणों तक सीमित रह जाता है और समस्या की जड़ पर बात नहीं होती, तब महिला खुद को असहाय महसूस करने लगती है। आपको लगने लगता है कि आपकी ज़िंदगी का नियंत्रण आपके हाथ में नहीं रहा। यही वह मोड़ होता है, जहाँ कई महिलाएँ किसी और रास्ते की तलाश शुरू करती हैं।

वैजयंती जी ने PCOD के लिए आयुर्वेद का रास्ता क्यों चुना?

वैजयंती जी ने आयुर्वेद का रास्ता इसलिए चुना क्योंकि वह सिर्फ़ अस्थायी राहत नहीं चाहती थीं। वह अपनी समस्या को जड़ से समझना और सुलझाना चाहती थीं। लगातार दवाइयों और ऑपरेशन की बात सुनकर उन्हें लगने लगा था कि कहीं न कहीं उनके शरीर को समग्र रूप से देखने की ज़रूरत है।

आयुर्वेद में उन्हें यह समझ आया कि हर महिला का शरीर अलग होता है और इसलिए इलाज भी एक जैसा नहीं हो सकता। यहाँ उनकी उम्र, दिनचर्या, भोजन, नींद और मानसिक स्थिति—सब पर ध्यान दिया गया। यह बात वैजयंती जी को सुकून देने वाली लगी, क्योंकि पहली बार किसी ने उनकी पूरी स्थिति को समझने की कोशिश की थी।

उन्हें यह भरोसा मिला कि इलाज सिर्फ़ रिपोर्ट ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित करने के लिए किया जाएगा। धीरे-धीरे उन्होंने महसूस किया कि यह रास्ता डर पर नहीं, समझ और धैर्य पर आधारित है। यही वजह थी कि उन्होंने पीसीओडी के लिए आयुर्वेद को चुना।

जब आप महसूस करते हैं कि आपका इलाज आपकी ज़िंदगी के अनुसार बनाया जा रहा है, तब मन भी इलाज के साथ जुड़ जाता है। वैजयंती जी के लिए यह निर्णय एक नई उम्मीद की शुरुआत था।

आयुर्वेद PCOD की समस्या को कैसे समझता है?

आयुर्वेद पीसीओडी को केवल एक अंग की बीमारी नहीं मानता। यहाँ शरीर को एक पूरे तंत्र के रूप में देखा जाता है। जब शरीर के अंदर संतुलन बिगड़ता है, तभी ऐसी समस्याएँ जन्म लेती हैं। आयुर्वेद मानता है कि हार्मोनल गड़बड़ी शरीर के अंदर जमा असंतुलन का परिणाम होती है।

इस दृष्टिकोण में सबसे पहले यह समझा जाता है कि शरीर का स्वाभाविक संतुलन क्यों बिगड़ा। अनियमित दिनचर्या, गलत खानपान, तनाव और नींद की कमी—ये सभी कारण धीरे-धीरे शरीर की लय को बिगाड़ देते हैं। इसका असर गर्भाशय और मासिक धर्म पर दिखाई देता है।

आयुर्वेद में इलाज का उद्देश्य सिर्फ़ पीरियड्स को नियमित करना नहीं होता, बल्कि शरीर को फिर से अपनी प्राकृतिक स्थिति में लाना होता है। जब अंदर का संतुलन ठीक होने लगता है, तो लक्षण अपने आप सुधरने लगते हैं। वैजयंती जी के मामले में भी यही समझ अपनाई गई।

जब आप अपने शरीर को सुनना शुरू करते हैं और उसकी ज़रूरतों के अनुसार बदलाव करते हैं, तब इलाज बोझ नहीं लगता। आयुर्वेद इसी सोच पर आधारित है, जहाँ समस्या को दबाया नहीं जाता, बल्कि समझकर सुलझाया जाता है। यही वजह है कि पीसीओडी जैसी जटिल समस्या में यह रास्ता कई महिलाओं के लिए उम्मीद बनकर सामने आता है।

इलाज शुरू होने के बाद वैजयंती जी के पीरियड्स और तनाव में क्या बदलाव दिखा?

जब वैजयंती जी ने आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया, तो शुरुआत में बदलाव बहुत धीरे-धीरे दिखाई दिए। लेकिन यही धीमा और संतुलित तरीका उनके लिए सबसे भरोसेमंद साबित हुआ। कुछ समय बाद उनके पीरियड्स पहले से ज़्यादा नियमित होने लगे। जो समस्या सालों से चल रही थी, उसमें पहली बार स्थिरता महसूस हुई।

पीरियड्स के साथ-साथ उनके मन की स्थिति में भी बदलाव आने लगा। पहले जो बेचैनी और भारीपन दिनभर बना रहता था, वह कम होने लगा। छोटी-छोटी बातों पर होने वाला तनाव अब उतना हावी नहीं रहता था। उन्हें लगने लगा कि उनका शरीर फिर से उनका साथ दे रहा है।

सबसे बड़ा बदलाव यह था कि रोज़मर्रा के काम अब बोझ नहीं लगते थे। बच्चों के लिए समय पर खाना बनाना, घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाना और अपने लिए थोड़ा समय निकाल पाना—यह सब फिर से संभव होने लगा। वैजयंती जी को एहसास हुआ कि इलाज सिर्फ़ पीरियड्स को ठीक करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे जीवन को संतुलित करने में मदद कर रहा है।

जब शरीर का संतुलन सुधरता है, तो मन अपने आप शांत होने लगता है। यह बदलाव वैजयंती जी के चेहरे और व्यवहार में साफ़ दिखने लगा था।

किन महिलाओं को PCOD के लिए आयुर्वेदिक इलाज पर ज़रूर विचार करना चाहिए?

हर महिला का शरीर अलग होता है, लेकिन कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं जहाँ आयुर्वेदिक इलाज पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है। अगर आप लंबे समय से अनियमित पीरियड्स से परेशान हैं और बार-बार दवाइयों पर निर्भर हो चुकी हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर को समग्र देखभाल की ज़रूरत है।

अगर आपको ऐसा लगता है कि इलाज के नाम पर सिर्फ़ लक्षण दबाए जा रहे हैं और समस्या बार-बार लौट रही है, तो आयुर्वेद का रास्ता आपके लिए उपयोगी हो सकता है। खासतौर पर तब, जब तनाव, भावनात्मक उतार-चढ़ाव और थकान आपके जीवन का हिस्सा बन चुके हों।

वैजयंती जी की कहानी यह दिखाती है कि जब इलाज शरीर और मन दोनों को साथ लेकर चलता है, तब स्थायी बदलाव संभव होते हैं। अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को समझकर, धैर्य के साथ सुधारना चाहती हैं, तो पीसीओडी के लिए आयुर्वेदिक इलाज पर विचार करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।

यह रास्ता तुरंत चमत्कार का वादा नहीं करता, लेकिन धीरे-धीरे आपको अपने शरीर के साथ जुड़ने और उसे संतुलित करने का मौका ज़रूर देता है।

निष्कर्ष

वैजयंती जी की कहानी यह दिखाती है कि पीसीओडी जैसी समस्या सिर्फ़ शरीर की नहीं होती, बल्कि पूरे जीवन को प्रभावित कर सकती है। जब लगातार थकान, अनियमित पीरियड्स और भावनात्मक असंतुलन रोज़ का हिस्सा बन जाए, तो इंसान अंदर से टूटने लगता है। लेकिन सही दिशा और सही समझ के साथ लिया गया निर्णय जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।

वैजयंती जी ने डर और असमंजस के बीच ऐसा रास्ता चुना, जहाँ इलाज सिर्फ़ लक्षणों तक सीमित नहीं था। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण ने उनके शरीर और मन, दोनों को संतुलन की ओर बढ़ाया। धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास लौटा, रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान हुई और परिवार के साथ रिश्ता फिर से सहज बन सका।

यह कहानी उम्मीद देती है कि अगर आप अपने शरीर की बात सुनें और धैर्य रखें, तो बदलाव संभव है।

अगर आप भी पीसीओडी या इससे जुड़ी किसी और समस्या से जूझ रही हैं, तो आज ही हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से व्यक्तिगत परामर्श के लिए संपर्क करें। डायल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. पीसीओडी क्या है और यह क्यों होता है?

पीसीओडी में हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। गलत दिनचर्या, तनाव और खानपान इसकी वजह बन सकते हैं।

  1. पीसीओडी में अनियमित पीरियड्स क्यों होते हैं?

हार्मोन संतुलन बिगड़ने से शरीर का प्राकृतिक चक्र प्रभावित हो जाता है, जिसके कारण पीरियड्स समय पर नहीं आते या कई बार रुक भी जाते हैं।

  1. क्या पीसीओडी से मानसिक तनाव भी बढ़ता है?

हाँ, लगातार हार्मोन गड़बड़ी से चिड़चिड़ापन, बेचैनी और भावनात्मक असंतुलन बढ़ सकता है, जिससे मानसिक तनाव महसूस होता है।

  1. क्या पीसीओडी में सिर्फ़ दवाइयाँ ही समाधान हैं?

हर बार नहीं। कई महिलाओं में दवाइयों से अस्थायी राहत मिलती है, लेकिन जड़ से सुधार के लिए समग्र इलाज ज़रूरी होता है।

  1. पीसीओडी में आयुर्वेदिक इलाज कैसे मदद करता है?

आयुर्वेद शरीर के अंदर संतुलन ठीक करने पर काम करता है, जिससे पीरियड्स नियमित होने और तनाव कम होने में मदद मिलती है।

  1. पीसीओडी में आयुर्वेदिक इलाज में कितना समय लगता है?

यह हर महिला की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर बदलाव धीरे-धीरे दिखते हैं, लेकिन संतुलन स्थायी रहता है।

  1. किन महिलाओं को पीसीओडी के लिए आयुर्वेद पर विचार करना चाहिए?

जो महिलाएँ लंबे समय से अनियमित पीरियड्स, तनाव या बार-बार दवाइयों पर निर्भर हैं, वे आयुर्वेदिक इलाज पर विचार कर सकती हैं।

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