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स्वस्थ लीवर, बेहतर पाचन
जीवा आयुर्वेद के साथ

आयुर्वेदिक देखभाल से पित्ताशय की पथरी,
फैटी लीवर और पीलिया जैसे रोगों में जड़ से राहत पाएँ

लीवर और पित्ताशय की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज

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लीवर और पित्ताशय की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज

लीवर और पित्ताशय की बीमारियाँ क्या होती हैं? (What Are Liver & Gall Diseases?)

लीवर (यकृत) शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो भोजन पचाने, विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और ऊर्जा बनाने का काम करता है। पित्ताशय (Gallbladder) लीवर के नीचे स्थित एक छोटा थैला है जो लीवर से बने पित्त (Bile) को जमा करता है और ज़रूरत पड़ने पर उसे पाचन में उपयोग करता है।

जब इन दोनों अंगों में असंतुलन या सूजन होती है, तब लीवर और पित्ताशय की बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं — जैसे पित्ताशय की पथरी, फैटी लीवर, पीलिया, सिरोसिस, हेपेटाइटिस A और B आदि। इन समस्याओं की मुख्य वजह है असंतुलित आहार, तनाव, शराब सेवन, नींद की कमी और दूषित वातावरण।

आयुर्वेद के अनुसार, इन बीमारियों की जड़ पित्त दोष के बढ़ने और आम (toxins) के जमाव में होती है। जब शरीर की अग्नि (Digestive Fire) कमजोर होती है, तो पाचन अधूरा रह जाता है, जिससे लीवर-पित्ताशय पर दबाव बढ़ता है और रोग पैदा होते हैं।

जीवा में इलाज की जाने वाली प्रमुख लीवर और पित्ताशय की बीमारियाँ (Types of Liver & Gall Diseases Treated at Jiva)

  • 1. पित्ताशय की पथरी (Gallstones): पित्त और कफ दोष के बढ़ने से कोलेस्ट्रॉल जमा होकर पथरी बनती है। इलाज — प्राकृतिक औषधियाँ, आहार संयम और शोधन प्रक्रियाएँ जिससे पथरी बिना सर्जरी बाहर निकले।
  • 2. पीलिया (Jaundice): बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने से त्वचा और आँखें पीली पड़ती हैं। इलाज — पित्तशामक औषधियाँ और रक्तशोधन द्वारा लीवर को मज़बूत करना।
  • 3. लीवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis): लीवर के सेल्स के खराब होकर फाइब्रोसिस बनने की स्थिति। इलाज — पंचकर्म, औषधियाँ और आहार सुधार से लीवर पुनर्जीवन।
  • 4. फैटी लीवर (Fatty Liver): लीवर कोशिकाओं में चर्बी जमा होना। इलाज — अग्नि सुधारक और कफहर औषधियाँ जिससे चर्बी बाहर निकले।
  • 5. हेपेटोमेगाली (Hepatomegaly): लीवर का आकार बढ़ना। इलाज — अग्नि सुधार, पित्त शमन और टॉनिक हर्ब्स।
  • 6. हेपेटाइटिस A (Hepatitis A): दूषित भोजन से फैला संक्रमण। इलाज — प्रतिरोधक क्षमता और पाचन शक्ति बढ़ाने वाली औषधियाँ।
  • 7. हेपेटाइटिस B (Hepatitis B): वायरल संक्रमण जिससे लीवर सेल्स को नुकसान होता है। इलाज — सूजन कम करने और इम्युनिटी बढ़ाने वाला हर्बल उपचार।

आयुर्वेद का दृष्टिकोण (Ayurvedic Understanding)

आयुर्वेद मानता है कि लीवर और गॉल ब्लैडर की बीमारियाँ तब होती हैं जब अग्नि (Digestive Fire) कमजोर हो जाती है और शरीर में आम जमा होने लगता है। यह आम पित्त वाहिनी स्रोतों को ब्लॉक करता है, जिससे लीवर-पित्ताशय के कार्य प्रभावित होते हैं।

इन रोगों की जड़ पित्त दोष का असंतुलन है, जो तला-भुना खाना, शराब, गुस्सा, गर्म प्रकृति का भोजन आदि से बढ़ता है। साथ ही कफ दोष पित्त के प्रवाह को रोकता है और पथरी का कारण बनता है, जबकि वात दोष दर्द और सूजन बढ़ाता है।

जीवा आयुर्वेद में इन सभी दोषों का संतुलन किया जाता है ताकि लीवर और पित्ताशय अपनी सामान्य कार्यक्षमता वापस पा सकें।

आयुर्वेदिक इलाज के फ़ायदे (Benefits of Ayurvedic Treatment)

  • 1. जड़ से इलाज: लक्षण नहीं, बीमारी के असली कारण को दूर करना।
  • 2. प्राकृतिक और सुरक्षित: सभी औषधियाँ 100% हर्बल, बिना साइड इफेक्ट।
  • 3. पाचन और इम्युनिटी में सुधार: विष बाहर निकालकर शरीर को मज़बूत बनाना।
  • 4. जीवन की गुणवत्ता में सुधार: थकावट, गैस, अपच और भारीपन में राहत।
  • 5. व्यक्तिगत उपचार योजना: हर रोगी की प्रकृति और दोषों के अनुसार इलाज।

लीवर और पित्ताशय के लिए प्रमुख जड़ी-बूटियाँ (Key Ayurvedic Herbs)

  • दारुहरिद्रा: पित्त का प्रवाह सुधारती है और दर्द में राहत देती है।
  • हल्दी: लीवर डिटॉक्स और पथरी घुलाने में सहायक।
  • भृंगराज: लीवर सेल्स की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
  • कुटकी: फैटी लीवर और पाचन सुधारने में अत्यंत प्रभावी।
  • एलोवेरा: छोटी पथरियों को प्राकृतिक रूप से बाहर निकालने में सहायक।
  • भुई आंवला, मंजीष्ठा, गिलोय: लीवर को शुद्ध और मजबूत करने वाली जड़ी-बूटियाँ।

मुख्य आयुर्वेदिक थेरेपी (Therapies Used in Liver & Gall Diseases)

  • विरेचन (Virechana): पित्त दोष और विषैले तत्वों की शुद्धि के लिए सबसे असरदार थेरेपी।
  • बस्ति (Basti): वात दोष और सूजन को कम करने वाली औषधीय एनिमा थेरेपी।
  • अभ्यंग (Abhyanga): हर्बल तेल मालिश से रक्त प्रवाह और लीवर क्षेत्र की जकड़न में राहत।
  • पेरिशेखा: औषधीय काढ़े से पेट क्षेत्र पर उपचार, पित्त दोष शांत करता है।
  • स्वेदन (Avagaha Snan): औषधीय गर्म जल स्नान से शरीर डिटॉक्स होता है।

जीवा आयुनिक™ – हमारा खास इलाज तरीका (Jiva Ayunique™ Approach)

  • HACCP प्रमाणित औषधियाँ: सुरक्षित, प्राकृतिक और प्रभावशाली।
  • लगातार निगरानी: हर स्टेप पर डॉक्टर द्वारा प्रगति की समीक्षा।
  • आहार और जीवनशैली मार्गदर्शन: आपकी प्रकृति के अनुसार डाइट प्लान।
  • योग और माइंडफुलनेस: तनाव कम करके शरीर-मन का संतुलन बहाल करना।

इलाज शुरू करने के आसान 3 चरण (3 Easy Steps to Start Treatment)

  1. 1. परामर्श बुक करें: ऑनलाइन या क्लिनिक विज़िट के माध्यम से आयुर्वेद वैद्य से बात करें।
  2. 2. जड़ कारण पहचानें: दोष, आम और जीवनशैली के असंतुलन की जांच करें।
  3. 3. व्यक्तिगत इलाज शुरू करें: औषधियाँ, पंचकर्म, आहार और योग के साथ संपूर्ण समाधान।

अब देरी क्यों? आज ही लीवर और पित्ताशय की देखभाल शुरू करें

अगर आप पथरी, फैटी लीवर, या पीलिया जैसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो अब लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें। जीवा आयुर्वेद में इलाज सिर्फ राहत नहीं, बल्कि जड़ से समाधान देता है।

आप ऑनलाइन (वीडियो या फोन कॉल) या क्लिनिक विज़िट के ज़रिए परामर्श ले सकते हैं।

अभी अपनी निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और आयुर्वेद के साथ लीवर और पित्ताशय की बीमारियों से स्थायी राहत पाएँ।

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