घमौरियों और पित्त पर आयुर्वेदिक नज़रिया
आयुर्वेद में घमौरियों को पित्तज मसूरिका या राजिका कहा जाता है और माना जाता है कि यह पित्त के बढ़ने से होती हैं। पित्त प्रकृति के लोगों को पसीना खूब आता है और इन्हें घमौरियों की समस्या जल्दी हो जाती है। माना जाता है कि स्वेदा यानी पसीना मेदा यानी वसा से संबंधित है इसलिए यह मोटे लोगों में ज्य़ादा पाया जाता है। ऋतुचर्या के मुताबिक हमारा खानपान और जीवनशैली मौसम के हिसाब से होनी चाहिए। चूंकि गर्मियाँ पित्त का मौसम है, यह गर्म और तैलीय होती है इसलिए यह प्राकृतिक रूप से पित्त को बढ़ाती है। इस मौसम में पित्त को शांत करने वाला खानपान और जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है।
बच्चों के शरीर के रोमकूप पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं इसलिए वो इस समस्या को लेकर अतिसंवेदनशील होते हैं। बड़ों में घमौरियों की समस्या अस्वच्छता की वजह से हो जाती है। इसलिए घमौरियों से बचने के लिए दिन में दो बार नहाना अच्छा उपाय है।
हम आपको घमौरियों और गर्मियों में होने वाले साधारण चकत्तों के तीन आसान उपचार बताते हैं।
एलोवेरा और खीरे का जेल
चूंकि एलोवेरा और खीरा दोनों की ही तासीर ठंडी होती है, इसलिए घमौरियों के इलाज के लिए इस घरेलू उपचार की सबसे ज्य़ादा सलाह दी जाती है। इसका इस्तेमाल आप खीरे को पतले टुकड़ों में काटकर और एलोवेरा के साथ मिलाकर एक लेप बनाकर कर सकते हैं। इस लेप को त्वचा पर लगाने से ठंडक का अहसास होगा। बढ़िया परिणाम पाने के लिए आदर्श रूप से आप इस लेप को 20 मिनट तक लगाए रखें उसके बाद इसको धो लें।
नीम की पत्तियों का लेप
त्वचा की सूजन और खुजली में नीम बहुत असरदार है। यह बिगड़े हुए कफ़ और पित्त को संतुलित करती है और त्वचा के संक्रमण जैसे घमौरियों में राहत पहुंचाती है। नीम का इस्तेमाल उसकी पत्तियों से बनाए गए लेप को त्वचा पर लगाकर किया जा सकता है। इसको लगाने के बाद इसको सूखने दें और फिर साधारण पानी से इसे धो लें। बेहतरीन परिणाम और घमौरियों को ठीक करने के लिए इस लेप को नियमित रूप से एक हफ्ते तक लगाएं।
चंदन और गुलाबजल
चंदन में तीन गुण होते हैं – रोगाणुरोधक, स्तंभक और जलन को कम करने का गुण। इसकी तासीर ठंडी है, चंदन और गुलाबजल से बना लेप घमौरियों में आराम पहुंचाने वाला बहुत बढ़िया घरेलू नुस्खा है। यह त्वचा की जलन को कम करता है और राहत पहुँचाता है। चंदन में ताज़गी और खुशबू होती है जो पसीने की बदबू को भी दूर करती है।