Diseases Search
Close Button

Stay Healthy with Ayurveda

Search Icon

रसायन- नई ऊर्जा पाने का विज्ञान

आयुर्वेद के दो मकसद हैं- पहला है शरीर को स्वस्थ रखना और दूसरा है बीमारियों का उपचार करना। रसायन या नई ऊर्जा पाने वाला विभाग आयुर्वेद के आठ खास विभागों में से एक है जो मुख्य तौर पर सेहत की देखभाल करते हैं।रसायन को जड़ी बूटियों, भोजन और ऐसी गतिविधियों जो बीमारियों को ठीक करती हैं उनसे परिभाषित करते हैं। अगर सही तरीके से देखें तो रसायन समय से पहले उम्र को ढलने से रोकता है और आपको जवान बनाए रखता है वो भी शारीरिक और मानसिक दोनों तौर से।

रसायन का मतलब है रस का बढ़ना, एक जरूरी तरल जो भोजन के पचने के समय बनता है। रस पोषण मुहैया कराता है, रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और जीवनशक्ति को बनाए रखता है। रसायन का मकसद ताकत देना, शरीर की रक्षा प्रणाली को मज़बूती देना, ओज को बनाए रखना, जीवन शक्ति, इच्छा शक्ति और संकल्प शक्ति को मजबूती देना होता है ताकि आप बीमार न पड़ें और बीमारी आपसे दूर रहे।

नई जीवन शक्ति पाने के उपचार:

लक्ष्य या परिणामों के हिसाब से रसायन के तीन प्रकार होते हैं....नैमित्तिका रसायन, अजस्रिका रसायन और काम्या रसायन।

नैमित्तिका रसायन (कारण को संस्कृत में निमित्त कहते हैं) को उस खास कारण से लड़ने या संतुलन को बनाने के लिए दिया जाता है जिस वजह से बीमारी हुई होती है। रसायन के कुछ उदाहरण हैं- धात्री रसायन, मंडूकपार्णी रसायन, ब्राह्मी रसायन और त्रिफला रसायन

अजस्रिका रसायन का इस्तेमाल अच्छी सेहत को बनाए रखने और जीवनशैली, खानपान और व्यायाम के जरिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़िया बनाने के लिए किया जाता है। इसमें दूध, घी, शहद का इस्तेमाल और अच्छी नींद, ब्रह्मचर्य भी शामिल होता है।

काम्या रसायन का इस्तेमाल कामेच्छा और खास मकसद को पूरा करने के लिए किया जाता है। यह चार प्रकार के होते हैं।

  • प्रण काम्या- इसका इस्तेमाल शरीर के प्रण यानी जीवन ऊर्जा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

  • मेधा काम्या- इसका इस्तेमाल याददाश्त और बुद्धिमत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

  • आयुष काम्या- इसका इस्तेमाल लंबी उम्र पाने के लिए किया जाता है।

  • चक्षु काम्या- इसका इस्तेमाल सेहतमंद आंखों के लिए किया जाता है।

संचालन के सिद्धांत से देखा जाए तो रसायन को दो विशेष प्रकारों में बांटा जाता है- कुटिप्रवेशिका और वातातपिका।

कुटिप्रवेशिका (कुटि – कुटिया, झोपड़ी, प्रवेश- अंदर आना) एक खास उपचार है, जिसमें कोई इंसान खास तरह से बनाई गई कुटिया के अंदर रासायनिक जड़ी बूटियों को लेते हुए लंबे समय तक रहता है। प्राचीन भारत में इस रसायन का इस्तेमाल अमीर और राजसी लोग किया करते थे। वहीं दूसरी तरफ वातातपिका के प्रयोग में सख्त नियम नहीं होते और ये रोजमर्रा के जीवन में कर सकते हैं। वातातपिका नाम से पता चलता है कि वात यानी हवा और अतपा यानि गर्मी या सूर्य। तो ये रसायन लेने का एक तरीका है जहां किसी इंसान को हवा और गर्मी के बीच रखा जाता है।

वातातपिका का तरीका उन लोगों के लिए अच्छा है जो रोजमर्रा के जीवन में व्यस्त रहते हैं। इस श्रेणी में कुछ खास फॉर्म्यूले आते हैं जिसमें च्यवनप्राश, ब्रह्म रसायन, शिलाजित रसायन, अमलकी रसायन, हरीतकी रसायन, पिप्पली रसायन, लोहड़ी रसायन और लोहा शिलाजीत रसायन शामिल हैं। नई ऊर्जा को पाने के ये कुल 63 मिश्रण हैं जिनका जिक्र चरक संहिता में किया गया है।

चरक संहिता में रसायन के एक खास प्रकार के बारे में भी बताया गया है जो है द्रोणी प्रवेशिका रसायन। इस उपचार में व्यक्ति को खास जड़ी बूटियों का रस पीना होता है, बाद में वो खास उद्देश्य के लिए बनाई गई विशेष प्रकार की नाव में यानी ड्रोनी में प्रवेश करता है। इस उपचार के अंत में व्यक्ति को स्वस्थ शरीर और मन, तेज बुद्धि, मजबूत इंद्रियां और लंबी उम्र मिलती है।

एक पवित्र विज्ञान होने की वजह से इसका ध्यान शरीर, मन और आत्मा पर बराबर मात्रा में होता है, साथ ही आयुर्वेद में मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक सेहत के लिए भी खास रसायनों का जिक्र है। इनको आचार्य रसायन कहते हैं इस तरीके में नई ऊर्जा पाने के फॉर्म्यूलों की ज़रूरत नहीं पड़ती हैं, आचार का अर्थ ही अनुशासन है।

खानपान, नींद और ब्रह्मचर्य से जुड़े नियमों का पालन करने से ही इंसान में नई ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही साथ सात्विक आहार और जीवनशैली, सत्य बोलना, अहिंसा का पालन, प्रकृति के साथ शांतिपूर्वक रहना, सामाजिक आचार-विचार का पालन वगैरह भी इस रसायन के प्रकार में ही शामिल किए जाते हैं। इन नियमों का पालन करने से अच्छी गुणवत्ता की धातुओं का निर्माण होता है और इससे ओज की मात्रा और गुणवत्ता भी बढ़ती है, ये सेहत और शरीर के मजबूत रक्षा तंत्र के लिए बहुत जरूरी है। इस वजह से कोई भी व्यक्ति रसायन के इस्तेमाल से मिलने वाले फायदों जितना ही फायदा इससे भी उठा सकता है।

आयुर्वेद के सभी उपचार का लक्ष्य संपूर्ण सेहत पाना ही है चाहे वो शारीरिक हो, मानसिक हो या फिर आध्यात्मिक, ताकि ऐसे में लोग अपने असली लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ सकें। रसायन उपचार अच्छी सेहत, शरीर का मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र और लंबी उम्र पाना आसान बनाता है।

To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.

SHARE:

TAGS:

Comment

Be the first to comment.

Leave a Reply

Signup For Jiva Newsletter

Subscribe to the monthly Jiva Newsletter and get regular updates on Dr Chauhan's latest health videos, health & wellness tips, blogs and lots more.

Please fill your Name
Please fill your valid email
Book An Appointment Chat With Us