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जब चिलचिलाती गर्मी आपकी त्वचा को जलाती है या अजीब तरीके से व्यवहार करती है, तब आप आयुर्वेद की मदद से गर्मियों को मात देकर अपनी त्वचा को सेहमतमंद रख सकते हैं। त्वचा की बनावट, त्वचा की बीमारियां और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में सीखिए।
गर्मियों के आने पर हर कोई सूरज से बचने की कोशिशें शुरू कर देता है। छतरियां, टोपी और सनस्क्रीन तो एक मानक बन जाता है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो दिन के वक्त में बाहर रहते हैं। गर्मियों के मौसम में वैसे भी सूरज की ताकतवर किरणें त्वचा की कई गंभीर परेशानियाँ जैसे त्वचा का झुलसना, लाल धब्बे, जलन, चकत्ते, मुँहासे वगैरह पैदा करती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक गर्मियों में सूर्य ताकतवर होता है और यह शरीर में गर्मी बढ़ाता है, जिसकी वजह से त्वचा संबंधी परेशानियाँ उभर आती हैं।
जला देने वाली गर्मी से अपनी त्वचा को बचाकर उसे सेहतमंद बनाए रखने के लिए आपको उसकी देखभाल करनी चाहिए वो भी सटीक जड़ी
त्वचा एक संवेदनशील अंग है जो हमारे शरीर की रक्षा करती है, यह एक ऊष्मारोधी की तरह काम करती है, यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है और उसे सूर्य की हानिकारक पराबैगनी किरणों से बचाती है। खराब हो रही त्वचा को ठीक करने से पहले आपको अपनी त्वचा की बनावट और किन कारकों की वजह से नुकसान पहुंच रहा है उसको समझना ज़रूरी है।
एक प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता के मुताबिक त्वचा 7 तहों से बनी होती है। दोषों के बिगड़ने का असर त्वचा की एक या एक से ज्य़ादा तहों पर पड़ता है जिससे त्वचा की अलग-अलग बीमारियां पनपती हैं।
त्वचा की खूबसूरती और सेहत को बिगाड़ने में कई अंदरूनी और बाहरी कारकों का हाथ होता है। हालांकि इन कारकों से निपटने के कुछ आसान तरीके होते हैं और इनसे आपकी त्वचा सेहतमंद भी रहती है। आइए उनमें से कुछ की जांच करें:
गर्मियों के मौसम में त्वचा को ज्य़ादा खुला रखने पर उसे नुकसान पहुंचता है। इस मौसम में सूर्य की गर्मी, उसका तेज और चुभन शरीर में पित्त दोष को बिगाड़ता है और यही वजह है कि ज्य़ादातर लोगों को इस मौसम में पित्त से संबंधित त्वचा की परेशानियाँ हो जाती हैं। इसके अलावा लंबे वक्त तक सूर्य की रोशनी में रहने पर वात बढ़ता है जो त्वचा के रूखेपन का मुख्य कारण होता है
अपनी त्वचा को सूर्य की घातक किरणों से बचाने के लिए एक अच्छा हर्बल सनस्क्रीन लोशन जिसमें एलोवेरा हो, वो लगाएं, ध्यान रहे कि ये लोशन शरीर के उन हिस्सों पर लगाएं जिन पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं। जब भी आपको घर से बाहर निकलना हो तो पूरी बाजू के सूती कपड़े, टोपी, काला चश्मा, ज़रूर लगाएं। खूब सारा पानी भी पिएं जिससे आपकी त्वचा में नमी बनी रहे और पसीने से निकले तरल की भरपाई हो।
गर्मियों में हममें से ज्य़ादातर लोग एयर कंडीशनर के करीब जाने का मौका नहीं छोड़ते। चाहे वो ऑफिस हो, कार हो या घर, ए.सी का इस्तेमाल बढ़ता ही चला गया है। हालांकि हममें से ज्य़ादातर लोगों को ये अहसास ही नहीं होता है कि ठंडा करने वाले उपकरण जैसे एयरकंडीशनर सिर्फ कमरे के तापमान को ही नियंत्रित नहीं करते बल्कि यह आसपास के वातावरण की नमी भी कम कर देते हैं, इससे त्वचा रूखी हो जाती है। इससे अलावा लंबे समय तक ए.सी. में बैठने से पसीना भी नहीं होता है, जिसकी वजह से गर्मियों में शरीर प्राकृतिक रूप से अपने विष को बाहर नहीं निकाल पाता है। जब त्वचा रूखी हो जाती है तो यह अपनी प्राकृतिक नमी खो देती है और संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाती हैं।
रूखी त्वचा से बचने के लिए त्वचा को नियमित तौर पर नम रखें। त्वचा पर कठोर रहने वाले साबुन का इस्तेमाल बंद करें और हर्बल साबुन या सौम्य क्लीन्ज़र का इस्तेमाल करें। नहाने के बाद एलोवेरा जेल लगाना भी फ़ायदा पहुंचाएगा। रूखी त्वचा को मुलायम करने के लिए आप यह घरेलू नुस्ख़ा अपना सकते हैं: आधा एवोकाडो या पपीता मैश कर लें, इसे नींबू के रस के साथ मिला लें और इस लेप को अपनी त्वचा पर लगाएं। इसको लगभग 10-15 मिनट तक के लिए छोड़ दें। इसके बाद त्वचा को पहले गर्म पानी से फिर ठंडे पानी से बारी-बारी धो लें। इस प्रयोग को हफ्ते में एक या दो बार करें।
गर्मियों में गर्म और सूखी हवाएं चलना दुनिया के कई इलाकों में आम बात है। खासतौर से भारतीय लोग वायु प्रदूषण जैसे धूल, धुआँ और मिट्टी झेलते हैं जो त्वचा के रोम छिद्रों में इकट्ठा हो जाती है और कई परेशानियाँ खड़ी करती है जैसे उम्र से पहले त्वचा पर झुर्रियां, खाज-खुजली,एलर्जी वगैरह।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए त्वचा पर एक अच्छा हर्बल मॉश्चराइज़र लगाएं जो त्वचा और प्रदूषण के बीच एक बैरियर की तरह काम करें। घर वापस लौटकर अपनी त्वचा को गुलाब जल से साफ करना ना भूलें। आप एक ख़ास घरेलू नुस्ख़ा भी अपना सकते हैं: एक चम्मच कच्चा दूध लें, इसमें रूई का एक टुकड़ा भिगोएं और चेहरे पर हल्के हाथों से रगड़ें। अब इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
खानपान की बिगड़ी आदतें और अनियमित जीवनशैली त्वचा की परेशानियों का सबसे बड़ा कारण होते हैं। ज्य़ादातर लोग आजकल जंक और पैकेटबंद खाना खाते हैं, नियमित व्यायाम नहीं करते, एक ही मुद्रा में बहुत देर तक बैठे रहते हैं और उनके सोने का नियमित समय नहीं होता है।
सिर्फ यही नहीं बढ़ती प्रतियोगिता और खर्च की वजह से हममें से ज्य़ादातर लोग तनाव भरी ज़िंदगी जीते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि पित्त और वात बढ़ जाता है, जिसकी वजह से त्वचा की चमक मद्धम हो जाती है, काले घेरे, झुर्रियां, मुँहासे बढ़ते हैं और खून का संचार कम हो जाता है।
अपनी त्वचा पर सेहतमंद चमक लाने के लिए आपको अपने खानपान और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने होंगे। यह कुछ उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:
आयुर्वेद सलाह देता है कि आप नियमित रूप से जागने और सोने का समय निश्चित करें। रात 10 बजे तक सोने चले जाएं और सुबह 6 बजे उठ जाएं। रात 10 बजे के बाद का समय पित्त का समय होता है और आप उस समय में अगर जगे रहेंगे तो आपके शरीर का पित्त असंतुलित हो जाएगा। रोज़ कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
किसी खुले मैदान में हर रोज़ कम से कम 15-20 मिनट का व्यायाम ज़रूर करें। इससे आपके शरीर में खून का संचार बढ़ेगा और शरीर के अंगों को भरपूर प्राणवायु यानि ऑक्सीजन मिलेगी। इसके अलावा जब भी आप व्यायाम करेंगे तो शरीर से पसीना निकलेगा इससे आपकी त्वचा को भी खुलकर सांस लेने में मदद मिलेगी।
रोज़ खूब सारा ताज़ा पानी पिएं इससे शरीर का विष बाहर निकलेगा और आपका पाचन तंत्र मज़बूत होगा। इससे एक फ़ायदा यह भी होगा कि शरीर में पानी की कमी नहीं होगी शरीर में पानी संतुलित मात्रा में रहेगा।
ताज़े फल और सब्जियां, ताज़े रस और सलाद को अपने आहार में तरजीह दें। इनमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जिससे आपकी त्वचा को चमक मिलेगी।
मिठाई,चॉकलेट, जंक फूड, तला हुआ और मसालेदार खाना, तंबाकू और नशा यह सभी पित्त दोष को भड़काते हैं इसलिए इनसे बचें।
हमेशा याद रखें कि त्वचा की ज्य़ादातर समस्याओं की जड़ें गहरी होती हैं। इसलिए साधारण क्रीम या एंटीबायोटिक्स सिर्फ लक्षणों को ढकते हैं। विशेष आयुर्वेदिक उपचार के लिए बनाया गया सही आहार, जीवनशैली और खास जड़ी बूटियां ही त्वचा संबंधित बीमारियों को जड़ से खत्म करती हैं। इसलिए आयुर्वेद अपनाएं और गर्मियों में सेहतमंद और चमकदार त्वचा पाएं।
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