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दाँत और जीभ की सफ़ाई करना आयुर्वेद के अनुसार हमारी दैनिक क्रिया बतायी गयी है, जिससे कि हमें दाँत और साँस से जुड़ी समस्या नही होती है। आयुर्वेद में दाँतो की सफ़ाई के लिए कुछ ख़ास पेड़ो की दातून का प्रयोग करने की सलाह दी गयी है, उनमें से 5 सबसे प्रचलित दातून के बारे में यहाँ पर बताया गया है।
नीम में बैक्टीरिया रोधी गुण पाया जाता है जिससे ये दाँतो की सफ़ाई कर के वहाँ के कीटाणुओं को खत्म करता है जिससे दाँत साफ़ होते है और साँस की दुर्गन्ध भी समाप्त होती है। इससे हमारी जीभ भी साफ होती है जिससे हमारे स्वाद को महसूस करने की संवेदना भी बढ़ती है।
बबूल में पाए जाने वाले घटक कीटाणुओं को ख़त्म करने के साथ ही मुँह के अल्सर से भी हमारी सुरक्षा करते हैं। बबूल में एंटीफंगल गुण पाया जाता है जिससे ये दाँतो के बीच पैदा होने वाले कीटाणुओं को बढ़ने से रोकते हैं।
मुँह के छाले और घाव हमारे स्वाद को महसूस करने की क्षमता को कम कर देते हैं साथ ही पाचन रस को भी निष्क्रिय बना देते हैं। अतः बेल की दातून की मदद से आपको मुँह के छालों को खत्म करने में मदद मिलती है। ये गले Kई सफ़ाई के साथ ही कफ़ को भी ख़त्म करने में मदद करता है।
जामुन साँस के कीटाणुओं को ख़त्म करने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रोज़ाना जामुन के दातून का इस्तेमाल करने से आप मुँह के कैंसर से बचे रह सकते हैं।
मुलेठी मुँह के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है और दाँतो के सड़ने के ख़तरे को भी कम करता है। इसके साथ ही आप रात के समय में मुलेठी को पानी मे भिगोकर रख सकते हैं और सुबह उठकर इस पानी से ग़रारे भी कर सकते हैं। ये आपके गले को साफ़ करके वहाँ के संक्रमण को भी ख़त्म करने में मदद करता है।
अपने मसूड़ों को साफ़ पानी से धुलें। इसके बाद दातून को धुलकर इसे एक तरफ़ से चबाना शुरू करें, जिससे इसका रस निकलना शुरू हो जाएं। अब इसे पूरे मुँह में घुमाते रहें और बनने वाले लार को बाहर थूकते रहें।
दातून के थोडा मुलायम हो जाने के बाद इसे सावधानीपूर्वक दाँत पर घिसते रहें। यहाँ पर ये ध्यान रखें कि आप मसूड़ों को घाव ना पहुँचे। इसके साथ ही आप दातून को चबाते हुए इसे थूकते भी रहें।
जब आप दातून से दाँतो की सफ़ाई कर चुके हो तब इसे बीच से फाड़ दें। अब आप इस फ़टे हुए भाग से जीभ की सफ़ाई कर सकते हैं। अब पानी से गरारे कर के मुँह को अच्छे से धुल लें।
इसके बाद आप दाँतो में तेल भी लगा सकते हैं।इसके लिए आप तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। तिल के तेल को मुँह में लगभग 1 मिनट तक रखें और फ़िर थूक दें। ऐसा आप लगातार 3 बार करें।
अपने मुँह और दाँतो को आयुर्वेद की मदद से स्वस्थ और साफ़ रखें। दाँतो और साँस से जुड़ीं किसी समस्या के स्थायी और प्रभावी समाधान के लिए आज ही हमारे जीवन आयुर्वेदिक डॉक्टर से सम्पर्क करें। हमारे जीवन आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करने के लिए अभी डॉयल करें- 0129-4040404
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