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किसी भी महिला के लिए उनके मासिक धर्म का समय वाक़ई में परेशानी का समय होता है। इस समय मे होने वाला घाव, जलन, खुजली, रक्त स्त्राव महिलाओं के शरीर के साथ ही उन्हें मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है। इससे उनके लिए साधारण दिन भी काफ़ी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
मासिक धर्म वाली महिलाओं की जीवनशैली और आहार उनके भविष्य में होने वाले गर्भ और सेक्स लाइफ़ पर भी व्यापक प्रभाव डालता है। अतः आयुर्वेद में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया गया है जिसका पालन महिलाओं को मासिक धर्म के समय जरूर करना चाहिए।
मासिक धर्म के तीन दिनों के समय अन्तराल के दौरान महिलाओं को सिर्फ़ फल और बिना मसाले के बनी सब्ज़ियों का सेवन करना चाहिए। इसे हविष्य आहार के नाम से जाना जाता है। इस समय मे मसालों का सेवन आपके स्त्राव को और बुरी स्थिति में ला सकता है।
आयुर्वेद में इस समय महिलाओं को ब्रह्मचारिणी व्रत का पालन करने की सलाह दी गयी है। अतः महिलाओं को इस समय मे संभोग नहीं करना चाहिए। इस समय महिलाओं को संभोग की अधिक इच्छा होती है लेकिन ममासिक धर्म की अवधि में संभोग करने से आपको लम्बे समय तक सेक्स से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में बताया जाता रहा है कि मासिक धर्म के समय महिलाओं को एक आरामदेह चटाई पर सोना चाहिए जो कि मुलायम गद्दे से मिलकर बना हो। इस समय घर के सभी काम जैसे कि खाना बनाना और सफ़ाई आदि को छोड़कर 3 दिन सिर्फ़ आराम करने पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप घर की एकमात्र काम करने वाली सदस्य है तो आपको काम और आराम के बीच बेहतर सन्तुलन बनाकर चलना होगा।
अत्यधिक हँसना, या फ़िर रोना, अत्यधिक बातें करना आदि चीज़ों को मासिक धर्म के समय नज़रअंदाज़ करना चाहिए। ये आपके बीज़ को अस्वस्थ्य बना सकता है जिससे कि भविष्य में होने वाले आपके बच्चें पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
मासिक धर्म के तीन दिनों तक ऊपर दिए गए सभी नुस्खों को ध्यान में रखने के बाद आपको शारीरिक और मानसिक रूप से साफ़ होने की भी जरूरत है। रोज़ाना नहाने के बाद साफ़ कपड़े पहने और पूजा जरूर करें। पोषक तत्वों से भरे फल और अनाज का सेवन करें और अपने रोज़ाना की दिनचर्या का भी पालन करें।
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