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दुनिया के अनेक हिस्सों में गर्मी का मौसम परेशानी का कारण बनता है। भारत में तो इसका विकराल रूप दिखता है। कई इलाकों में तापमान के 40 डिग्री पार करते ही बीमारियों को रोकना असंभव सा हो जाता है। ऐसी हालत में आपको अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनी रहे। इसके लिए, आपको पहले यह समझना होगा कि यह गर्मी आपके शरीर पर क्या प्रभाव डालती है और इससे होने वाले नुकसान से खुद को बचाने के लिए आपको क्या करना होगा।
गलतफहमी - एक बार का खाना न खाने से शरीर हल्का रहेगा
सच्चाई - वास्तव में, आपको भोजन नहीं छोड़ना चाहिए, विशेषकर तब, जब आपका शरीर पित्त प्रकृति का हो। भोजन न करने से न केवल पित्त बढ़ता है बल्कि इससे आपके शरीर का पाचन तंत्र भी बिगड़ता है जिसके कारण आम (विषैले तत्व) संचित हो जाते हैं जो शरीर की बीमारी का प्राथमिक कारण है। इससे अच्छा है कि हल्का भोजन लिया जाए, ऐसा नियमित भोजन जिसमें अनाज, सब्ज़ियाँ और फल हों, इसके साथ खूब पानी पिएँ ताकि आपके शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाएँ।
गलतफहमी - गर्मियों में बर्फ वाले पेय पीने से शरीर ठंडा रहता है।
सच्चाई - हालांकि यह कहा जाता है कि गर्मियों में पेय पदार्थों की मात्रा बढ़ानी चाहिए, लेकिन बर्फ वाले पेय पदार्थों को लेकर आपके सावधान रहना चाहिए क्योंकि इनसे आपके पाचन की प्रक्रिया धीमा होती है। इसके बजाय, पानी में नींबू का रस मिलाकर लें। नारियाल का पानी शरीर को ठंडा और स्वस्थ रखने के लिए बहुत अच्छा होता है।
गलतफहमी - गर्मियों में शरीर की मालिश नहीं की जानी चाहिए।
सच्चाई - गर्मियों में बादाम का तेल और ऑलिव आयल जैसे तेल शरीर को 'और गर्म' करते हैं। लेकिन ठंडे किए हुए नारियल के तेल की रोजाना मालिश से त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा की गर्मी निकल जाती है। इस मालिश के बाद, ठंडे पानी से स्नान करें, गर्म पानी, शावर और भाप स्नान न करें। बेहतर तो यह होगा कि ऐसी मालिश भी सप्ताह में तीन बार तक सीमित रखें।
गलतफहमी - कपड़े जितने कम हों, बेहतर है।
सच्चाई – पुरुषों और महिलाओं का यह आम विश्वास होता है कि गर्मियों में कम कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि इससे वे आरामदायक महसूस करते हैं। इसके विपरीत, जब आप कम कपड़े पहनकर सूरज की हानिकारक किरणों को अपने शरीर पर पड़ने देते हैं तो आपकी त्वचा को ठीक से न ढकने के कारण बीमारियों का खतरा अधिक हो जाता है। इसलिए, आपको अपना शरीर ढकना चाहिए, विशेषकर तब, जब आपकी त्वचा में चकत्ते और मस्से हों और आपका शरीर पित्त प्रकृति का हो।
गलतफहमी - एयर कंडीशन से आपका शरीर ठंडा रहेगा।
सच्चाई - एयर कंडीशनर हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है, इनकी मौजूदगी हर जगह दिखती है - घर में, कार में, दफ्तर में आदि। यह सच है कि एयर कंडीशनर हमारे शरीर को कुछ समय तक ठंडा रखते हैं लेकिन लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करने से हमारे शरीर को इनसे नुकसान होता है। एयर कंडीशनर किसी भी जगह की प्राकृतिक हवा की आवाजाही को अवरुद्ध करते हैं जिससे दूषित हवा का जमाव होता है जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है। कई लोगों में, ए.सी. का अधिक इस्तेमाल करने के कारण ही अक्सर सिरदर्द और थकान की शिकायतें देखने को मिलती हैं।
गलतफहमी - गर्मियों में देर से सो सकते हैं।
सच्चाई - अनेक परिवारों के लिए गर्मियों में देर शाम तक घूमना बेहतर विकल्प होता है। बहुत से लोग नहीं जानते कि गर्मी पित्त का मौसम होता है और गर्मियों को रात 11 बजे से 2 बजे के बीच पित्त अपने चरम पर होता है। इसलिए, बेहतर होगा कि गर्मियों में रात 10 बजे तक सोने चले जाएँ। देर रात तक जगना बीमारियों को आमंत्रण देना है।
गर्मियों में, तेज धूप के कारण, हमारी पाचन अग्नि (जठराग्नि) में बड़ी आसानी से बाहरी गर्मी पहुँच जाती है जो शरीर की आंतरिक अग्नि को खत्म कर देती है जिसके कारण गर्मी के चकत्ते/ घमौरियाँ, त्वचा संबंधी अन्य समस्याएँ, आंखों का लाल होना, डायरिया, डीहाइड्रेशन तथा पाचन तंत्र की अन्य शिकायतें देखने को मिलती हैं। अपने भोजन और जीवनशैली में आसान से परिवर्तन लाते हुए गर्मियों में होने वाली बीमारियों से बचने के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें।
लाल चकत्ते, एलर्जी तथा त्वचा संबंधी अन्य समस्याएँ त्वचा में आम के संचित होने से होती हैं। इनसे बचने का सर्वोत्तम उपाय यह है कि विपरीत भोजन (जैसे मछली और दूध एक साथ लेना) से बचें और प्राकृतिक उत्तेजना जैसे उल्टी, पेशाब, मल आदि को न रोकें। साथ ही, नमकीन, खट्टे या एसिड युक्त भोज्य पदार्थों को बिल्कुल न लें।
आम पैदा करने वाले वसायुक्त भोजन को आंतों द्वारा न पचा पाने के कारण डायरिया होती है। इन विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए, शरीर आंतों को बार-बार खाली करता है और चूँकि पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता है, ये पदार्थ दस्त के रूप में बाहर निकलने लगते हैं। ऐसी हालत में शाक-सब्ज़ियों के सूप जैसे शुद्ध करने वाला तरल आहार लेना चाहिए। डायरिया होने पर दही, छाछ, केला और अनार का सेवन करना चाहिए।
डीहाइड्रेशन हमारे शरीर में पानी बहुत कम होने पर होता है। इसके कारण हमारे शरीर से पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और शरीर थकने लगता है। गर्मियों में, पसीना निकलने से भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। किसी भी प्रकार के डीहाइड्रेशन से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि नियमित रूप से बहुत सा पानी पीते हुए इस कमी को पूरा किया जाए। याद रखें कि ऐसी हालत में रोज़ कम से कम 3 लीटर पानी पीना चाहिए। नारियल का पानी, बार्ले का पानी, गन्ने का रस आदि का सेवन करना चाहिए।
अपचा भोजन शरीर में आम तैयार करता है और पाचन की अग्नि को कम करता है। पाचन संबंधी समस्याओं को नियंत्रण में रखने के लिए, भोजन करने के आयुर्वेदिक नियमों का पालन करें। कार्बोहाइड्रेट कम करें और अपने आहार में ताज़े, प्राकृतिक, जैविक और शाकाहारी भोजन शामिल करें। डिब्बाबंद भोजन, बचे हुए पुराने खाद्य पदार्थों, प्रसंस्कृत भोज्य पदार्थों, तली चीज़ों और मसालेदार भोजन, जंक फूड और मांस आदि का सेवन न करें। इसके अलावा, उत्तेजना बढ़ाने वाले पेय पदार्थ जैसे कैफ़ीन (काफ़ी, ब्लैक टी), अल्कोहल, धूम्रपान, गैस मिले पेय और दवाइयों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि आपको गर्मी के मौसम से संबंधित कोई समस्या है, तो सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार के लिए जीवा से संपर्क करें। 0129-4040404 (केवल भारत के मरीजों के लिए) पर जीवा टेलीमेडिसिन सेंटर पर कॉल करें या जीवा के आयुर्वेदिक चिकित्सक से निशुल्क परामर्श करने के लिए हमें info@jiva.com पर लिखें।
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