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वायरल फीवर और फ्लू से बचने के लिए आयुर्वेद क्या कहता है? मानसून में ज़रूर करें ये 5 उपाय

Information By Dr. Sapna Bhargava

वायरल फीवर और फ्लू से बचने के लिए आयुर्वेद क्या कहता है? मॉनसून में ज़रूर करें ये 5 उपाय

भारत में मौसमी वायरल बुखार, जैसे फ्लू और वायरल फीवर हर वर्ष लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं। अप्रैल 2023 तक, देश में 4,629 इन्फ्लुएन्जा के मामले दर्ज किए जा चुके थे, यह आधिकारिक डेटा है जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ पर आधारित है। यह संख्या सिर्फ अप्रैल तक की है, लेकिन मॉनसून आने के बाद हालात और खराब हो जाते हैं।

मॉनसून की उमस, बारिश से गंदा हुआ पानी, भीगना, और बढ़ती नमी वायरस और बैक्टीरिया के लिए आदर्श माहौल बनाती है। ऐसे में आपको सर्दी-खाँसी से लेकर वायरल फीवर, स्किन इंफेक्शन और पेट की तकलीफ़ों का खतरा अधिक रहता है।

इस ब्लॉग में हम देखेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार आप किस तरह अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर इन मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं और मॉनसून में अपनाने योग्य 5 असरदार आयुर्वेदिक उपाय क्या-क्या हैं। तो अगर आप भी मॉनसून में बेचैनी, खाँसी या वायरल फीवर से बचकर रहना चाहते हैं, तो आगे पढ़ना जारी रखें।

मॉनसून में वायरल फीवर और फ्लू क्यों ज़्यादा होते हैं? (Why are Viral Fever and Flu More Common During Monsoon?)

मॉनसून का मौसम जितना सुकून देने वाला लगता है, उतनी ही आसानी से यह आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। जैसे ही बारिश शुरू होती है, वातावरण में नमी बढ़ जाती है। यही नमी वायरस और बैक्टीरिया को पनपने का मौका देती है। ऐसे समय में अगर आपकी प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) थोड़ी भी कमज़ोर हो, तो वायरल फीवर और फ्लू जैसी बीमारियाँ तेज़ी से आपको जकड़ सकती हैं।

बारिश के मौसम में तापमान में लगातार बदलाव होता है, कभी ठंडा, कभी उमस भरा। इस बदलाव के कारण आपके शरीर की आंतरिक गर्मी और ठंडक (body temperature regulation) में असंतुलन आ जाता है। यही कारण है कि इस मौसम में गले में खराश, सर्दी, बुखार और खाँसी आम हो जाते हैं।

इसके अलावा, मॉनसून में कई बार लोग गीले कपड़ों में देर तक रहते हैं या गंदे पानी में पैर डाल देते हैं। इससे स्किन इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन का खतरा और बढ़ जाता है।

संक्षेप में, मॉनसून में वायरल बीमारियाँ इसलिए ज़्यादा फैलती हैं क्योंकि:

  • वातावरण में नमी और ठंडक वायरस के लिए अनुकूल होती है

  • पानी में मौजूद गंदगी और बैक्टीरिया तेज़ी से फैलते हैं

  • भीगने या ठंडी हवा में रहने से शरीर की रक्षा प्रणाली कमज़ोर पड़ जाती है

  • कई बार लोग इस मौसम में ज़्यादा बाहर खाना, कटे-फटे फल या बासी चीज़ें खाते हैं, जिससे शरीर और भी कमज़ोर होता है

इसलिए ज़रूरी है कि आप खुद को नमी और गंदगी से बचाएँ और शरीर की इम्युनिटी को मज़बूत बनाए रखें।

आयुर्वेद वायरल फीवर और फ्लू को कैसे समझता है? (How Does Ayurveda Understand Viral Fever and Flu?)

आयुर्वेद किसी भी बीमारी को सिर्फ लक्षणों से नहीं, बल्कि उसके पीछे के असली कारण से समझता है। वायरल बुखार और फ्लू को आयुर्वेद में आमतौर पर कफ और वात दोष के असंतुलन से जोड़ा जाता है।

मॉनसून में वात और कफ दोनों ही बढ़ने लगते हैं:

  • वात दोष बढ़ने से शरीर में ठंडक, कमज़ोरी और शरीर दर्द होने लगता है

  • कफ दोष के बढ़ने से गले में बलगम, नाक बहना, छाती में जकड़न और भूख न लगना जैसी समस्याएँ आती हैं

आयुर्वेद कहता है कि जब शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) कमज़ोर हो जाती है और ओजस (इम्यूनिटी) गिर जाता है, तब शरीर बाहरी वायरस और संक्रमणों से लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता।

इस मौसम में आप ध्यान दें:

  • अगर आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर है, तो आप बीमारियों के जल्दी शिकार बन सकते हैं

  • ज़्यादा तला-भुना, ठंडा या बासी खाना आपकी अग्नि को और कमज़ोर कर देता है

  • मॉनसून में जितना शरीर को बाहर से बचाना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है भीतर से संतुलन बनाए रखना

इसलिए आयुर्वेद सलाह देता है कि मॉनसून में शरीर के दोषों को संतुलित रखें, अग्नि को तेज़ करें और ओजस को बढ़ाने वाले आहार और दिनचर्या अपनाएँ।

क्या आप वायरल फीवर और फ्लू के लक्षण पहचानते हैं? (Can You Recognise the Symptoms of Viral Fever and Flu?)

कई बार हम सामान्य थकान या हल्की गले की खराश को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन यही लक्षण वायरल बुखार या फ्लू की शुरुआत हो सकते हैं। अगर आप शुरूआती लक्षणों को पहचान लें, तो बीमारी को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकता है।

वायरल बुखार और फ्लू में अक्सर ये लक्षण दिखते हैं:

  • तेज़ बुखार जो अचानक आता है

  • सिरदर्द और बदन दर्द, खासकर पीठ और जोड़ों में

  • गले में खराश या जलन, कभी-कभी सूखी खाँसी

  • नाक बहना या बंद होना

  • थकावट, नींद न आना या बहुत ज़्यादा नींद आना

  • कुछ मामलों में डायरिया, भूख न लगना, और हल्की ठंड लगना भी हो सकता है

अगर आप इन लक्षणों को सही समय पर पहचान लेते हैं और आयुर्वेदिक उपाय अपनाना शुरू कर देते हैं, तो आप दवाओं पर निर्भर हुए बिना भी काफ़ी हद तक राहत पा सकते हैं।

लेकिन अगर बुखार तीन दिनों से ज़्यादा बना रहे, या साँस लेने में तकलीफ़ हो, तो तुरंत जीवा के डॉक्टर से संपर्क करें। याद रखें, जल्दी पहचाना गया रोग आधा ठीक हो जाता है।

वायरल बुखार और फ्लू से बचने के लिए आयुर्वेद में कौन-कौन से घरेलू उपाय बताए गए हैं? (Ayurvedic Home Remedies for Viral Fever and Flu)

आयुर्वेद में बताया गया है कि अगर आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कुछ आसान और प्राकृतिक उपाय अपनाएँ, तो वायरल बुखार और फ्लू जैसी बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं। ये उपाय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और आपको अंदर से मज़बूत बनाते हैं।

यहाँ हम ऐसे 5 आसान लेकिन असरदार आयुर्वेदिक घरेलू उपायों की बात करेंगे, जिन्हें आप भी आज से ही अपना सकते हैं:

1. तुलसी-अदरक-हल्दी का काढ़ा

यह काढ़ा आयुर्वेद का सबसे लोकप्रिय और असरदार नुस्खा है।

  • इसे बनाने के लिए तुलसी के पत्ते, कद्दूकस किया हुआ अदरक, एक चुटकी हल्दी और 1–2 लौंग को पानी में उबालें।

  • जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर हल्का गुनगुना पिएँ।

इसमें मौजूद तत्व शरीर को वायरल संक्रमण से लड़ने की ताकत देते हैं और कफ को भी कम करते हैं।

2. लहसुन का सेवन

लहसुन को खाली पेट चबाना शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है।

  • आप रोज़ सुबह 2 से 3 लहसुन की कली चबा सकते हैं।

  • यह शरीर में गर्मी लाता है और एंटीबैक्टीरियल गुणों से संक्रमण को रोकता है।

यह नुस्खा खासकर उन लोगों के लिए अच्छा है जो जल्दी-जल्दी सर्दी-खाँसी से परेशान हो जाते हैं।

3. हल्दी वाला दूध

हल्दी को "प्राकृतिक एंटीसेप्टिक" माना जाता है।

  • रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएँ।

  • इससे शरीर को आराम भी मिलेगा और अंदरुनी सूजन और इंफेक्शन से भी बचाव होगा।

यह उपाय बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए सुरक्षित है।

4. त्रिकटु चूर्ण

त्रिकटु चूर्ण तीन चीज़ों से बनता है – सोंठ, काली मिर्च और पीपली। ये तीनों मिलकर शरीर में कफ को संतुलित करते हैं और पाचन भी सुधारते हैं।

  • इसे रोज़ आधा चम्मच शहद या गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।

  • यह खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी छाती में बलगम या बार-बार गले में खराश होती है।

5. नीम स्नान या देसी धूप

मॉनसून में बैक्टीरिया स्किन इंफेक्शन का कारण बनते हैं।

  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालें और उसी पानी से स्नान करें।

  • आप देसी धूप जैसे लोबान, गुग्गुल या देवदार की राल जलाकर घर में हवा शुद्ध कर सकते हैं।

ये उपाय घर के वातावरण को बैक्टीरिया और वायरस से मुक्त करने में मदद करते हैं।

क्या आपकी इम्युनिटी कमज़ोर है? जानिए कैसे आयुर्वेद से इसे मज़बूत करें (Is Your Immunity Weak? Know How to Strengthen it With Ayurveda)

अगर आप बार-बार बीमार पड़ते हैं, थोड़ा मौसम बदलते ही आपको सर्दी या बुखार हो जाता है, तो ये संकेत हैं कि आपकी इम्युनिटी कमज़ोर हो चुकी है।

आयुर्वेद के अनुसार, इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए सिर्फ औषधियों पर निर्भर रहना काफ़ी नहीं होता। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपनी जीवनशैली में कुछ अहम बदलाव लाएँ।

1. दिनचर्या (Daily Routine):

  • सुबह जल्दी उठें, हल्के गर्म पानी से दिन की शुरुआत करें

  • रोज़ कुछ देर व्यायाम या योग करें

  • समय पर भोजन और नींद लें

2. आहार (Diet):

  • ताज़े, हल्के, पचने में आसान और गर्म भोजन को प्राथमिकता दें

  • दिन में 2 बार गुनगुना पानी पिएँ

  • मौसमी फल और हरी सब्ज़ियाँ नियमित लें

3. आयुर्वेदिक सपोर्ट (Herbal Boosters):

  • च्यवनप्राश, अश्वगंधा, गिलोय, त्रिफला, और तुलसी जैसे हर्ब्स इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं

  • आप इनका सेवन जीवा के डॉक्टर की सलाह से कर सकते हैं

4. नींद और तनाव नियंत्रण:

  • रोज़ कम से कम 6–8 घंटे की नींद लें

  • तनाव को कम करने के लिए प्राणायाम, ध्यान और ध्यान केंद्रित अभ्यास करें

जब आपकी जीवनशैली संतुलित होगी, तो शरीर अपने आप वायरस और संक्रमणों से लड़ने के लिए तैयार रहेगा।

इन उपायों को अपनाते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (What Should You Keep in Mind While Adopting These Measures?)

कोई भी घरेलू नुस्खा तभी असर करता है जब उसे सही तरीके से और समझदारी से अपनाया जाए। अगर आप ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक उपाय अपनाने की सोच रहे हैं, तो नीचे दी गई बातों को ज़रूर ध्यान में रखें:

  • काढ़ा या त्रिकटु चूर्ण खाली पेट न लें अगर आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर है

  • लहसुन से एलर्जी होने पर इसे बिल्कुल न खाएँ

  • गर्भवती महिलाओं को काढ़ा, त्रिकटु या ज़्यादा गर्म प्रकृति वाली चीज़ों का सेवन बिना जीवा के डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए

  • बच्चों को हल्की मात्रा में ही काढ़ा या हल्दी वाला दूध दें

  • अगर आपको किसी आयुर्वेदिक औषधि से पहले कोई साइड इफेक्ट हुआ है, तो किसी भी नुस्खे को आज़माने से पहले विशेषज्ञ से बात करें

  • नीम स्नान रोज़ न करें; हफ्ते में 2-3 बार पर्याप्त है

इन उपायों का असर तभी दिखेगा जब आप इन्हें नियमित रूप से अपनाएँगे और शरीर की ज़रूरत को समझते हुए इस्तेमाल करेंगे। एक ही दिन में असर देखने की अपेक्षा न रखें—आयुर्वेद धीरे-धीरे लेकिन गहराई से काम करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

बारिश का मौसम सिर्फ चाय-पकोड़ों का नहीं, बल्कि सावधानी और समझदारी का भी होता है। अगर आप हर बार मौसम बदलते ही बीमार पड़ जाते हैं, तो अब वक्त है कुछ बदलने का। ऊपर बताए गए आसान से आयुर्वेदिक उपाय आपके शरीर को अंदर से मज़बूत बनाते हैं, बिना किसी साइड इफेक्ट के।

आपको बस एक छोटा-सा कदम उठाना है: रोज़ का काढ़ा, हल्दी वाला दूध, थोड़ी सी दिनचर्या में सावधानी और शरीर की सुनना। जब आप खुद की इम्युनिटी को प्राथमिकता देंगे, तो वायरल बुखार और फ्लू आपको छू भी नहीं पाएँगे।

अगर आप समझ नहीं पा रहे कि कहाँ से शुरू करें, या किसी उपाय को लेकर उलझन में हैं,  तो एक बार जीवा के अनुभवी विशेषज्ञ से बात ज़रूर करें।

स्वास्थ्य से जुड़ी अपनी किसी भी चिंता के लिए व्यक्तिगत परामर्श पाएँ हमारे प्रमाणित जीवा वैद्यों से। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. वायरल बुखार ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
    आप शरीर को आराम दें, हल्का गर्म खाना खाएँ, खूब पानी पिएँ और घरेलू उपाय जैसे काढ़ा या हल्दी वाला दूध लें—ये तेज़ी से राहत देते हैं।
  2. वायरल बुखार की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
    अगर बुखार हल्का है तो आराम, हाइड्रेशन और आयुर्वेदिक उपाय ही सबसे अच्छे होते हैं। लेकिन तेज़ बुखार में जीवा के अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
  3. सर्दी और बुखार के लिए कौन से घरेलू उपचार हैं?
    तुलसी-अदरक-हल्दी का काढ़ा, भाप लेना, लहसुन खाना और गर्म सूप पीना—ये सब सर्दी और बुखार में राहत देने वाले घरेलू उपाय हैं।
  4. वायरल फीवर कैसे फैलता है?
    वायरल फीवर संक्रमित व्यक्ति के छींकने, खाँसने या इस्तेमाल की गई चीज़ें छूने से फैल सकता है। भीड़भाड़ और गंदे पानी से भी संक्रमण बढ़ता है।
  5. क्या वायरल फीवर में नहाना सही है?
    अगर बुखार बहुत तेज़ नहीं है और आप गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें तो नहाना ठीक रहता है। इससे शरीर हल्का महसूस करता है और स्किन भी साफ रहती है।

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