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काम करते हुए खाना – क्यों नहीं मिलता असली पोषण? जानिए आयुर्वेदिक चेतावनी

Information By Dr. Keshav Chauhan

भारत में लगभग 6 करोड़ लोग, यानी कामकाजी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा, "शिफ्ट वर्क" (जैसे नर्सिंग, स्वास्थ्य सेवाओं आदि में काम) करता है, और इस जीवनशैली का एक प्रमुख हिस्सा बन चुका है काम करते हुए खाना। हाल ही में हुई एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, जो विशेष रूप से भारत में शिफ्ट वर्क करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर आधारित है, लंबे काम के घंटों और असंगठित समय के कारण उनके खाने के तरीकों में गड़बड़ी आती है, जिसका सीधा असर उनकी पाचन क्षमता और पोषण पर पड़ता है। यह अध्ययन दर्शाता है कि अस्वस्थ आहार और तनाव, जो कि अक्सर काम के दबाव और नींद की कमी से जुड़ा होता है, खाने की आदतों को प्रभावित करता है।

जब आप काम में व्यस्त रहने के दौरान अपना भोजन जल्दी में, ध्यान भटकाते हुए करते हैं, तो यह सिर्फ़ एक आदत नहीं बन जाती, यह आपकी सेहत और पोषण पर गहरा असर डालता है। इस ब्लॉग में हम इसी पहलू पर ध्यान देंगे और समझेंगे कि कैसे छोटी-छोटी सावधानियाँ और सजगता आपकी पाचन शक्ति और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है।

क्या आप भी काम करते हुए खाना खाते हैं? (Do You Also Eat While Working?)

आजकल की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में यह आम बात हो गई है कि आप कंप्यूटर पर बैठे-बैठे खाना खा लें, या मोबाइल पर मीटिंग में भाग लेने के दौरान जल्दी-जल्दी कुछ खा लें। कई बार तो काम इतना दबाव डालता है कि आप सोचते हैं, "खाना खाने में अलग से समय क्यों बर्बाद करूँ?"

असल में यही सोच धीरे-धीरे एक आदत बन जाती है। आप महसूस भी नहीं करते और खाना आपके लिए एक मशीन जैसा काम हो जाता है। बस पेट भरने के लिए खाना, बिना स्वाद लिए, बिना ध्यान दिए।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप ऐसे खाते हैं तो आपका शरीर और मन कैसा महसूस करता है? शायद आपको थकान ज़्यादा लगे, खाना खाने के बाद भी भारीपन हो, या पाचन सही न हो। यह सब उसी आदत का नतीजा है, काम करते हुए खाना।

काम करते हुए खाने से पाचन क्यों बिगड़ता है? (Why Does Eating While Working Disturb Your Digestion?)

जब आप एक साथ दो काम करते हैं, तो स्वाभाविक है कि आपका ध्यान बंट जाता है। खाने पर आपका पूरा ध्यान नहीं रहता। और यही बात आपके पाचन को बिगाड़ देती है।

1. एक साथ दो काम करने से ध्यान बंट जाता है

आपका दिमाग एक समय में एक ही काम को पूरी तरह से कर सकता है। जब आप खाते हुए ईमेल देख रहे हों, मोबाइल पर बात कर रहे हों या कोई रिपोर्ट बना रहे हों, तो ध्यान कहीं और चला जाता है। नतीजा यह होता है कि आप महसूस ही नहीं करते कि आपने कितना और कैसा खाना खाया।

2. ठीक से चबाना नहीं हो पाता

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों कहते हैं कि भोजन को अच्छी तरह चबाना बेहद ज़रूरी है। लेकिन जब आप काम में व्यस्त होते हैं तो बिना ध्यान दिए जल्दी-जल्दी निगलते रहते हैं।

  • खाना अच्छे से न चबाने पर वह पेट में जाकर सही से पच नहीं पाता।

  • अधपचा खाना गैस, एसिडिटी और भारीपन का कारण बनता है।

3. जठराग्नि पर असर

आयुर्वेद में पाचन शक्ति को जठराग्नि कहा गया है। जब आप ध्यान लगाकर खाते हैं तो यह अग्नि सक्रिय रहती है और भोजन को अच्छे से पचाती है। लेकिन काम करते हुए खाने पर यह अग्नि कमज़ोर हो जाती है।

  • ध्यान भंग होने से पाचन रस सही मात्रा में नहीं बनते।

  • शरीर को भोजन से पूरा पोषण नहीं मिल पाता।

इसलिए, भले ही आप वही खाना खा रहे हों, जो सामान्य समय पर खाने से सेहत देता है, लेकिन अगर ध्यान भंग हो तो वही खाना आपके लिए बोझ बन सकता है।

आयुर्वेद क्यों कहता है कि खाना एक यज्ञ है? (Why Does Ayurveda Say That Eating Is A Sacred Ritual or Yajna?)

आयुर्वेद और भारतीय शास्त्रों ने भोजन को सिर्फ़ पेट भरने का साधन नहीं माना, बल्कि इसे एक पवित्र प्रक्रिया बताया है। इसे "अन्न यज्ञ" कहा गया है।

अन्न यज्ञ की संकल्पना

जैसे यज्ञ करते समय आप मंत्र पढ़कर, ध्यान और श्रद्धा के साथ आहुति देते हैं, वैसे ही खाने को भी श्रद्धा और एकाग्रता से ग्रहण करना चाहिए।

  • जब आप मौन रहकर, धीरे-धीरे और कृतज्ञता से खाते हैं तो भोजन आपके शरीर और मन दोनों को पोषण देता है।

  • इसे सिर्फ़ खाना नहीं, बल्कि एक ऊर्जात्मक प्रक्रिया माना गया है।

मनुस्मृति और चाणक्य नीति की सलाह

प्राचीन ग्रंथों में भी स्पष्ट कहा गया है:

  • मनुस्मृति: अन्न ब्रह्म है, भोजन करते समय मौन व्रत रखना चाहिए।

  • चाणक्य नीति: भोजन, अध्ययन और पूजा - इन तीनों में पूरा ध्यान और एकाग्रता ज़रूरी है।

इसका सीधा मतलब है कि अगर आप खाना खाते समय इधर-उधर बात करेंगे या किसी और काम में लगे रहेंगे, तो भोजन की पवित्रता और उसका प्रभाव घट जाएगा।

मौन और कृतज्ञता से भोजन करने का महत्व

जब आप भोजन को प्रसाद की तरह ग्रहण करते हैं, मौन रहते हैं और हर कौर को ध्यान से खाते हैं, तो न सिर्फ़ शरीर को बल्कि मन को भी शांति मिलती है।

  • आप महसूस करेंगे कि खाना सिर्फ़ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि आपके जीवन को ऊर्जा देने के लिए है।

  • भोजन का हर कौर तब आपके लिए एक सकारात्मक अनुभव बन जाता है।

आयुर्वेद यही कहता है कि “जैसा अन्न, वैसा मन।” यानी आप जैसा भोजन ग्रहण करेंगे, वैसे ही विचार और भावनाएँ आपके भीतर आएँगी।

काम करते हुए खाने से पोषण क्यों अधूरा रह जाता है? (Why Does Eating While Working Lead To Incomplete Nutrition?)

जब आप काम में व्यस्त रहते हुए खाना खाते हैं तो आपका ध्यान भोजन पर नहीं रहता। आप सिर्फ़ पेट भरने के लिए खाते हैं, लेकिन अन्न का पूरा रस और गुण आपके शरीर को नहीं मिल पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भोजन को ठीक से चबाने और स्वाद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह से ध्यान मांगती है। अगर आपका मन कहीं और है तो यह प्रक्रिया अधूरी रह जाती है।

इसके अलावा, अगर आप तनाव, चिंता या गुस्से की अवस्था में खाना खाते हैं तो भोजन आपके शरीर को पोषण देने के बजाय और भारी बना सकता है। आयुर्वेद कहता है कि जिस मानसिक स्थिति में आप खाते हैं, वही ऊर्जा भोजन भी ग्रहण करता है। इसीलिए ऐसे समय में खाया गया अन्न आपके लिए शारीरिक और मानसिक विष जैसा असर डाल सकता है।

क्या आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि काम करते हुए खाना गलत है? (Does Modern Science Also Agree That Eating While Working Is Harmful?)

आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि खाना खाते समय काम करना या बात करना शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है। जब आप खाते वक्त बोलते या पढ़ते हैं तो भोजन के साथ हवा भी पेट में जाती है। इससे गैस और अपच की समस्या बढ़ जाती है।

वैज्ञानिक रूप से यह भी समझाया गया है कि गले में दो नलियाँ होती हैं, एक साँस के लिए और दूसरी भोजन के लिए। सामान्य स्थिति में जब आप खाते हैं तो भोजन नली खुलती है, लेकिन अगर आप खाते समय बोलते हैं तो साँस की नली भी खुल सकती है। इससे खतरा बढ़ जाता है कि भोजन गलत नली में चला जाए और गले में अटककर घुटन पैदा कर दे।

सिर्फ़ यही नहीं, जल्दी-जल्दी खाने से आप भोजन को अधूरा चबाते हैं। अधचबाया भोजन पेट में जाकर ठीक से पचता नहीं और पोषण पूरी तरह से शरीर में नहीं पहुँच पाता। नतीजा यह होता है कि खाने के बावजूद आप थकान, भारीपन और अपच महसूस करते हैं।

क्या होता है जब आप सजग होकर भोजन करते हैं? (What Happens When You Eat Mindfully?)

अब सोचिए, अगर आप थोड़ी देर का समय सिर्फ़ खाने के लिए निकालें, बिना किसी रुकावट और बिना किसी काम के दबाव के। तब भोजन आपके लिए सिर्फ़ पेट भरने का काम नहीं करेगा, बल्कि यह आपको शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से ऊर्जा देगा।

स्वाद, संरचना और गुणों पर ध्यान

जब आप शांति से खाते हैं, तो आपको हर कौर का स्वाद महसूस होता है। आप समझ पाते हैं कि अन्न में कैसी मिठास या कसैलापन है, उसकी बनावट कैसी है और वह शरीर को कैसा लग रहा है।

  • यह सजगता आपके दिमाग को संतुष्टि देती है।

  • साथ ही, पाचन तंत्र को भी संकेत मिलते हैं कि भोजन को ठीक से पचाना है।

हर कौर से शरीर और मन को लाभ

सजग होकर खाने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि आप जो भी खाते हैं उसका पूरा पोषण आपके शरीर तक पहुँचता है।

  • पाचन शक्ति मज़बूत होती है।

  • ऊर्जा और ताज़गी महसूस होती है।

  • मन हल्का और संतुलित रहता है।

क्या काम करते हुए खाने से वज़न भी बढ़ सकता है? (Can Eating While Working Also Lead To Weight Gain?)

बहुत से लोग सोचते हैं कि वज़न सिर्फ़ ज़्यादा कैलोरी खाने से बढ़ता है, लेकिन असलियत थोड़ी अलग है। आपके खाने का तरीका भी वज़न बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाता है। जब आप काम करते हुए खाते हैं, तो आपका ध्यान भोजन पर नहीं होता। आप कंप्यूटर पर टाइप करते हुए या मोबाइल स्क्रॉल करते हुए खाते रहते हैं और यह अंदाज़ा ही नहीं लगा पाते कि आपने कितना खा लिया।

काम करते हुए खाना अक्सर जल्दी-जल्दी किया जाता है। आप कौर को अच्छे से चबाने के बजाय बस निगलते जाते हैं। नतीजा यह होता है कि पेट को तृप्ति का एहसास देर से होता है। इसी वजह से आप ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं। यह अतिरिक्त खाना धीरे-धीरे चर्बी के रूप में जमा होने लगता है और वज़न बढ़ाता है।

इसके अलावा, ध्यान भटकने की वजह से आप स्वाद पर भी ध्यान नहीं देते। जब मन को स्वाद का संतोष नहीं मिलता तो वह और खाने की मांग करता है। यही आदत मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों, जैसे डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर, का कारण बन सकती है।

इसलिए अगर आप अपना वज़न संतुलित रखना चाहते हैं, तो यह ज़रूरी है कि आप हर कौर को ध्यान से खाएँ। यह न सिर्फ़ पाचन को आसान बनाएगा बल्कि आपको ज़रूरत से ज़्यादा खाने से भी रोकेगा।

आप कैसे सीख सकते हैं सही तरीके से भोजन करना? (How Can You Learn To Eat The Right Way?)

आयुर्वेद हमेशा से कहता आया है कि भोजन सिर्फ़ पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि यह आपके लिए एक यज्ञ है। आधुनिक विज्ञान भी इसी बात को mindful eating के रूप में मानता है। यानी खाना खाने की प्रक्रिया को ध्यान की तरह अपनाना।

अगर आप सजग होकर खाते हैं, तो यह आपके लिए एक ध्यान का अभ्यास बन सकता है। इसका मतलब है कि जब आप भोजन करें, तो बस उसी पर ध्यान दें।

अगर आप चाहते हैं कि भोजन से आपको पूरा पोषण और तृप्ति मिले, तो यह जानना ज़रूरी है कि सही तरीके से कैसे खाना चाहिए। यहाँ कुछ आसान बातें हैं जिन्हें आप अपनाकर अपने खाने का अनुभव बेहतर बना सकते हैं:

  • शांत मन से खाइए: अगर आप भागदौड़ या तनाव में खाते हैं, तो भोजन का असर कम हो जाता है। कोशिश कीजिए कि खाते समय आपका मन स्थिर और शांत रहे।

  • भोजन के समय मौन रखिए: मौन आपके मन को स्थिर करता है और भोजन को पवित्र बनाता है। जब आप बोलते-बोलते खाते हैं तो ध्यान भटक जाता है और पाचन कमज़ोर हो जाता है।

  • कृतज्ञता के साथ खाइए: भोजन से पहले और बाद में धन्यवाद करना आदत बनाइए। किसान, रसोइए और कई लोग मिलकर आपके लिए अन्न तैयार करते हैं। इस भावना से भोजन और भी स्वादिष्ट और ऊर्जा देने वाला लगता है।

  • ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से दूरी रखिए: टीवी, मोबाइल और लैपटॉप के सामने खाने की आदत छोड़िए। यह आदत न सिर्फ़ ध्यान भंग करती है बल्कि पाचन को भी धीमा कर देती है।

  • हर कौर को अच्छे से चबाइए: धीरे-धीरे और अच्छे से चबाने से भोजन का रस अच्छी तरह निकलता है और पाचन आसान हो जाता है। इससे आपको भारीपन नहीं बल्कि हल्कापन और ताज़गी महसूस होगी।

अगर आप इन छोटी-छोटी बातों को अपनाते हैं, तो खाना आपके लिए सिर्फ़ पेट भरने का काम नहीं रहेगा, बल्कि एक ऊर्जा और आनंद देने वाला अनुभव बन जाएगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

भोजन सिर्फ़ आपके शरीर को भरने का काम नहीं करता, यह आपकी ऊर्जा, आपके विचार और आपके मन को भी आकार देता है। जब आप काम में उलझे रहते हुए खाना खाते हैं तो आपको लगता है कि समय बचा लिया, लेकिन असल में आप अपने शरीर से मिलने वाला पोषण खो देते हैं। यही कारण है कि अक्सर खाना खाने के बाद भी थकान, भारीपन और बेचैनी महसूस होती है।

अगर आप थोड़ी सजगता के साथ खाते हैं, मौन में, कृतज्ञता के साथ, हर कौर को ध्यान से चबाकर, तो वही भोजन आपको ताज़गी, हल्कापन और संतुलन देगा। यह बदलाव छोटा लगेगा, लेकिन इसका असर आपकी पूरी सेहत और जीवन पर गहरा होगा।

क्योंकि आखिरकार, जैसा अन्न वैसा मन। और जब मन और शरीर दोनों संतुलित हों, तभी जीवन वास्तव में आनंदमय बनता है।

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FAQs

  1. आयुर्वेद के अनुसार क्या खाना चाहिए?
    आपको मौसमी, ताज़ा और हल्का पचने वाला भोजन खाना चाहिए। दलिया, खिचड़ी, दाल, सब्ज़ियाँ और मौसमी फल आयुर्वेद में संतुलित आहार माने जाते हैं।
  2. खाना पचता क्यों नहीं है?
    अगर आप जल्दी-जल्दी खाते हैं, अधूरा चबाते हैं या बार-बार भारी भोजन करते हैं तो खाना सही से नहीं पचता और गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
  3. आयुर्वेद के अनुसार भोजन का सही समय क्या है?
    सुबह का नाश्ता हल्का और पौष्टिक होना चाहिए, दोपहर का भोजन दिन का मुख्य आहार और रात का खाना हल्का, जल्दी और सोने से 2-3 घंटे पहले होना चाहिए।
  4. आयुर्वेद के अनुसार पोषण कैसे तय किया जाता है?
    आयुर्वेद में पोषण आपके दोष (वात, पित्त, कफ), ऋतु और पाचन शक्ति के अनुसार तय होता है। वही भोजन आपके शरीर और मन को संतुलित करता है।
  5. क्या बार-बार स्नैक्स खाना सही है?
    बार-बार स्नैक्स खाने से पाचन कमज़ोर होता है। आयुर्वेद मानता है कि भोजन के बीच पर्याप्त अंतर होना चाहिए ताकि पिछला भोजन पूरी तरह पच सके।
  6. क्या रात को भारी भोजन करना नुकसानदायक है?
    जी हाँ, रात को भारी या तैलीय खाना खाने से पाचन धीमा हो जाता है। इससे नींद खराब होती है और सुबह सुस्ती व भारीपन महसूस होता है।
  7. क्या भोजन के तुरंत बाद पानी पीना सही है?
    नहीं, तुरंत पानी पीने से पाचन रस पतले हो जाते हैं। आपको खाना खाने के लगभग 30 मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए ताकि पाचन अच्छा हो।

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