आयुर्वेदिक औषधियाँ जो घुटने को मजबूत बनाये रखती हैं:
लाल मिर्च:
लाल मिर्च में पाए जाने वाले एक यौजिक पदार्थ 'कैप्साइसिन' की वजह से यह पता चला है, कि इसका प्रयोग हजारों सालों पहले से हो रहा है। इस तीखी जड़ी-बूटी में दर्द-निरोधक क्षमता होती है, जो कि पाचन, परिसंचरण तन्त्र और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभदायक है। इसके सेवन से घुटनों के जोड़ों को भी ताकत और मजबूती मिलती है। लाल मिर्च और काली मिर्च के पाउडर को घुटनों पर लगाने से थोड़ी जलन अवश्य होती है, पर ये घुटनों का चमत्कारिक रूप से उपचार कर देता है।
हल्दी:
हर भारतीय रसोई में पाई जाने वाली यह पीली जड़ी-बूटी आयुर्वेद के हिसाब से घुटनों को ताकत देने में सबसे अधिक सक्षम है। हल्दी एक शक्तिशाली सूजन-प्रतिरोधी बूटी है, जिसमें काफी अच्छे एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इन गुणों की वजह से इसे खाने या लेप बनाकर लगाने से सूजन वाले जीवाणु खत्म हो जाते हैं और आपको दर्द से राहत व घुटनों को संरक्षण मिलता है।
अदरक:
यह एक और ऐसी ही जड़ी-बूटी है, जो हर रसोई में मिलती है। अदरक स्वादिष्ट और रोगाणुरोधक गुणों से परिपूर्ण होने के कारण सूजन व जलन को प्रत्यक्ष रूप से कम करती है।
इसका लेप बनाकर सीधे जोड़ों पर लगाया जा सकता है। आप अदरक की चाय बनाकर उसका सेवन कर भी सकते हैं। इससे रक्तसंचार अच्छा होता है, जो जोड़ों में गर्मी लाकर उन्हें मजबूत करता है और भीतर से जोड़ों की चिकनाहट बरकरार रखता है।
शल्लकी (बोस्वेलिया):
दर्द दूर करने में सक्षम बोस्वेलिया (शल्लकी) एक जानी-मानी बूटी है, जो पुरानी सूजन को दूर करने के लिए सदियों से इस्तेमाल की जाती है। इसका सेवन करने से लुकोट्रिइनेस नहीं बनते, जिसके कारण सूजन नहीं होती। यह उपास्थि को कोई नुकसान होने से भी रोकती है, जो कि शरीर के जोड़ों के लिए गद्दे की तरह काम करती है। इसीलिए, शल्लकी को घुटनों के जोड़ों को शक्ति देने वाली एक प्रभावशाली बूटी माना जाता है।
ऊपर बताई गयी जड़ी-बूटियों के अलावा अश्वगंधा, गुग्गुलु, त्रिफला, लहसुन जैसी बूटियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सभी भी घुटनों का दर्द-निवारण कर हड्डियों को ताकत देती हैं और माँसपेशियों को मजबूत बनाती हैं।
जोड़ों के दर्द से निवारण के लिए आयुर्वेदिक उपचार बहुत ही प्रभावशाली रहता है। अगर आप भी इस दर्द से परेशान हैं, तो आज ही जीवा आयुर्वेद में किसी डॉक्टर से संपर्क करें।