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Chikungunya से जोड़ों का दर्द: क्या यह लंबे समय तक रह सकता है?

Information By Dr. Adarsh Shrivastav

भारत में मच्छरों से फैलने वाले रोगों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, अक्टूबर 2023 में लगभग 19% परिवारों ने बताया कि उनके एक से अधिक सदस्य मच्छर-जनित बीमारियों से प्रभावित हुए हैं। इन बीमारियों में से एक प्रमुख रोग 'चिकनगुनिया' है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है और जोड़ों में गंभीर दर्द का कारण बनता है।​

आयुर्वेद, चिकनगुनिया के लक्षणों के प्रबंधन में सहायक हो सकती है। आयुर्वेदिक उपचारों में गिलोय, अश्वगंधा और सोंठ जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, पंचकर्म थेरेपी, विशेषकर अभ्यंग और स्वेदन, जोड़ों के दर्द और कठोरता को कम करने में प्रभावी हो सकते हैं।
आइए समझते हैं कि चिकनगुनिया से जोड़ों में दर्द कैसे होता है और आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं

चिकनगुनिया के बाद जोड़ों में दर्द क्यों होता है? (Why Does Joint Pain Occur after Chikungunya?)

चिकनगुनिया वायरस जब हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो यह मुख्य रूप से हमारे जोड़ों के ऊतकों पर हमला करता है। इस वायरस का सबसे प्रभावी लक्ष्य सिनोवियल द्रव (synovial fluid) होता है, जो हमारे जोड़ों को चिकना बनाए रखता है। वायरस के इस हमले के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द होने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में आर्थ्रल्जिया (arthralgia) कहते हैं।

वायरस का असर : चिकनगुनिया वायरस जोड़ों के आसपास के टिशूज़ में भड़काऊ प्रतिक्रिया को बढ़ावा देता है। यह प्रतिक्रिया स्थानीयकृत सूजन और दर्द का कारण बनती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह वायरस जोड़ों के अंदर छोटी-छोटी क्षतियाँ पैदा कर देता है, जिससे लंबे समय तक दर्द बना रहता है।
जोड़ों पर इसकी लंबी अवधि की प्रभाव : कई मामलों में, चिकनगुनिया से उत्पन्न जोड़ों का दर्द चिकनगुनिया वायरस के संक्रमण के कई महीनों या वर्षों बाद भी बना रह सकता है। इसे 'क्रॉनिक आर्थ्रल्जिया' कहा जाता है। इस दीर्घकालिक दर्द का कारण अभी भी शोध के अधीन है, लेकिन माना जाता है कि यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के असामान्य प्रतिक्रिया से संबंधित हो सकता है।

क्या चिकनगुनिया से जोड़ों का दर्द लंबे समय तक रह सकता है? (Can Joint Pain from Chikungunya Last a Long Time?)

चिकनगुनिया के लक्षणों में जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है, लेकिन क्या यह दर्द लंबे समय तक बना रह सकता है? जवाब है, हाँ। चिकनगुनिया से होने वाला जोड़ों का दर्द कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों या कुछ मामलों में तो सालों तक भी बना रह सकता है। यह दर्द आमतौर पर उन व्यक्तियों में अधिक समय तक बना रहता है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) पहले से कमज़ोर होती है।
अधिकांश लोगों में, जोड़ों का दर्द कुछ हफ्तों के भीतर कम हो जाता है, लेकिन लगभग 15% से 20% लोगों में यह दर्द कई महीनों तक बना रहता है, और कुछ में यह दर्द वर्षों तक चल सकता है।

बड़े लोग, जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है, और वे लोग जिन्हें पहले से ही जोड़ों की समस्याएँ हैं, जैसे कि गठिया (arthritis), उनमें चिकनगुनिया से जोड़ों का दर्द अधिक समय तक बने रहने की संभावना अधिक होती है।

चिकनगुनिया से जोड़ों के दर्द का प्रबंधन कैसे करें? (How to Manage Joint Pain from Chikungunya?)

चिकनगुनिया के दौरान और उसके बाद जोड़ों में उत्पन्न होने वाले दर्द का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आयुर्वेद, कुछ ऐसे उपचार प्रदान करता है जो न केवल दर्द को कम करते हैं, बल्कि शरीर की आंतरिक शक्ति को भी बढ़ाते हैं।
चिकनगुनिया के आयुर्वेदिक उपचार:

अभ्यंग (Abhyanga - Oil Massage): चिकनगुनिया के बाद जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करने के लिए तिल का तेल या महानारायण तेल का उपयोग करते हुए मालिश करना बहुत फायदेमंद होता है। इस प्रकार की मालिश न केवल दर्द से राहत दिलाती है, बल्कि जोड़ों की गतिशीलता में सुधार भी करती है।

जनु बस्ति (Janu Basti): यह उपचार खासतौर से घुटनों के जोड़ों के लिए होता है, जहाँ गर्म तेल को घुटनों पर एक दीर्घ समय तक रखा जाता है। यह विधि जोड़ों में गहराई से प्रवेश कर दर्द और सूजन को कम करती है।

पंचकर्म (Panchakarma): विशेष रूप से 'विरेचन' (Virechana - Purgation) और 'बस्ति' (Basti - Medicated enema) जैसे पंचकर्म उपचार, शरीर से टॉक्सिन्स को निकालने में मदद करते हैं और जोड़ों की सूजन को कम करते हैं।

रसायन चिकित्सा (Rasayana therapy): इसमें आश्वगंधा, गुडूची जैसी औषधियों का सेवन शामिल है, जो इम्यून सिस्टम को मज़बूत करने और शरीर की सहनशीलता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

घरेलू उपचार: चिकनगुनिया से जोड़ों के दर्द का प्रबंधन (Home Remedies to Manage Joint Pain from Chikungunya)

चिकनगुनिया से होने वाले जोड़ों के दर्द को आयुर्वेदिक उपचारों के माध्यम से कम किया जा सकता है। ये साधारण उपचार न केवल प्राकृतिक होते हैं, बल्कि इनका उपयोग भी बहुत आसान है।
हल्दी और अदरक की चाय (Turmeric and Ginger Tea): हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो एक प्रभावी एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है, और अदरक में जिंजेरोल्स होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं।

प्रो टिप्स:

  • चाय बनाते समय ताज़ा हल्दी और अदरक का ही उपयोग करें, क्योंकि इससे उनके सक्रिय तत्व अधिक प्रभावी रूप से निकलते हैं।
  • इस चाय को दिन में दो बार पीने से जोड़ों के दर्द में अच्छा खासा फर्क पड़ता है।

नारियल तेल से मालिश (Coconut Oil Massage): नारियल तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह जोड़ों में रक्त संचार को बढ़ावा देता है।

प्रो टिप्स:

  • नारियल तेल को हल्का गर्म करके उपयोग करें क्योंकि गर्म तेल से मालिश करने पर ज़्यादा राहत मिलती है।
  • मालिश करते समय धीरे-धीरे दबाव दें और जोड़ों को अच्छी तरह से रगड़ें ताकि तेल त्वचा के अंदर तक जा सके।

पपीते के पत्ते का रस (Papaya Leaf Juice): पपीते के पत्ते प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हैं और यह विषाणुजनित सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

प्रो टिप्स:

  • ताज़ा पपीते के पत्तों का उपयोग करें और उन्हें अच्छी तरह से धोकर पीस लें।
  • इस रस को दिन में दो बार पीने से पहले उसे छान लें, ताकि किसी भी ठोस कण का सेवन न हो।

अजवाइन का पानी (Carom Seeds Water): अजवाइन में थाइमोल (thymol) होता है, जो कि एक प्राकृतिक दर्द निवारक है।

प्रो टिप्स:

  • अजवाइन के बीजों को रात भर पानी में भिगो कर रखें और सुबह इस पानी को गर्म करके पिएँ।
  • इस पानी को पीने से न केवल जोड़ों का दर्द कम होता है, बल्कि यह पाचन क्रिया को भी सुधारता है।

मेथी दाना (Fenugreek Seeds): मेथी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करते हैं।

प्रो टिप्स:

  • मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगोएँ और सुबह इसे चबाकर खाएँ।
  • इसे नियमित रूप से खाने से न सिर्फ जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है, बल्कि यह रक्त शर्करा के स्तर को भी नियंत्रित करता है।

तुलसी की पत्तियाँ (Basil Leaves): तुलसी में एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो चिकनगुनिया के विषाणुजनित प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं।

प्रो टिप्स:

  • तुलसी की 10-15 पत्तियों को अच्छी तरह धोकर एक कप पानी में उबालें। इसे चाय की तरह दिन में दो बार पिएँ।
  • इस तुलसी की चाय को पीने से न केवल जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है बल्कि यह इम्यून सिस्टम को भी मज़बूत करता है।


गरम पानी की बोतल (Hot Water Bottle): गरम पानी की बोतल जोड़ों के दर्द वाले स्थान पर रखने से सूजन और दर्द में कमी आती है।

प्रो टिप्स:

  • गरम पानी की बोतल को सीधे त्वचा पर न रखें। इसे एक तौलिये में लपेट कर उपयोग करें ताकि जलन से बचा जा सके।
  • रोजाना 15-20 मिनट के लिए इसका उपयोग करें, विशेषकर सोने से पहले इससे अच्छी नींद आती है और दर्द में आराम मिलता है।

एप्पल साइडर विनेगर (Apple Cider Vinegar): एप्पल साइडर विनेगर का एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन को कम करता है और यह पीएच स्तर को संतुलित करता है।

प्रो टिप्स:

  • एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएँ और इसे रोजाना पिएँ।
  • अगर डायरेक्ट पीना ज़्यादा कठिन लगे, तो इसे सलाद ड्रेसिंग के रूप में उपयोग करें। यह पाचन में भी मदद करता है।

अदरक की पट्टी (Ginger Compress): अदरक में जिंजेरोल होता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक है।

प्रो टिप्स:

  • अदरक को पीस कर उसका रस निकालें और इसे गर्म पानी में मिलाएँ। फिर इसमें एक साफ कपड़ा भिगोएँ और प्रभावित जोड़ों पर लगाएँ।
  • इस प्रक्रिया को दिन में दो बार करने से दर्द में काफ़ी राहत मिलती है और यह रक्त संचार को भी बढ़ाता है।

ये घरेलू उपचार आपको चिकनगुनिया के बाद उत्पन्न जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इन उपचारों के साथ, आप अपने जोड़ों की सेहत में सुधार और दर्द में कमी ला सकते हैं।

चिकनगुनिया के बाद कैसे जीवनशैली में सुधार करें? (How to Improve Lifestyle After Chikungunya?)

चिकनगुनिया के बाद अपनी जीवनशैली में सुधार करना न केवल आपकी त्वरित रिकवरी में मदद करता है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। आहार और पोषण इसमें केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

आहार और पोषण
चिकनगुनिया से उबरने के दौरान, आपके शरीर को उचित पोषण की आवश्यकता होती है ताकि वह सूजन से लड़ सके और तेज़ी से ठीक हो सके। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण आहार सुझाव बताए गए हैं:

प्रोटीन युक्त आहार: प्रोटीन शरीर के ऊतकों की मरम्मत और नवीनीकरण में मदद करता है। दालें, दही और पनीर जैसे प्रोटीन समृद्ध खाद्य पदार्थ आपके आहार में शामिल करें।

ओमेगा-3 फैटी एसिड्स: ओमेगा-3 फैटी एसिड्स सूजन को कम करने में मदद करते हैं। फ्लैक्ससीड्स और वॉलनट्स इसके अच्छे स्रोत हैं।

हाइड्रेशन: चिकनगुनिया से उबरने के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल और सब्ज़ियाँ: ब्रोकली, पालक, गाजर और जामुन जैसे फलों और सब्ज़ियों का सेवन करें। ये न केवल शरीर को ज़रूरी विटामिन्स और मिनरल्स प्रदान करते हैं, बल्कि वे शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रिया को भी तेज़ करते हैं।

इन सुझावों को अपनाकर आप चिकनगुनिया के बाद अपनी जीवनशैली में सुधार ला सकते हैं और तेज़ी से स्वस्थ हो सकते हैं। अच्छी जीवनशैली न केवल आपके वर्तमान स्वास्थ्य में सुधार करती है बल्कि भविष्य में भी आपको स्वस्थ रखने में मदद करती है।

अंतिम विचार (Final Thoughts)

चिकनगुनिया एक अस्थायी बीमारी ज़रूर है, लेकिन इसके बाद जोड़ों में होने वाला दर्द कई बार आपको लंबे समय तक परेशान कर सकता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर आप सही समय पर ध्यान दें, आयुर्वेदिक उपचार अपनाएँ, संतुलित आहार लें और जीवनशैली में सुधार करें, तो आप न सिर्फ इस दर्द से राहत पा सकते हैं, बल्कि पहले से भी ज़्यादा स्वस्थ और मज़बूत बन सकते हैं।
आपका शरीर आपके साथ तभी देगा जब आप उसके साथ देंगे। इसलिए अपने शरीर को सुनें, समय पर आराम दें, पौष्टिक खाना खाएँ और एक्टिव बने रहें।
अगर आप खुद को फिर से पहले जैसा महसूस करना चाहते हैं, तो जल्दबाज़ी नहीं करें—हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ें। यही सबसे सच्ची जीत होगी।
स्वास्थ्य की चिंता हो तो देर न करें, हमारे कुशल जीवा डॉक्टरों से तुरंत संपर्क करें। कॉल करें 0129-4264323 पर।

FAQs

क्या चिकनगुनिया हड्डियों को प्रभावित करता है?
चिकनगुनिया सीधा हड्डियों को नहीं, लेकिन हड्डियों के जोड़ों और आसपास की मांसपेशियों को ज़रूर प्रभावित करता है। इससे सूजन, दर्द और अकड़न हो सकती है, जो अस्थायी या कभी-कभी दीर्घकालिक भी हो सकती है।

चिकनगुनिया के दाने कितने समय तक रहते हैं?
चिकनगुनिया के कारण आने वाले दाने (rashes) आमतौर पर 4 से 7 दिन तक रहते हैं। इनमें खुजली और जलन हो सकती है, लेकिन सही देखभाल से ये जल्दी ठीक हो जाते हैं।

चिकनगुनिया जोड़ों का दर्द कितने समय तक रहता है?
चिकनगुनिया के बाद जोड़ों का दर्द आमतौर पर 1 से 3 हफ्तों तक रहता है, लेकिन कुछ मामलों में यह कई महीनों तक भी बना रह सकता है। यदि आपकी इम्युनिटी कमज़ोर है या पहले से जोड़ों में कोई समस्या है, तो दर्द लंबे समय तक रह सकता है।

चिकनगुनिया गठिया कब तक रहता है?
चिकनगुनिया से होने वाली गठिया (post-viral arthritis) आमतौर पर 2 से 6 महीने तक रह सकती है। कुछ लोगों में यह समय के साथ धीरे-धीरे ठीक हो जाती है, लेकिन सही देखभाल और इलाज की ज़रूरत होती है।

चिकनगुनिया जोड़ों के दर्द के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा सबसे अच्छी है?
गिलोय, शल्लकी, और गुग्गुल जैसी आयुर्वेदिक औषधियाँ जोड़ों के दर्द में राहत देती हैं। इनसे शरीर की सूजन कम होती है और इम्युनिटी मज़बूत होती है। इन्हें चिकित्सक की सलाह से नियमित रूप से लिया जा सकता है।

चिकनगुनिया के बाद जोड़ों के दर्द से कैसे छुटकारा पाएँ?
संतुलित आहार, आयुर्वेदिक औषधियाँ, घरेलू उपचार जैसे हल्दी-दूध, नारियल तेल से मालिश और हल्की व्यायाम से जोड़ों के दर्द से धीरे-धीरे राहत मिलती है। धैर्य रखें और नियमित देखभाल करें।

क्या चिकनगुनिया के लिए मालिश अच्छी है?
हाँ, आयुर्वेदिक तेल से की गई मालिश (जैसे नारायण तेल या महानारायण तेल) जोड़ों के दर्द में राहत देती है। यह रक्त संचार को बढ़ाती है और सूजन कम करती है। दिन में एक बार हल्की मालिश फायदेमंद रहती है।

चिकनगुनिया जोड़ों के दर्द में किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए?
तेलयुक्त, मसालेदार और अत्यधिक नमक वाले खाने से परहेज करें। रेड मीट और जंक फूड से भी बचें, क्योंकि ये सूजन को बढ़ा सकते हैं और दर्द को बढ़ा सकते हैं।

चिकनगुनिया ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?
पूरी तरह से ठीक होने के लिए आराम, पोषणयुक्त खाना, हाइड्रेशन और आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी हैं। जल्दी ठीक होने के लिए शरीर को आराम देना सबसे ज़रूरी है।

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