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गर्दन में दर्द और चक्कर? हो सकता है सर्वाइकल - आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा स्थायी राहत

Information By Dr. Arun Gupta

अगर आपको रोज़ सुबह उठने पर गर्दन भारी लगती है, हल्की-सी हरकत में भी खिंचाव महसूस होता है या कभी-कभी सिर घूमने लगता है, तो यह सिर्फ थकावट नहीं हो सकती — हो सकता है कि आपको सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की शुरुआत हो रही हो। यह स्थिति आजकल बहुत आम हो गई है, ख़ासतौर पर उन लोगों में जो ज़्यादातर समय लैपटॉप या मोबाइल पर झुके रहते हैं।
दिक्कत यह है कि बहुत से लोग इसे मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं। नतीजा — धीरे-धीरे गर्दन का दर्द बढ़ता है, सिर दर्द, चक्कर और हाथों तक झनझनाहट जैसी समस्याएँ शुरू हो जाती हैं। इस लेख में आप जानेंगे कि सर्वाइकल क्या होता है, इसके लक्षण क्या हैं, और कैसे आयुर्वेद में इसका इलाज जड़ से संभव है — बिना किसी साइड इफेक्ट के।

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस क्या है?

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्दन की रीढ़ की हड्डियों (cervical vertebrae) और डिस्क में घिसाव या बदलाव आ जाता है। यह आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होता है, लेकिन आजकल यह 30 की उम्र के बाद ही दिखने लगता है, खासकर उन लोगों में जो दिन भर एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं।

इस स्थिति में:

  • गर्दन की हड्डियाँ और डिस्क कमजोर हो जाती हैं
  • नसों पर दबाव पड़ता है
  • ब्लड फ्लो बाधित होता है
  • मांसपेशियों में जकड़न और सूजन आ जाती है

सर्वाइकल के सामान्य लक्षण

अगर आपको निम्नलिखित लक्षण बार-बार दिखते हैं, तो सर्वाइकल की जांच करवाना ज़रूरी है:

  • गर्दन में लगातार दर्द या जकड़न
  • सिर को दाएँ-बाएँ घुमाने में परेशानी
  • चक्कर आना या सिर घूमना
  • सिर दर्द, ख़ासतौर पर गर्दन से शुरू होकर माथे तक फैलने वाला
  • कंधों, बाहों या उंगलियों में झनझनाहट
  • बैठने, झुकने या अचानक उठने पर अस्थिरता
  • नींद के बाद गर्दन का भारी लगना

गर्दन दर्द और चक्कर के पीछे के कारण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ आधुनिक जीवनशैली की देन हैं:

  • एक ही मुद्रा में लंबे समय तक बैठना, विशेषकर लैपटॉप/मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल
  • तकिये की गलत ऊँचाई या कठोरता
  • नियमित एक्सरसाइज़ की कमी
  • गर्दन की अचानक चोट या झटका
  • अत्यधिक तनाव और अनिद्रा
  • विटामिन B12 या D की कमी

आयुर्वेद में सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस को कैसे देखा जाता है?

आयुर्वेद में सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस को 'Manyasthambha' कहा गया है, जो वात दोष की असंतुलन की स्थिति से जुड़ा होता है। जब वात बढ़ता है, तो यह शरीर के स्नायु (nerves), अस्थि (bones), और संधियों (joints) को प्रभावित करता है — जिससे दर्द, जकड़न और गति में रुकावट महसूस होती है।

वात दोष का यह असंतुलन तब और बढ़ जाता है जब शरीर में अग्नि मंद पड़ जाती है और आम (toxins) का निर्माण होता है। ये टॉक्सिन्स शरीर में जाकर उन हिस्सों में जमा हो जाते हैं जहाँ पहले से कमजोरी होती है — जैसे कि गर्दन की रीढ़। आयुर्वेदिक इलाज का उद्देश्य है वात को संतुलित करना, आम को बाहर निकालना और मांसपेशियों व हड्डियों को पोषण देना।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और औषधियाँ जो सर्वाइकल में राहत दें

1. अश्वगंधा: तनाव कम करती है, नसों को मज़बूती देती है और वात को शांत करती है। कैसे लें? रोज़ रात को 1/2 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गुनगुने दूध के साथ लें।
2. दशमूल काढ़ा: शरीर के सभी जोड़ और नसों की सूजन कम करता है। कैसे लें? सुबह-शाम भोजन के बाद 30 ml लें।
3. गुग्गुलु योग (योगराज गुग्गुलु, त्रयोदशांग गुग्गुलु): यह वातनाशक है और हड्डियों व जोड़ों को मज़बूत बनाता है। कैसे लें? चिकित्सक की सलाह से दिन में दो बार लें।
4. रसराजेश्वर रस और ब्रह्म रसायन: यह नसों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और थकान व सुन्नपन में राहत देता है। कैसे लें? योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में सेवन करें।

आयुर्वेदिक थेरपीज़ जो गर्दन दर्द में असरदार हैं

1. अब्यंग (तेल मालिश) :दर्द और जकड़न में आराम देता है, रक्त संचार बढ़ाता है।
2. स्वेदन (स्टीम थैरेपी) : जमे हुए वात को बाहर निकालने में मदद करता है।
3. गृध्रसी बस्ती (औषधीय एनीमा) : वात दोष के उत्सर्जन के लिए बेहद प्रभावी।
4. नस्य (नाक के ज़रिए औषध प्रयोग) : सिर और गर्दन के क्षेत्र में रक्त संचार सुधारने में मदद करता है।

योग और व्यायाम जो गर्दन को मज़बूत करें

भुजंगासन (Cobra Pose): रीढ़ की लचीलापन बढ़ाता है
मकरासन (Crocodile Pose): गर्दन और पीठ के तनाव को कम करता है
गोमुखासन (Cow Face Pose): कंधों और गर्दन को खोलता है
अनुलोम-विलोम प्राणायाम: मानसिक तनाव कम करता है

ध्यान रखें: योग का अभ्यास प्रशिक्षित व्यक्ति की निगरानी में ही करें, ताकि गलत पोस्चर से समस्या और न बढ़े।

रोज़ की आदतों में बदलाव करें

  • ऊँचे या बहुत सख़्त तकिए का प्रयोग न करें
  • हर 30 मिनट बाद गर्दन और कंधों की हल्की स्ट्रेचिंग करें
  • मोबाइल को हमेशा आँखों की ऊँचाई पर रखें
  • लैपटॉप पर काम करते समय कुर्सी और टेबल की ऊँचाई सही रखें
  • ज़्यादा भारी बैग या वजन को कंधों पर न डालें

कब डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है?

अगर आपको लगातार गर्दन में दर्द बना रहता है, चक्कर बार-बार आते हैं, हाथों में झनझनाहट या कमज़ोरी महसूस होती है, या आपकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है — तो बिना देरी किए किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलें।
आयुर्वेदिक परीक्षण के आधार पर दोषों की पहचान की जाती है और व्यक्ति के शरीर की प्रकृति के अनुसार इलाज तय किया जाता है। सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह समस्या सर्वाइकल डिस्क हर्निएशन या स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति में बदल सकती है

अंतिम विचार

गर्दन में दर्द और चक्कर जैसी समस्याएँ अब आम होती जा रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाए। अगर सही समय पर पहचान कर ली जाए और आयुर्वेदिक इलाज अपनाया जाए, तो आप इस परेशानी से स्थायी राहत पा सकते हैं — वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।

आयुर्वेद सिर्फ इलाज नहीं, जीवन जीने की एक कला है — जिसमें शरीर, मन और दिनचर्या तीनों को संतुलन में लाने पर ज़ोर दिया जाता है।

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