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अपने श्वसन संबंधी अंगो को स्वस्थ रखने के लिए इन नियमों का पालन करें।

फ़ेफ़डे के कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा सिगरेट पीना, धूम्रपान करना, कोयले का इस्तेमाल, प्रदूषित हवा, निर्माण कार्य और रेडॉन गैस आदि कैंसर होने के साथ ही अन्य साँस संबधित बीमारियों के होने का मुख्य कारण है।

कवाला

कवाला या फ़िर गंदुशा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तेल से गरारे किये जाते हैं। साधारणतः इस प्रक्रिया के लिए तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है। गले को साफ़ करने की इस प्रक्रिया से ये साइनस की समस्या को कम करता है साथ ही श्वसन संबंधी अंगो मे होने वाले एलर्जी को भी ख़त्म करता है। इसे करने के लिए आप किसी भी तेल जैसे कि तिल या फ़िर सूरजमुखी के तेल को अपने मुँह में भर लें। अब थोड़ी देर तक इस मुँह में रखने के बाद आप इसे थूक दें। आप रोज़ाना सुबह ब्रश करने के बाद इस प्रक्रिया को कुछ देर तक करें।

नस्या के तेल का इस्तेमाल करें

आप अपने नाक के दोनों छिद्रों में नस्या के तेल की कुछ बुँदे डाल दें। ऐसा करने से आपके नाक का मार्ग साफ होगा साथ ही नाक के माध्यम से शरीर मे घुसने वाली गन्दगी को भी रोकता है। अतः आप प्राकृतिक नस्या तेल को लेकर सावधानीपूर्वक इसके कुछ बूँद नाक के अन्दर डालें।

च्वयनप्राश का सेवन करें

च्वयनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कि कई तरह की जड़ी बूटियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। अतः इसके सेवन से आप अपने श्वसन संबंधी अंगों को स्वस्थ बनाने के साथ ही नाक तथा गले जैसै अंगों को भी स्वस्थ बनाने का का करता है। ये आपके सम्पूर्ण इम्युनो सिस्टम को भी बेहतर बनाता है।

वाष्प स्वेदना

नाक और गले मे रोज़ाना काफ़ी मात्रा में प्रदूषित तत्व, धूल तथा धुँआ आदि प्रवेश करता रहता है, जो कि हमारे लिए बड़ी स्वास्थ्य समस्या खड़ी कर सकता है।वाष्प स्वेदना एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि हमारे श्वसन अंगों के बाहरी पर्त को मजबूत बनाता है ताकि प्रदूषित कण हमारे शरीर मे प्रवेश ना कर सकें। आप इस प्रक्रिया को घर मे ही कर सकते हैं इसके लिए किसी बड़े पात्र में पानी लेंकर इसमें कोई ठंडा तेल या पिपरमेंट जैसी कोई चीज़ मिला दें। अब इस पानी को तब तक गर्म करें जब तक कि इसमें से भाप आनी ना शुरू हो जाये। अब आप अपने नाक के माध्यम से इस भाप को अन्दर खीचनें की कोशिश करें।

प्रणायाम

प्रणायाम करने से हमारे फेफड़ो की कार्यक्षमता बढ़ती है साथ ही ये फेफड़ो से जुड़े अन्य रोगों से भी लड़ने में मदद करता है। कपालभाती करने से ये दम घुटने की समस्या को कम करता है साथ ही साँस की कमी को दूर कर के हमारे नासिका को भी साफ़ करता है जिससे कि हवा का संचार बेहतर होता है। उज्जयी, शीतली तथा अनुलोम विलोम आदि कुछ और प्रणायाम की तकनीक है जो कि फेफड़ो से जुड़ी समस्याओं को ख़त्म कर के उन्हें स्वस्थ बनाता है। फेफड़ो से जुड़े सुझाव तथा सलाह के लिए आज ही हमारे जीवा आयुर्वेदिक डॉक्टर से फोन पर सम्पर्क करें- 0129-4040404

To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
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