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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का आयुर्वेदिक इलाज

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED) यानी लिंग में तनाव न आना या उसे बनाए न रख पाना, आज के समय में पुरुषों की एक आम लेकिन चिंताजनक समस्या बन गई है। लेकिन अब इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का आयुर्वेदिक इलाज संभव है, वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। जीवा में आपको मिलती है व्यक्तिगत समस्या के अनुसार बनाई गई उपचार योजना – जिसमें शामिल हैं परंपरागत थेरैपी, हर्बल दवाएँ, खानपान में बदलाव और जीवनशैली सुधार।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED) यानी लिंग में तनाव न आना या उसे बनाए न रख पाना, आज के समय में पुरुषों की एक आम लेकिन चिंताजनक समस्या बन गई है। लेकिन अब इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का आयुर्वेदिक इलाज संभव है, वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। जीवा में आपको मिलती है व्यक्तिगत समस्या के अनुसार बनाई गई उपचार योजना – जिसमें शामिल हैं परंपरागत थेरैपी, हर्बल दवाएँ, खानपान में बदलाव और जीवनशैली सुधार।

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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Erectile Dysfunction?)

अगर आप शारीरिक रूप से तो स्वस्थ हैं, लेकिन यौन संबंध के समय लिंग में तनाव (erection) नहीं बनता या बना भी तो लंबे समय तक नहीं टिकता, तो यह स्थिति इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) कहलाती है। आसान भाषा में कहें तो जब आप सेक्स के समय खुद को और अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाते, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है कि शरीर के भीतर कुछ गड़बड़ चल रही है।

कई बार यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन आजकल यह 30 से 40 की उम्र में भी आम हो गई है। तनाव, थकान, कमज़ोरी, हार्मोन की गड़बड़ी, शुगर, हाई ब्लड प्रेशर या नशे की लत जैसी चीज़ें भी इसके पीछे कारण हो सकती हैं।

अब सवाल आता है – आयुर्वेद इस बारे में क्या कहता है?

आयुर्वेद में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को क्लैब्य (Klaibya) कहा गया है। यह समस्या तब होती है जब आपके शरीर का वात दोष असंतुलित हो जाता है, जिससे शरीर की प्रजनन शक्ति (reproductive power) कमज़ोर हो जाती है। साथ ही, जब शरीर की सात धातुओं में से अंतिम धातु – शुक्र धातु कमज़ोर होती है, तब भी यह समस्या देखने को मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार, इसका इलाज सिर्फ एक दवा से नहीं बल्कि एक पूरी जीवनशैली सुधार योजना से किया जाता है। इसमें शामिल होता है हर्बल औषधियों का सेवन, पंचकर्म थेरेपी, तनाव कम करने के लिए ध्यान और योग, और खानपान में विशेष बदलाव।

अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं और शर्म के कारण इलाज नहीं ले रहे, तो याद रखिए यह समस्या आम है और पूरी तरह ठीक की जा सकती है।

Jiva Ayurveda में अनुभवी वैद्य आपकी समस्या की जड़ तक पहुँचकर उपचार करते हैं।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के प्रकार (Types of Erectile Dysfunction)

अगर आप लिंग में तनाव की समस्या से जूझ रहे हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के भी कई प्रकार होते हैं। हर तरह की समस्या की वजह और इलाज अलग होता है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ED कितने प्रकार का होता है:

1. वेस्कुलर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Vascular ED)

यह सबसे आम प्रकार है। इसमें आपके शरीर में रक्त संचार (blood circulation) सही तरीके से लिंग तक नहीं पहुँचता या लिंग के अंदर मौजूद रक्त को रोकने वाले वाल्व (valves) ठीक से काम नहीं करते। इसका कारण हो सकता है हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ या कोलेस्ट्रॉल

2. न्यूरोजेनिक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Neurogenic ED)

अगर आपके मस्तिष्क और लिंग के बीच का संदेश सही से नहीं पहुँच पा रहा है, तो इसे न्यूरोजेनिक ED कहा जाता है। यह समस्या तब होती है जब नसों पर असर पड़े जैसे रीढ़ की हड्डी की चोट, स्ट्रोक या न्यूरोलॉजिकल बीमारी (जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस)।

3. हॉर्मोनल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Hormonal ED)

इसमें हार्मोन का असंतुलन जिम्मेदार होता है – जैसे शरीर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) की कमी। थायरॉइड की समस्या भी इसका कारण हो सकती है।

4. साइकोजेनिक इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Psychogenic ED)

अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं लेकिन तनाव, चिंता, डर या आत्मविश्वास की कमी के कारण लिंग में तनाव नहीं आ रहा, तो इसे मानसिक कारणों से हुआ ED कहा जाता है।

अगर आप पहचान सकते हैं कि आपकी समस्या किस श्रेणी में आती है, तो सही आयुर्वेदिक इलाज पाना आसान हो जाता है। जीवा में आपकी समस्या की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज किया जाता है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के सामान्य कारण (Common Causes of Erectile Dysfunction)

अगर आप सेक्स के समय बार-बार कमज़ोरी या तनाव की कमी महसूस करते हैं, तो ये सिर्फ एक सामान्य थकान नहीं, बल्कि किसी अंदरूनी कारण का संकेत हो सकता है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के पीछे कई शारीरिक, मानसिक और जीवनशैली से जुड़े कारण हो सकते हैं। अगर आप इन कारणों को जान लेंगे, तो इलाज की दिशा भी साफ हो जाएगी।

यहाँ जानिए इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कुछ आम कारण:

  • तनाव और चिंता – काम, रिश्तों या भविष्य की चिंता आपकी यौन शक्ति पर असर डाल सकती है। यह सबसे सामान्य मानसिक कारणों में से एक है।
  • डायबिटीज़ – लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर लेवल आपकी नसों और रक्त प्रवाह को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे लिंग में तनाव नहीं बन पाता।
  • हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल – ये दोनों आपकी धमनियों को संकुचित कर देते हैं, जिससे लिंग में पर्याप्त रक्त नहीं पहुँच पाता।
  • हार्मोन की गड़बड़ी – अगर आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) की मात्रा कम है या थायरॉइड असंतुलित है, तो इसका असर सीधा आपकी सेक्स क्षमता पर पड़ता है।
  • धूम्रपान, शराब और नशा – ये सभी चीजें रक्त प्रवाह को कमज़ोर करती हैं और नसों को नुकसान पहुँचाती हैं, जिससे ED हो सकता है।
  • मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता – शरीर का वजन बढ़ने से हार्मोन असंतुलित होते हैं और ब्लड फ्लो पर असर पड़ता है।
  • कुछ दवाएँ – एंटी-डिप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर की दवाएँ, कीमोथैरेपी, नींद की गोलियाँ आदि का साइड इफेक्ट ED के रूप में सामने आ सकता है।
  • पिछले ऑपरेशन या चोट – विशेषकर प्रोस्टेट या पेट से जुड़ी सर्जरी, या रीढ़ की हड्डी में चोट, आपकी यौन नसों को प्रभावित कर सकती है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लक्षण और संकेत (Signs and Symptoms of Erectile Dysfunction)

अगर आप यौन संबंध के समय बार-बार संतुष्टि नहीं पा रहे, या सेक्स के दौरान आत्मविश्वास की कमी महसूस कर रहे हैं, तो यह सिर्फ मानसिक तनाव नहीं बल्कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का लक्षण हो सकता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। अगर आप समय रहते इन्हें पहचान लें, तो इलाज जल्दी और बेहतर तरीके से हो सकता है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कुछ सामान्य लक्षण और संकेत इस प्रकार हैं:

  • लिंग में तनाव आने में दिक्कत होना – जब आप सेक्स करना चाहें, लेकिन लिंग में सही से तनाव न बन पाए।

  • तनाव बना रहना मुश्किल होना – सेक्स के शुरू में तो तनाव आ जाता है लेकिन बीच में ही ढीला पड़ जाता है।

  • हर बार परेशानी न होना, लेकिन बार-बार होना – कई बार सेक्स के दौरान सब ठीक रहता है, लेकिन यह समस्या बार-बार दोहराई जाती है।

  • अत्यधिक उत्तेजना की ज़रूरत पड़ना – सामान्य स्थिति में तनाव नहीं आता, जब तक बहुत अधिक शारीरिक या मानसिक उत्तेजना न मिले।

  • सेक्स के समय आत्मविश्वास की कमी महसूस होना – ऐसा लगना कि आप अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाएँगे।

  • यौन इच्छा (sex drive) में कमी – धीरे-धीरे सेक्स की इच्छा कम हो जाना।

  • नींद से जागने पर लिंग में तनाव न होना – आमतौर पर सुबह के समय लिंग में नैचुरल इरेक्शन होता है। अगर यह नहीं हो रहा, तो यह भी एक संकेत हो सकता है।
  • अवसाद (डिप्रेशन), थकावट और चिड़चिड़ापन – ये मानसिक संकेत भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से जुड़े हो सकते हैं।

Symptoms

शुगर

शुगर

लिंग में तनाव आने में दिक्कत होना

जब आप सेक्स करना चाहें, लेकिन लिंग में सही से तनाव न बन पाए।

तनाव बना रहना मुश्किल

सेक्स के शुरू में तो तनाव आ जाता है लेकिन बीच में ही ढीला पड़ जाता है।

अत्यधिक उत्तेजना की ज़रूरत पड़ना

सामान्य स्थिति में तनाव नहीं आता, जब तक बहुत अधिक शारीरिक या मानसिक उत्तेजना न मिले।

सेक्स के समय आत्मविश्वास की कमी

ऐसा लगना कि आप अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाएँगे।

यौन इच्छा (sex drive) में कमी

 धीरे-धीरे सेक्स की इच्छा कम हो जाना।

नींद से जागने पर लिंग में तनाव न होना

आमतौर पर सुबह के समय लिंग में नैचुरल इरेक्शन होता है। अगर यह नहीं हो रहा, तो यह भी एक संकेत हो सकता है।

डिप्रेशन, थकावट और चिड़चिड़ापन

ये मानसिक संकेत भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से जुड़े हो सकते हैं।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

शुगर
लिंग में तनाव आने में दिक्कत होना
तनाव बना रहना मुश्किल
अत्यधिक उत्तेजना की ज़रूरत पड़ना
सेक्स के समय आत्मविश्वास की कमी
यौन इच्छा (sex drive) में कमी
नींद से जागने पर लिंग में तनाव न होना
डिप्रेशन, थकावट और चिड़चिड़ापन
 

​​Jiva Ayunique™ उपचार पद्धति – इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए सम्पूर्ण आयुर्वेदिक समाधान

जीवा आयुर्वेद में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का इलाज केवल लक्षणों को दबाने तक सीमित नहीं होता। यहाँ हर व्यक्ति की समस्या की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज किया जाता है। हर्बल दवाएँ, थैरेपी, आहार और दिनचर्या – सब कुछ इस तरह से मिलाकर दिया जाता है जिससे आपका शरीर और मन दोनों संतुलित हों और आप पूरी तरह से ठीक महसूस करें।

Jiva Ayunique™ उपचार पद्धति के मूल सिद्धांत

  • सुरक्षित और HACCP प्रमाणित आयुर्वेदिक दवाएँ
    ये दवाएँ खास हर्ब्स से वैज्ञानिक तरीके से बनाई जाती हैं, जो आपके शरीर को अंदर से साफ करती हैं, बीमारियों को ठीक करने में मदद करती हैं और मन को शांत रखती हैं।
  • योग, ध्यान और मानसिक संतुलन
    यह आसान लेकिन असरदार तरीके हैं जो आपके तनाव को कम करते हैं और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
  • आयुर्वेदिक थैरेपी और उपचार
    पंचकर्म, तेल मालिश और डिटॉक्स जैसी पारंपरिक थैरेपी शरीर को शुद्ध करती हैं और अंदरूनी संतुलन को वापस लाती हैं।
  • आहार और दिनचर्या से जुड़ी सलाह
    आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आपके शरीर के अनुसार क्या खाना चाहिए, क्या आदतें अपनानी चाहिए – इन सब पर सही दिशा दिखाते हैं, जिससे आप लंबे समय तक सेहतमंद रह सकें।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Medicines for Erectile Dysfunction)

अगर आप सेक्स के दौरान कमज़ोरी, तनाव की कमी या आत्मविश्वास की कमी महसूस कर रहे हैं, तो आयुर्वेद में इसके लिए कई असरदार हर्बल दवाएँ उपलब्ध हैं। ये दवाएँ केवल लक्षण नहीं, बल्कि इस समस्या की जड़ को ठीक करने का काम करती हैं। आयुर्वेदिक दवाओं का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये प्राकृतिक होती हैं और इनके साइड इफेक्ट ना के बराबर होते हैं।

यहाँ हम आपको कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बता रहे हैं जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में उपयोगी मानी जाती हैं:

  • अश्वगंधा
    यह एक ताकत बढ़ाने वाली रसायन औषधि (Rasayana) है। यह नसों को मज़बूत बनाती है, शरीर में रक्त संचार (blood circulation) सुधारती है और यौन इच्छा को बढ़ाती है। मानसिक तनाव, थकान और कमज़ोरी में भी यह बेहद फायदेमंद है।

  • शिलाजीत
    शिलाजीत को प्राकृतिक यौन शक्ति वर्धक माना जाता है। यह आपकी ऊर्जा को बढ़ाता है, शुक्राणुओं की संख्या में सुधार करता है और सेक्स के दौरान जल्दी थकावट से राहत देता है। इसकी गर्म प्रकृति के कारण इसे संतुलित आहार के साथ लेना चाहिए।

  • सफेद मूसली
    इसे हर्बल वियाग्रा भी कहा जाता है। यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में मदद करती है और यौन दुर्बलता, शीघ्रपतन व नपुंसकता जैसी समस्याओं को दूर करने में कारगर है। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो सेक्स के समय बहुत जल्दी थक जाते हैं।

  • त्रिफला
    त्रिफला शरीर के पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है। जब पेट साफ और पाचन सही रहता है, तो यौन शक्ति भी बेहतर बनती है। यह थकान और कमज़ोरी को दूर करने में भी सहायक है।

  • कौंच बीज चूर्ण
    यह एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जो शुक्र धातु को मज़बूत करता है और वीर्य की गुणवत्ता व मात्रा को बढ़ाता है। नपुंसकता और यौन कमज़ोरी में यह चूर्ण एक असरदार उपाय माना जाता है।

  • तुलसी के बीज (सब्जा सीड्स)
    ये बीज रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और पेनिस तक खून की आपूर्ति में मदद करते हैं। इसके साथ ही यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता (fertility) बढ़ाने में भी लाभकारी है।

  • शतावरी
    यह एक ऐसी औषधि है जो शरीर में शुक्र धातु को पोषण देती है और टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में मदद करती है। यह इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के साथ-साथ इनफर्टिलिटी की समस्या में भी कारगर मानी जाती है।

इन सभी हर्बल औषधियों का सेवन अगर आयुर्वेदाचार्य की सलाह और सही जीवनशैली के साथ किया जाए, तो आपको स्थायी और सुरक्षित लाभ मिल सकता है।

FAQs

हाँ, आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है। यह सिर्फ लक्षणों पर नहीं, बल्कि समस्या की जड़ पर काम करता है। आयुर्वेद में हर्बल दवाएँ, खानपान और जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए धीरे-धीरे शरीर की ताकत और शुक्र धातु को मज़बूत किया जाता है।

अश्वगंधा, शिलाजीत, सफेद मूसली, कौंच बीज और शतावरी जैसी दवाएँ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन में बेहद असरदार मानी जाती हैं। ये दवाएँ शुद्ध हर्बल होती हैं और शरीर की ताकत, ऊर्जा और यौन क्षमता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने का काम करती हैं।

शिलाजीत को पुरुषों के लिए सबसे शक्तिशाली दवाओं में गिना जाता है। यह शरीर की गहराई से कमज़ोरी को ठीक करता है, यौन शक्ति बढ़ाता है और लंबे समय तक ताकत बनाए रखने में मदद करता है।

बिलकुल, मानसिक तनाव, चिंता और आत्मविश्वास की कमी इसका एक बड़ा कारण है। आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय जैसे ध्यान (meditation), योग और ब्राह्मी जैसी हर्ब्स हैं जो मानसिक शक्ति को बढ़ाते हैं।

अश्वगंधा, सफेद मूसली और कौंच बीज मर्दाना ताकत बढ़ाने में मदद करते हैं। ये हर्ब्स शरीर को अंदर से पोषण देते हैं और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार करते हैं, जिससे यौन शक्ति भी बढ़ती है।

नहीं, यह एक गलतफहमी है। आजकल तनाव, थकान, गलत खानपान और मानसिक चिंता के कारण युवा पुरुष भी इस समस्या का सामना कर रहे हैं। सही समय पर पहचान और इलाज ज़रूरी है।

घरेलू रूप से शुद्ध घी, किशमिश, खजूर और दूध का सेवन करें। साथ ही आयुर्वेदिक औषधियों जैसे शिलाजीत और सफेद मूसली को अपनी डाइट में शामिल करें। ये चीज़ें शरीर की ऊर्जा और यौन ताकत दोनों को बढ़ाती हैं।

अगर समय रहते इलाज शुरू किया जाए और जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव किए जाएँ, तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद में ऐसे कई इलाज मौजूद हैं जो इसे जड़ से खत्म करने में सक्षम हैं।

असली और शुद्ध आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, खासकर जब आप उन्हें योग्य वैद्य की सलाह से लेते हैं। ये दवाएँ शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया को संतुलित करती हैं।

अश्वगंधा, शतावरी और तुलसी के बीज जैसे आयुर्वेदिक हर्ब्स का सेवन करें। इसके अलावा, दूध, घी, ड्राई फ्रूट्स और ताज़े फल भी खून का प्रवाह बेहतर करते हैं, जिससे इरेक्शन में सुधार होता है।

हाँ, हल्की फुलकी एक्सरसाइज़, प्राणायाम और योग करने से शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जो इरेक्शन में मदद करता है। इसके साथ-साथ मानसिक तनाव भी कम होता है, जो इस समस्या की एक बड़ी वजह है।

जी हाँ, आयुर्वेद के अनुसार अगर आपका पाचन कमज़ोर है तो शरीर पोषण नहीं ले पाता, जिससे शुक्र धातु कमज़ोर हो जाती है। त्रिफला और सही खानपान से पाचन सुधरता है और यौन शक्ति में सुधार आता है।

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