Diseases Search
Close Button

Stay Healthy with Ayurveda

Search Icon

दर्द की कहानी

जोड़ों का दर्द आपके जीवन पर बुरा असर डालता है। यह दर्द ना सिर्फ चलने फिरने में दिक्कत देता है बल्कि यह आपके सामाजिक, व्यवसायिक और व्यक्तिगत जीवन को भी नुकसान पहुंचाता है। जोड़ों के दर्द को लेकर बेपरवाह मत रहिए। जितनी जल्दी आप आयुर्वेदिक उपचार लेंगे उतने ही बेहतर परिणाम आपको मिलेंगे।

उम्र के 40 वें दशक में कॉरपोरेट एक्जिक्यूटिव सौरभ को सर्दियों के एक रविवार की सुबह घुटनों में ज़बरदस्त दर्द महसूस हुआ। उन्होंने अपने 10 साल के बच्चे को पिकनिक पर ले जाने का वादा किया था लेकिन उन्हें अगले हफ्ते या उससे भी ज्यादा दिनों के लिए रुकना पड़ा। उनका बेटा राहुल इस बात से ज़रूर दुखी हुआ होगा कि उसके पिता सप्ताहांत में उसे पिकनिक ले जाने का वादा नहीं निभा सके। हलांकि राहुल के लिए यह नया नहीं था, उसे तो अपने पिता का वादा ना निभा पाने की आदत सी हो गई थी। अपने काम और व्यवसायिक जीवन में ऊपर बढ़ने की दौड़ में शामिल सौरभ के पास अपने बेटे और पत्नी के लिए शायद ही वक्त था।

सौरभ का वज़न 90 किलो और लंबाई 5 फीट 9 इंच थी, उसका बीएमआई साधारण से ज्य़ादा था इसका मतलब साफ था कि वो मोटापे का शिकार था। डॉक्टर के पास जाकर उसे पता चला उसे गठिया है जो कि अक्सर वज़न को झेलने वाले जोड़ों में पाया जाता है। उसकी इस दर्द भरी स्थिति की वजह उसका मोटापा, उसकी जीवनशैली और खानपान था।

गठिया पर एक नजर

गठिया के लगभग 100 प्रकार होते हैं, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हल्के, कभी-कभी उठने वाले, जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ा दर्द होता है।

ऑस्थियोअर्थराइटिस

ऑस्थियोअर्थराइटिस जोड़ों से जुड़ी एक बीमारी है और यह सबसे पुराना और आमतौर पर होने वाला गठिया है। इसका लक्षण यह है कि इसमें जोड़ों की नर्म हड्डियों में गड़बड़ी आ जाती है। जोड़ों की नर्म हड्डियां दरअसल जोड़ों की हड्डियों के बीच की गद्दी के जैसी होती हैं। इन नर्म हड्डियों में गड़बड़ी होने से जोड़ों की बाकी हड्डियां आपस में टकराती हैं जिसकी वजह से दर्द होता है और चलने फिरने में दिक्कत आती है। ऑस्थियोअर्थराइटिस बहुत हल्का और बहुत गंभीर भी हो सकता है, यह अधेड़ उम्र और बुजुर्गों में आमतौर पर पाया जाता है। यह हाथों और वज़न को झेलने वाले जोड़ों जैसे घुटने, कूल्हे, पैर और रीढ़ पर असर डालता है। घास के बुखार की पहचान है सिरदर्द, आंखों और गले में खुजली, बहती नाक और छींक। एलर्जी तंत्रिका तंत्र के ज्यादा संवेदनशील होने की वजह से होती है। आयुर्वेद मानता है इन स्थितियों को खत्म करने के लिए आपको अपने शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना होगा।

ऑस्थियोअर्थराइटिस का कारण- आयुर्वेदिक नज़रिया

आयुर्वेद के मुताबिक ऑस्थियोअर्थराइटिस वात दोष के बढ़ने की वजह से होता है जिसको संधिवात भी कहते हैं। संधि का मतलब है जोड़ और वात का मतलब वात दोष से है। आयुर्वेद में वात का मतलब है हवा जो शरीर की गतिशीलता और दिमाग को नियंत्रित करती है। संधिवात की स्थिति की वजह है शरीर के अंदर संधि यानी जोड़ों में वात का बढ़ना। वात की प्रकृति रूखेपन की है, यह शरीर के हर हिस्से की तरलता को सोख लेता है। यह प्राकृतिक रूप से ही शरीर के लिए घातक है, इसलिए यह जोड़ों की नर्म हड्डियों और जोड़ों के बीच मौजूद तरल को कम करता है।

कैसे शुरू होता है ऑस्थियोअर्थराइटिस?

ऑस्थियोअर्थराइटिस तब उबरता है जब जोड़ों की नर्म हड्डियों पर असर पड़ता है या उनको किन्हीं और कारणों से नुकसान पहुंचता है। यह किसी चोट या साधारण कटने- छिलने की वजह से भी हो सकता है। रूखा सूखा, ठंडा या बासी खाना खाने, नींद में अनियमितता होने, ज्यादा यात्राएं करने, बहुत ठंडे और सूखे मौसम की वजह से ऑस्थियोअर्थराइटिस हो सकता है।

ऑस्थियोअर्थराइटिस तीन स्तरों पर बढ़ता है। यह जोड़ों की नर्म हड्डियों में बुरे असर के साथ शुरू होता है। दूसरे स्तर पर जब शरीर जोड़ों की नर्म हड्डियों को ठीक करने की कोशिश करता है तो असफल रहता है क्योंकि इसमें खून का सीधा संचार नहीं हो पाता है। अंत में जोड़ों की नर्म हड्डियों के नीचे मौजूद हड्डियां असाधारण रूप से कड़ी हो जाती हैं या मोटी हो

ऑस्थियोअर्थराइटिस के लक्षण

इडिमा यानि फुलाव- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हाथों, पंजों, एड़ी, पैरों में तरल की कमी की वजह से सूजन आ जाती है।

  • जोड़ों में दर्द
  • दर्द
  • कड़ापन और काम करने के दौरान या शरीर के गतिशील होने पर दर्द

सौरभ को ऑस्थियोअर्थराइटिस क्यों हुआ?

सौरभ को यह परेशानी उसकी गड़बड़ जीवनशैली, जीवन के प्रति गलत रवैया और अनियमित खानपान की आदत की वजह से हुई। कंपनी के एक नेशनल मार्केटिंग हेड होने की वजह से उन्हें महीने में आधे दिन तो यात्राओं में बिताने पड़ते थे, जिसमें वो कंपनी के व्यापार को बढ़ाने के लिए देश के अलग-अलग शहरों की शाखाओं में जाते थे। सुबह का नाश्ता तो जल्दबाजी में करना पड़ता था, दोपहर का खाना काम में ही बीत जाता था और रात के खाने का मजा तो वो थकान की वजह से ले ही नहीं पाते थे।

गर्मियों में वो पानी या जूस के बजाए डायट कोक को तरजीह देते थे क्योंकि वो फैशनेबल था। दिन में अपनी मीटिंग्स में व्यस्त रहने की वजह से वो मूत्रत्याग के लिए शौचालय भी जाने से बचते थे, यह उनकी आदत में शुमार हो गया था। ये अलग बात है कि वो ज्य़ादा यात्राएं करते थे लेकिन उनका काम आमतौर पर बैठे रहने वाला होता था और उन्हें योग या व्यायाम करने का समय भी कभी-कभी ही मिलता था। उनके मोटापे ने ही ऑस्थियोअर्थराइटिस को बढ़ने का मौका दिया।

सौरभ के मामले में थोड़ी बहुत आशाएं थीं क्योंकि वह विकसित स्तर पर नहीं थीं। अपने खानपान और जीवनशैली में थोड़े बदलाव लाकर और आयुर्वेदिक उपचार से सौरभ की स्थिति पूरी तरह से ठीक हो सकती थी। फिर भी कई मामलों में मरीज तभी आयुर्वेदिक उपचार लेते हैं जब बाकी सभी उपचारों से थक चुके होते हैं और बीमारी से दुर्बल हो जाते हैं। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वो शुरुआती स्तर पर ही आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें ताकि पूरा इलाज हो सके और निर्बलता ना आए।

  • ऑस्थियोअर्थराइटिस के आयुर्वेदिक कारण
  • ज्यादा मात्रा में रूखा, ठंडा और बासी भोजन
  • अनियमित नींद
  • शरीर की प्राकृतिक ज़रूरतों को दबाना
  • अत्यधिक ठंड और सूखा मौसम
  • मानसिक आघात

ऑस्थियोअर्थराइटिस से निपटने के लिए खानपान और जीवनशैली की सलाह

  • आसानी से पचने वाला भोजन लें जिसकी तासीर गर्म हो
  • जोड़ों का ज्यादा या कम इस्तेमाल दोनों ही जोड़ों के दर्द को बढ़ाते हैं, इसलिए रोज़ कुछ साधारण व्यायाम करें।
  • ऐसे व्यायाम करें जो जोड़ों के लिए आरामदायक हो जैसे टहलना,तैरना और योग
  • अपने वज़न को नियंत्रित रखें, ना वो ज्य़ादा हो ना कम -शरीर की प्राकृतिक ज़रूरतों जैसे डकार, मूत्रत्याग, गैस निकलने को न रोकें

घरेलू उपचार

  • सुबह-सुबह तिल के तेल को गर्म करके जकड़े हुए और दर्द भरे जोड़ों की मालिश करें। मालिश से इनमें जकड़ने की प्रक्रिया और जलन दूर होगी और खून का दौरा बढ़ेगा।
  • एक चम्मच मेथी को एक कप पानी में रातभर के लिए भिगोएं। अगली सुबह इसे अच्छी तरह मिला लें और पिएं।
  • अदरक की चाय बनाएं, अदरक के 10 से 12 टुकड़ें लें, दो चौथाई पानी में 5 मिनट तक उबालें, और फिर 10 से 15 मिनट तक भिगोकर रखें। इस चाय को पूरे दिन गर्मा गर्म पिएं।

जोड़ों के दर्द के लिए पंचकर्म उपचार

दर्द को दूर भगाने के लिए शरीर को विषमुक्त करने वाला पंचकर्म उपचार बहुत फायदेमंद होता है। जोड़ों के दर्द को नियंत्रित करने के लिए पंचकर्म उपचार की सलाह दी जाती है इसमें वस्ति, अभ्यंग, पोटली मालिश, पिझीचिल और स्वेदना शामिल हैं।

To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.

SHARE:

TAGS:

Comment

Be the first to comment.

Leave a Reply

Signup For Jiva Newsletter

Subscribe to the monthly Jiva Newsletter and get regular updates on Dr Chauhan's latest health videos, health & wellness tips, blogs and lots more.

Please fill your Name
Please fill your valid email
Book An Appointment Chat With Us