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क्या छोटे बच्चों के लिए आयुर्वेद फ़ायदेमंद है? जानिए उनकी उम्र के हिसाब से क्या सुरक्षित है

Information By Dr. Keshav Chauhan

क्या छोटे बच्चों के लिए आयुर्वेद फ़ायदेमंद है? जानिए उनकी उम्र के हिसाब से क्या सुरक्षित है

भारत के राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS‑5, 2019‑21) के अनुसार, भारत में 12 से 23 महीने की उम्र के बच्चों में पूरा टीकाकरण पाने वाले बच्चों की संख्या करीब 76.8% है। यानी लगभग हर चार में से तीन बच्चे उन आवश्यक टीकों से सुरक्षित हो पाते हैं, जो उनकी प्रारंभिक प्रतिरक्षा को मज़बूत करते हैं।

जब देश में जन‑स्वास्थ्य सेवाएँ टीकाकरण जैसी वैज्ञानिक पद्धतियों से मिली हैं, तब आप सोच सकते हैं कि आयुर्वेद, जो सदियों से हमारे पास है, छोटे बच्चों में प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य संवर्धन में कैसा योगदान दे सकता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:

  • क्या सचमुच आयुर्वेद छोटे बच्चों के लिए फ़ायदेमंद है?

  • उनकी उम्र (जैसे नवजात, 2‑6 वर्ष, और 6‑12 वर्ष) के हिसाब से क्या सुरक्षित उपाय हैं?

  • कौन‑से घरेलू नुस्ख़े और सप्लिमेंट किस उम्र में दी जा सकती है?

  • कौन‑सी सावधानियाँ बरतनी ज़रूरी हैं?

आखिर क्यों ज़रूरी है बच्चों के लिए आयुर्वेदिक देखभाल? (Why is Ayurvedic Care Necessary for Children?)

बचपन वो समय होता है जब शरीर की नींव रखी जाती है — शारीरिक, मानसिक और रोग-प्रतिरोधक क्षमता की। आज के समय में बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत कुछ झेलता है जैसे बार-बार बदलता मौसम, बाहर का खाना, स्क्रीन टाइम, नींद की कमी और बढ़ता प्रदूषण। इन सबका असर सीधे उनकी सेहत पर पड़ता है।

ऐसे में आयुर्वेद एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जो बच्चों के शरीर की अंदरूनी ताकत को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें किसी बीमारी के लक्षण दबाने के बजाय उसकी जड़ पर काम किया जाता है। यही वजह है कि आप अगर समय पर बच्चों के लिए सही आयुर्वेदिक देखभाल अपनाते हैं, तो उनका शरीर छोटी-मोटी बीमारियों से खुद लड़ने में सक्षम बन सकता है।

आयुर्वेद बच्चों की देखभाल में इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि:

  • यह सिर्फ शरीर नहीं, मन और व्यवहार पर भी असर डालता है।

  • बच्चे की पाचन क्षमता को सुधारता है, जिससे खाने से पूरा पोषण मिलता है।

  • नींद, भूख और ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

  • बिना किसी केमिकल या साइड इफेक्ट के काम करता है।

क्या आयुर्वेद छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित है? (Is Ayurveda Safe for Children?)

यह एक बहुत आम और ज़रूरी सवाल है, और इसका जवाब है: हाँ, लेकिन सावधानी के साथ।

कुछ आयुर्वेदिक दवाएँ पारंपरिक जड़ी-बूटियों के साथ विशेष खनिज तत्वों से भी बनाई जाती हैं, जिन्हें बहुत सावधानी और जीवा के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार देना ज़रूरी होता है, खासकर बच्चों को।

इसलिए अगर आप अपने बच्चे को कोई आयुर्वेदिक दवा या नुस्खा देने की सोच रहे हैं, तो यह बहुत ज़रूरी है कि:

  • आप उसे बिना जीवा के विशेषज्ञ की सलाह के न दें।

  • बच्चे की उम्र के हिसाब से डोज़ और मात्रा का सख्ती से पालन करें।

  • खासकर दो साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी घरेलू या आयुर्वेदिक नुस्खा देने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।

याद रखिए, आयुर्वेद “प्राकृतिक” है, लेकिन “सुरक्षित” तभी है जब उसका सही तरीके से उपयोग हो।

कौन-कौन सी आयुर्वेदिक दवाएँ बच्चों के लिए फ़ायदेमंद मानी जाती हैं? (Which Ayurvedic Medicines are Beneficial for Children?)

अगर आप सोच रहे हैं कि बच्चों के लिए कौन‑कौन सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ या दवाएँ उपयोगी हैं, तो नीचे कुछ ऐसे नाम दिए गए हैं जो आयुर्वेद में बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता, पाचन और मानसिक विकास के लिए मानी जाती हैं:

  • आंवला (Amla): यह विटामिन C से भरपूर होता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है। च्यवनप्राश में इसका मुख्य रूप से उपयोग होता है।

  • अश्वगंधा (Ashwagandha): यह बच्चों के मानसिक तनाव, नींद और विकास में मदद करता है। आप इसे शहद के साथ कम मात्रा में दे सकते हैं (लेकिन विशेषज्ञ से पूछने के बाद ही)।

  • तुलसी (Tulsi): यह सर्दी, खाँसी और गले की खराश में बेहद असरदार है। तुलसी का अर्क या कुछ पत्तियाँ पानी में उबालकर देना बच्चों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।

  • गिलोय (Giloy): इसे अमृता भी कहा जाता है। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है और इम्यून सिस्टम को एक्टिव बनाता है।

  • ब्राह्मी (Brahmi): यह दिमागी विकास और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है। बच्चों की पढ़ाई और याददाश्त के लिए इसे आयुर्वेदिक सप्लिमेंट्स में मिलाया जाता है।

  • मुलेठी (Mulethi): गले की खराश और खाँसी के लिए लाभकारी है। इसका उपयोग सिरप या चूर्ण के रूप में किया जाता है।

इन सभी जड़ी-बूटियों का उपयोग बच्चों के लिए अलग-अलग उम्र में अलग मात्रा में किया जाता है। इसलिए कभी भी किसी दवा या चूर्ण का उपयोग सिर्फ इंटरनेट देखकर न करें। पहले जीवा के अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।

बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कौन से आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाए जा सकते हैं? (Which Ayurvedic Remedies Help Improve Immunity of Children?)

आजकल बदलते मौसम, स्कूल में बढ़ते संक्रमण और फास्ट फूड जैसी आदतों की वजह से बच्चे बार-बार बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में आप घर पर ही कुछ आसान आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर उनके शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बना सकते हैं।

1. हल्दी और शहद का पेस्ट

जैसे ही बच्चे को सर्दी या गला खराब होने के लक्षण दिखें, आप उसे कच्चे शहद और हल्दी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर बना हुआ पेस्ट दे सकते हैं। इसमें चुटकी भर काली मिर्च मिला देने से यह और असरदार हो जाता है।
ध्यान दें: यह नुस्खा 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए ही सुरक्षित है।

2. सौंफ की चाय

अगर आपके बच्चे को पेट दर्द, गैस या सूजन की शिकायत है, तो आप सौंफ को उबालकर बनाई गई हल्की चाय दे सकते हैं। यह पाचन को ठीक करती है और गैस की समस्या को भी कम करती है।

3. अदरक की हल्की चाय

कब्ज़ या अपच की समस्या हो तो बहुत कम मात्रा में अदरक की चाय दी जा सकती है। यह पेट को साफ करती है और भूख भी बढ़ाती है।

4. तुलसी का काढ़ा

तुलसी के कुछ पत्ते, थोड़ी सौंठ और गुड़ डालकर बना काढ़ा बच्चों को हल्की सर्दी या बुखार में राहत देने का काम करता है। ज़्यादा मात्रा में न दें और स्वाद के अनुसार गुड़ मिलाएँ।

5. अश्वगंधा और शहद

अगर बच्चा मानसिक तनाव, बेचैनी या नींद की कमी से जूझ रहा है, तो बहुत कम मात्रा में अश्वगंधा चूर्ण को शहद में मिलाकर रात को सोने से पहले दिया जा सकता है। यह आरामदेह नींद लाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

इन सभी नुस्खों को देने से पहले अपने नज़दीकी जीवा चिकित्सक से सलाह लेना ज़रूरी है ताकि सही मात्रा और समय तय किया जा सके।

छोटे बच्चों को आयुर्वेदिक दवाएँ देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (What to Keep in Mind When Giving Ayurvedic Medicines to Children?)

जब बात छोटे बच्चों की हो, तो कोई भी उपाय अपनाने से पहले सावधानी सबसे ज़रूरी होती है। क्योंकि बच्चों का शरीर बहुत संवेदनशील होता है और हर चीज़ उन पर वयस्कों की तरह असर नहीं करती।

यह बातें आपको ध्यान में रखनी चाहिए:

  • उम्र का खास ध्यान रखें: दो साल से कम उम्र के बच्चों को कोई भी घरेलू नुस्खा या आयुर्वेदिक दवा देने से पहले जीवा के डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। इस उम्र में उनकी पाचन शक्ति और शरीर की सहनशक्ति बहुत सीमित होती है।

  • डोज़ हमेशा कम रखें: बच्चों के लिए दवा या चूर्ण की मात्रा बहुत कम होनी चाहिए। अधिक देने से शरीर पर उल्टा असर पड़ सकता है।

  • कभी भी खुद से कुछ न दें: चाहे इंटरनेट पर कितना भी असरदार नुस्खा लिखा हो, बिना विशेषज्ञ से पूछे कभी भी अपने बच्चे को कुछ न दें।

  • पैक्ड आयुर्वेदिक सप्लिमेंट भी डॉक्टर की सलाह से ही दें: आजकल मार्केट में कई तरह के बच्चों के लिए सप्लिमेंट आते हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने का दावा करते हैं। लेकिन हर बच्चे की ज़रूरत अलग होती है, इसलिए केवल प्रचार देखकर कुछ भी शुरू न करें।

बच्चों की बेहतर विकास में आयुर्वेद कैसे मदद करता है? (How Does Ayurveda Help in Your Child’s Growth?)

आयुर्वेद सिर्फ बीमारियों से लड़ने की बात नहीं करता, बल्कि यह शरीर के संपूर्ण विकास को महत्व देता है — शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक।

अगर आप चाहें कि आपका बच्चा अच्छे से खाए, सही समय पर सोए, मन से पढ़ाई करे और खेलने में भी ऊर्जा से भरपूर रहे, तो आयुर्वेदिक दिनचर्या और जड़ी-बूटियाँ इसमें काफ़ी मदद कर सकती हैं।

यहाँ जानिए आयुर्वेद कैसे असर करता है:

  • शारीरिक विकास में सहायक: आंवला, अश्वगंधा और गिलोय जैसे तत्व बच्चों की हड्डियों, मांसपेशियों और प्रतिरक्षा को मज़बूत बनाते हैं।

  • मानसिक विकास में सहायक: ब्राह्मी और शंखपुष्पी जैसी जड़ी-बूटियाँ एकाग्रता और याददाश्त को बढ़ाने में उपयोगी मानी जाती हैं।

  • पाचन में सुधार: जब बच्चे का पाचन अच्छा होता है, तो वह खाया हुआ भोजन पूरी तरह से शरीर में लगता है, जिससे वज़न और ऊँचाई दोनों में सही विकास होता है।

आप अगर अपने बच्चे की दिनचर्या में थोड़े-थोड़े आयुर्वेदिक उपाय शामिल करते हैं, जैसे सुबह गुनगुना पानी, हल्दी वाला दूध, समय पर सोना-जागना और मौसम अनुसार आहार, तो आप उसके भीतर एक प्राकृतिक स्वास्थ्य ढाँचा तैयार कर सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

आप अपने बच्चे को दवाओं से बचाकर प्राकृतिक तरीकों से स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो आयुर्वेद एक शानदार रास्ता हो सकता है। जब छोटे-छोटे घरेलू नुस्खे, सही दिनचर्या और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सही उपयोग से बच्चा कम बीमार पड़े, अच्छा खाए‑पीए, बेहतर नींद ले और ऊर्जा से भरपूर रहे, तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है?

लेकिन याद रखें, हर बच्चा अलग होता है और उसकी उम्र, शारीरिक क्षमता और ज़रूरतें भी अलग होती हैं। इसलिए कोई भी उपाय अपनाने से पहले सही सलाह ज़रूरी है। गलत मात्रा या बिना जानकारी के दिया गया कोई भी घरेलू उपाय नुकसान भी कर सकता है।

अगर आप अपने बच्चे की सेहत को लेकर गंभीर हैं, तो एक बार जीवा के विशेषज्ञ की राय ज़रूर लें। हमारे अनुभवी और प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से आज ही संपर्क करें — 0129-4264323 पर कॉल करें।

FAQs

क्या आयुर्वेद बच्चों के लिए सुरक्षित है?

अगर आप सही मात्रा, उम्र और जीवा के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार आयुर्वेद अपनाते हैं, तो यह बच्चों के लिए सुरक्षित होता है। बिना सलाह के कुछ भी न दें।

बच्चों को बोलने में दिक्कत के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या हैं?

ब्राह्मी, शंखपुष्पी और वाचा जैसी जड़ी-बूटियाँ मस्तिष्क और वाणी विकास में मदद कर सकती हैं। लेकिन उपचार से पहले जीवा के विशेषज्ञ की सलाह ज़रूरी है।

बच्चों के लिए सबसे अच्छा स्वस्थ पेय कौन सा है?

आंवला-शहद का पानी, तुलसी-गिलोय काढ़ा या बादाम वाला दूध बच्चों के लिए पौष्टिक पेय हैं। इन्हें स्वाद और उम्र के अनुसार दिया जा सकता है।

क्या बच्चों की एकाग्रता बढ़ाने में आयुर्वेद मदद करता है?

हाँ, ब्राह्मी, मंडूकपर्णी और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियाँ बच्चों की याददाश्त और एकाग्रता को बेहतर बनाने में असरदार होती हैं।

क्या बच्चों में बार-बार खाँसी सर्दी होने पर आयुर्वेद अपनाना ठीक है?

अगर बच्चा बार-बार बीमार पड़ता है, तो तुलसी, मुलेठी और हल्दी जैसे उपाय इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। लेकिन लंबे समय तक लक्षण दिखें तो जीवा के डॉक्टर से ज़रूर मिलें।

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