भारत में थायरॉइड संबंधी विकार तेज़ी से बढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, विभिन्न अध्ययनों के अनुमान बताते हैं कि भारत में लगभग 42 मिलियन लोग थायरॉइड विकारों से प्रभावित हैं।
जब आप अपनी सक्रिय ज़िंदगी, बदलते आहार, तनाव और जीवनशैली की ओर देखते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि थायरॉइड सिर्फ एक ग्लैंड की समस्या नहीं है — यह आपके पूरे शरीर के हॉर्मोन बैलेंस, ऊर्जा स्तर, वज़न नियंत्रण और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में आप जानेंगे कि कैसे आयुर्वेद के सिद्धांत और सरल उपाय मिलकर थायरॉइड के समस्या-मूल कारणों को संबोधित कर सकते हैं, ताकि आप हॉर्मोन बैलेंस करने की दिशा में अग्रसर हो सकें।
थायरॉइड क्या है और यह आपके शरीर में कैसे असर करता है?
आपके शरीर में कई ग्रंथियाँ (glands) होती हैं जो अलग-अलग हॉर्मोन बनाती हैं। इन्हीं में से एक है थायरॉइड ग्लैंड, जो आपके गले के सामने के हिस्से में तितली के आकार की एक छोटी-सी ग्रंथि होती है। यह छोटी ज़रूर है, लेकिन इसका काम बहुत बड़ा है।
थायरॉइड ग्लैंड आपके शरीर के मेटाबॉलिज़्म यानी ऊर्जा बनाने और खर्च करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती है। जब यह ग्लैंड सही मात्रा में थायरॉइड हॉर्मोन (T3 और T4) बनाती है, तो आपका शरीर संतुलित गति से चलता है—मतलब आप चुस्त महसूस करते हैं, वज़न सामान्य रहता है, दिल की धड़कन स्थिर रहती है और मन शांत रहता है।
लेकिन अगर इस ग्लैंड की कार्यप्रणाली में गड़बड़ी आ जाए, तो यही हॉर्मोन या तो कम बनते हैं या ज़्यादा। इसका असर पूरे शरीर पर दिखने लगता है।
थायरॉइड हॉर्मोन का काम क्या होता है?
थायरॉइड हॉर्मोन शरीर के लगभग हर अंग के कार्य को प्रभावित करता है, जैसे—
- शरीर में ऊर्जा बनाने की गति तय करता है
- दिल की धड़कन और रक्तचाप को संतुलित रखता है
- शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखता है
- मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सही काम में मदद करता है
- पाचन शक्ति और वज़न संतुलन में भूमिका निभाता है
जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो आप कई तरह के लक्षण महसूस कर सकते हैं।
थायरॉइड की गड़बड़ी के सामान्य लक्षण
आपको यह जानना ज़रूरी है कि थायरॉइड की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआत में इसके लक्षण मामूली लग सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हॉर्मोन का असंतुलन बढ़ता है, शरीर इसके संकेत देने लगता है, जैसे—
- अचानक वज़न बढ़ना या घटना
- लगातार थकान या सुस्ती रहना
- ठंड या गर्मी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाना
- बाल झड़ना और त्वचा का रूखापन
- मनोभाव में बदलाव — चिड़चिड़ापन, बेचैनी या उदासी
- दिल की धड़कन तेज़ होना या धीमी पड़ना
- मासिक धर्म में अनियमितता (महिलाओं में)
अगर आप इन लक्षणों में से कई को महसूस कर रहे हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपके थायरॉइड ग्लैंड को ध्यान देने की ज़रूरत है।
थायरॉइड के दो प्रकार – हाइपो और हाइपर, इनमें फर्क कैसे समझें?
हाँ, थायरॉइड की गड़बड़ी आम तौर पर दो रूपों में देखी जाती है — हाइपोथायरॉइडिज़्म और हाइपरथायरॉइडिज़्म। दोनों में अंतर बस इतना है कि एक में हॉर्मोन की कमी होती है, और दूसरे में अधिकता।
1. हाइपोथायरॉइडिज़्म (Hypothyroidism) — जब थायरॉइड सुस्त हो जाता है
इस स्थिति में आपका थायरॉइड ग्लैंड पर्याप्त हॉर्मोन नहीं बना पाता। इसके कारण शरीर की गति धीमी पड़ जाती है। आप अक्सर थके-थके रहते हैं और वज़न बढ़ने लगता है।
मुख्य लक्षण:
- लगातार थकान या नींद आना
- ठंड ज़्यादा लगना
- कब्ज़ रहना
- चेहरे या पैरों में सूजन
- त्वचा का रूखापन
- बाल झड़ना
- वज़न बढ़ना, जबकि खाने की मात्रा सामान्य हो
- मन का उदास रहना या डिप्रेशन जैसी स्थिति
महिलाओं में विशेष लक्षण:
- मासिक धर्म का असंतुलन या अत्यधिक रक्तस्राव
- गर्भधारण में कठिनाई
पुरुषों में विशेष लक्षण:
- कामेच्छा (sexual drive) में कमी
- मांसपेशियों में कमज़ोरी
2. हाइपरथायरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism) — जब थायरॉइड ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय हो जाता है
इस स्थिति में थायरॉइड हॉर्मोन ज़रूरत से ज़्यादा बनता है, जिससे शरीर की गतिविधियाँ तेज़ हो जाती हैं।
मुख्य लक्षण:
- वज़न तेज़ी से कम होना, भले ही आप ज़्यादा खा रहे हों
- दिल की धड़कन का तेज़ होना
- चिड़चिड़ापन या घबराहट
- हाथों में कंपन (काँपना)
- नींद न आना
- गर्मी बर्दाश्त न होना या बहुत पसीना आना
- आँखों का उभरना या सूजन
महिलाओं में विशेष लक्षण:
- पीरियड्स का अनियमित होना या बंद होना
अगर आप इनमें से कोई लक्षण लगातार महसूस कर रहे हैं, तो यह संकेत है कि आपको अपना थायरॉइड टेस्ट (TSH, T3, T4) करवाना चाहिए।
क्या थायरॉइड को आयुर्वेदिक तरीके से जड़ से ठीक किया जा सकता है?
यह सवाल बहुत से लोगों के मन में होता है — क्या थायरॉइड का इलाज बिना दवा, केवल प्राकृतिक तरीकों से संभव है?
आयुर्वेद इस सवाल का उत्तर बहुत संतुलित दृष्टिकोण से देता है। आयुर्वेद कहता है कि किसी भी बीमारी को “जड़ से खत्म” करने के लिए हमें उसकी जड़ वजह को समझना होगा।
आयुर्वेद की दृष्टि से थायरॉइड रोग
आयुर्वेद में थायरॉइड को किसी एक नाम से नहीं, बल्कि “गलगंड, कफ-वात विकार” या “अग्निमांद्य” के रूप में समझाया गया है। यह तब होता है जब शरीर का अग्नि (पाचन शक्ति) कमज़ोर हो जाती है और आम (टॉक्सिन) बनने लगता है। यह आम शरीर में जमा होकर ग्रंथियों के काम में बाधा डालता है — जिससे हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।
इसलिए आयुर्वेद में थायरॉइड का इलाज केवल लक्षणों को दबाने का नहीं, बल्कि पूरे शरीर की सफाई और संतुलन को बहाल करने का होता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण क्या कहता है?
आयुर्वेद के अनुसार, थायरॉइड का मूल कारण है —
- दोषों का असंतुलन: विशेषकर वात और कफ दोष
- अग्नि का मंद होना (कमज़ोर पाचन शक्ति)
- आम (विषैले तत्व) का संचय
- तनाव और अनियमित दिनचर्या
इन कारणों को ठीक करने के लिए आयुर्वेद शरीर की “डीटॉक्स प्रक्रिया” यानी पंचकर्म, सही आहार-विहार और हर्बल दवाओं की मदद लेता है।
क्या आयुर्वेद थायरॉइड को पूरी तरह ठीक कर सकता है?
यह कहना गलत होगा कि आयुर्वेद हर थायरॉइड मरीज को “100% ठीक” कर देता है। लेकिन यह सच है कि अगर बीमारी शुरुआती स्तर पर है और आप अपनी जीवनशैली सुधारने के लिए तैयार हैं, तो आयुर्वेद शरीर की प्राकृतिक संतुलन शक्ति को सक्रिय कर सकता है। इससे हॉर्मोन बैलेंस बेहतर होता है और दवाओं की निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सकती है।
थायरॉइड के लिए आयुर्वेद क्या सलाह देता है?
- शरीर की सफाई और पाचन शक्ति को मज़बूत करने के लिए त्रिफला या हल्के हर्बल टॉनिक
- मानसिक शांति के लिए जटामांसी, ब्राह्मी
- हॉर्मोन बैलेंस के लिए अश्वगंधा, कांचनार, पुनर्नवा जैसी औषधियाँ
- तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान
- सुबह जल्दी उठना, धूप में समय बिताना और प्राकृतिक आहार अपनाना
एक ज़रूरी बात — सावधानी
अगर आप पहले से एलोपैथिक दवा (थायरॉक्सिन या अन्य) ले रहे हैं, तो उसे बिना डॉक्टर की सलाह के बंद न करें। आयुर्वेदिक इलाज और आधुनिक दवा को साथ में लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जीवा के योग्य वैद्य की सलाह लेना ज़रूरी है।
आयुर्वेद में हॉर्मोन बैलेंस (थायरॉइड) के लिए कौन-से सिद्धांत मददगार हैं?
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर तब तक स्वस्थ रहता है जब तक त्रिदोष — वात, पित्त और कफ संतुलन में रहते हैं। जब इनमें असंतुलन होता है, तब ही बीमारी पैदा होती है। थायरॉइड की समस्या भी इन्हीं दोषों के असंतुलन का परिणाम मानी जाती है, खासकर जब कफ और वात दोष बढ़ जाते हैं।
आयुर्वेद कहता है कि सिर्फ दवा लेने से बीमारी नहीं जाती, बल्कि आहार, दिनचर्या और मानसिक संतुलन सुधारने से ही शरीर अपनी प्राकृतिक हीलिंग क्षमता वापस पाता है।
त्रिदोष सिद्धांत और थायरॉइड
थायरॉइड रोग में शरीर का कफ दोष बढ़ जाता है, जिससे शरीर सुस्त और ठंडा महसूस करता है, वज़न बढ़ने लगता है और पाचन धीमा पड़ जाता है। वहीं वात दोष असंतुलित होने पर बेचैनी, नींद न आना और हृदय गति तेज़ होना जैसे लक्षण दिखते हैं।
इसलिए आयुर्वेद थायरॉइड में दोनों दोषों को संतुलित करने की सलाह देता है — न तो बहुत ठंडा आहार लें, न बहुत गर्म; न अत्यधिक आलस, न अधिक तनाव।
अग्नि (पाचन शक्ति) का संतुलन
आयुर्वेद का दूसरा प्रमुख सिद्धांत है “अग्नि का संतुलन”। जब पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है, तो शरीर में आम (विषैले पदार्थ) बनने लगता है, जो ग्रंथियों को प्रभावित करता है।
आपने देखा होगा, थायरॉइड के मरीजों को अक्सर कब्ज़, गैस और सुस्ती रहती है — यह सब अग्नि की कमी का संकेत है। इसलिए आयुर्वेद में थायरॉइड के लिए पहला कदम होता है पाचन शक्ति को ठीक करना।
अग्नि को मजबूत करने के सरल उपाय:
- सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएँ।
- भोजन समय पर करें और बीच-बीच में स्नैकिंग से बचें।
- रोज़ाना हल्का टहलना या योग करें।
- रात को बहुत भारी भोजन न करें।
आहार-विहार (जीवनशैली) का संतुलन
थायरॉइड केवल शरीर की नहीं, जीवनशैली की भी बीमारी है। इसलिए आयुर्वेद में “दिनचर्या और रातचर्या” का पालन बहुत ज़रूरी बताया गया है।
आप कुछ सरल आदतें अपनाएँ —
- सुबह जल्दी उठें और कुछ समय धूप में बिताएँ।
- तनाव से बचें, क्योंकि तनाव सीधे हॉर्मोन पर असर डालता है।
- मोबाइल या स्क्रीन पर देर रात तक जागना बंद करें।
- प्रतिदिन ध्यान या प्राणायाम करें ताकि मन शांत रहे।
आयुर्वेद कहता है कि जब मन शांत होता है, तो शरीर खुद-ब-खुद ठीक होने लगता है।
कौन-सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और नुस्खे थायरॉइड के लिए असरदार मानी जाती हैं?
आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियाँ हैं जो हॉर्मोनल असंतुलन को संतुलित करने, सूजन घटाने और मेटाबॉलिज़्म सुधारने में मदद करती हैं। अगर आप डॉक्टर की सलाह से इनका सेवन करते हैं, तो ये आपकी स्थिति में सुधार ला सकती हैं।
1. अश्वगंधा
अश्वगंधा को एडेप्टोजेनिक हर्ब कहा जाता है, यानी यह शरीर को हर स्थिति में संतुलित रखती है। यह थायरॉइड हॉर्मोन के उत्पादन को नियंत्रित करती है और तनाव को कम करती है।
कैसे लें: आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को रात में गुनगुने दूध के साथ लें।
सावधानी: उच्च रक्तचाप या गर्भवती महिलाएँ पहले वैद्य से परामर्श लें।
2. त्रिफला
थायरॉइड की गड़बड़ी में अक्सर पाचन कमज़ोर होता है। त्रिफला (आँवला, हरड़, बहेड़ा) पाचन को मजबूत करता है और शरीर से विषैले तत्व निकालता है।
कैसे लें: रोज़ रात को सोने से पहले आधा चम्मच त्रिफला गुनगुने पानी के साथ लें।
3. जटामांसी
तनाव, चिंता और अनिद्रा थायरॉइड को और खराब कर सकते हैं। जटामांसी मन को शांत रखती है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करती है।
कैसे लें: जटामांसी पाउडर को शहद या गुनगुने पानी के साथ दिन में एक बार लें।
4. मुलेठी
मुलेठी में पाए जाने वाले तत्व थायरॉइड ग्रंथि की सूजन को कम करते हैं और कोशिकाओं की रक्षा करते हैं।
कैसे लें: मुलेठी की जड़ को पानी में उबालकर दिन में एक बार सेवन करें।
सावधानी: उच्च रक्तचाप वाले मरीज इसका अत्यधिक सेवन न करें।
5. कांचनार और पुनर्नवा
आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल और पुनर्नवा दोनों का इस्तेमाल थायरॉइड ग्रंथि की सूजन और असंतुलन में किया जाता है। ये शरीर से अतिरिक्त कफ निकालने में मदद करते हैं।
कैसे लें: आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर कांचनार गुग्गुल या पुनर्नवा का काढ़ा लें।
6. तुलसी और एलोवेरा
तुलसी का रस और एलोवेरा मिलाकर पीने से शरीर में सूजन घटती है और मेटाबॉलिज़्म सुधरता है।
कैसे लें: दो चम्मच तुलसी रस में आधा चम्मच एलोवेरा रस मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
इन जड़ी-बूटियों का असर धीरे-धीरे दिखता है, लेकिन ये शरीर के अंदरूनी संतुलन को बहाल करने में मदद करती हैं।
रोज़मर्रा के भोजन से आप कैसे थायरॉइड हॉर्मोन बैलेंस कर सकते हैं? (आहारिक सुझाव)
थायरॉइड का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि सही भोजन से भी जुड़ा है। आप क्या खाते हैं, कब खाते हैं और कैसे खाते हैं — यह तीनों बातें आपके हॉर्मोन बैलेंस को प्रभावित करती हैं।
थायरॉइड के लिए लाभकारी खाद्य पदार्थ
अगर आप थायरॉइड को नियंत्रित रखना चाहते हैं, तो अपने भोजन में ये चीज़ें शामिल करें:
- प्रोटीन युक्त आहार: दालें, चना, मूंग, दूध, दही, अंडा — ये हॉर्मोन निर्माण में मदद करते हैं।
- आयोडीन: आयोडीन युक्त नमक, समुद्री सब्जियाँ या कभी-कभी समुद्री मछली (यदि आप खाते हैं)।
- विटामिन D: सुबह की धूप थायरॉइड और इम्यून सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद है।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: अलसी के बीज और अखरोट।
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ: पालक, मेथी, चौलाई — ये शरीर को पोषण देती हैं और सूजन कम करती हैं।
- नारियल तेल: यह मेटाबॉलिज़्म सुधारता है और शरीर को ऊर्जा देता है।
किन चीज़ों से बचें
- ग्लूटेन और चीनी: गेहूँ और चीनी से बने खाद्य पदार्थ सूजन बढ़ा सकते हैं।
- कैफीन: चाय, कॉफी और कोल्ड ड्रिंक हॉर्मोनल संतुलन बिगाड़ते हैं।
- ज्यादा प्रोसेस्ड फूड: पैकेट वाले स्नैक्स, फास्ट फूड या डीप फ्राइड चीज़ें थायरॉइड पर बोझ डालती हैं।
- सोया प्रोडक्ट्स का अत्यधिक सेवन: कुछ रिसर्च के अनुसार ज़्यादा सोया थायरॉइड दवा के असर को कम कर सकता है।
कुछ उपयोगी सुझाव
- भोजन को शांत मन से खाएँ, जल्दी-जल्दी न खाएँ।
- खाना हमेशा ताज़ा और घर का बना हो।
- खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलना पाचन के लिए फायदेमंद होता है।
घरेलू आसान उपाय कौन-से हैं जिन्हें आप रोज़ कर सकते हैं?
आयुर्वेद में ऐसे कई सरल घरेलू उपाय बताए गए हैं, जो थायरॉइड के लक्षणों को कम करने और हॉर्मोन संतुलन लाने में मदद करते हैं। ये नुस्खे आपकी दवा का विकल्प नहीं हैं, बल्कि पूरक उपचार (supportive therapy) की तरह काम करते हैं।
1. नारियल तेल
नारियल तेल में मौजूद फैटी एसिड्स थायरॉइड ग्लैंड की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।
कैसे उपयोग करें:
- रोज़ खाना पकाने में थोड़ा नारियल तेल इस्तेमाल करें।
- या सुबह एक चम्मच वर्जिन कोकोनट ऑयल गुनगुने पानी के साथ लें।
2. अलसी का चूर्ण
अलसी (Flaxseed) ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है, जो थायरॉइड हॉर्मोन को नियंत्रित करने में मदद करती है।
कैसे लें:
- एक चम्मच अलसी पाउडर सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें।
- चाहें तो इसे सलाद या दही में भी मिला सकते हैं।
3. हल्दी वाला दूध
हल्दी शरीर की सूजन को कम करती है और हॉर्मोनल असंतुलन में लाभ देती है।
कैसे लें:
- रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पिएँ।
4. अदरक की चाय
अदरक सूजनरोधी गुणों के लिए जानी जाती है और मेटाबॉलिज़्म को सुधारती है।
कैसे लें:
- पानी में 3–4 टुकड़े अदरक डालकर उबालें, फिर छानकर दिन में 1–2 बार पिएँ।
5. तुलसी और एलोवेरा रस
यह मिश्रण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और थायरॉइड की सूजन में आराम देता है।
कैसे लें:
- दो चम्मच तुलसी रस में आधा चम्मच एलोवेरा रस मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
6. धनिया पानी
हरी धनिया में मौजूद तत्व थायरॉइड हॉर्मोन को सामान्य करने में मदद करते हैं।
कैसे लें:
- हरी धनिया को पीसकर पानी में मिलाएँ और सुबह खाली पेट पिएँ।
ये सभी उपाय प्राकृतिक हैं और अगर आप इन्हें रोज़ाना दिनचर्या में शामिल करें, तो धीरे-धीरे शरीर का मेटाबॉलिज़्म और ऊर्जा स्तर बेहतर हो सकता है।
ध्यान रखें:
अगर आप किसी दवा पर हैं, तो इन घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक वैद्य से सलाह लें।
निष्कर्ष
थायरॉइड कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिससे डरना पड़े — यह एक संकेत है कि आपका शरीर संतुलन चाहता है। अगर आप अपने खाने, नींद, और सोचने की आदतों में थोड़ा सुधार लाएँ, तो आपका शरीर खुद ही ठीक होने की ताकत रखता है। आयुर्वेद का यही सिद्धांत है — शरीर, मन और आत्मा का संतुलन ही असली उपचार है।
थोड़ी धूप, शांत मन, सही आहार और कुछ सरल जड़ी-बूटियाँ आपके जीवन की दिशा बदल सकती हैं। याद रखिए, दवा तभी असर करती है जब जीवनशैली सही हो। अगर आप आज से ही खुद के लिए थोड़ा समय निकालना शुरू करें, तो धीरे-धीरे थायरॉइड के लक्षणों से राहत मिल सकती है और आपका शरीर फिर से अपनी प्राकृतिक लय पा सकता है।
अगर आप किसी भी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो आज ही हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से व्यक्तिगत परामर्श के लिए संपर्क करें। डायल करें: 0129-4264323
FAQs
- थायराइड जड़ से खत्म करने के लिए क्या खाना चाहिए?
आप अपने आहार में नारियल तेल, अलसी, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, दही, और विटामिन D से भरपूर चीज़ें शामिल करें। ये थायरॉइड को धीरे-धीरे संतुलित करने में मदद करते हैं।
- हार्मोनल असंतुलन के लिए कौन-सी आयुर्वेदिक दवा सबसे अच्छी है?
अश्वगंधा, कांचनार गुग्गुल, त्रिफला और जटामांसी जैसी जड़ी-बूटियाँ हॉर्मोनल संतुलन में असरदार मानी जाती हैं। इन्हें लेने से पहले किसी आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श करें।
- क्या थायरॉइड पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
अगर थायरॉइड शुरुआती अवस्था में है और आप अपनी दिनचर्या व आहार सुधारते हैं, तो आयुर्वेदिक उपचार से इसे काफी हद तक नियंत्रित और संतुलित किया जा सकता है।
- थायराइड का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
थायरॉइड का सबसे अच्छा इलाज वही है जो शरीर के संतुलन को बहाल करे — यानी दवा, सही आहार, तनाव नियंत्रण और नियमित दिनचर्या का संयोजन।
- कौन सा फल खाने से थायराइड कम होता है?
आँवला, सेब, पपीता और अनार जैसे फल थायरॉइड में मदद करते हैं। ये शरीर को एंटीऑक्सिडेंट और पोषण देते हैं जिससे हॉर्मोनल संतुलन बेहतर होता है।






























