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क्या हीटर के सामने ज़्यादा बैठना आपके वात दोष को बढ़ाता है? जानिए इसका जोड़ों और स्किन पर असर

Information By Dr. Keshav Chauhan

सर्दियों में हीटर आपको एक गहरी राहत देता है। ठंडी हवा के बीच जब आप हीटर के सामने बैठते हैं, तो शरीर में फैलने वाली गर्मी एक तरह की सुरक्षा जैसी महसूस होती है। कई लोग ऑफिस, घर और यहां तक कि सोते समय भी हीटर को पास रख लेते हैं क्योंकि इससे तुरंत आराम मिलता है। आप भी शायद यही सोचते होंगे कि ठंड से बचने का यह तरीका बिल्कुल आसान और सुरक्षित है।

लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि हीटर के सामने ज़्यादा बैठने पर त्वचा अचानक ज़्यादा रूखी हो जाती है, होंठ फटने लगते हैं या जोड़ों में हल्का दर्द शुरू हो जाता है। शुरुआत में यह सब मामूली लगता है, पर धीरे धीरे यह एहसास होता है कि शरीर की प्राकृतिक लय कुछ बिगड़ रही है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि हीटर के पास बैठने से हाथ पैर सुन्न से लगने लगते हैं या चलने फिरने में stiffness महसूस होती है।

आयुर्वेद इस पूरे अनुभव को वात दोष के असंतुलन के रूप में देखता है। यह बात सुनकर कई लोग चौंक जाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि गर्मी से वात कैसे बढ़ सकता है। वात तो ठंड और सूखेपन से बढ़ता है, यह तो सब जानते हैं। पर सच यह है कि हीटर की गर्म हवा भी शरीर में सुखापन और आंतरिक हल्कापन बढ़ाती है जिससे वात और अस्थिर हो जाता है। इसलिए हीटर की गर्मी बाहर से सुखद है, पर भीतर इसका असर पूरी तरह अलग कहानी लिखता है।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि हीटर के सामने ज़्यादा बैठने से वात दोष कैसे बढ़ता है, इसका असर आपके जोड़ों, त्वचा और मन पर क्या पड़ता है और आप किन सरल तरीकों से इस असंतुलन को रोक सकते हैं।

हीटर और वात दोष: गर्म हवा कैसे सूखापन और अस्थिरता बढ़ाती है

आयुर्वेद में वात वह दोष है जो शरीर की गति, तंत्रिका तंत्र और लचीलापन को नियंत्रित करता है। इसका स्वभाव स्वाभाविक रूप से ठंडा, हल्का और सूखा माना गया है। जब वात बढ़ता है, तो शरीर में रूखापन, stiffness और हल्का दर्द बढ़ने लगता है।

सर्दियों में वात पहले से ही तीव्र होता है। वातावरण ठंडा और सूखा होता है। ऐसे में जब आप हीटर के सामने बैठते हैं, तो आपको लगता है कि शरीर गर्म हो रहा है। लेकिन हीटर की हवा आपके आसपास की नमी सोख लेती है और वातावरण को और ज़्यादा सूखा बना देती है। इस सूखे वातावरण का सीधा असर आपकी त्वचा, श्वसन और जोड़ों पर पड़ता है। शरीर बाहर से गर्म महसूस करता है लेकिन अंदर से सूखने लगता है। यही सूखापन वात को और बढ़ा देता है।

आपने महसूस किया होगा कि हीटर के सामने बैठते ही

  • मुँह और गला जल्दी सूखने लगता है


  • होंठ फटने लगते हैं


  • त्वचा कुछ ही समय में खिंची हुई महसूस होती है


  • आंखों में जलन या हल्का सूखापन होने लगता है

इन सबका कारण हीटर की गर्म हवा से पैदा हुआ सूखापन है जो वात को बढ़ाता है।

हीटर जोड़ों पर कैसे असर डालता है

जब वात बढ़ता है, तो सबसे पहले उसके असर जोड़ों पर दिखाई देते हैं। यह असर इतना धीरे आता है कि लोग इसे ठंड या उम्र का लक्षण समझ लेते हैं। लेकिन अगर आप नियमित रूप से हीटर के सामने बैठते हैं, तो आपको ये संकेत दिख सकते हैं

  • घुटनों में हल्का दर्द


  • सुबह उठते समय stiffness


  • लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर अकड़न


  • हाथ पैरों के जोड़ सुन्न महसूस होना

वात बढ़ने पर शरीर की चिकनाई कम होती है। जोड़ों के भीतर synovial fluid की नमी भी घटने लगती है, जिससे जोड़ों में खिंचाव महसूस होता है। हीटर की गर्म हवा शरीर को अंदर से सूखा बनाती है, जिससे यह प्रक्रिया तेज़ हो जाती है।

आयुर्वेद में वात वृद्धि का मतलब सिर्फ दर्द या stiffness ही नहीं होता। इसका मतलब शरीर में अस्थिरता भी बढ़ जाती है। इसलिए हीटर के पास समय बिताने के बाद कई लोग कहते हैं कि अंग हल्के भारी लग रहे हैं या चलने में गति कम हो जाती है। यह सब वात असंतुलन के संकेत हैं।

त्वचा पर हीटर का असर: गर्मी बाहर से, सूखापन अंदर से

सर्दियों में त्वचा वैसे ही नमी खो देती है। हीटर उस नमी को और तेज़ी से कम करता है। आप जितना ज़्यादा हीटर के सामने बैठते हैं, त्वचा उतनी ही जल्दी moisture खोने लगती है। इसका असर कुछ घंटों में महसूस हो सकता है।

हीटर के प्रभाव से त्वचा में यह बदलाव दिख सकते हैं

  • खिंचाव महसूस होना


  • चेहरा dull और dehydrated लगना


  • हाथ पैरों में पपड़ी उठना


  • एक समान टोन गायब होना


  • शुरुआती fine lines का उभरना


कुछ लोग यह भी कहते हैं कि हीटर के बाद चेहरा गर्म तो लगता है, पर चमक गायब हो जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि गर्म हवा त्वचा के natural oils को खत्म कर देती है।

त्वचा पर इस तरह का सूखापन हीटर के पास रहने का सबसे आम प्रभाव है और यह भी वात वृद्धि का ही एक लक्षण है।

हीटर और शरीर का नमी संतुलन

हीटर का सबसे बड़ा छिपा हुआ प्रभाव यह है कि यह सिर्फ कमरे को नहीं, बल्कि आपके शरीर से भी नमी खींचता है। अगर आप दिनभर हीटर का इस्तेमाल करते हैं या उसके पास बैठते हैं, तो शरीर का जल संतुलन बिगड़ सकता है।

आप यह संकेत देखें

  • बार बार प्यास लगना


  • गला सूखना


  • त्वचा फटना


  • आंखों में सूखापन


  • सिर की स्कैल्प का रुखापन

ये संकेत बताते हैं कि शरीर में internal सूखापन बढ़ रहा है।

हीटर का श्वसन तंत्र पर असर: गर्मी बाहर की और सूखापन अंदर की

हीटर से निकलने वाली गर्म हवा कमरे की नमी खींच लेती है और यह नमी की कमी सीधे आपकी साँसों को प्रभावित करती है। कई लोग सर्दियों में अचानक साँस की भारीपन, सूखी खांसी या गले में जलन महसूस करने लगते हैं और उन्हें लगता है कि यह ठंड का असर है, जबकि बहुत बार यह हीटर की वजह से होता है।

हीटर हवा का तापमान तो बढ़ाता है, पर उसकी नमी नहीं बढ़ाता। नतीजा यह होता है कि हवा और भी सूखी बन जाती है। यह सूखा माहौल आपकी नाक, गले और फेफड़ों की मुलायम झिल्लियों को सुखा देता है। इस वजह से mucus की वह पतली परत जो साँस नलियों की रक्षा करती है, वह गाढ़ी होने लगती है। जब यह परत गाढ़ी होती है, तो गला भारी लगता है और हल्की सी खांसी बार बार आने लगती है।

अगर आप लंबे समय तक हीटर का इस्तेमाल करते हैं, तो शरीर इन संकेतों से आपको सावधान करता है

  • सुबह उठते ही गला खुरदुरा महसूस होना


  • नाक में सूखापन और जलन


  • बिना वजह सर्दियों में लगातार खांसी रहना


  • तेज़ गरम हवा लगने पर साँस का धीमा होना

आयुर्वेद में इसे वात और उष्णता दोनों के असंतुलन का मिला जुला परिणाम माना जाता है। बाहरी गर्मी और आंतरिक सूखापन मिलकर शरीर में अस्थिरता लाते हैं, और यह अस्थिरता श्वसन तंत्र को कमज़ोर कर देती है।

वात दोष बढ़ने पर नींद और मन भी प्रभावित होते हैं

वात सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी प्रभावित करता है। जब वात बढ़ता है, तो मन में बेचैनी, अस्थिरता और हल्की चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। कई लोग यह नहीं समझ पाते कि हीटर के सामने ज़्यादा बैठने के बाद उन्हें क्यों अचानक थकान, मूड स्विंग या हल्की चिंता महसूस होने लगती है।

हीटर शरीर में सूखापन बढ़ाता है। जब शरीर सूखता है, तो उसकी grounding क्षमता कम होती है। आयुर्वेद कहता है कि जब grounding कम होती है, तो मन की स्थिरता भी कम हो जाती है।

आप इन संकेतों को ध्यान से देखें

  • सोने में कठिनाई


  • नींद के दौरान बार बार उठना


  • बिना किसी कारण बेचैनी रहना


  • मन का जल्दी थक जाना


  • बात करते समय ध्यान भटकना

इस तरह की मानसिक थकान अक्सर वात के बढ़ने की ओर संकेत करती है। शरीर में गर्मी का भ्रम होता है, लेकिन अंदर से सूखापन और अस्थिरता बढ़ती रहती है।

हीटर और आपकी ऊर्जा: क्यों शरीर जल्दी थकने लगता है

कई लोग कहते हैं कि हीटर के सामने बैठने के बाद शरीर थोड़ा भारी लगने लगता है, और काम करने में मन नहीं लगता। यह लक्षण सिर्फ सुस्ती नहीं होता। यह संकेत है कि आपका प्राण और ऊर्जा संतुलन प्रभावित हो रहा है।

हीटर शरीर से बहुत तेज़ी से नमी निकालता है। जब नमी कम हो जाती है, तो ऊर्जा का प्रवाह बाधित होता है। शरीर थोड़े समय के लिए आराम जैसा महसूस करता है, लेकिन असल में यह ऊर्जा की कमी का संकेत होता है।

अगर आप रोज हीटर के पास बैठे रहते हैं, तो आपको यह अनुभव हो सकता है

  • थोड़े प्रयास पर ही थकान


  • सिर हल्का भारी होना


  • शरीर में stiffness


  • भूख कम होना


  • हल्की सुस्ती या आलस

ये वात वृद्धि और ऊर्जा असंतुलन के संकेत हैं।

हीटर और शरीर का ‘वात-शोष’ प्रभाव: एक छिपा हुआ खतरा

आयुर्वेद में एक शब्द है ‘वात-शोष’। इसका मतलब है कि शरीर में इतनी सूखापन बढ़ जाए कि कोशिकाओं का lubrication खत्म होने लगे। हीटर इस प्रक्रिया को तेज़ी से बढ़ाता है। वातावरण में नमी कम होने से शरीर का जल स्तर भी कम होता है और यह कमी सीधे त्वचा, जोड़ों, बालों और मानसिक ऊर्जा पर असर डालती है।

आप यह संकेत आसानी से पहचान सकते हैं

  • त्वचा बहुत जल्दी रूखी हो जाना


  • बालों में फ्रिज और टूटना


  • सिर दर्द


  • जोड़ों में खड़खड़ाहट


  • अचानक mood down होना

ये सब संकेत बताते हैं कि शरीर में शोष यानी सूखापन बढ़ रहा है।

हीटर के उपयोग से जुड़े छिपे जोखिम जिन पर लोग ध्यान नहीं देते

लोग हीटर को सुरक्षित मानते हैं क्योंकि यह बिजली से चलता है और आग की तरह धुआं नहीं देता। लेकिन इसके कुछ ऐसे hidden risks हैं जिन पर बहुत कम लोग सोचते हैं।

आप इन जोखिमों को समझें

  • शरीर का dehydration बढ़ना


  • घर के अंदर धूल और कणों का जमना


  • त्वचा में premature ageing की शुरुआत


  • नाक की झिल्ली में बार बार सूजन


  • जोड़ों का lubrication कम होना

अगर आप घंटों हीटर के सामने बैठते हैं, तो यह खतरे धीरे धीरे बढ़ते हैं। असली नुकसान यह है कि शरीर की चेतावनियां बहुत subtle होती हैं और इन्हें लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

हीटर और त्वचा पर सूक्ष्म असर: सिर्फ सूखापन नहीं, उससे आगे की कहानी

हीटर त्वचा की सबसे पतली सतह वाली नमी को तुरंत खत्म करता है। इससे skin barrier कमज़ोर होने लगता है। जब यह परत कमज़ोर होती है, तो

  • त्वचा ज़्यादा संवेदनशील होती है


  • हल्की जलन या itch उभर सकती है


  • पहले से मौजूद eczema या psoriasis जैसे condition बढ़ सकते हैं

यह सब वात के बढ़ने और त्वचा की natural shield के कमज़ोर होने का संकेत है।

हीटर का उपयोग कैसे करें ताकि वात न बढ़े

हीटर पूरी तरह छोड़ देना जरूरी नहीं है क्योंकि सर्दियों में इसकी जरूरत पड़ती ही है। समस्या केवल तब होती है जब आप इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं। अगर आप कुछ सरल आदतें अपना लें, तो हीटर का इस्तेमाल भी आराम देगा और वात भी असंतुलित नहीं होगा।

आप यह संतुलित उपाय अपनाएं

  • हीटर को हमेशा अपने शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें


  • सीधे अपने चेहरे या पैरों की ओर हवा न आने दें


  • कमरे में एक बर्तन में पानी रखें ताकि नमी संतुलित रहे


  • हीटर को लंबे समय तक लगातार न चलाएं


  • बीच बीच में खिड़की थोड़ी खोल दें ताकि हवा का प्रवाह बना रहे

इन आदतों से आपका शरीर गर्मी लेता है, लेकिन नमी नहीं खोता। यह वात को संतुलित रखने का सबसे सरल तरीका है।

त्वचा को सुरक्षित रखने के आयुर्वेदिक उपाय

हीटर का सबसे तेज़ असर त्वचा पर दिखता है। इसलिए त्वचा को नमी और पोषण देना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद त्वचा को सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि भीतर से भी मजबूत करने की सलाह देता है।

आप अपनी त्वचा को बचाने के लिए यह करें

  • नहाने से पहले तिल या नारियल तेल से अभ्यंग करें


  • चेहरे पर दिन में दो बार सौम्य moisturiser लगाएं


  • दिनभर थोड़ा थोड़ा जल पीते रहें


  • रात को नाभि में थोड़ा सा सरसों तेल लगाएं क्योंकि यह त्वचा की सूखापन कम करता है


  • होंठों पर घी या शहद की हल्की परत लगाएं


अभ्यंग विशेष रूप से वात को शांत करता है और त्वचा में सूक्‍ष्म नमी देता है। यह हीटर से होने वाले सूखापन को गहराई से रोकता है।

जोड़ों की देखभाल: हीटर की गर्मी से होने वाली stiffness को कैसे रोकें

जोड़ वात के बढ़ने पर सबसे पहले प्रभावित होते हैं। अगर आपकी दिनचर्या में हीटर का अधिक उपयोग शामिल है, तो आपको जोड़ों की extra care करनी चाहिए।

आप यह आदतें जोड़ें

  • घुटनों और टखनों पर गर्म तेल की हल्की मालिश करें


  • थोड़ी देर योग के हल्के आसन करें


  • लंबे समय तक एक जगह बैठने से बचें


  • कमरे की हवा बहुत सूखी न रहने दें


  • सुबह उठकर हल्का stretching करें


हीटर के पास बैठने के बाद इन आदतों से जोड़ों में lubrication लौटता है और stiffness कम होती है।

आयुर्वेदिक पेय जो शरीर का सूखापन घटाते हैं

जब हीटर शरीर से नमी निकालता है, तो उसे वापस भीतर से देना भी उतना ही जरूरी होता है। कुछ आयुर्वेदिक पेय शरीर में स्नेह, गर्माहट और hydration वापस लाते हैं।

आप यह पेय शामिल कर सकते हैं

  • अदरक, गिलोय और तुलसी का हल्का काढ़ा


  • हल्दी वाला गुनगुना दूध


  • शहद और दालचीनी का हल्का पेय


  • सौंफ, धनिया और जीरे का जल

ये पेय शरीर में नमी बढ़ाते हैं और वात को शांत रखते हैं।

हीटर के इस्तेमाल के दौरान दैनिक बचाव आदतें

सर्दियों में हीटर कई बार मजबूरी होता है, पर अगर आपकी दिनचर्या में संतुलन है, तो वात असंतुलित नहीं होगा। शरीर के हर हिस्से को थोड़ी extra care की जरूरत होती है।

आप इन आदतों को रोज शामिल कर सकते हैं

  • कमरे में नमी बनाए रखने के लिए पानी का छोटा बर्तन रखें


  • दिन में एक बार अभ्यंग करें


  • साँसों को नम रखने के लिए भाप नहीं, हल्का जल सेवन करें


  • बहुत अधिक गरम चाय या कॉफी से बचें


  • रात में हीटर बिल्कुल पास में रखकर न सोएं


  • दिनभर थोड़ी धूप लें

ये आदतें शरीर को प्राकृतिक गर्मी देती हैं और वात को बढ़ने से रोकती हैं।

निष्कर्ष

हीटर सर्दियों में राहत देता है लेकिन इसके सामने अधिक समय बिताना शरीर के वात दोष को बढ़ा सकता है। यह बढ़ा हुआ वात आपके जोड़ों, त्वचा, साँस और मन पर कई तरह के प्रभाव डाल सकता है। अगर आप दिनभर हीटर के सामने बैठे रहते हैं या रात में भी इसे पास रखकर सोते हैं, तो शरीर में सूखापन बढ़ने लगता है और जोड़ों की चिकनाहट कम होती जाती है। त्वचा की नमी भी जल्दी खत्म होती है और गले तथा नाक में सूखापन बढ़ता है।

आयुर्वेद कहता है कि गर्मी हमेशा लाभदायक नहीं होती। कोई भी गर्मी अगर शरीर की प्राकृतिक नमी को छीन ले, तो वह वात को बढ़ा देती है। हीटर भी यही करता है। इसके बावजूद हीटर पूरी तरह नुकसानदेह नहीं है। यदि आप इसे संतुलित तरीके से इस्तेमाल करते हैं, कमरे की नमी बनाए रखते हैं और रोजमर्रा की दिनचर्या में थोड़ी देखभाल जोड़ देते हैं, तो आप इसकी आरामदायक गर्मी का आनंद लेते हुए भी अपने शरीर को सुरक्षित रख सकते हैं। इसलिए हीटर को समझदारी से इस्तेमाल करें और अपने शरीर की लय के साथ तालमेल बनाकर चलें।

FAQs

  1. क्या हीटर के सामने बैठने से सचमुच वात बढ़ता है?
    हाँ, हीटर सूखापन बढ़ाता है और यही सूखापन वात को असंतुलित करता है।
  2. क्या हीटर के कारण जोड़ों में दर्द हो सकता है?
    अगर आप बहुत देर तक हीटर के पास बैठे रहते हैं, तो joints की चिकनाहट कम होकर stiffness बढ़ सकती है।
  3. हीटर त्वचा को क्यों नुकसान पहुंचाता है?
    हीटर हवा की नमी चूस लेता है जिससे skin barrier कमज़ोर होता है और सूखापन बढ़ती है।
  4. क्या सोते समय हीटर चलाकर रखना सुरक्षित है?
    नहीं, इससे शरीर पर सूखापन बढ़ता है और साँस नलियां irritate हो सकती हैं।
  5. क्या हीटर के साथ मॉइश्चराइज़र और तेल लगाने से समस्या कम होती है?
    हाँ, अभ्यंग और moisturiser दोनों सूखापन कम करके वात को संतुलित रखते हैं।
  6. क्या कमरे में पानी रखने से हीटर का नुकसान कम होता है?
    हाँ, इससे हवा में नमी बढ़ती है और शरीर का जल संतुलन बेहतर रहता है।

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