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इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी कि आईबीएस, आजकल यह तकलीफ बच्चों से लगा कर बडों तक में लगभग हर उम्र के लोगों को सता रही है। इस लेख के द्वारा आपको इस बात से अवगत कराया जायेगा कि इसे कैसे पहचानें और इसका उपचार कैसे संभव है।
मुख्यतः यह व्याधि हमारी आँतों पर असर करती है, विशेष रूप से बड़ी आँत पर। इससे पीड़ित व्यक्ति की आँतों में मरोड़ और अफारा उठना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। कभी-कभी मलबद्धता यानी पेट ठीक से साफ न होना, तो कभी द्रवमलप्रवृत्ति के लक्षण भी देखे जा सकते हैं। आमतौर पर यह व्याधि 45 वर्ष की आयु तक ज्यादा देखी जाती है।
यह बीमारी मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है, इसलिए आईबीएस को ‘‘ब्रेन गट डिसऑर्डर‘‘ भी कहते हैं।
अब हम इस व्याधि को आयुर्वेद के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करते हैं।
आईबीएस व्याधि दोषवैषम्यता की वजह से होती है।
आयुर्वेदानुसार मंदाग्नि ही इस रोग का प्रमुख कारण है।
मंदाग्नि में गरिष्ठ भोजन किया जाता है, तो धीरे-धीरे आँतों की प्राकृतिक पाचन प्रणाली दूषित हो जाती है और वात, पित्त, कफ दोषों की विषमावस्था पैदा हो जाती है।
आयुर्वेद में प्रज्ञापराध इसका कारण माना गया है। मतलब प्रज्ञा का अपराध यानि बुद्धि का दुरूपयोग। ‘विषमाशन’ ये एक बहुत बड़ा कारण हमारे आचार्यों ने कहा है कि असमय भोजन ‘आम’ पैदा करता है, जो हमारे अन्नवह स्त्रोत को दूषित कर आईबीएस जैसी व्याधि पैदा करता है।
गरिष्ठ (हाई प्रोटीन डाइट, फैटी फूड) भोजन का त्याग करें।
मैदा व मैदे से बने खाद्य पदार्थ का त्याग करें।
हल्का सुपाच्य जैसे खिचड़ी, रस वाले फल, अनार, छाछ आदि को भोजन में शामिल करना चाहिए।
अल्कोहल, चॉकलेट्स, कॉफी, सोडा, मिल्क प्रोडक्टस् लेने से ये व्याधि गंभीर बन जाती है। तो इनका सेवन ना करें। अपना भोजन हमेशा सही समय पर लें, लंबे समय तक भूखे ना रहें, अगर मिल्क प्रोडक्टस् से परेशानी बढ़ती हो तो श्लवहनतजश् एक अच्छा विकल्प है। पानी का सेवन ज्यादा करें, जिससे शरीर में पित्त नियंत्रित रहे।
अदरक आँतों के लिए बहुत अच्छा है। 1 कप पानी में 1/2 चम्मच अदरक डालकर 10 मिनट्स उबालिए, फिर अदरक को निकालकर वो पानी पीजिए।
पुदीने का सेवन भोजन में किसी ना किसी रूप में अवश्य करें।
ये बीमारी ज्यादातर चिंता और अधिक सोचने से बढ़ती है, तो तनावमुक्त रहना जरूरी है।
रोज़ रात को दो-तीन बूँदें बादाम तेल नाक में डालें। नारियल तेल और कपूर मिलाकर तलवों की मालिश करें।
अगर हम जीवनशैली सुधारने को ज्यादा महत्त्व दें, तो इस व्याधि को दूर रख सकते हैं।
‘विषमाशन’ यह एक बहुत बड़ा कारण हमारे आचार्यों ने कहा है कि असमय भोजन ‘आम’ पैदा करता है, जो हमारे अन्नवह स्त्रोतस् को दूषित कर आईबीएस जैसी व्याधि पैदा करता है।
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