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पाचन की अग्नि को मजबूत बनाने वाले 3 आयुर्वेदिक उपाय

खिड़कियों पर बारिश की बूंदें और तले हुए पकोड़ों की खुशबू बारिश के मौसम की खासियत है। हर गली में खाने पीने की स्वादिष्ट चीजों को देखकर मन ललचा ही जाता है। लेकिन इनमें से ज्यादातर बढ़िया नहीं होते, एक बार अगर आप इनके चंगुल में फँसे तो आपके पाचन पर इसका बुरा असर पड़ता है। सबसे पहले शरीर के तीनों दोष असंतुलित हो जाते हैं और इससे सेहत की कई समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं। इसके बाद पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है और वैसे भी आयुर्वेद के मुताबिक बारिश के मौसम में पाचन तंत्र कमजोर होता ही है।

पाचन पर बारिश के मौसम के प्रभाव का आयुर्वेदिक नजरिया

बारिश से कुछ महीने पहले मौसम में गर्मी और सूखापन रहता है। अक्सर इससे शरीर में वात ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाता है, जिससे पाचन की अग्नि पर बुरा असर पड़ता है। जब बारिश का मौसम शुरू होता है तो वातावरण की नमी पाचन की अग्नि कोकमजोर बनाती है। जाहिर है इससे गैस की समस्या, पेट फूलना, पाचन कमजोर होना, दस्त वगैरह हो सकते हैं। इन परेशानियों से निपटने के लिए आयुर्वेद के पास आपके और आपके परिवार का पाचन मजबूत करने के खास उपचार हैं।

आसानी से पचने वाला आहार चुनें

आयुर्वेद मानता है कि बारिश का मौसम भारी और आलस से भरा हुआ होता है। साल के इन दिनों में पाचन और पाचन की अग्निकमजोर होती है। आसानी से पचने वाले भोजन के बचे-कुचे अंश पाचन तंत्र में मौजूद नहीं रहेंगे, जिससे अमा नहीं बनेगी। आयुर्वेद मानता है कि अनाज, मूँग दाल, मक्का, चने का आटा, जई का दलिया वगैरह खाने में अच्छा और पचने में हल्का है। करेला, हल्दी और नीम का स्वाद कसैला होता है और इसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण होते हैं। यह आपके पाचन को बेहतर बनाने के साथ-साथ आपकीस्वाद इंद्रियों को साफ करते हैं और कफ दोष को संतुलित बनाते हैं।

पाचन को बेहतरन बनाए रखने के खास उपाय

बारिश के मौसम में कुछ समय के लिए ही पाचन तंत्र कमजोर या धीमा होता है। बारिश के मौसम में पाचन से जुड़ी दो सामान्य परेशानियाँ होती हैं, इनमें अपच और पेट में जलन शामिल है। इन परेशानियों को दूर करने के लिए घरेलू उपाय निम्न है।

  • आँवला पाउडर को 1 कप पानी में मिलाएँ और खाली पेट इसको पिएँ। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।

  • अदरक के 2 इंच छोटे टुकड़े को महीन काट लें, इसमें चुटकीभर काला नमक मिलाएँ। खाना खाने से आधा घंटा पहले इसे खाएँ।

  • आधा चम्मच काली मिर्च को महीने पीस लें, अब इसको गुड़ के पाउडर यानी खाँड या फिर चीनी का पाउडर यानी बूरा में मिलाएँ। अपने पाचन को बेहतर बनाने के लिए इस मिश्रण को खाली पेट कुछ दिनों तक खाएँ। आयुर्वेद में काली मिर्च का इस्तेमाल बेहतरपाचन और गैस की समस्या से निजात दिलाने के लिए किया जाता है।

हल्का फुल्का व्यायाम करें

सुबह किया गया हल्का व्यायाम आपके पाचन और शरीर को मजबूत बनाता है। पाचन बेहतर बनाने के लिए बहुत ज्यादा पसीना बहानेकी जरूरत नहीं है बस घर के पास या पार्क में 20 मिनट टहलना और ताजी हवा में साँस लेना ही काफी है। हालाँकि शुरू में कुछ लोगोंको यह महसूस होगा कि व्यायाम के बाद भूख नहीं लगती, लेकिन बाद में निश्चित तौर पर इसमें सुधार होगा।

खास सलाह

ऐसे दिनों में जब मौसम चटनी के साथ पकौड़े खाने को मजबूर करें उस दौरान घर के बने पकौड़े खाएं। आखिरकार मां के हाथों से बने व्यंजनों का कोई तोड़ नहीं है, है कि नहीं?

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