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अक्सर लोग क्लीनिक में आकर सीने में जलन, हाइपर एसिडिटी, गैस की समस्या,कब्ज, कमजोर पाचन, मुँह और पेट में छाले, पेट में जलन और दर्द की शिकायत करते हैं।
हालाँकि यह सभी अलग अलग बीमारियों जैसे दिखते हैं, आयुर्वेद मानता है कि पेट में पित्त की अधिकता इसका मुख्य कारण है। आमतौर पर होने वालीसीने कीजलन को हम अनदेखा करते हैं, लेकिन इसकी वजह से जोड़ों में दर्द, गठिया, पित्ताशय में पथरी, मूत्र संबंधी संक्रमण और गर्भाशय से संबंधित बीमारियाँ हो जाती हैं।हाइपर एसिडिटी और सीने की जलन इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण हैं और इसे आसानी से नियंत्रितभी किया जा सकता है वो भी खानपान और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके।
आयुर्वेद के मुताबिक खानपान और जीवनशैली इस बीमारी का मुख्य कारण है। हमारे आधुनिक जीवन में खानपान और जीवनशैली में कई ऐसे कारक होते हैं जिनसे पित्त बढ़ता है। कई भोजन और गतिविधियाँ पित्त को भड़काती हैं। इसमें गर्म, मसालेदार, तला हुआ, तैलीय आहार शामिल है। गर्मी और धूप के असर से,अधिक मात्रा में खाने पीने की चीजों या दवाओं के रसायनों का सेवन करने से, अधिक मात्रा में चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान करने से भी पित्त बढ़ जाता है। ज्यादा सोचने, गुस्सा करने और मानसिक तनाव भी बिगड़े हुए पित्त का एक कारण बनता है।
सीने की जलन को दूर करने या पेट में बढ़े हुए पित्त को शांत करने का एक बहुत साधारण तरीका है और वो है अधिक मात्रा में भोजन करने से बचना।
सुबह उठते ही 8-10 गिलास पानी पीने से भी पेट में बढ़े हुए पित्त को संतुलित किया जा सकता है। तांबे के बर्तन में रातभर पानी रखकर सुबह उसको पीने से ज्यादा बढ़िया परिणाम मिलते हैं।
ताज़ा और प्राकृतिक आहार लें। पैकेटबंद या फास्ट फूड से बचें।
दो आहारों के बीच में कम से कम 4 घंटे का समय रखें। अगर सच में आपको खाना पसंद है तो दिन में तीन बड़े आहार लेने से बढ़िया है चार से पाँच छोटे आहार का सेवन करना।
कभी भी प्राकृतिक क्रियाओं जैसे मूत्र त्याग, मल त्याग, गैस, छींक, डकार, जम्हाई और यहां तक कि रोने को भी न रोकें। इन चीजों को दबाने का मतलब है पेट में पित्त को रोके रखना।
पित्त को संतुलित करने की एक बेहतरीन रेसिपी है 200 मि.ली. दूध में केले मैश करके खाना। 1 चम्मच चीनी भी इसमें मिठास के लिए डाल सकते हैं। सुबह के नाश्ते या दिन में कभी भी इसका सेवन कर सकते हैं। इसमें बर्फ डालने से बचें।
उबला हुआ स्क्वॉश का सेवन करने से भी सीने की जलन से बचा जा सकता है और अपने आहार में इसको जितना हो सके उतना शामिल करें।
5 बादाम को कम से कम चार घंटे के लिए पानी में भिगों लें। इसके छिलके निकाल लें, इसका पेस्ट बना लें और 200 मि.ली दूध में इसको मिलाएँ। 1 चम्मच चीनी मिठास के लिए इसमें डालें। इसका सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं।
बंदगोभी हाइपर एसिडिटी या सीने की जलन को दूर करने की एक घरेलू औषधि है। 100 ग्राम बंदगोभी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर 250 मि.ली. पानी में उबाल लें, इसे तब तक उबालें जब तक ये 100 मि.ली. न रह जाए।अब इसको ठंडा कर लें।इसका सेवन आधा सुबह के समय करें और बाकी आधा शाम के समय करें।
सब्जियों का रस पेट में बिगड़े हुए पित्त को संतुलित करता है बशर्ते खट्टी सब्जियां में इसमें शामिल न हों।250 मि.ली. सब्जियों का रस जिनमें बंदगोभी,गाजर,चुकंदर और खीरा हो, इसका सेवन दिन में दो बार करें।
आंवला पाउडर या आंवला पेट में बढ़े हुए पित्त को शांत करने की एक बेहतरीन औषधि है। 3-5 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन दिन में दो बार करें।
नारियल पित्त को प्रभावी रूप से शांत करता है। नारियल पानी पीना बहुत मददगार होता है। हाइपर एसिडिटी को दूर करने के लिए नारियल के अंदरूनी सफेद हिस्से का पेस्ट खाना फायदेमँद रहता है। इसके 30 ग्राम पेस्ट का सेवन दिन में 2-3 बार करें। नारियल का 250 मि.ली दूध का सेवन दिन में दो बार करने से हाइपर एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
इन कुछ उपचारों को अपनाइए और जो आग आपको अंदर से जला रही है उससे निजात पाइए।
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