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मानसून में क्यों बढ़ता है माइग्रेन और सिरदर्द का खतरा? जानिए दोषों के असंतुलन का असर

Information By Dr. Keshav Chauhan

एक ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि भारत में लगभग 14% से 29% लोग माइग्रेन से प्रभावित हैं, और इससे जुड़ा आर्थिक बोझ सालाना लगभग ₹18,674 करोड़ का है। यह आँकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि मानसून जैसे मौसमी परिवर्तनों के दौरान माइग्रेन और सिरदर्द का खतरा बढ़ना सिर्फ़ एक व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि एक व्यापक स्वास्थ्य चुनौती है, जिसका असर आपकी ही तरह लाखों भारतीयों पर पड़ता है।

आप मानसून का मौसम प्यार तो कर सकते हैं, लेकिन ये मौसम आपके लिए माइग्रेन की समस्या को भी आमतौर पर गंभीर बना सकता है। उमस, कम वेंटिलेशन, बदलाव वाली हवाएँ और घर-परिवेश में मौजूद नमी, यह सब अचानक आपके सिर में कील की तरह चुभते दर्द की वजह बन सकते हैं।

इस ब्लॉग में, आप जानेंगे कि मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द की समस्या क्यों बढ़ जाती है, खासतौर से आयुर्वेद की दृष्टि से दोष असंतुलन कैसे प्रभावित होता है, और आप कितने आसान और प्राकृतिक तरीकों से इस स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं।

मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द क्यों ज़्यादा होते हैं? (Why do Migraines and Headaches Happen More During Monsoon?)

बारिश का मौसम अपने साथ ठंडी हवाएँ और हरियाली लाता है, लेकिन इसके साथ-साथ यह आपके सिरदर्द और माइग्रेन को भी बढ़ा सकता है। इसका सबसे बड़ा कारण है मौसम में अचानक बदलाव और आर्द्रता (ह्यूमिडिटी) का असर।

जब मानसून आता है, तो वातावरण में नमी बहुत बढ़ जाती है। इस नमी के कारण आपके शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। कभी धूप निकलती है, तो कभी अचानक बादल और बारिश। यह बदलाव आपके दिमाग और शरीर पर दबाव डालता है, जिससे माइग्रेन या सिरदर्द ट्रिगर हो सकता है।

कुछ आम वजहें जिनसे मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द ज़्यादा होते हैं:

  • डिहाइड्रेशन (पानी की कमी): बारिश में भले ही ठंडक हो, लेकिन उमस और पसीने से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो सकती है। यह कमी आपके सिरदर्द को बढ़ा सकती है।

  • एलर्जन्स का असर: नमी के कारण हवा में फफूंद और पराग (पोलन) बढ़ जाते हैं। अगर आपको एलर्जी है, तो यह आपके माइग्रेन को और गंभीर बना सकता है।

  • रोशनी और धूप की संवेदनशीलता: बारिश के बीच-बीच में तेज़ धूप निकलना, या बादल छाने पर कम प्राकृतिक रोशनी के कारण कृत्रिम रोशनी पर निर्भर रहना, दोनों ही स्थिति आपके लिए ट्रिगर बन सकती हैं।

  • प्रदूषण: बारिश के पहले और बाद में हवा में धूल-कण और नमी का मिश्रण आपकी साँस और दिमाग दोनों पर असर डाल सकता है।

इस मौसम में आपका शरीर लगातार बाहरी परिस्थितियों के हिसाब से खुद को समायोजित करता रहता है, और यही थकान व तनाव माइग्रेन या सिरदर्द की संभावना बढ़ा देता है।

आयुर्वेद के अनुसार मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द क्यों बढ़ते हैं? (Why Do Migraines and Headaches Increase in Monsoon According to Ayurveda?)

आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में तीन मुख्य दोष होते हैं, वात, पित्त और कफ। जब ये संतुलन में होते हैं, तो शरीर और मन स्वस्थ रहते हैं। लेकिन मौसम, खानपान और जीवनशैली में बदलाव से इनका संतुलन बिगड़ सकता है। मानसून में यह असंतुलन अक्सर ज़्यादा देखा जाता है।

  • वात दोष: यह हवा और गति का प्रतिनिधित्व करता है। मानसून में ज़्यादा नमी और ठंडक के कारण वात असंतुलित हो सकता है, जिससे सिरदर्द और बेचैनी बढ़ सकती है।
  • पित्त दोष: यह गर्मी और पाचन से जुड़ा है। बारिश में मौसम भले ठंडा लगे, लेकिन उमस और मौसम के उतार-चढ़ाव से पित्त भी बढ़ सकता है, जिससे माइग्रेन ट्रिगर होता है।
  • कफ दोष: यह स्थिरता और ठहराव से जुड़ा है। नमी और गीला वातावरण कफ को बढ़ा सकता है, जिससे भारीपन और सिर में दबाव महसूस हो सकता है।

मानसून के दौरान नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव, आपका पाचन कमज़ोर कर सकता है। जब पाचन कमज़ोर होता है, तो शरीर में "आम" (टॉक्सिन्स) बनने लगते हैं। ये टॉक्सिन्स रक्त प्रवाह और मस्तिष्क के कार्य पर असर डाल सकते हैं, जिससे माइग्रेन और सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है।

वात और पित्त बढ़ने से सिरदर्द का ट्रिगर

जब वात और पित्त दोनों एक साथ असंतुलित होते हैं, तो यह नसों और मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं में असामान्य संकुचन और फैलाव पैदा करता है। यही असंतुलन माइग्रेन का दर्द शुरू कर देता है—कभी हल्का-हल्का, तो कभी बहुत तीव्र।

इसलिए, आयुर्वेद में मानसून को "सावधानी का मौसम" माना जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से माइग्रेन से पीड़ित हैं।

मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द के आम लक्षण क्या हैं? (What Are the Common Symptoms of Migraine and Headache in Monsoon?)

अगर आप मानसून में सिरदर्द या माइग्रेन का सामना करते हैं, तो इसके लक्षणों को पहचानना ज़रूरी है। जल्दी पहचानने से आप समय रहते उपाय कर सकते हैं और दर्द को बढ़ने से रोक सकते हैं।

कुछ आम लक्षण:

  • दर्द का प्रकार: अक्सर यह दर्द एक तरफ महसूस होता है और धड़कने जैसा लगता है। कई बार यह दर्द आँखों के पास या पीछे भी हो सकता है।

  • मतली और उल्टी: माइग्रेन के साथ मतली महसूस होना या उल्टी होना बहुत आम है।

  • रोशनी और आवाज़ से संवेदनशीलता: माइग्रेन के दौरान आपको तेज़ रोशनी, यहाँ तक कि मोबाइल या टीवी की स्क्रीन की रोशनी भी चुभ सकती है। आवाज़ें भी असहनीय लग सकती हैं।

  • ऑरा के लक्षण: कुछ लोगों को दर्द शुरू होने से पहले आँखों के सामने चमकते धब्बे, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ या धुंधलापन दिखाई देता है। यह संकेत देता है कि माइग्रेन का अटैक शुरू होने वाला है।

इन लक्षणों को हल्के में न लें, खासकर अगर यह बार-बार होते हैं। समय रहते सावधानियाँ अपनाने से आप मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द की परेशानी को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।

मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द से बचने के आसान तरीके क्या हैं? (How Can You Avoid Migraine and Headaches During Monsoon?)

मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द से बचना मुश्किल नहीं है, अगर आप कुछ साधारण लेकिन ज़रूरी बातों का ध्यान रखें। थोड़ी सी सावधानी आपको लंबे समय तक चलने वाले दर्द और परेशानी से बचा सकती है।

हाइड्रेशन और सही खानपान

मानसून में आपको प्यास कम लग सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपके शरीर को पानी की ज़रूरत कम हो गई है। उमस और पसीने से आपके शरीर में पानी और नमक की कमी हो सकती है, जो माइग्रेन का एक बड़ा कारण बनती है।

  • दिनभर में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएँ।

  • नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी और इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स लें।

  • तैलीय, बहुत मसालेदार और प्रोसेस्ड फूड से बचें, क्योंकि ये पाचन को कमज़ोर करके दोषों को असंतुलित कर सकते हैं।

धूप और तेज़ रोशनी से बचाव 

मानसून में कभी-कभी अचानक तेज़ धूप निकल आती है, जो माइग्रेन को तुरंत ट्रिगर कर सकती है।

  • बाहर निकलते समय सनग्लास या टोपी पहनें।

  • मोबाइल या लैपटॉप की ब्राइटनेस कम रखें और लंबे समय तक स्क्रीन के सामने न बैठें।

  • घर के अंदर बहुत तेज़ ट्यूबलाइट या लैम्प की रोशनी से बचें।

नींद और रूटीन का ध्यान 

आपकी नींद का सीधा असर आपके माइग्रेन पर पड़ता है।

  • रोज़ एक तय समय पर सोएँ और उठें, भले ही छुट्टी का दिन हो।

  • कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।

  • देर रात तक जागना और अनियमित रूटीन से बचें।

अगर आप इन साधारण उपायों को अपनाते हैं, तो मानसून में सिरदर्द और माइग्रेन का खतरा काफ़ी हद तक कम हो सकता है।

माइग्रेन के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय क्या हैं? (What Are Ayurvedic Home Remedies for Migraine?)

आयुर्वेद मानता है कि माइग्रेन और सिरदर्द अक्सर वात और पित्त दोष के असंतुलन से बढ़ते हैं, और मानसून के मौसम में यह असंतुलन ज़्यादा होता है। आप कुछ आसान और प्राकृतिक तरीकों से इन दोषों को शांत कर सकते हैं।

हर्बल ड्रिंक्स और आहार

  • तुलसी, अदरक और पुदीना वाली चाय पीना लाभकारी होता है।

  • सौंफ का पानी या धनिया के बीज का पानी शरीर को ठंडक और पाचन को मज़बूती देता है।

  • आहार में मौसमी फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ और हल्का, आसानी से पचने वाला खाना शामिल करें।

ठंडे स्नान, तेल मालिश और विश्राम

  • सुबह या शाम ठंडे या हल्के गुनगुने पानी से स्नान करें, इससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है।

  • नारियल तेल या तिल के तेल से हल्की सिर और गर्दन की मालिश करें।

  • गहरी साँस लेने के अभ्यास, ध्यान और हल्का योग शरीर और मन को शांत करता है

पित्त और वात को शांत करने के सुझाव

  • ज़्यादा धूप और गर्मी से बचें।

  • दिन में बहुत देर तक खाली पेट न रहें, क्योंकि इससे वात बढ़ सकता है।

  • मसालेदार, खट्टा और बहुत गरम खाना कम करें ताकि पित्त शांत रहे।

ये उपाय न केवल दर्द को कम करने में मदद करते हैं, बल्कि आपको लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में भी सहायक हैं।

कब आपको आयुर्वेदिक डॉक्टर या वैद्य से सलाह लेनी चाहिए? (When Should You Consult an Ayurvedic Doctor?)

कुछ स्थितियों में सिर्फ़ घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय पर्याप्त नहीं होते। आपको समय पर जीवा के आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि समस्या बढ़ने से पहले ही उसका सही इलाज हो सके।

  • बार-बार या गंभीर अटैक
    अगर आपका माइग्रेन महीने में कई बार हो रहा है या दर्द इतना तेज़ है कि आप सामान्य काम नहीं कर पा रहे, तो तुरंत जीवा के विशेषज्ञ से मिलें।

  • लक्षणों में बदलाव या बढ़ोतरी
    अगर आपको पहले कभी न होने वाले लक्षण महसूस हो रहे हैं, जैसे नज़र धुंधली होना, बोलने में कठिनाई, या शरीर के किसी हिस्से में कमज़ोरी, तो यह चेतावनी का संकेत हो सकता है।

  • घरेलू उपायों से राहत न मिलना
    अगर आपने लगातार कुछ हफ्तों तक घरेलू या प्राकृतिक उपाय अपनाए हैं और फिर भी आराम नहीं मिला, तो इलाज में देरी न करें।

याद रखें, समय पर सलाह और सही उपचार से आप मानसून में माइग्रेन और सिरदर्द की परेशानी को काबू में रख सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

मानसून का मौसम खूबसूरत ज़रूर होता है, लेकिन अगर आपको माइग्रेन या बार-बार सिरदर्द की समस्या है, तो यह मौसम आपके लिए चुनौती भी बन सकता है। बदलता तापमान, उमस, और वातावरण में नमी, ये सब मिलकर आपके शरीर और मन पर असर डालते हैं। अगर आप अपने ट्रिगर्स को पहचान लें, समय पर पानी पिएँ, हल्का और ताज़ा खाना खाएँ, और अपनी नींद और रूटीन का ध्यान रखें, तो इस परेशानी को काफ़ी हद तक रोका जा सकता है।

आयुर्वेद आपको सिर्फ़ दर्द से राहत ही नहीं देता, बल्कि जड़ से कारण को ठीक करने में मदद करता है, ताकि आपको लंबे समय तक आराम मिले।

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FAQs

बारिश के मौसम में सिरदर्द क्यों होता है?
बारिश में नमी और वायुदाब बदलने से शरीर पर असर पड़ता है। यह बदलाव नसों को प्रभावित कर सिरदर्द या माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।

माइग्रेन किसकी वजह से होता है?
माइग्रेन कई कारणों से हो सकता है—तनाव, नींद की कमी, खास खानपान, मौसम में बदलाव, या तेज़ रोशनी भी आपके लिए ट्रिगर बन सकते हैं।

क्या मौसम बदलने से सिर में दर्द होता है?
हाँ, तापमान, नमी और वायुदाब में अचानक बदलाव से नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे सिरदर्द या माइग्रेन की संभावना बढ़ जाती है।

क्या ठंडा पानी पीने से माइग्रेन होता है?
कुछ लोगों में बहुत ठंडा पानी या आइसक्रीम जैसी चीज़ें तुरंत माइग्रेन ट्रिगर कर सकती हैं। यह आपकी व्यक्तिगत संवेदनशीलता पर निर्भर करता है।

आप मौसम के सिरदर्द से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?
पानी पिएँ, तेज़ रोशनी और शोर से बचें, हल्का और ताज़ा खाना खाएँ, और आराम के लिए शांत व ठंडी जगह पर बैठें।

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