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पादहस्तासन की योगविधि और लाभ

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हर इन्सान खुश रहना चाहता है, जीवन में ओगे बढ़ना चाहता है और चाहता है कि ये खुशी, ये यौवन हमेशा हमेशा के लिये बना रहे। परन्तु कटु सत्य ‘‘जो बना है उसे एक दिन नष्ट होना है’’ को नकारा नहीं जा सकता। हाँ इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। ऐसा ही कुछ मानव शरीर के साथ है। मानव शरीर की ठीक से देखभाल करने से, इसके ठीक रख-रखाव से युवावस्था को अधिक समय तक आगे बढ़ाया जा सकता है। इसे ठीक रखने के अनेकों उपायों में से एक सब से बढ़िया और सस्ता उपाय है ‘‘योगाभ्यास’’।

आसनों की श्रंखला में आज जिस आसन के बारे में बताया जा रहा है उसका नाम है ‘‘पादहस्तासन’’

विधिः

  • दोनों पाँव मिलाकर सीधे खड़े हो जायें।

  • धीरे-धीरे श्वास भरते हुये और बाजुओं को सीधा रख ऊपर कानों के पास ले जायें।

  • धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुये, बाजु सीधी रखते हुये, कमर से ऊपर के हिस्से को आगे की तरफ झुकायें।

  • दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों को छूने का प्रयत्न करें।

  • सामान्य श्वास लेते रहें। क्षमतानुसार 1-3 मिनट तक रुकें।

  • श्वास भरते हुये बाजु वापिस कानों के पास लें जायें।

  • श्वास छोड़ते हुये हाथों को वापिस लायें।

लाभः

  • कमर को पतला व मेरुदण्ड को स्वस्थ एंव लचीला बनाता है।

  • मधुमेह को नियंत्रण करने में सहायक।

  • कब्ज, अपच व गैस को रोगियों के लिये लाभदायक।

  • रक्त संचार, मस्तिष्क की तरफ होने से चेहरे की चमक बढ़ाता है।

  • पेट की चर्बी कम करता है।

  • बच्चों का कद बढ़ाने में सहायक।

  • ज़ंघा व पिण्डलियों की माँसपेशियों को ताकतवर बनाता है।

सावधानियाँः

  • श्वास नाक से लें और नाक से ही छोड़ें।

  • पाँव न छुए जायें तो घबरायें नहीं और न ही जबरदस्ती छुने की कोशिश करें। निरन्तर अभ्यास से सफलता मिल जायेगी।

  • सफलता उपरान्त हथेलियों को पैरों की साईड पर और मस्तक घुटनों से लगाने का प्रयास करें।

विशेषः

  • उच्च रक्तचाप व स्लिप डिस्क के रोगी इसे न करें।

  • गर्भवती महिलायें व मासिक धर्म के दिनों में अभ्यास न करें।

  • शुरु के दिनों में अगर माँसपेशियों में थोड़ा ख़िचाव या हल्का हल्का दर्द महसूस हो तो घबरायें नहीं।

  • योगाभ्यास हमेशा सहजभाव व प्रसन्न, शान्ति चित्त से ही करें।

नोटः

  • योगाभ्यास शुरु करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर योग्य शिक्षक की देख-रेख में ही अभ्यास करें।

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