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गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए इन 5 ऋतुचर्या को ज़रूर करें।

किसी भी पुरुष या महिला को अगर इस बात की समझ हो जाये कि उसे मौसम के अनुसार किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए तथा किसी जीवनशैली अपनानी चाहिए, तो निश्चित रूप से ख़ुद को स्वस्थ रख सकता/सकती है। ये सभी बातें ऋतुचर्या में बतायी गयी है, जो कि आयुर्वेद द्वारा मौसम के अनुसार अपनायी जाने वाली दिनचर्या के बारे में बताता है। यहाँ पर बताये गए 5 ऋतुचर्या आपको गर्मियों के मौसम में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रखेगा।

ठण्डे तथा मीठे और तैलीय आहार का सेवन करें

गर्मियों में सूर्य हमारे शरीर से सारी नमी के खींच लेता है। अतः हमें ऐसे आहार का सेवन अधिक करना चाहिए जो कि ठन्डे हो, स्वाद में मीठे हो तथा जिनमें वसा भी पर्याप्त मात्रा में हो। मीठा मट्ठा, घी, दूध, चावल आदि आहार गर्मियों में सेवन के लिए बहुत ही फायदेमन्द होते हैं। अधिक नमक वाले तथा फैट वाले चटपटे पदार्थ शरीर मे पित्त को बढ़ा देती हैं, जो कि गर्मियों में प्राकृतिक रूप से शरीर मे अधिक होता है। अतः ऐसे आहार का गर्मियों में सेवन ना करें। गुलकन्द, गुलाब के फूल से बने जैम का सेवन आप गर्मियों में रोटी के साथ कर सकते हैं।ये आपके शरीर को ठण्डा रखने में काफ़ी मदद करता है।

सुबह के समय हल्का व्यायाम करें

गर्मियों की सुबह में सूरज निकलने से पहले आप कुछ देर तक टहलने के लिए निकल सकते हैं। गर्मियों के दिन तथा शाम के समय मे जब गतापमान अधिक होता है उस समय शारीरिक व्यायाम करने से बचें। दिन और रात के समय मे आराम करें - दिन के समय जब तापमान काफ़ी अधिक होता है तो उस समय घर के अन्दर रहकर थोड़ी देर आराम करें। वहीं रात के समय मे खुले में सोने का प्रयास करें ताकि चंद्रमा का प्रकाश और हवा आपको प्राकृतिक रूप से ठण्डा रखे।

प्राकृतिक इत्र का प्रयोग करें

सन्दल की लकड़ी में ठंडेपन का गुण होता है। जब गर्मी अपने प्रचण्ड रूप में हो तब आप सन्दल की लकड़ी का पेस्ट बनाकर इसे अपने माथे, चेहरे, गर्दन, हाथों तथा सीने पर लगा लें। जब ये अच्छे से सुख जाए तो इसे धो दें। इसके साथ ही आप सन्दल की लकड़ी के पानी की फुहार भी ले सकते हैं। गुलाब भी आपको ठंडा रखता है। आप नहाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले पानी मे गुलाब जल के कुछ बूँद डाल दें। इसके साथ ही आप गुलाब जल से अपने चेहरे को भो धो सकते हैं।

नियन्त्रित होकर सहवास करें

गर्मियों में चलने वाली गर्म हवा और नमी की कमी के कारण शरीर कमज़ोर और शिथिल पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में सहवास करने से शरीर मे और अधिक कमज़ोरी आ जाती है और शरीर की गर्मी भी बढ़ जाती है। इसीलिए आयुर्वेद में बताया गया है कि गर्मी में नियन्त्रित और कम संभोग करना चाहिए, जिससे कि आपकी ऊर्जा बची रहे और आपको गर्मी का आभास ना हो।

गर्मियों में होने वाली विभिन्न शारीरिक समस्या जैसे कि शिथिलता, अपच तथा स्किन संबंधी समस्याओं के बेहतर समाधान के लिए आप हमारे आयुर्वेदिक जीवा डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते हैं। डॉक्टर स फ़ोन पर सम्पर्क करने के लिए अभी डॉयल करें- 0129-4040404

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