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प्रदूषण व धूल में सफर करना, तनाव और चिंता का बढ़ना, पैकेटबंद खाना खाना, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (शीतल पेय) ज्यादा पीना, व्यायाम न करना आदि मुँहासों और दानों के प्रमुख कारण हैं। मुँहासों और फुंसियों का आयुर्वेदिक इलाज आपको इससे दीर्घकालिक छुटकारा दिला सकता है। आयुर्वेद हमारी आंतरिक और बाहरी सुंदरता को समुचित रूप से देखता है और इनमें संतुलन बनाने की कोशिश करता है।
खट्टा, तीखा और तैलीय आहार न खायें।
पैकेट के खाने से बचें।
शरीर के वजन के हिसाब से पानी का सेवन बढ़ायें।
नहाने के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटी से बने साबुन का इस्तेमाल करें।
ज्वलनशील सौंदर्य प्रसाधनों से दूर रहें।
मुँहासे के घावों को न छुएँ।
तुलसी, सौंफ़, धनिया के बीज, करौंदा और हल्दी का मिश्रण बना लें। दोपहर और रात के खाने से 15 मिनट पहले आधा चम्मच खायें।
रोज़ सुबह 1 चम्मच आँवले के रस को एक कप पानी के साथ लें।
एक चम्मच धनिये के रस में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार पीएँ।
आयुर्वेद के यह उपचार हम उम्र के व्यक्तियों, खासकर किशोरों, को खराब त्वचा जैसी परेशानियों से लंबे समय तक के लिए राहत देंगे।
हार्मोन्स द्वारा जरूरत से ज्यादा तेल का उत्पादन रोम-छिद्रों को जाम कर देता है, जिससे मुँहासे होते हैं। इससे बचने का सबसे बेहतर रास्ता है कि त्वचा पर कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधन न लगायें। आयुर्वेद से बने सौंदर्य प्रसाधनों का सहारा लें। आयुर्वेद किफायती, आसान और सुरक्षित है।
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