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स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को हो रही है आँखों में जलन और सिरदर्द? जानिए 5 असरदार आयुर्वेदिक उपाय

Information By Dr. Keshav Chauhan

स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों को हो रही है आँखों में जलन और सिरदर्द? जानिए 5 असरदार आयुर्वेदिक उपाय

भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिदिन स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय औसतन लगभग 2.2 घंटे है, जो कि विशेषज्ञों द्वारा बताए गए सुरक्षित सीमा (लगभग 1 घंटे) से दोगुना है। आप सोच रहे होंगे कि यह बढ़ा हुआ स्क्रीन समय केवल एक छोटी सी बात है, परंतु यह आपके बच्चे की आँखों में जलन, सिरदर्द और पढ़ाई में परेशानी जैसी चुनौतियों का कारण बन सकता है। 

इस लेख में, हम आपको उन प्रमुख कारणों को स्पष्ट करेंगे और साथ ही पाँच सरल लेकिन असरदार आयुर्वेदिक उपाय बताएँगे जो आपकी और आपके बच्चे की मदद कर सकते हैं।

बच्चों में ज़्यादा स्क्रीन टाइम से आँखों में जलन और सिरदर्द क्यों होता है? (Why Does Excessive Screen Time Cause Eye Irritation and Headaches in Children?)

जब बच्चा लंबे समय तक मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर की स्क्रीन देखता है, तो उसकी आँखों को लगातार ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। यह फोकस करने की मेहनत धीरे-धीरे आँखों की मांसपेशियों को थका देती है। इसी वजह से आँखों में जलन, भारीपन और सिरदर्द शुरू हो जाता है।

स्क्रीन देखने के दौरान पलकें झपकाने की आदत भी काफ़ी कम हो जाती है। आमतौर पर हम एक मिनट में 15-20 बार पलक झपकाते हैं, लेकिन स्क्रीन पर ध्यान लगाते समय यह संख्या आधी से भी कम हो जाती है। पलकें कम झपकने से आँखें सूखने लगती हैं, जिससे जलन और लालपन महसूस होता है।

इसके अलावा, कई बार बच्चे स्क्रीन बहुत पास से देखते हैं या कमरे में रोशनी ठीक नहीं होती। स्क्रीन से आने वाली तेज़ रोशनी और ग्लेयर आँखों को और ज़्यादा थका देती है। लगातार पास की चीज़ों पर ध्यान देने से आँखों की दूर देखने की क्षमता अस्थायी रूप से कमज़ोर पड़ सकती है, जिससे सिरदर्द भी बढ़ता है।

स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आँखों पर क्या-क्या बुरा असर पड़ सकता है? (What are the Bad Effects of Increased Screen Time on Children's Eyes?)

जब आप अपने बच्चे को लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने देते हैं, तो यह सिर्फ़ जलन या सिरदर्द तक सीमित नहीं रहता। इसके कई और नुकसान हो सकते हैं, जो धीरे-धीरे दिखने लगते हैं।

धुँधला दिखना (Blurry Vision) 

लंबे समय तक एक ही दूरी पर देखने से आँखों का फोकस सिस्टम कमज़ोर हो सकता है। इससे चीज़ें धुँधली दिखना शुरू हो जाती हैं, खासकर दूर की वस्तुएँ।

ड्राई आई और लालपन 

पलकें कम झपकने से आँखों में नमी की कमी हो जाती है, जिससे सूखापन और जलन होती है। कई बार आँखों में लालपन और चुभन भी महसूस होती है।

मायोपिया (नज़दीक का चश्मा लगना)

लंबे समय तक कमरे के अंदर और स्क्रीन के पास रहने से बच्चों में मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है। धूप और प्राकृतिक रोशनी में समय बिताना आँखों की सेहत के लिए ज़रूरी है, जो ज़्यादा स्क्रीन टाइम से कम हो जाता है।

लचीलापन कम होना 

लगातार पास की चीज़ों पर ध्यान देने से आँखें दूर देखने में समय ले सकती हैं। इससे खेलते समय या बोर्ड पर लिखी चीज़ें पढ़ने में दिक्कत हो सकती है।

बार-बार सिरदर्द और थकान 

आँखों पर लगातार दबाव पड़ने से सिरदर्द होने लगता है। बच्चा पढ़ाई या खेल में जल्दी थक सकता है

क्या ज़्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों की नींद और पढ़ाई भी प्रभावित होती है? (Does Excessive Screen Time Affect Children's Sleep and Studies?)

ज़्यादा स्क्रीन टाइम का असर सिर्फ़ आँखों तक सीमित नहीं रहता, यह आपके बच्चे की नींद और पढ़ाई पर भी गहरा असर डाल सकता है।

जब बच्चा रात को मोबाइल, टीवी या गेम खेलता है, तो उसका दिमाग ज़्यादा सक्रिय हो जाता है और शरीर को आराम का संकेत नहीं मिल पाता। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (Blue Light) दिमाग को दिन का समय समझने का धोखा देती है, जिससे नींद देर से आती है या नींद का समय कम हो जाता है। नींद पूरी न होने पर अगला दिन थकान और चिड़चिड़ापन लेकर आता है।

पढ़ाई पर भी इसका सीधा असर होता है। आँखों में जलन, सिरदर्द और नींद की कमी के कारण बच्चा ध्यान से पढ़ नहीं पाता। बोर्ड या किताब पर लिखी बातें पढ़ते समय उसे ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है। लगातार ऐसा होने पर पढ़ाई में रुचि कम हो सकती है और अंक भी प्रभावित हो सकते हैं।

स्क्रीन के ज़्यादा इस्तेमाल से बच्चों का बाहर खेलना, दोस्तों से मिलना और रचनात्मक गतिविधि भी कम हो जाता है। इससे न सिर्फ़ पढ़ाई, बल्कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी धीमा पड़ सकता है।

बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के आसान और असरदार तरीके क्या हैं? (What are Effective Ways to Reduce Children's Screen Time?)

आप अपने बच्चे का स्क्रीन टाइम पूरी तरह खत्म नहीं कर सकते, लेकिन इसे नियंत्रित करना आपके हाथ में है। कुछ आसान कदम अपनाकर आप उनके दिन का बड़ा हिस्सा स्क्रीन से दूर रख सकते हैं।

  • 20-20-20 नियम अपनाएँ
    हर 20 मिनट पर बच्चे को 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखने के लिए कहें। इससे आँखों को आराम मिलता है और लचीलापन बना रहता है।

  • स्क्रीन-फ्री टाइम तय करें
    घर में कुछ समय ऐसा तय करें जब कोई भी सदस्य मोबाइल, टीवी या लैपटॉप का इस्तेमाल न करे। जैसे- खाने के समय, सोने से एक घंटे पहले, या सुबह उठते ही।

  • बच्चों को बाहर की गतिविधि में शामिल करें
    दिन में कम से कम 1–2 घंटे बच्चों को धूप और बाहर खेलने का मौका दें। इससे न केवल आँखों को आराम मिलेगा, बल्कि उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी होगा।

  • स्क्रीन की दूरी और रोशनी का ध्यान रखें
    मोबाइल को कम से कम 1 फुट, लैपटॉप/कंप्यूटर को 2 फुट और टीवी को 10 फुट की दूरी से देखें। कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें ताकि आँखों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।

  • उम्र के हिसाब से समय सीमित करें
    छोटे बच्चों के लिए दिन में 1 घंटे और बड़े बच्चों के लिए 2 घंटे से ज़्यादा का स्क्रीन टाइम न होने दें (पढ़ाई या ज़रूरी काम को छोड़कर)।

आँखों की जलन और सिरदर्द में कौन से आयुर्वेदिक नुस्खे सबसे ज़्यादा मददगार हैं? (Which Ayurvedic Remedies are Best for Eye Irritation and Headache?)

आयुर्वेद में कई ऐसे सरल और सुरक्षित उपाय बताए गए हैं, जो बच्चों की आँखों की जलन और सिरदर्द में आराम दिला सकते हैं। इन्हें आप रोज़मर्रा की दिनचर्या में आसानी से शामिल कर सकते हैं।

  • त्रिफला जल से आँख धोना
    त्रिफला पाउडर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह उस पानी से बच्चे की आँख धोएँ। यह आँखों की सफाई करता है और थकान व जलन को कम करता है।

  • घी से नेत्र तर्पण
    शुद्ध देसी घी की एक-दो बूंद सोने से पहले बच्चों की आँखों के आसपास हल्के हाथ से लगाएँ। यह आँखों को ठंडक देता है और सूखेपन को कम करता है।

  • गुलाबजल का प्रयोग
    प्राकृतिक गुलाबजल की 1-2 बूंदें आँखों में डालने से सूखापन और जलन में तुरंत राहत मिलती है। ध्यान रखें कि यह गुलाबजल बिना किसी केमिकल और प्रिज़र्वेटिव के हो।

  • अंजन या आयुर्वेदिक नेत्र औषधि
    जीवा के आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से बच्चों के लिए उपयुक्त नेत्र अंजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आँखों की रोशनी और नमी बनाए रखने में मदद करता है।

  • पुदीना और धनिया का लेप
    पुदीना और धनिया की पत्तियों को पीसकर हल्का ठंडा लेप आँखों के आसपास लगाने से भी जलन और थकान में आराम मिलता है।

क्या खाने-पीने में बदलाव से बच्चों की आँखों की सेहत सुधारी जा सकती है? (Can Dietary Changes Improve Children's Eye Health?)

आपके बच्चे की आँखों का स्वास्थ्य केवल बाहरी देखभाल पर नहीं, बल्कि उनके खाने-पीने की आदतों पर भी निर्भर करता है। अगर आप चाहते हैं कि उनके आँखों की रोशनी और ताकत लंबे समय तक बनी रहे, तो आहार में कुछ बदलाव ज़रूरी हैं।

  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ
    पालक, मेथी, सरसों और बथुआ जैसी हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ आँखों के लिए ज़रूरी विटामिन A और ल्यूटिन देती हैं, जो रोशनी बनाए रखने में मदद करते हैं।

  • गाजर और चुकंदर
    गाजर में बीटा-कैरोटीन और चुकंदर में आयरन भरपूर होता है। ये दोनों आँखों को पोषण देते हैं और थकान कम करते हैं।

  • आँवला
    आँवला विटामिन C का बेहतरीन स्रोत है, जो आँखों की रक्त वाहिनियों को मज़बूत करता है और संक्रमण से बचाता है। इसे आप मुरब्बा, जूस या पाउडर के रूप में दे सकते हैं।

  • मेवे और बीज
    बादाम, अखरोट, अलसी और कद्दू के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो आँखों की नमी बनाए रखने और सूखापन कम करने में मदद करता है।

  • ताज़े फल
    पपीता, संतरा, आम और अंगूर जैसे फलों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आँखों को फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

बच्चों की आँखों की सुरक्षा के लिए आपको किन आदतों को रोज़ अपनाना चाहिए? (What Habits Should You Adopt to Protect Your Child's Eyes?)

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे की आँखें लंबे समय तक स्वस्थ और तेज़ रहें, तो रोज़मर्रा में कुछ आसान आदतें अपनाना बहुत ज़रूरी है। ये आदतें न केवल स्क्रीन टाइम के नुकसान से बचाएँगी, बल्कि आँखों को अतिरिक्त ताकत भी देंगी।

  • सुबह की धूप में समय बिताना
    दिन में कम से कम 30 मिनट बच्चों को सुबह की हल्की धूप में खेलने दें। यह आँखों के विकास और रोशनी बनाए रखने के लिए बेहद फ़ायदेमंद है।

  • पढ़ाई और स्क्रीन के बीच अंतराल रखना
    लगातार पढ़ाई या स्क्रीन देखने के बजाय बीच-बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक दें। इससे आँखों को आराम मिलता है और फोकस बेहतर रहता है।

  • आँखों की सफाई का ध्यान
    दिन में एक-दो बार साफ और ठंडे पानी से आँख धोने की आदत डालें। इससे धूल, गंदगी और थकान कम होती है।

  • सोने से पहले स्क्रीन बंद करना
    सोने से कम से कम 1 घंटा पहले सभी डिजिटल उपकरण बंद कर दें। इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और आँखों पर तनाव कम पड़ता है।

  • सही दूरी और रोशनी में पढ़ना
    पढ़ते समय या स्क्रीन देखते समय हमेशा पर्याप्त रोशनी रखें और किताब या स्क्रीन को आँखों से उचित दूरी पर रखें।

निष्कर्ष (Conclusion)

बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आज के समय में एक हकीकत है, लेकिन यह आपकी समझदारी और देखभाल से नियंत्रित किया जा सकता है। अगर आप थोड़ी सख्ती के साथ सही आदतें अपनाएँ, संतुलित आहार दें और आयुर्वेदिक उपायों को रोज़मर्रा में शामिल करें, तो उनके आँखों की सेहत सालों तक सुरक्षित रह सकती है। 

याद रखें, बच्चे खुद अपने लिए नियम नहीं बना सकते, इसलिए यह ज़िम्मेदारी आपकी है कि आप उन्हें स्क्रीन से ब्रेक दिलाएँ, बाहर खेलने का समय दें और आँखों को प्राकृतिक रोशनी का लाभ पहुँचाएँ। छोटी-छोटी सावधानियाँ ही आगे चलकर बड़े फ़ायदे देती हैं और आपके बच्चे को सिरदर्द, जलन और थकान जैसी समस्याओं से बचाती हैं।

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FAQs

सिर दर्द और आँखों में दर्द के लिए क्या घरेलू उपाय हैं?
आप हल्के गुनगुने पानी से सिर धोएँ, माथे पर ठंडी पट्टी रखें और आँखों को गुलाबजल से धोएँ। इससे आराम और ठंडक महसूस होगी।

कौन सा घरेलू उपाय आपकी आँखों को साफ करता है?
आप रोज़ सुबह ठंडे पानी से आँख धोएँ या त्रिफला जल का उपयोग करें। यह धूल और थकान हटाकर आँखों को साफ और तरोताज़ा रखता है।

मोबाइल स्क्रीन से आँखों की सुरक्षा कैसे करें?
आप मोबाइल को कम से कम 1 फुट दूर रखें, स्क्रीन की चमक कम करें, 20-20-20 नियम अपनाएँ और बीच-बीच में आँखें बंद करके आराम दें।

मोबाइल का इस्तेमाल कितने घंटे आँखों के लिए सुरक्षित है?
आपके लिए दिन में 1–2 घंटे से ज़्यादा मोबाइल का इस्तेमाल न करना बेहतर है, खासकर बच्चों के लिए। बाकी समय पढ़ाई या खेल में लगाएँ।

ज़्यादा मोबाइल देखने से आँखों को क्या नुकसान होता है?
लंबे समय तक मोबाइल देखने से आँखों में जलन, धुंधलापन, सूखापन और सिरदर्द हो सकता है। यह आपकी नींद और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी घटा सकता है।

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