Get up to 15% OFF! On Authentic Ayurveda Products! Best Prices only on the brand store. Visit : www.store.jiva.com
Understand the root-cause of your problem, and begin your personalized treatment today.
रोग कोई भी हो, चाहे आँख का, कान का, गले का या फिर शरीर के किसी अन्य भाग से सम्बन्धित, ये हमारे गलत खान-पान, रहन-सहन व प्रदूषित वातावरण के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता के अभाव के फलस्वरूप ही होते हैं।
थको नहीं, रुकों नहीं, नित्य करो अभ्यास । स्वस्थ बने रहने की तभी बुझेगी प्यास ।।
जीवन में प्रत्येक व्यक्ति सुख और शान्ति चाहता है और जीवन को आनन्दमय बनाने के लिये जीवनपर्यन्त प्रयास करता रहता है। भौतिक वस्तुओं का आकर्षण उसे नित्य प्रतिदिन एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी और तीसरी के बाद चौथी वस्तु की तरफ खींचता चला जाता है। इन्हीं भौतिक वस्तु को एकत्र करने की चेष्टा में वो इतना व्यस्त रहता है कि जिस शरीर ने सुख-शान्ति और आनन्द का मज़ा लेना है उसको नज़र अन्दाज़ कर देता है। याद रखें, स्वस्थ शरीर ही जीवन का आनन्द ले सकता है। शरीर तभी स्वस्थ रहेगा जब समस्त शारीरिक प्रणालियाँ (पाचन प्रणाली, विसर्जन प्रणाली, श्वसन प्रणाली, स्नायुप्रणाली, ग्रन्थि प्रणाली, रक्त संचार प्रणाली) ठीक से काम करती रहें।
सम्पूर्ण प्रणाली तन्त्र को अधिक प्रभावशाली व स्वस्थ रखने के लिये व्यवस्थित दिनचर्या, सकारात्मक सोच के अतिरिक्त नियमित योगाभ्यास अति आवश्यक है।
पाचन तन्त्र व विसर्जन तन्त्र को स्वस्थ रखने के लिये पवनमुक्त-भुजंगासन शलमासन, हलासन के अतिरिक्त ताड़ासन, जिसकी चर्चा हम करने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसे करने की विधि व इससे प्राप्त होने वाले लाभों के बारें में।
ताड़ासन करते समय शरीर ताड़ के वृक्ष की तरह सीधा रहता है इसी लिए इसे ताड़ासन के नाम से जाना जाता है। ये आसन कई प्रकार से किया जाता है। इसे करने की सरल, अतिप्रभावशाली व अति लाभकारी विधि का वर्णन नीचे किया जा रहा है।
एड़ी मिला व पंजों को थोड़ा खोल सीधे खड़े हो जायें।
श्वास भरते हुए दायां हाथ सीधा ऊपर की तरफ ले जायें व बाजू सीधी कान के पास रखते हुए श्वास छोड़ दें।
इसी तरह श्वास भरते बायां हाथ ऊपर कान के पास ले जाने के बाद श्वास छोड़ दें।
दोनों बाजू ऊपर रखते हुए श्वास भरकर एड़ियाँ ऊपर उठा पंजों पर खड़े हो जायें।
यथाशक्ति रुकें व श्वास छोड़ते-छोड़ते दोनों हाथों व एड़ियों को पूर्व स्थिति में ले आयें।
अपनी क्षमतानुसार कम से कम पांच बार दोहरायें।
शारीरिक व मानसिक संतुलन ठीक रखता है।
पाचन तन्त्र ठीक करता है।
टखनों, घुटनों व जांघों को मज़बूत बनाता है।
फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है।
बच्चों की लम्बाई बढ़ाने में सहायक।
कब्ज़ व अजीर्ण की समस्या दूर करता है।
आलस्य दूर करता है। एकाग्रता बढ़ाता है।
आसन की पूर्ण स्थिति में खिचाव को पंजों से लेकर हाथ की उंगलियों तक महसूस करें। अगर पैरों में किसी प्रकार की तकलीफ है या चोट लगी हो तो इसका अभ्यास न करें। रक्तचाप से ग्रस्त इसको न करें। चक्कर आते हों तो भी इसे न करें।
योगाभ्यास शुरु करने से पूर्व अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें और तत्त्पश्चात योग्य शिक्षक की देख रेख में अभ्यास करें।
To Know more , talk to a Jiva doctor. Dial 0129-4040404 or click on ‘Speak to a Doctor
under the CONNECT tab in Jiva Health App.
Subscribe to the monthly Jiva Newsletter and get regular updates on Dr Chauhan's latest health videos, health & wellness tips, blogs and lots more.
Comment
Be the first to comment.