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हार्मोनल संतुलन अब आसान है,
आयुर्वेद के साथ

जीवा आयुर्वेद से पाएँ थकान, मोटापा, थायरॉइड
और डायबिटीज़ जैसी समस्याओं से जड़ से राहत

आयुर्वेदिक उपचार एंडोक्राइन रोगों (अंतःस्रावी तंत्र) के लिए

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आयुर्वेदिक उपचार एंडोक्राइन रोगों (अंतःस्रावी तंत्र) के लिए

एंडोक्राइन रोग (अंतःस्रावी विकारों से जुड़े रोग) क्या होते हैं?

आपके शरीर में कई ग्रंथियाँ (glands) होती हैं, जैसे थायरॉइड, पिट्यूटरी, एड्रिनल और पैंक्रियास। ये ग्रंथियाँ मिलकर एक प्रणाली बनाती हैं, जिसे एंडोक्राइन सिस्टम कहा जाता है। यह सिस्टम आपके शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखता है जो आपके मूड, नींद, भूख, वज़न, मेटाबॉलिज़्म, पाचन, प्रजनन और इम्युनिटी जैसी चीज़ों को विनियमित करते हैं।

जब इन ग्रंथियों का काम बिगड़ जाता है, तब हार्मोन का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। यही असंतुलन जब लंबे समय तक बना रहता है, तो उसे एंडोक्राइन रोग कहा जाता है। इसके सामान्य उदाहरण हैं – थायरॉइड की समस्या, डायबिटीज़, मोटापा, हाइपरग्लाइसीमिया, हाइपोग्लाइसीमिया, गैंगरीन और गाइनेकोमैस्टिया जैसी समस्याएँ।

आजकल की तनावपूर्ण और असंतुलित लाइफस्टाइल के कारण ये रोग बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं। देर रात तक जागना, फास्ट फूड, शारीरिक गतिविधियों की कमी और लगातार मानसिक तनाव से हार्मोनल गड़बड़ियाँ आम हो गई हैं। खासकर शहरी जीवन में युवा से लेकर बुज़ुर्ग तक इससे प्रभावित हो रहे हैं।

आयुर्वेद इन रोगों को सिर्फ लक्षणों से नहीं, उनकी जड़ यानी कारण से पहचानता है। यहाँ माना जाता है कि जब आपके शरीर में अग्नि (पाचन शक्ति) कमज़ोर हो जाती है या 'आम' (टॉक्सिन्स) जमा हो जाते हैं, तब ये ग्रंथियाँ ठीक से काम नहीं करतीं। साथ ही वाता, पित्त और कफ का असंतुलन भी हार्मोनल समस्याओं को जन्म देता है।

जीवा आयुर्वेद में हर व्यक्ति की प्रकृति, दिनचर्या और समस्या को समझकर एक व्यक्तिगत इलाज दिया जाता है जो शरीर को भीतर से ठीक करता है और हार्मोन्स को फिर से संतुलित करता है।

जीवा में इलाज होने वाले एंडोक्राइन रोगों (अंतःस्रावी विकार) के प्रकार

मोटापा (Obesity)

मोटापा एक ऐसी समस्या है जिसमें आपके शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है... जीवा में बस्ती, उद्वर्तन और विशेष आहार योजना से इसका समाधान किया जाता है।

थायरॉइड की समस्या (Thyroid Disorders)

थायरॉइड की समस्या तब होती है जब गले में मौजूद थायरॉइड ग्रंथि सही मात्रा में हार्मोन नहीं बनाती... जीवा में इन समस्याओं का इलाज खास हर्बल औषधियों और मन-शरीर संतुलन तकनीकों से किया जाता है।

डायबिटीज़ (Diabetes)

डायबिटीज़ यानी मधुमेह आज एक आम बीमारी बन चुकी है... जीवा में इसे आम की सफाई, अग्नि के सुधार और विशेष मधुनाशक औषधियों से नियंत्रित किया जाता है।

टाइप 1 डायबिटीज़ (Type 1 Diabetes)

टाइप 1 डायबिटीज़ खासतौर पर बच्चों और युवाओं को प्रभावित करती है... जीवा में इम्युनिटी सुधारने वाले हर्ब्स, विशेष खानपान और पंचकर्म थेरेपी से इस स्थिति को स्थिर करने का प्रयास किया जाता है।

हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia)

हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब आपके शरीर में शुगर बहुत कम हो जाती है... और बलवर्धक औषधियों से इलाज किया जाता है।

हाइपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia)

हाइपरग्लाइसीमिया डायबिटीज़ के मरीज़ों में तब देखा जाता है... मधुनाशक जड़ी-बूटियाँ, व्यायाम और मानसिक शांति पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

प्रीडायबिटीज़ (Prediabetes)

प्रीडायबिटीज़ एक चेतावनी है कि आपका शरीर डायबिटीज़ की ओर बढ़ रहा है... योग से इसे पूरी तरह नियंत्रण में लाया जाता है।

डायबेटिक न्यूरोपैथी (Diabetic Neuropathy)

डायबेटिक न्यूरोपैथी में डायबिटीज़ की वजह से नसें प्रभावित हो जाती हैं... अभ्यंग, स्वेदन और रक्त शुद्धि की जाती है।

गाइनेकोमैस्टिया (Gynecomastia)

गाइनेकोमैस्टिया एक हार्मोनल समस्या है जो पुरुषों में होती है... जीवा में इसे संतुलित करने के लिए पुरुषत्व बढ़ाने वाले हर्ब्स और पाचन सुधारने वाली औषधियाँ दी जाती हैं।

हर्निया (Hernia)

हर्निया पेट की आँत के बाहर निकल आने की स्थिति है... बिना सर्जरी के भी इसका इलाज पंचकर्म, स्निग्धन और बृंहण औषधियों से किया जाता है।

गैंगरीन (Gangrene)

गैंगरीन तब होता है जब शरीर के किसी हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है... संक्रमण रोकने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँ दी जाती हैं।

वज़न घटना (Weight Loss)

अगर आप बिना किसी कोशिश के वज़न तेज़ी से खो रहे हैं... ताकत देने वाले विशेष खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं।

आयुर्वेद एंडोक्राइन रोगों को कैसे समझता है?

आधुनिक चिकित्सा में एंडोक्राइन रोगों को हार्मोन की गड़बड़ी से जोड़ा जाता है, लेकिन आयुर्वेद इससे भी गहराई में जाकर इनके कारणों को समझता है...

आयुर्वेदिक इलाज के फ़ायदे

  • लक्षण नहीं, जड़ का इलाज: जीवा में आपकी पूरी स्थिति को समझकर इलाज किया जाता है।
  • शरीर के अंदर से प्राकृतिक सुधार: आयुर्वेदिक औषधियाँ ग्रंथियों को पुनः सक्रिय करती हैं और हार्मोन्स को संतुलन में लाती हैं।
  • इम्युनिटी और मेटाबॉलिज़्म में सुधार: पाचन के सुधार से शरीर ऊर्जावान और स्वस्थ बनता है।
  • लंबे समय तक सुरक्षित: कोई साइड इफेक्ट नहीं होने से यह इलाज लंबे समय तक लिया जा सकता है।
  • जीवन की गुणवत्ता में सुधार: नींद, मनोदशा और ऊर्जा स्तर बेहतर होते हैं।

एंडोक्राइन रोगों में इस्तेमाल होने वाले आयुर्वेदिक इलाज और थैरेपी

मुख्य जड़ी-बूटियाँ (Herbs)

  • अश्वगंधा (Ashwagandha): तनाव, थकान और हार्मोन असंतुलन में उपयोगी।
  • शतावरी (Shatavari): महिलाओं में हार्मोन संतुलन के लिए लाभदायक।
  • गुग्गुल (Guggulu): मेटाबॉलिज़्म सुधारता है और फैट को कम करता है।
  • त्रिफला (Triphala): पाचन सुधारता है और टॉक्सिन्स निकालता है।
  • गिलोय (Guduchi): इम्युनिटी बढ़ाता है और मधुमेह व थायरॉइड में सहायक।
  • शिलाजीत: टेस्टोस्टेरोन संतुलन और ऊर्जा के लिए उपयोगी।
  • गोक्षुर (Gokshura): मूत्र और प्रजनन तंत्र को मज़बूत करता है।
  • हल्दी (Turmeric): सूजन कम करती है और हार्मोन स्वास्थ्य को बढ़ाती है।
  • मुलेठी (Licorice): एड्रिनल ग्रंथियों का समर्थन और कॉर्टिसोल संतुलन बनाए रखती है।

मुख्य पंचकर्म और अन्य थैरेपी (Therapies)

  • बस्ती (Basti): वात दोष से जुड़ी बीमारियों में असरदार।
  • विरेचन (Virechana): पित्त-विकारों में शुद्धिकरण के लिए।
  • नस्य (Nasya): मस्तिष्क को संतुलित करता है और मानसिक शांति देता है।
  • अभ्यंग (Abhyanga): तेल मालिश से रक्तसंचार और नसों की मजबूती।
  • स्वेदन (Steam Therapy): शरीर से आम निकालने और स्रोत खोलने में सहायक।

जीवा आयुनिक™ – हमारा इलाज का अनोखा तरीका

जीवा आयुर्वेद में हर रोगी को सिर्फ बीमारी नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है...

  • HACCP सर्टिफाइड आयुर्वेदिक दवाइयाँ: उच्च गुणवत्ता वाली हर्बल औषधियाँ।
  • राहत की निरंतर ट्रैकिंग: इलाज की प्रगति पर लगातार नज़र रखी जाती है।
  • व्यक्तिगत डाइट और लाइफस्टाइल प्लान: आपकी प्रकृति के अनुसार डाइट और दिनचर्या बनाई जाती है।
  • योग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस: मानसिक स्थिरता और तेज़ रिकवरी के लिए।

आपका इलाज शुरू करने के 3 आसान कदम

  1. नि:शुल्क परामर्श बुक करें: फोन, वीडियो कॉल या क्लिनिक विजिट से विशेषज्ञ से बात करें।
  2. जड़ का पता लगाएँ (Root Cause Diagnosis): आपकी प्रकृति और समस्या की गहराई को समझकर कारण पहचाना जाता है।
  3. आयुर्वेदिक इलाज शुरू करें: व्यक्तिगत उपचार प्लान जिसमें दवाएँ, डाइट, योग और दिनचर्या शामिल होती हैं।

अब और इंतज़ार नहीं – आज ही अपने इलाज की शुरुआत करें

अगर आप भी एंडोक्राइन समस्याओं जैसे थायरॉइड, डायबिटीज़, मोटापा या हार्मोनल गड़बड़ियों से जूझ रहे हैं, तो अब समय है अपनी सेहत को प्राथमिकता देने का। जीवा आयुर्वेद में आपको जड़ से इलाज मिलता है जो आपकी प्रकृति और जीवनशैली के अनुसार होता है।

आज ही अपनी फ्री कंसल्टेशन बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम बढ़ाएँ।

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