Diseases Search
Close Button
 
 

बच्चों को ठंड में रोज़ नहलाना चाहिए या नहीं? जानिए आयुर्वेद में बच्चों की दिनचर्या के नियम

Information By Dr. Keshav Chauhan

भारत में एक अध्ययन के अनुसार, प्राथमिक विद्यालय जाने वाले लगभग 82.6% बच्चे रोज़ नहाने को अच्छी स्वच्छता की आदत मानते हैं। यह आँकड़ा दिखाता है कि साफ-सफाई हमारे पालन-पोषण का एक अहम हिस्सा है। लेकिन जब बात सर्दियों की आती है, तो यही रोज़ाना नहाने की आदत बच्चों के लिए हमेशा फायदेमंद नहीं रहती।

ठंड के मौसम में बच्चों की त्वचा नाज़ुक हो जाती है और शरीर का तापमान जल्दी गिर सकता है। ऐसे में सवाल उठता है — क्या बच्चों को सर्दियों में रोज़ नहलाना सही है, या यह उनकी सेहत को नुकसान पहुँचा सकता है?

आयुर्वेद कहता है कि बच्चों की दिनचर्या मौसम के अनुसार बदलनी चाहिए, ताकि शरीर और मन दोनों संतुलित रहें। इस लेख में आप जानेंगे कि ठंड में बच्चों को नहलाने का सही तरीका क्या है, कितनी बार नहलाना ठीक है, और कैसे आयुर्वेद के छोटे-छोटे नियम आपके बच्चे की सुरक्षा और आराम दोनों बनाए रख सकते हैं।

ठंड के मौसम में बच्चों को रोज़ नहलाना चाहिए या नहीं?

सर्दियों में हर माता-पिता के मन में यही सवाल आता है — क्या बच्चों को रोज़ नहलाना ज़रूरी है या इससे नुकसान हो सकता है? यह सोच स्वाभाविक है, क्योंकि हम सभी को बचपन से सिखाया गया है कि रोज़ नहाना अच्छी आदत होती है। लेकिन ठंड के मौसम में यह नियम थोड़ा बदल जाता है।

सामान्य धारणा बनाम वास्तविकता

अक्सर यह माना जाता है कि रोज़ नहाने से बच्चे साफ-सुथरे रहते हैं और बीमारियाँ दूर रहती हैं। लेकिन सर्दियों में जब तापमान गिरता है, तो बच्चों के शरीर का तापमान भी जल्दी कम हो जाता है। ऐसे में रोज़ नहलाना हर बच्चे के लिए ज़रूरी नहीं होता। 

अगर आपका बच्चा गंदगी में नहीं खेला, उसे ज़्यादा पसीना नहीं आया या उसने बाहर ज़्यादा समय नहीं बिताया है, तो रोज़ नहलाने की कोई ज़रूरत नहीं है। ऐसे समय पर आप सिर्फ उसके हाथ-पैर और चेहरा धोकर भी साफ-सफाई बनाए रख सकते हैं।

ठंड में बार-बार नहलाने के नुकसान

सर्दियों में बार-बार नहलाने से बच्चे की त्वचा और शरीर दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

  • शरीर का तापमान गिरता है – ठंडे मौसम में रोज़ नहलाने से शरीर का तापमान अचानक गिर सकता है, जिससे बच्चे को सर्दी-ज़ुकाम या खाँसी हो सकती है।

  • प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है – बार-बार ठंडे पानी के संपर्क में आने से इम्युनिटी पर असर पड़ सकता है, खासकर छोटे बच्चों में।

  • त्वचा की नमी कम होती है – ठंडी हवा पहले ही त्वचा की नमी छीन लेती है, और रोज़ नहाने से यह और रूखी हो जाती है।

कब ज़रूरी है बच्चे को नहलाना

हर बच्चे के लिए एक ही नियम नहीं होता, लेकिन कुछ स्थितियों में नहलाना ज़रूरी हो जाता है।

  • अगर बच्चा गंदगी में खेला है, मिट्टी या धूल लगी है।

  • अगर बच्चे को पसीना आया है, जैसे खेल-कूद के बाद।

  • अगर बच्चे को दस्त या उल्टी हुई है, जिससे शरीर पर गंध या बैक्टीरिया रह सकते हैं।

  • अगर बच्चा स्विमिंग पूल में गया है, तो क्लोरीन हटाने के लिए नहलाना ज़रूरी है।

इन स्थितियों में नहलाना शरीर की सफाई और संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है। लेकिन अगर इनमें से कोई स्थिति नहीं है, तो रोज़ नहलाना आवश्यक नहीं है।

रोज़ नहाने से बच्चों की त्वचा को क्या नुकसान हो सकते हैं?

सर्दियों में बच्चों की त्वचा पहले से ही नाज़ुक और संवेदनशील होती है। अगर आप रोज़ नहलाते हैं, तो यह संवेदनशीलता और बढ़ सकती है।

नेचुरल ऑयल्स का खत्म होना

त्वचा पर एक प्राकृतिक तेल (नेचुरल ऑयल) की परत होती है, जो उसे मुलायम और सुरक्षित रखती है। जब आप रोज़ नहलाते हैं, तो यह परत साबुन और पानी से बार-बार धुल जाती है। इससे त्वचा अपनी प्राकृतिक नमी खो देती है और फटने या खुजली की समस्या होने लगती है।

रूखी और खुजलीदार त्वचा

ठंडी हवा और गर्म पानी का असर मिलकर त्वचा को और सूखा बना देता है। अगर आपका बच्चा रोज़ नहाता है और मॉइश्चराइज़र का इस्तेमाल नहीं करता, तो उसकी त्वचा में खुजली और लालिमा आ सकती है।

त्वचा की सुरक्षा परत का कमज़ोर होना

त्वचा पर मौजूद तेल और नमी सिर्फ सुंदरता के लिए नहीं होते — वे शरीर को बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से बचाते हैं। बार-बार नहलाने से यह सुरक्षा परत कमज़ोर हो जाती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

संक्रमण (इन्फेक्शन) का खतरा

रूखी और फटी त्वचा बैक्टीरिया के लिए एक आसान रास्ता बन जाती है। सर्दियों में कई बच्चों को फंगल इंफेक्शन या खुजली की शिकायत होती है, जो अक्सर ज़्यादा नहाने की वजह से भी होती है।

इसलिए सर्दियों में बच्चे की त्वचा को प्राकृतिक रूप से साफ और सुरक्षित रखने के लिए रोज़ नहलाने की ज़रूरत नहीं होती। आप चाहें तो बीच के दिनों में गीले कपड़े या मुलायम तौलिये से बच्चे के हाथ-पैर और चेहरा साफ कर सकते हैं।

आयुर्वेद क्या कहता है – बच्चों की दिनचर्या में स्नान का सही स्थान क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की सेहत सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदर से भी जुड़ी होती है। इसलिए “स्नान” यानी नहाना, सिर्फ सफाई नहीं बल्कि शरीर और मन को संतुलित रखने की प्रक्रिया है।

“दिनचर्या” का मतलब और महत्व

आयुर्वेद में दिनचर्या का मतलब है — रोज़मर्रा की वो आदतें जो शरीर को स्वस्थ और संतुलित रखती हैं। इसमें उठने का समय, व्यायाम, अभ्यंग (तेल मालिश), स्नान, भोजन, और नींद — सब कुछ शामिल है। बच्चों के लिए दिनचर्या और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनका शरीर विकास के दौर में होता है।

बच्चों की त्वचा और शरीर की प्रकृति के अनुसार स्नान की भूमिका

आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों का शरीर सामान्यतः कफ प्रकृति का माना जाता है — यानी उनमें नमी और ठंडक अधिक होती है। सर्दियों में जब वात दोष बढ़ता है, तो बार-बार स्नान करने से यह असंतुलन और बढ़ सकता है। 

इसलिए आयुर्वेद कहता है कि बच्चों को ठंड में रोज़ स्नान कराने के बजाय अभ्यंग (तेल मालिश) को प्राथमिकता दें। इससे शरीर में गर्मी बनी रहती है, रक्त संचार सुधरता है और त्वचा भी मुलायम रहती है।

आयुर्वेद में “स्नान” का स्वास्थ्य दृष्टि से लाभ

आयुर्वेद कहता है कि स्नान से शरीर के दोष (वात, पित्त, कफ) संतुलित रहते हैं, लेकिन यह तभी लाभकारी होता है जब यह मौसम और शरीर की प्रकृति के अनुसार किया जाए।

  • सर्दियों में सुबह बहुत जल्दी या रात में स्नान करने से बचना चाहिए।

  • गुनगुने पानी से स्नान करने से वात दोष शांत होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है।

  • अभ्यंग यानी तेल मालिश के बाद स्नान करने से शरीर मजबूत होता है और त्वचा में कोमलता बनी रहती है।

आयुर्वेद की यही खूबसूरती है — यह हर चीज़ को मौसम, शरीर और प्रकृति के अनुसार संतुलित करने की बात करता है।

सर्दियों में बच्चों को कितनी बार नहलाना ठीक है?

सर्दियों में बच्चों को रोज़ नहलाना ज़रूरी नहीं होता, क्योंकि ठंड के मौसम में शरीर का तापमान पहले ही कम रहता है। ऐसे में रोज़ नहाने से बच्चों की त्वचा रूखी और शरीर ठंडा हो सकता है। फिर सवाल आता है — कितनी बार नहलाना सही रहेगा? इसका जवाब आयुर्वेद और आधुनिक दोनों दृष्टियों से संतुलित रूप में समझना ज़रूरी है।

आयुर्वेद और आधुनिक सलाह का संतुलन

आयुर्वेद के अनुसार, हर मौसम और हर शरीर की प्रकृति अलग होती है। सर्दियों में जब वात दोष बढ़ता है, तो शरीर जल्दी ठंड पकड़ता है। ऐसे समय में बार-बार स्नान करना वात को और बढ़ा देता है, जिससे त्वचा फटने, जोड़ों में दर्द या सर्दी-ज़ुकाम जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। 

वहीं आधुनिक चिकित्सा भी यही कहती है कि रोज़ नहाना बच्चों के लिए ज़रूरी नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार, ठंड के मौसम में बच्चों को सप्ताह में 2 से 3 बार नहलाना पर्याप्त होता है, ताकि त्वचा का प्राकृतिक तेल और नमी बनी रहे। इस तरह, अगर आप आयुर्वेद और विज्ञान दोनों का संतुलन समझें, तो बच्चों को रोज़ नहाने की बजाय सीमित बार स्नान कराना ज़्यादा फायदेमंद है।

नवजात और छोटे बच्चों के लिए हफ्ते में 2–3 बार नियम

नवजात या कुछ महीनों के छोटे बच्चों को रोज़ नहलाना बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है। उनके शरीर का तापमान नियंत्रित रखना कठिन होता है और ठंड का असर जल्दी पड़ता है। 

आप अपने बच्चे को हफ्ते में दो से तीन बार गुनगुने पानी से नहला सकते हैं। अगर बच्चे को पसीना नहीं आता या वह घर के अंदर ही रहता है, तो रोज़ नहलाने की ज़रूरत नहीं होती। इससे बच्चे की त्वचा के प्राकृतिक तेल सुरक्षित रहते हैं और वह ठंड से भी बचा रहता है।

बीच के दिनों में गीले कपड़े से साफ करने का तरीका

अगर आप अपने बच्चे को रोज़ नहीं नहला रहे हैं, तो भी स्वच्छता बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए बीच के दिनों में कुछ सरल उपाय अपना सकते हैं:

  • मुलायम गीले कपड़े या कॉटन वाइप्स से बच्चे का चेहरा, हाथ, पैर और प्राइवेट पार्ट्स साफ करें।

  • बच्चे के कपड़े रोज़ बदलें ताकि शरीर पर धूल या पसीने का असर न रहे।

  • अगर बच्चे को ज़रा भी पसीना आया है, तो तुरंत गुनगुने पानी से पोंछ लें और कपड़े बदल दें।

ये छोटे-छोटे कदम रोज़ नहलाने के बिना भी आपके बच्चे को साफ-सुथरा और स्वस्थ रख सकते हैं।

बच्चों को सर्दियों में नहलाते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ रखें?

सर्दियों में बच्चों को नहलाना अपने आप में एक जिम्मेदारी भरा काम होता है। एक छोटी सी लापरवाही भी उन्हें ठंड लगने या बीमार पड़ने का कारण बन सकती है। इसलिए कुछ आसान लेकिन ज़रूरी सावधानियाँ हमेशा याद रखें।

गुनगुने पानी का उपयोग

सर्दियों में बच्चों को हमेशा गुनगुने पानी से नहलाएँ, न ज़्यादा गर्म और न ठंडा। बहुत गर्म पानी त्वचा को और ज़्यादा सूखा बना देता है, जबकि ठंडा पानी शरीर का तापमान गिरा देता है। पानी का तापमान इतना होना चाहिए कि आप उसे अपनी कलाई पर महसूस करें तो वह आरामदायक लगे, न जलन पैदा करे और न ठंड लगे।

नहाने का सही समय

आयुर्वेद कहता है कि सर्दियों में सुबह-सुबह या देर शाम को नहाने से बचना चाहिए। बच्चों के लिए सबसे सही समय है — सूर्योदय के बाद और शाम से पहले। इस समय वातावरण में हल्की गर्माहट होती है और ठंडी हवाओं का असर कम होता है।

कमरे का तापमान और वातावरण

नहलाने से पहले कमरे को बंद रखें ताकि हवा का सीधा संपर्क न हो। अगर बहुत ठंड है, तो नहाने से पहले कमरे को हल्का गर्म कर लें। नहलाने के तुरंत बाद बच्चे को तौलिए से हल्के हाथों से थपथपाकर सुखाएँ (रगड़ें नहीं)। इसके बाद तुरंत गर्म कपड़े और मोज़े पहनाएँ ताकि शरीर की गर्मी बनी रहे।

नहाने के बाद मॉइश्चराइज़र और कपड़ों का ध्यान

सर्दियों में नहाने के बाद मॉइश्चराइज़र लगाना सबसे ज़रूरी कदमों में से एक है।

  • बिना खुशबू वाला हल्का मॉइश्चराइज़र या नारियल/तिल का तेल चुनें।

  • नहाने के 2–3 मिनट के अंदर मॉइश्चराइज़र लगाएँ ताकि त्वचा की नमी लॉक हो जाए।

  • बच्चों को हमेशा सूती और गर्म कपड़े पहनाएँ ताकि पसीना आसानी से सोख लिया जाए और त्वचा पर जलन न हो।

अगर आप इन सावधानियों को रोज़ की दिनचर्या में शामिल करते हैं, तो आपका बच्चा सर्दियों में भी सुरक्षित, गर्म और खुश रहेगा।

सर्दियों में नवजात बच्चों को नहलाने का सही तरीका क्या है?

नवजात बच्चे की त्वचा बेहद नाज़ुक होती है और तापमान के प्रति संवेदनशील भी। सर्दियों में नहलाने के दौरान ज़रा सी लापरवाही भी ठंड लगने या सर्दी-ज़ुकाम का कारण बन सकती है। इसलिए अगर आपका शिशु कुछ हफ़्तों या महीनों का है, तो नहलाने का तरीका बहुत सोच-समझकर अपनाना चाहिए।

बंद कमरे और गर्म वातावरण में नहलाना

नहलाने से पहले कमरे का तापमान हमेशा ध्यान में रखें।

  • कोशिश करें कि आप बंद कमरे में बच्चे को नहलाएँ, ताकि हवा सीधे शरीर पर न लगे।

  • अगर मौसम बहुत ठंडा है, तो कमरे को हल्का गर्म कर लें, लेकिन हीटर या ब्लोअर बहुत पास न रखें।

  • खिड़की और दरवाज़े बंद रखकर वातावरण को आरामदायक बनाएँ।

नहलाने से पहले बच्चे के कपड़े और तौलिया तैयार रखें ताकि नहलाने के बाद तुरंत सुखाया जा सके।

गुनगुने पानी का तापमान

पानी का तापमान सर्दियों में न बहुत ठंडा होना चाहिए, न बहुत गर्म। आप इसे अपनी कलाई या कोहनी से जांच सकते हैं — पानी हल्का गुनगुना लगे, लेकिन जलन न दे। बहुत गर्म पानी त्वचा को सूखा देता है, जबकि ठंडा पानी शरीर का सामान्य तापमान गिरा देता है।

नहलाने के बाद तुरंत सुखाना और कपड़े पहनाना

स्नान के तुरंत बाद बच्चे को मुलायम तौलिए से थपथपाकर सुखाएँ, रगड़ें नहीं। शरीर के हर हिस्से — जैसे कान के पीछे, गर्दन के नीचे और उंगलियों के बीच — को अच्छी तरह सुखाना ज़रूरी है।

इसके बाद बच्चे को गर्म, सूती कपड़े पहनाएँ और सिर को ढकने के लिए हल्की टोपी लगाएँ। ध्यान रखें कि नहाने और कपड़े पहनाने के बीच में ठंडी हवा न लगे।

दादी-नानी के घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

हमारे घरों में पुराने समय से कई आयुर्वेदिक नुस्खे चलते आ रहे हैं जो आज भी उतने ही उपयोगी हैं।

  • नहलाने से पहले तिल का तेल या सरसों का तेल हल्का गुनगुना करके मालिश करना शरीर में गर्माहट लाता है।

  • कुछ घरों में हल्का बेसन या मुल्तानी मिट्टी पानी में मिलाकर बच्चों को नहलाया जाता है। ये त्वचा को साफ करने के साथ-साथ मुलायम भी बनाते हैं।

  • आयुर्वेद में कहा गया है कि स्नान से पहले मालिश और स्नान के बाद मॉइश्चराइज़िंग, बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो रोज़ नहलाने के बजाय दिन में एक बार गुनगुने पानी में कपड़े से पोंछना भी पर्याप्त होता है।

क्या एंटीबैक्टीरियल साबुन या बबल बाथ बच्चों के लिए ठीक हैं?

आजकल कई माता-पिता बच्चों के लिए एंटीबैक्टीरियल साबुन या बबल बाथ इस्तेमाल करते हैं, यह सोचकर कि इससे अधिक सफाई होगी। लेकिन सच्चाई यह है कि ये उत्पाद बच्चों की नाज़ुक त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

इनसे होने वाले नुकसान

  • एंटीबैक्टीरियल साबुन में अक्सर रसायन होते हैं जो त्वचा के प्राकृतिक तेल को हटा देते हैं।

  • बार-बार इनका उपयोग करने से त्वचा रूखी, खुजलीदार और लाल हो सकती है।

  • बच्चों की त्वचा पर मौजूद “गुड बैक्टीरिया” जो संक्रमण से बचाते हैं, वो भी इन उत्पादों से खत्म हो जाते हैं।

इसलिए अगर आप सोचते हैं कि एंटीबैक्टीरियल साबुन रोज़ाना इस्तेमाल करना सुरक्षित है, तो यह एक गलत धारणा है।

आयुर्वेद में हल्के और प्राकृतिक उत्पादों की सलाह

आयुर्वेद कहता है कि बच्चों के लिए ऐसे उत्पाद चुनें जो प्राकृतिक, बिना सुगंध और बिना रसायन वाले हों। आप चाहें तो बेसन, चंदन, नीम या मुल्तानी मिट्टी जैसी प्राकृतिक चीज़ों का हल्का लेप उपयोग कर सकते हैं। ये न केवल त्वचा को साफ रखते हैं, बल्कि उसकी प्राकृतिक चमक और नमी भी बनाए रखते हैं।

बिना खुशबू वाले माइल्ड क्लेंजर का उपयोग

अगर आप बाज़ार से साबुन या क्लेंजर खरीदते हैं, तो ध्यान रखें:

  • उसमें कृत्रिम खुशबू, पैराबेन या सल्फेट न हो।

  • “बच्चों के लिए माइल्ड” या “डर्माटोलॉजिकली टेस्टेड” लिखा हो।

  • साबुन की जगह आप माइल्ड बेबी वॉश या ऑर्गेनिक शरीर क्लीनर का उपयोग कर सकते हैं।

साफ-सफाई के नाम पर त्वचा की सुरक्षा से समझौता न करें। अगर आप हल्के, प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उत्पादों का चयन करते हैं, तो आपका बच्चा न केवल साफ रहेगा बल्कि उसकी त्वचा भी स्वस्थ और मुलायम बनी रहेगी।

निष्कर्ष

सर्दियों में बच्चों की देखभाल का असली मंत्र यही है — संतुलन और समझ। रोज़ नहलाना ज़रूरी नहीं, लेकिन सफाई और गर्माहट बनाए रखना बहुत ज़रूरी है। अगर आप बच्चे के शरीर की ज़रूरतों को समझेंगे, मौसम के अनुसार दिनचर्या में छोटे बदलाव करेंगे, और आयुर्वेदिक तरीकों जैसे तेल मालिश और हल्के स्नान का पालन करेंगे, तो आपका बच्चा पूरे मौसम में स्वस्थ और खुश रहेगा।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है — इसलिए उसकी दिनचर्या भी वैसी ही होनी चाहिए जो उसके शरीर और मौसम दोनों के अनुकूल हो। थोड़ी सावधानी और सही जानकारी से आप ठंड में भी अपने बच्चे की त्वचा, इम्युनिटी और सुकून का पूरा ध्यान रख सकते हैं।

अगर आप किसी भी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से आज ही संपर्क करें। व्यक्तिगत परामर्श के लिए कॉल करें — 0129-4264323.

FAQs

  1. सर्दी में बच्चे को कितनी बार नहाना चाहिए?

सर्दियों में बच्चे को हफ्ते में दो से तीन बार नहलाना ठीक रहता है। बाकी दिनों में आप गीले कपड़े से साफ-सफाई रख सकते हैं।

  1. सर्दियों में बच्चों की देखभाल कैसे करें?

आप बच्चे को ठंडी हवा से बचाएँ, रोज़ तेल मालिश करें, गुनगुना खाना-पानी दें और मॉइश्चराइज़र लगाकर उसकी त्वचा की नमी बनाए रखें।

  1. सर्दी में बच्चे के चेहरे पर क्या लगाना चाहिए?

आप हल्का बिना खुशबू वाला मॉइश्चराइज़र, नारियल तेल या देसी घी बहुत कम मात्रा में बच्चे के चेहरे पर लगा सकते हैं ताकि त्वचा न फटे।

  1. बच्चे को कितने दिन में नहलाना चाहिए?

अगर आपका बच्चा गंदगी में नहीं खेलता या पसीना नहीं आया है, तो हर दो या तीन दिन में एक बार नहलाना पर्याप्त है।

  1. बच्चों को सर्दी से बचने के लिए क्या करें?

बच्चे को गर्म कपड़े पहनाएँ, भीगने से बचाएँ, धूप में कुछ समय खिलाएँ और घर का तापमान संतुलित रखें। ठंडी चीज़ें खाने से परहेज़ कराएँ।

Top Ayurveda Doctors

Social Timeline

Our Happy Patients

  • Sunita Malik - Knee Pain
  • Abhishek Mal - Diabetes
  • Vidit Aggarwal - Psoriasis
  • Shanti - Sleeping Disorder
  • Ranjana - Arthritis
  • Jyoti - Migraine
  • Renu Lamba - Diabetes
  • Kamla Singh - Bulging Disc
  • Rajesh Kumar - Psoriasis
  • Dhruv Dutta - Diabetes
  • Atharva - Respiratory Disease
  • Amey - Skin Problem
  • Asha - Joint Problem
  • Sanjeeta - Joint Pain
  • A B Mukherjee - Acidity
  • Deepak Sharma - Lower Back Pain
  • Vyjayanti - Pcod
  • Sunil Singh - Thyroid
  • Sarla Gupta - Post Surgery Challenges
  • Syed Masood Ahmed - Osteoarthritis & Bp
Book Free Consultation Call Us