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शुगर के लिए बेस्ट आयुर्वेदिक इलाज – ब्लड शुगर कंट्रोल करने के आसान घरेलू उपाय

Information By Dr. Arun Gupta

भारत में मधुमेह यानी शुगर की समस्या तेज़ी से बढ़ रही है — जीवनशैली बदलने, फास्ट-फूड का बढ़ते उपयोग और गतिहीन दिनचर्या की वजह से। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में लगभग 77 मिलियन वयस्कों को टाइप-2 डायबिटीज़ है और करीब 25 मिलियन प्री-डायबिटिक स्थिति में हैं।

अगर आप-आपके परिचितों में शुगर की समस्या है, तो यह लेख आपके लिए है। आयुर्वेद के सरल, घरेलू और प्राकृतिक उपायों से आप ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार शुगर क्यों होती है, आप किन जड़ी-बूटियों और जिंदगीशैली बदलावों से इसे बेहतर कर सकते हैं, और कैसे आप स्वयं अपनी मदद कर सकते हैं। तो आइए शुरुआत करते हैं और देखते हैं कि आप अपने स्वास्थ्य के लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं।

क्या शुगर या डायबिटीज़ वास्तव में ठीक हो सकती है?

आज के समय में डायबिटीज़ या शुगर एक बहुत आम बीमारी बन चुकी है। भारत में लगभग हर घर में कोई न कोई इस समस्या से जूझ रहा है। कई लोग रोज़ गोलियाँ खाते हैं, कुछ इंसुलिन लेते हैं, फिर भी ब्लड शुगर पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो पाता। इससे यह सवाल उठता है कि क्या शुगर कभी ठीक हो सकती है?

असल में, शुगर एक ऐसी स्थिति है जो आपकी जीवनशैली, खान-पान और मानसिक तनाव से गहराई से जुड़ी है। अगर आप दिनचर्या में सुधार करें, भोजन पर ध्यान दें और तनाव कम करें, तो इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। 

एलोपैथिक दवाएँ ब्लड शुगर को अस्थायी रूप से कम करती हैं, लेकिन अक्सर लोग कहते हैं कि दवाएँ बंद करते ही शुगर फिर बढ़ जाती है। इसका कारण है कि केवल दवा लेने से नहीं, बल्कि पूरा शरीर का संतुलन सही रखने से ही शुगर पर स्थायी नियंत्रण पाया जा सकता है।

आयुर्वेद की सोच इस बात पर आधारित है कि शरीर के तीनों दोष — वात, पित्त और कफ — जब असंतुलित होते हैं, तो बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। शुगर के मामले में विशेष रूप से कफ दोष का बढ़ना एक मुख्य कारण माना गया है। 

इसलिए, आयुर्वेदिक इलाज केवल ब्लड शुगर घटाने पर नहीं, बल्कि शरीर के अंदर के संतुलन को बहाल करने पर ध्यान देता है। जब आपका पाचन सुधरता है, अग्नि (पाचन शक्ति) मजबूत होती है और मन शांत रहता है, तो ब्लड शुगर अपने आप नियंत्रित होने लगता है।

आयुर्वेद में शुगर (मधुमेह) को कैसे समझाया गया है?

आयुर्वेद में शुगर को मधुमेह कहा गया है। यह केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जहाँ शरीर की धातुएँ और अग्नि असंतुलित हो जाती हैं। 

‘मधु’ यानी मीठा, और ‘मेह’ का अर्थ है मूत्र के माध्यम से निकलने वाला — यानी ऐसा रोग जिसमें शरीर से मीठा मूत्र निकलता है। इसलिए इसे “मधुमेह” कहा गया।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में मधुमेह को अष्टोमहागद यानी आठ महा-भयावह रोगों में से एक माना गया है। इसका कारण है कि अगर इसे अनदेखा किया जाए, तो यह शरीर के कई अंगों को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचाता है — जैसे आँखें, किडनी, नसें और हृदय।

आयुर्वेद के अनुसार जब आपकी अग्नि (digestive fire) कमज़ोर पड़ जाती है और शरीर में कफ दोष बढ़ जाता है, तो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है। यह बढ़ा हुआ कफ रक्त और मूत्र में मधुरता (मीठास) बढ़ा देता है, जिससे मधुमेह का प्रकोप होता है। इस असंतुलन का मुख्य कारण है — गलत खान-पान, अत्यधिक मिठास का सेवन, दिनभर बैठा रहना, और मानसिक तनाव।

इसलिए आयुर्वेद का मानना है कि शुगर को केवल दवा से नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवनशैली परिवर्तन से ठीक किया जा सकता है। जब आप अपना पाचन सुधारते हैं, शरीर को चलायमान रखते हैं और मन को शांत करते हैं, तब मधुमेह धीरे-धीरे नियंत्रण में आता है।

आपके लिए यह समझना ज़रूरी है कि मधुमेह का मूल कारण केवल “शुगर का बढ़ना” नहीं है, बल्कि शरीर के अंदर ऊर्जा और धातु संतुलन का बिगड़ना है। यही कारण है कि आयुर्वेद में इसे एक “संतुलन बहाल करने की प्रक्रिया” के रूप में देखा जाता है, न कि केवल एक रोग दबाने वाले इलाज के रूप में।

शुगर के लिए कौन-कौन सी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ सबसे असरदार मानी जाती हैं?

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियाँ बताई गई हैं जो प्राकृतिक रूप से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। ये न केवल शुगर कम करती हैं, बल्कि अग्न्याशय (पैंक्रियाज़) की कार्यक्षमता भी सुधारती हैं, जिससे इंसुलिन का उत्पादन बेहतर होता है।

1. गुड़मार (Gymnema Sylvestre)

गुड़मार का अर्थ ही होता है गुड़ यानी चीनी को मारने वाला। यह जड़ी-बूटी शुगर के लिए सबसे प्रसिद्ध मानी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार, गुड़मार पत्तियों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं। यह पैंक्रियाज़ को इंसुलिन बनाने के लिए प्रेरित करती है और मीठा खाने की इच्छा को भी घटाती है। 

अगर आप इसे पाउडर के रूप में लेते हैं, तो आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम लेना लाभकारी माना गया है। आजकल इसके कैप्सूल भी उपलब्ध हैं।

2. जामुन की गुठली (Jamun Seed Powder)

जामुन के फल के साथ-साथ उसकी गुठली भी बहुत उपयोगी होती है। इसमें जाम्बोलीन नामक तत्व पाया जाता है जो इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाता है। 

अगर आप रोज़ 1 चम्मच जामुन की सूखी गुठली का चूर्ण सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें, तो यह ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद कर सकता है। जामुन का सेवन गर्मियों में फल के रूप में करना भी पाचन और रक्त शुद्धिकरण के लिए लाभकारी होता है।

3. मेथी दाना (Fenugreek Seeds)

मेथी हर रसोई में पाई जाती है और शुगर के मरीजों के लिए यह बहुत उपयोगी मानी जाती है। रातभर पानी में भिगोए हुए मेथी दाने सुबह खाली पेट चबाकर खाने या उस पानी को पीने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। 

मेथी के दानों में घुलनशील फाइबर होता है, जो कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा कर देता है और इस तरह अचानक शुगर बढ़ने से रोकता है।

4. विजयसार (Pterocarpus marsupium)

विजयसार की लकड़ी से बने गिलास का पानी पुराने समय से मधुमेह के इलाज में उपयोग होता आया है। आप रात में विजयसार की लकड़ी को पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट वही पानी पिएँ। इससे शरीर से अतिरिक्त शर्करा बाहर निकलने में मदद मिलती है। 

विजयसार में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के ऊतकों को पुनर्जीवित करते हैं और पैंक्रियाज़ की कार्यक्षमता में सुधार लाते हैं।

5. आंवला, हल्दी और नीम

  • आंवला (Indian Gooseberry) शरीर की पाचन अग्नि को संतुलित करता है, मेटाबोलिज़्म सुधारता है और इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है।

  • हल्दी (Turmeric) में मौजूद करक्यूमिन सूजन घटाता है और इंसुलिन रेज़िस्टेंस कम करता है।

  • नीम (Neem) का नियमित सेवन शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और ब्लड शुगर को स्थिर रखता है।

क्या आप घर पर ही ब्लड शुगर कंट्रोल कर सकते हैं? आसान घरेलू उपाय जानिए

अगर आप सोचते हैं कि ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए हमेशा दवाओं पर निर्भर रहना ज़रूरी है, तो ऐसा नहीं है। आयुर्वेद में कुछ बहुत आसान घरेलू उपाय बताए गए हैं, जिनसे आप अपने शुगर लेवल को नेचुरली कंट्रोल में रख सकते हैं। ये उपाय सस्ते भी हैं और सुरक्षित भी — बस इन्हें नियमित रूप से अपनाने की ज़रूरत है।

1. सुबह खाली पेट मेथी दाने का पानी पीना

मेथी दाना शुगर के लिए बेहद असरदार माना जाता है। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर पाचन को धीमा करता है और कार्बोहाइड्रेट को धीरे-धीरे तोड़ता है, जिससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता। आप रात में एक चम्मच मेथी के दाने एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट वही पानी पी लें। चाहें तो भीगे हुए दाने भी चबा सकते हैं। यह आदत अगर आप रोज़ अपनाएँ, तो ब्लड शुगर पर काफी नियंत्रण पाया जा सकता है।

2. जामुन की गुठली का चूर्ण लेना

जामुन की गुठली में जाम्बोलीन नामक तत्व पाया जाता है जो इंसुलिन की क्रिया को बेहतर बनाता है। सूखी जामुन की गुठलियों को पीसकर एक महीन चूर्ण बना लें और रोज़ सुबह खाली पेट एक चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। यह उपाय ब्लड शुगर को प्राकृतिक रूप से संतुलित रखता है और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।

3. नीम और करेला का रस या पेस्ट सेवन करना

नीम और करेला दोनों का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन ये शुगर के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं। आप सुबह खाली पेट आधा कप करेला का रस और आधा कप नीम का रस मिलाकर पी सकते हैं। यह मिश्रण शरीर से अतिरिक्त शर्करा को बाहर निकालने में मदद करता है और अग्न्याशय की कार्यक्षमता सुधारता है। अगर रस का स्वाद आपको बहुत कड़वा लगे, तो आप सूखे नीम और करेला पाउडर को पानी के साथ भी ले सकते हैं।

4. विजयसार की लकड़ी का पानी पीना

विजयसार की लकड़ी को मधुमेह के लिए “मधुमेह हंटर” कहा गया है। इस लकड़ी में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
आप रात में एक गिलास पानी में विजयसार की लकड़ी डालकर रख दें और सुबह वही पानी खाली पेट पिएँ। यह शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रखता है।

5. दालचीनी की चाय पीने का फायदा

दालचीनी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाते हैं। आप एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर डालकर उबालें और रोज़ सुबह या शाम को यह चाय पिएँ। यह स्वाद में हल्की मसालेदार होती है और ब्लड शुगर को नेचुरली कंट्रोल में रखती है।

अगर आप इन सभी उपायों में से कुछ को रोज़मर्रा की आदत बना लें, तो धीरे-धीरे आपका शुगर लेवल स्थिर रहने लगेगा। लेकिन ध्यान रखें — निरंतरता ही इसका असली राज़ है।

शुगर कंट्रोल के लिए आयुर्वेदिक डाइट कैसी होनी चाहिए?

शुगर के लिए दवा से ज़्यादा असरदार है सही खान-पान। आयुर्वेद में कहा गया है — “आपका भोजन ही आपकी औषधि है।” अगर आप सही भोजन लेंगे और समय पर खाएँगे, तो शुगर अपने आप संतुलित हो सकती है।

क्या खाएँ

  • साबुत अनाज जैसे जौ, रागी, बाजरा — ये फाइबर से भरपूर होते हैं और धीरे पचते हैं, जिससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ता।

  • हरी सब्ज़ियाँ — जैसे लौकी, तोरई, पालक, मेथी और करेला। ये पाचन सुधारती हैं और शरीर में ऊर्जा संतुलित रखती हैं।

  • लो-ग्लाइसेमिक फल — अमरूद, जामुन, पपीता जैसे फल ब्लड शुगर को नहीं बढ़ाते और विटामिन से भरपूर होते हैं।

  • मसाले — हल्दी, अदरक और लहसुन रोज़मर्रा के खाने में शामिल करें। ये सूजन कम करते हैं और इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाते हैं।

क्या न खाएँ

  • चीनी, मिठाइयाँ, कोल्ड ड्रिंक और मीठे जूस से दूरी रखें।

  • मैदा, ब्रेड, नूडल्स और प्रोसेस्ड फूड जैसे डिब्बाबंद खाने से परहेज़ करें।

  • तले और अत्यधिक नमकीन या मसालेदार भोजन से बचें।

  • शराब और धूम्रपान ब्लड शुगर बढ़ाने के साथ शरीर के अंगों को भी कमज़ोर करते हैं।

खाना बनाने के स्वस्थ तरीके

तेल की मात्रा सीमित रखें। तली चीज़ों की जगह स्टीम, ग्रिल या उबला हुआ भोजन चुनें। दालों, सब्ज़ियों और रोटियों में मोटे अनाज का उपयोग करें। इससे पाचन बेहतर रहता है और शुगर स्थिर रहती है।

दिन में कई बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना

एक बार में बहुत ज़्यादा खाने की बजाय, दिन में 4–5 बार थोड़ी मात्रा में खाएँ। इससे शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहती है और ब्लड शुगर नहीं बढ़ता।

खाने के तुरंत बाद टहलने की आदत डालें — इससे ग्लूकोज़ मांसपेशियों में इस्तेमाल हो जाता है और शरीर पर भार नहीं पड़ता।

तनाव और नींद का शुगर से क्या संबंध है?

अगर आप सोचते हैं कि शुगर केवल खाने-पीने से बढ़ती है, तो यह पूरी सच्चाई नहीं है। मानसिक तनाव और नींद की कमी भी ब्लड शुगर बढ़ाने में बड़ा योगदान देते हैं। जब आपका मन शांत नहीं रहता या आप पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे ब्लड शुगर पर सीधा असर पड़ता है।

मानसिक तनाव से हार्मोनल असंतुलन कैसे बढ़ता है

जब आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। कोर्टिसोल को “स्ट्रेस हार्मोन” कहा जाता है। इसका काम शरीर को सतर्क रखना है, लेकिन जब यह लगातार उच्च स्तर पर बना रहता है, तो यह आपके ब्लड शुगर को बढ़ा देता है। 

तनाव के कारण आपकी नींद कम होती है, भूख का पैटर्न बदल जाता है और आप ज़्यादा मीठा या तला हुआ खाना खाने लगते हैं। यह सब मिलकर ब्लड शुगर को और बढ़ा देता है।

अगर आप दिनभर काम के दबाव में रहते हैं, भविष्य को लेकर चिंता करते हैं या भावनात्मक तनाव से गुजर रहे हैं, तो यह धीरे-धीरे आपके शरीर पर असर डालता है।
इसलिए तनाव को नज़रअंदाज़ करने की बजाय उसे संभालने की आदत डालें — यह आपकी सेहत के लिए सबसे ज़रूरी कदमों में से एक है।

नींद की कमी का असर ब्लड शुगर पर

नींद केवल थकान मिटाने के लिए नहीं, बल्कि शरीर की हर कोशिका को रीसेट करने के लिए ज़रूरी है। अगर आप रोज़ 5–6 घंटे से कम सोते हैं, तो शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता घट जाती है। 

इसका मतलब है कि शरीर को शुगर को एनर्जी में बदलने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है — और धीरे-धीरे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है।

रात में देर तक मोबाइल चलाना, टीवी देखना या तनाव में करवटें बदलना आपकी नींद की गुणवत्ता को खराब करता है। अगर आप शुगर को नियंत्रित रखना चाहते हैं, तो रोज़ कम से कम 7–8 घंटे की गहरी नींद लेना बेहद ज़रूरी है।

कैसे आप रोज़ ध्यान और समय पर सोने की आदत से फर्क महसूस कर सकते हैं

आप अपने दिन की शुरुआत और अंत शांति से करें। रोज़ सुबह 10 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) करें — आँखें बंद करके केवल अपनी सांस पर ध्यान दें। इससे मन स्थिर होता है और तनाव घटता है। रात को मोबाइल और टीवी से दूरी बनाकर शांत माहौल में सोएँ। सोने से पहले हल्का गुनगुना दूध या हर्बल टी लें, जिससे नींद आसानी से आ सके।

अगर आप कुछ ही दिनों तक यह दिनचर्या अपनाएँगे, तो आपको खुद फर्क महसूस होगा — मन शांत रहेगा, नींद गहरी होगी और ब्लड शुगर भी संतुलित रहेगा।

निष्कर्ष

शुगर को नियंत्रित करना किसी सज़ा जैसा नहीं, बल्कि अपने शरीर को समझने और उसकी ज़रूरतों का सम्मान करने जैसा है। जब आप थोड़ा ध्यान अपने खाने, नींद, मन और आदतों पर देते हैं, तो शरीर खुद आपको बेहतर महसूस कराता है। याद रखें — कोई भी बदलाव एक रात में नहीं होता, लेकिन रोज़ के छोटे कदम बहुत बड़ा असर दिखा सकते हैं।

आप जितना शांत मन से जिएँगे, उतना ही आपका शरीर संतुलित रहेगा। आयुर्वेद कहता है कि हर व्यक्ति के अंदर स्वास्थ्य लौटाने की शक्ति पहले से मौजूद होती है — बस उसे सही दिशा देनी होती है।

अगर आप भी शुगर या किसी और स्वास्थ्य समस्या से परेशान हैं, तो देर न करें। आज ही हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से व्यक्तिगत परामर्श के लिए संपर्क करें। कॉल करें – 0129-4264323

FAQs

  1. बिना दवा के ब्लड शुगर को कैसे कंट्रोल करें?

आप रोज़ योग करें, संतुलित आहार लें, मीठा कम करें और तनाव घटाएँ। इन आदतों से आप बिना दवा के भी ब्लड शुगर नियंत्रित रख सकते हैं।

  1. शुगर को जड़ से खत्म करने के लिए क्या घरेलू उपाय हैं?

रोज़ सुबह मेथी दाने का पानी, जामुन गुठली चूर्ण और नीम-करेला रस का सेवन करें। ये उपाय शरीर का संतुलन बनाकर शुगर कम करने में मदद करते हैं।

  1. शुगर को खत्म करने के लिए क्या खाना चाहिए?

आपको साबुत अनाज, हरी सब्ज़ियाँ, करेला, अमरूद और हल्दी का सेवन करना चाहिए। ये चीज़ें ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकती हैं और पाचन सुधारती हैं।

  1. शुगर के रोगी को सुबह खाली पेट क्या खाना चाहिए?

सुबह खाली पेट मेथी पानी या आंवला रस लेना अच्छा है। ये पाचन सुधारते हैं, इंसुलिन क्रिया को मज़बूत करते हैं और ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं।

  1. कौन सा फल खाने से इंसुलिन बनता है?

जामुन और आंवला दो ऐसे फल हैं जो अग्न्याशय को सक्रिय करते हैं, जिससे शरीर में प्राकृतिक रूप से इंसुलिन बनना बेहतर होता है।

  1. क्या नींद की कमी से ब्लड शुगर बढ़ता है?

हाँ, नींद कम लेने से शरीर में तनाव हार्मोन बढ़ते हैं जो ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं। रोज़ कम से कम 7–8 घंटे सोना ज़रूरी है।

  1. क्या शुगर के मरीज़ दूध पी सकते हैं?

जी हाँ, आप सीमित मात्रा में टोंड या लो-फैट दूध पी सकते हैं। इसमें कैल्शियम और प्रोटीन होता है जो शरीर को ऊर्जा देता है।

  1. क्या व्यायाम से शुगर कम होती है?

हाँ, रोज़ 30 मिनट चलना या हल्का योग करने से ब्लड में ग्लूकोज़ ऊर्जा के रूप में उपयोग होता है, जिससे शुगर स्वाभाविक रूप से घटती है।

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