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एक्जिमा क्या है? (What is Eczema)
एक्जिमा एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाली त्वचा समस्या है जिसमें स्किन की ऊपरी परत कमज़ोर हो जाती है। इससे त्वचा अपनी नमी खो देती है और बाहरी धूल, प्रदूषण या एलर्जी से जल्दी प्रभावित होती है। लगातार खुजली, लाल धब्बे, सूजन और रुखापन इसके मुख्य लक्षण हैं।
एक्जिमा के कई प्रकार होते हैं — जैसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस और न्यूम्युलर एक्जिमा। किसी को यह बचपन से होता है, तो किसी को तनाव, खानपान, मौसम या एलर्जी से।
आयुर्वेद क्या कहता है?
आयुर्वेद में एक्जिमा को विचर्चिका कहा गया है। यह मुख्यतः पित्त और कफ दोष के असंतुलन से होता है। पित्त दोष त्वचा में सूजन और जलन पैदा करता है, जबकि कफ दोष खुजली, भारीपन और चिपचिपापन लाता है।
जब पाचन ठीक से नहीं होता, तो शरीर में आम (toxins) बनते हैं, जो रक्त के माध्यम से त्वचा में जाकर रोग को बढ़ाते हैं। इसलिए आयुर्वेद केवल बाहरी क्रीम से राहत नहीं, बल्कि अंदर से शुद्धिकरण और दोष संतुलन पर ध्यान देता है।
एक्जिमा के प्रकार (Types of Eczema)
- एटॉपिक डर्मेटाइटिस: बचपन से शुरू होने वाला सबसे आम प्रकार।
- कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस: किसी रासायनिक पदार्थ, साबुन या धातु के संपर्क से होने वाला।
- न्यूम्युलर एक्जिमा: ठंड के मौसम में सिक्के जैसे दाने बनना।
- डायसहाइड्रोटिक एक्जिमा: हाथ-पैर में पानी भरे फोड़े।
- सिबोरिक डर्मेटाइटिस: सिर, चेहरा या कानों पर पपड़ी और खुजली।
- न्यूरोडर्मेटाइटिस: किसी जगह लगातार खुजलाने से त्वचा मोटी और कठोर होना।
एक्जिमा के कारण (Common Causes)
- कमज़ोर इम्यून सिस्टम और ओवररिएक्शन
- आनुवंशिक प्रवृत्ति (Genetic predisposition)
- त्वचा की रक्षात्मक परत का कमज़ोर होना
- तनाव और मानसिक असंतुलन
- प्रदूषण, धूल, धूप या ठंडा मौसम
- कठोर साबुन, परफ्यूम, डिटर्जेंट का प्रयोग
- खाद्य एलर्जी जैसे दूध, मूंगफली, अंडा आदि
एक्जिमा के लक्षण (Symptoms)
- लगातार खुजली, विशेषकर रात में
- रूखी, फटी और खिंचाव वाली त्वचा
- लाल या काले धब्बे और दाने
- त्वचा पर पानी वाले फोड़े या गांठें
- लंबे समय तक खुजलाने से मोटी त्वचा बनना
- पपड़ी उतरना या छिलका दिखना
- हल्की सूजन और जलन
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Approach)
आयुर्वेद के अनुसार, एक्जिमा तब होता है जब शरीर में दोषों का असंतुलन और आम का संचय होता है। इसलिए इलाज में शरीर की आंतरिक सफाई, रक्त शोधन, और त्वचा को अंदर से पोषण देना शामिल होता है।
जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति (Jiva Ayunique™ Approach)
- HACCP प्रमाणित औषधियाँ: नीम, मंजिष्ठा, करंज तेल जैसे हर्बल उपचार जो खून को शुद्ध करते हैं।
- पंचकर्म थैरेपी: डिटॉक्स, रक्तमोक्षण और लेप-थेरेपी जैसे उपाय।
- योग और ध्यान: तनाव घटाकर रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाते हैं।
- आहार-दिनचर्या सुधार: ताजे फल, हल्का भोजन और जलयोजन पर आधारित व्यक्तिगत परामर्श।
एक्जिमा के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ (Ayurvedic Remedies)
- नीम: खुजली और संक्रमण को शांत करता है।
- मंजिष्ठा: खून को शुद्ध कर त्वचा को स्वस्थ बनाती है।
- करंज तेल: एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से सूजन कम करता है।
- एलोवेरा: जलन और लालिमा से तुरंत राहत देता है।
- नारियल तेल: त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और बैरियर रिपेयर करता है।
- हल्दी: सूजन और बैक्टीरियल संक्रमण रोकती है।
- खदिरारिष्ट: रक्तशोधक टॉनिक जो त्वचा रोगों में अत्यंत लाभकारी है।
जीवनशैली सुझाव (Lifestyle Tips)
- त्वचा को हल्के साबुन और गुनगुने पानी से धोएँ।
- तनाव से बचें, ध्यान और प्राणायाम करें।
- खुजली वाली जगह पर खरोंचना न करें।
- कॉटन के कपड़े पहनें और पसीना सूखने दें।
- तीखा, खट्टा और तला-भुना खाना कम करें।
अपने इलाज की शुरुआत करें
अगर आप एक्जिमा से परेशान हैं और बार-बार खुजली या लालिमा लौट आती है, तो यह संकेत है कि शरीर अंदर से असंतुलित है। आयुर्वेद में इसका जड़ से इलाज संभव है।
आज ही निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और जीवा आयुर्वेद के अनुभवी वैद्य से व्यक्तिगत इलाज प्राप्त करें।
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