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थायराइड का आयुर्वेदिक इलाज

थायराइड की परेशानी को प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का असरदार तरीका है – आयुर्वेद। जीवा आयुर्वेद में अनुभवी आयुर्वेदाचार्य आपकी समस्या की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज करते हैं। इसमें जड़ी-बूटियों, खानपान और जीवनशैली में बदलाव शामिल होते हैं।

थायराइड की परेशानी को प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का असरदार तरीका है – आयुर्वेद। जीवा आयुर्वेद में अनुभवी आयुर्वेदाचार्य आपकी समस्या की जड़ को समझकर व्यक्तिगत इलाज करते हैं। इसमें जड़ी-बूटियों, खानपान और जीवनशैली में बदलाव शामिल होते हैं।

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थायराइड की समस्या क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What are Thyroid Problems?)

आज के समय में थायराइड की समस्या बहुत आम हो गई है। अगर आपको अक्सर थकान लगती है, वजन तेज़ी से बढ़ या घट रहा है, मन चिड़चिड़ा रहता है या ठंड-गर्मी के प्रति सहनशक्ति कम हो गई है, तो हो सकता है कि ये थायराइड की समस्या के संकेत हों।

थायराइड एक छोटी सी ग्रंथि (gland) होती है जो आपके गले में होती है। इसका काम होता है शरीर में हार्मोन बनाना, जो आपके मेटाबॉलिज्म यानी शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं। जब ये ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती, तब या तो ये ज़रूरत से ज़्यादा हार्मोन बनाने लगती है (हाइपरथायराइडिज्म) या बहुत कम (हाइपोथायराइडिज्म)। दोनों ही स्थिति में आपके शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और कई तरह की तकलीफ़ें शुरू हो जाती हैं।

अब बात करते हैं आयुर्वेद की। आयुर्वेद के अनुसार, आपके शरीर में तीन प्रमुख दोष होते हैं – वात, पित्त और कफ। जब ये तीनों संतुलन में रहते हैं, तो आप स्वस्थ रहते हैं। लेकिन जब इनमें गड़बड़ी होती है, तो बीमारियाँ जन्म लेती हैं। थायराइड को भी आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ के असंतुलन से जुड़ी बीमारी माना गया है।

  • अगर आपके शरीर में वात और पित्त बढ़ जाएँ, तो आपको हाइपरथायराइडिज्म हो सकता है। इसमें मेटाबॉलिज्म तेज़ हो जाता है, जिससे वजन घटने लगता है और बेचैनी रहती है।

  • वहीं अगर कफ और वात असंतुलित हो जाएँ, तो आप हाइपोथायराइडिज्म से ग्रसित हो सकते हैं, जिसमें वजन बढ़ने लगता है और थकान बनी रहती है।

आयुर्वेद इस बीमारी का इलाज लक्षणों को दबाने से नहीं, बल्कि इसकी जड़ में जाकर करता है। आयुर्वेद मानता है कि अगर आप अपनी जीवनशैली, खानपान और मानसिक तनाव पर सही तरीके से काम करें, तो थायराइड जैसी बीमारी को भी नियंत्रण में लाया जा सकता है।

थायराइड के प्रकार (Types of Thyroid Problems)

थायराइड की समस्या एक नहीं, कई तरह की हो सकती है। अगर आपको इस बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि आपको किस प्रकार की थायराइड है। इससे इलाज करने में आसानी होती है। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं इसके दो मुख्य प्रकार:

1. हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) – थायराइड हार्मोन की कमी

इस स्थिति में आपकी थायराइड ग्रंथि ज़रूरत से कम हार्मोन बनाती है। इसका असर आपके पूरे शरीर पर पड़ता है क्योंकि मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।

इसके लक्षण आप में कुछ इस तरह दिख सकते हैं:

  • हमेशा थकान महसूस होना

  • वजन का लगातार बढ़ना, बिना ज़्यादा खाने के

  • ठंड अधिक लगना

  • त्वचा का रूखा होना

  • बाल झड़ना या बालों का रूखापन

  • उदास रहना या डिप्रेशन जैसा महसूस होना

2. हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) – थायराइड हार्मोन की अधिकता

इसमें आपकी थायराइड ग्रंथि ज़रूरत से ज़्यादा हार्मोन बना देती है। इसका असर मेटाबॉलिज्म को तेज़ कर देता है।

इसके लक्षणों में आप ये महसूस कर सकते हैं:

इन दोनों स्थितियों में गले में थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ सकता है, जिसे गण्डमाला (goitre) कहा जाता है।

थायराइड की समस्या होने के आम कारण (Common Causes of Thyroid Problems)

अगर आप सोच रहे हैं कि आपके शरीर में थायराइड की परेशानी क्यों हो गई, तो यह जानना ज़रूरी है कि इसके पीछे कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ कारण आपकी जीवनशैली से जुड़े होते हैं, तो कुछ आपके शरीर के अंदर चल रही क्रियाओं से। थायराइड का असंतुलन धीरे-धीरे शरीर पर असर डालता है, इसलिए इसके कारणों को समझना इलाज की पहली सीढ़ी है।

चलिए अब आसान भाषा में जानते हैं थायराइड की सबसे आम वजहें:

आयोडीन की कमी
आपके शरीर को थायराइड हार्मोन बनाने के लिए आयोडीन (iodine) की ज़रूरत होती है। अगर आपकी डाइट में आयोडीन कम है, तो थायराइड की समस्या हो सकती है।

ऑटोइम्यून बीमारियाँ
कई बार आपकी खुद की इम्यून सिस्टम आपकी थायराइड ग्रंथि पर हमला कर देती है। इसे ऑटोइम्यून रोग कहते हैं, जैसे –

  • हाशिमोटो डिजीज़ (Hashimoto’s) – यह हाइपोथायरायडिज्म की ओर ले जाता है।

  • ग्रेव्स डिजीज़ (Graves’) – यह हाइपरथायरायडिज्म की ओर ले जाता है।

थायराइड ग्रंथि में सूजन (Thyroiditis)
कभी-कभी किसी संक्रमण या इम्यून रिएक्शन के कारण थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है, जिससे हार्मोन का स्तर बिगड़ सकता है।

गांठ या नॉन-कैंसरस गठान (Thyroid Nodules)
थायराइड ग्रंथि में गांठ बनने लगती है, जिससे हार्मोन का बैलेंस गड़बड़ा जाता है।

कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट्स
रेडिएशन थेरेपी, थायराइड सर्जरी, या कुछ दवाइयाँ थायराइड को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

प्रेगनेंसी और हार्मोनल बदलाव
गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद महिलाओं में हार्मोन बदलाव के कारण थायराइड असंतुलन हो सकता है।

थायराइड के सामान्य लक्षण (Signs and Symptoms of Thyroid Problems)

थायराइड की समस्या चुपचाप शरीर में पनपती है और शुरुआत में इसके लक्षण अक्सर मामूली लगते हैं। लेकिन अगर आप अपने शरीर के संकेतों को समझें, तो आप समय रहते इस बीमारी को पहचान सकते हैं। चलिए अब जानते हैं कि थायराइड की बीमारी में आपके शरीर में कौन-कौन से लक्षण दिख सकते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) – थायराइड हार्मोन की कमी के लक्षण

इस स्थिति में शरीर में हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने लगता है।

  • बार-बार थकावट महसूस होना, बिना ज़्यादा मेहनत के

  • शरीर में भारीपन और आलस्य बना रहना

  • वजन का बढ़ते जाना, भले ही आप कम खा रहे हों

  • ठंड अधिक लगना या ठंड सहन न होना

  • त्वचा का रूखा और बेजान हो जाना

  • बालों का झड़ना

  • कब्ज़ की शिकायत रहना

  • चेहरे पर सूजन आना

  • आवाज़ भारी हो जाना

  • मन का उदास रहना या डिप्रेशन जैसा महसूस होना

  • मासिक धर्म का ज़्यादा और लंबे समय तक होना

हाइपरथायरायडिज्म (Hyperthyroidism) – थायराइड हार्मोन की अधिकता के लक्षण

इस स्थिति में शरीर में हार्मोन की मात्रा ज़्यादा हो जाती है और मेटाबॉलिज्म तेज़ हो जाता है।

  • अचानक वजन घटने लगना, भले ही आप ठीक से खा रहे हों

  • दिल की धड़कन तेज़ हो जाना या धक-धक महसूस होना

  • चिंता, घबराहट या चिड़चिड़ापन

  • नींद न आना या बेचैनी रहना

  • ज़्यादा पसीना आना, बिना ज़्यादा मेहनत किए

  • हाथ काँपना या कंपन महसूस होना

  • मासिक धर्म का अनियमित होना या रुक जाना

  • आँखों का बाहर आना (कुछ मामलों में)

  • गले में सूजन या गांठ महसूस होना (गण्डमाला)

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Symptoms

थकावट

बार-बार थकावट महसूस होना, बिना ज़्यादा मेहनत के

ठंड लगना

ठंड अधिक लगना या ठंड सहन न होना

बालों का झड़ना

कब्ज़

चेहरे पर सूजन

डिप्रेशन

मासिक धर्म का ज़्यादा और लंबे समय तक होना

आवाज़ भारी हो जाना

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

थकावट
ठंड लगना
बालों का झड़ना
कब्ज़
चेहरे पर सूजन
डिप्रेशन
मासिक धर्म का ज़्यादा और लंबे समय तक होना
आवाज़ भारी हो जाना
 

Jiva Ayunique™ इलाज पद्धति – थायराइड के लिए एक संपूर्ण आयुर्वेदिक तरीका

थायराइड जैसी जड़ से जुड़ी समस्या को जीवा आयुर्वेद प्राकृतिक और व्यक्तिगत तरीके से ठीक करता है। यहाँ इलाज सिर्फ लक्षणों पर नहीं, बल्कि उसकी असली वजह पर होता है। आपकी प्रकृति, जीवनशैली और शरीर की स्थिति के अनुसार एक खास इलाज योजना बनाई जाती है, जो शरीर और मन — दोनों का संतुलन वापस लाती है।

Jiva Ayunique™ इलाज पद्धति के मुख्य सिद्धांत

  • वैज्ञानिक तरीके से बनी HACCP सर्टिफाइड आयुर्वेदिक दवाएँ: ये खास जड़ी-बूटियों से बनी दवाएँ आपके शरीर को भीतर से साफ करती हैं, रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाती हैं और मन को शांत रखने में मदद करती हैं।
  • योग, ध्यान और मन की एकाग्रता: तनाव को दूर करने और मानसिक शांति पाने के लिए ये आसान लेकिन असरदार उपाय हैं, जो आपके पूरे शरीर और मन को स्वस्थ बनाते हैं।
  • पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार: पंचकर्म, तेल मालिश और शरीर की सफाई करने वाले इलाज आपके अंदर के दोषों को संतुलित कर शरीर को नई ऊर्जा देते हैं।
  • खानपान और जीवनशैली से जुड़ी सलाह: आयुर्वेद विशेषज्ञ आपको बताते हैं कि आपको क्या खाना चाहिए और दिनभर में किन आदतों को अपनाना चाहिए ताकि आपका शरीर मज़बूत बने और बीमारियों से दूर रहे।

थायराइड के लिए असरदार आयुर्वेदिक दवाएँ और जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic Medicines for Thyroid Problems)

अगर आप थायराइड की दवा लंबे समय से खा रहे हैं और फिर भी सुधार महसूस नहीं हो रहा, तो अब समय है आयुर्वेद की ओर रुख करने का। आयुर्वेद में थायराइड को जड़ से ठीक करने के लिए कई असरदार जड़ी-बूटियों और उपायों का ज़िक्र है, जो आपके शरीर के अंदर से संतुलन बहाल करते हैं। ये दवाएँ सिर्फ लक्षणों को दबाती नहीं हैं, बल्कि हार्मोन के संतुलन को प्राकृतिक तरीके से ठीक करती हैं।

यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएँ और घरेलू उपाय दिए गए हैं, जो थायराइड में बेहद लाभदायक माने गए हैं:

  • वच (Vacha): यह एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शरीर में बढ़े हुए वात और कफ दोष को संतुलित करती है। वच का सेवन शरीर में सूजन और दर्द को कम करता है, खासकर जब थायराइड के कारण थकान और भारीपन महसूस हो। यह मानसिक स्पष्टता और शरीर की ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करती है।
  • कचनार गुग्गुल (Kanchanar Guggulu): यह थायराइड ग्रंथि में आई सूजन को कम करने में सबसे अधिक उपयोगी औषधि मानी जाती है। यह गले में गांठ या गण्डमाला (goitre) की स्थिति में लाभकारी है और शरीर से विषैले तत्वों को निकालने में सहायक है।
  • अश्वगंधा (Ashwagandha): यह एक शक्तिशाली एंटी-स्ट्रेस हर्ब है जो खासतौर पर हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों के लिए लाभदायक होती है। यह तनाव और सूजन को कम करती है, हार्मोनल संतुलन बनाए रखती है और थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बेहतर बनाती है।
  • ब्राह्मी (Brahmi): ब्राह्मी मानसिक तनाव को दूर करती है, नींद को बेहतर बनाती है और थायराइड हार्मोन (T3 और T4) के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होती है। यह दिमागी संतुलन को भी बनाए रखती है, जो थायराइड के मानसिक प्रभावों को कम करने में मदद करता है।
  • निर्गुंडी (Nirgundi): इसका प्रयोग गले की सूजन, दर्द और थायराइड ग्रंथि के आसपास की सूजन को कम करने में किया जाता है। यह एक प्राकृतिक दर्द निवारक और सूजन रोधी औषधि है जो जोड़ों में जकड़न जैसी समस्याओं में भी लाभकारी है।
  • दशमूल क्वाथ (Dashmool Kwath): यह दस जड़ी-बूटियों से बना एक औषधीय काढ़ा होता है, जो शरीर में वात दोष के असंतुलन को सुधारता है। यह नसों और ग्रंथियों की मज़बूती बढ़ाता है और थायराइड से जुड़ी थकान और कमज़ोरी को दूर करता है।
  • जलकुंभी / सेवार (Water Hyacinth): यह एक जल में उगने वाला पौधा है जो आयोडीन से भरपूर होता है। हाइपोथायरायडिज्म के रोगियों के लिए यह बहुत फायदेमंद माना गया है क्योंकि यह हार्मोन के स्तर को सुधारने में मदद करता है।
  • सहजन (Moringa): सहजन की पत्तियाँ और फल सेलेनियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो थायरॉक्सिन हार्मोन की मात्रा को बढ़ाते हैं। यह शरीर को शुद्ध करता है, इंसुलिन को नियंत्रित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाता है।
  • अदरक (Ginger): अदरक शरीर में सूजन को कम करने वाला और पाचन को सुधारने वाला एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। यह हार्मोन बैलेंस को ठीक करता है और मूड को बेहतर करने में भी सहायक होता है, जो थायराइड मरीजों के लिए ज़रूरी है।
  • धनिया का पानी (Coriander Water): थायराइड हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए धनिया का पानी एक बहुत प्रभावी उपाय है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स शरीर को डिटॉक्स करते हैं और हार्मोनल संतुलन बनाए रखते हैं।
  • जीरे का पानी (Cumin Water): यह थायराइड के मरीजों के लिए लाभकारी माना गया है क्योंकि यह पाचन सुधारता है और शरीर में थायराइड ग्रंथि के कार्य को सपोर्ट करता है। यह रोज़ाना सुबह खाली पेट लिया जा सकता है।
  • अपामार्ग (Apamarg): यह आयुर्वेदिक औषधि सूजन को कम करने, पाचन सुधारने और टी3, टी4 हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में उपयोगी है। इसे पीलिया, अस्थमा और खाँसी जैसी समस्याओं के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है।

FAQs

हाँ, आयुर्वेद में थायराइड का इलाज संभव है। यह बीमारी की जड़ पर काम करता है, जैसे कि दोषों का असंतुलन, गलत खानपान और तनाव। सही जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली से थायराइड को प्राकृतिक रूप से संतुलित किया जा सकता है।

थायराइड के लिए कचनार गुग्गुल, अश्वगंधा, और ब्राह्मी को बहुत असरदार माना जाता है। ये दवाएँ हार्मोन के संतुलन को ठीक करती हैं और सूजन को भी कम करती हैं। लेकिन कौन-सी दवा आपके लिए सही है, ये जानने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूरी है।

धनिया का पानी, अदरक, सहजन की पत्तियाँ और ब्राह्मी जैसी जड़ी-बूटियाँ नियमित रूप से सेवन करें। साथ ही सुबह जल्दी उठना, योग और सादा भोजन इस बीमारी की जड़ पर असर डाल सकते हैं।

आयुर्वेद में सबसे अच्छा इलाज व्यक्तिगत रूप से तय किया जाता है। रोगी की प्रकृति, लक्षण और कारण को समझकर इलाज तय किया जाता है, जिसमें दवा, खानपान, पंचकर्म और योग शामिल हो सकते हैं।

अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है। यह थायराइड हार्मोन को संतुलित करने और सूजन को कम करने में मदद करती है। अलसी का सेवन पाउडर या भिगोकर किया जा सकता है।

थायराइड के लिए रामबाण इलाज आयुर्वेद में कचनार गुग्गुल और अश्वगंधा को माना गया है। इसके साथ अगर आप सहजन, अदरक और ब्राह्मी को अपने जीवन में शामिल करें, तो अच्छे परिणाम जल्दी मिल सकते हैं।

सर्वांगासन, मत्स्यासन, उज्जायी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम थायराइड के लिए बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। ये गले की ग्रंथि को एक्टिव करते हैं और हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।

अगर आपका वजन बढ़ रहा है तो आयुर्वेदिक डाइट अपनाएँ, जैसे हल्का भोजन, दिन में एक बार पका हुआ सहजन, धनिया पानी और व्यायाम। पाचन मज़बूत करना भी वजन कम करने में मदद करता है।

हाँ, अगर थायराइड कंट्रोल में न हो तो प्रेग्नेंसी में दिक्कत हो सकती है जैसे समय से पहले डिलीवरी या बच्चे के विकास में रुकावट। इसलिए समय पर इलाज और डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है।

यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज़्यादा होती है, खासकर 30 से 50 साल की उम्र में। यदि आपके परिवार में किसी को यह रोग है, तो आपकी संभावना और भी बढ़ जाती है।

हाँ, थायराइड हार्मोन का असंतुलन दिमागी स्थिति को भी प्रभावित करता है। इससे चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, बेचैनी और नींद की समस्या हो सकती है। ब्राह्मी और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियाँ इसमें बहुत मदद करती हैं।

अगर आप समय पर पहचान करें और आयुर्वेदिक इलाज को नियमित रूप से अपनाएँ, तो थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है और कई बार जड़ से ठीक भी किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव और धैर्य इसमें सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

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