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सर्दियों में बार-बार भूख लगना नॉर्मल है या पाचन गड़बड़ होने का संकेत? आयुर्वेद क्या कहता है?

Information By Dr. Keshav Chauhan

भारत में जैसे-जैसे सर्दियों की सर्द हवाएँ तेज़ होती जाती हैं, वैसे-वैसे हमारा शरीर स्वाभाव रूप से भूख बढ़ने का संकेत देता है। शुरुआत में यह सिर्फ “ज़्यादा खाना चाहना” लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या यह सामान्य है या फिर आपके पाचन तंत्र में कोई परेशानी का संकेत हो सकता है?

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मौसम के बदलने से हमारी ऊर्जा की खपत, भूख-हिस्सेदारी और पाचन क्रियाएँ प्रभावित होती हैं। इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि सर्दियों में बार-बार भूख लगने के पीछे कौन-कौन से कारण हो सकते हैं, कब यह सामान्य है और कब यह किसी असंतुलन का संकेत बन सकता है — साथ ही आयुर्वेद की दृष्टि से इसे कैसे समझा जाए और क्या उपाय मददगार होंगे।

सर्दियों में बार-बार भूख क्यों लगती है?

सर्दियों के मौसम में अक्सर आपको महसूस होता होगा कि भूख कुछ ज़्यादा लग रही है — चाहे आप खाना खा चुके हों, फिर भी कुछ गरम-गरम खाने का मन करता है। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है। नीचे मुख्य कारण दिए गए हैं।

1. ठंड में शरीर की ऊर्जा की ज़रूरत बढ़ जाती है

ठंडे वातावरण में शरीर गर्म रहने के लिए अधिक कैलोरी जलाता है — यह प्रक्रिया थर्मोजेनेसिस कहलाती है।

2. सर्दी में आराम-देने वाला खाना ज़्यादा आकर्षक लगता है

गरम सूप, परांठे, हलवा या गरम चाय जैसे खाद्य पदार्थ अंदर से तात्कालिक आराम देते हैं — और यही आराम भूख को बढ़ा सकता है।

3. कम धूप और मूड का असर

कम धूप से सेरोटोनिन घट सकता है, जिससे लोग मूड सुधारने के लिए ज़्यादा खाने लगते हैं (emotional eating)।

4. आयुर्वेदिक व्याख्या — प्रकृति की तैयारी

आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में अग्नि (पाचन शक्ति) प्रबल होती है और शरीर ऊर्जा संचय की प्रवृत्ति दिखाता है — इसलिए भूख बढ़ना प्रकृति का एक हिस्सा माना जाता है।

क्या सर्दियों में भूख बढ़ना हमेशा सामान्य है?

सर्दियों में भूख बढ़ना सामान्य माना जा सकता है, पर कुछ स्थितियों में यह किसी समस्या का संकेत भी हो सकता है। नीचे बताये गए ‘सामान्य’ और ‘सावधानी के संकेत’ पर ध्यान दें।

कब यह सामान्य है

  • जब आप ठंड में बाहर अधिक समय बिताते हैं और शरीर को अधिक ऊर्जा चाहिए होती है।
  • भोजन संतुलित हो और खाने के बाद हल्कापन व ऊर्जा महसूस हो।
  • भूख नियमित हो — दिन में 3–4 बार और खाने के बाद संतोष मिलता हो।

कब यह असंतुलन का संकेत हो सकता है

  • खाने के बाद भी पेट खाली-खाली लगे।
  • भोजन के बाद भारीपन, गैस या एसिडिटी हो।
  • अत्यधिक प्यास या बार-बार मीठा खाने की इच्छा।
  • नींद के बाद भी थकान रहना।

सर्दियों में पाचन क्यों गड़बड़ होता है?

सर्दियों में कई कारणों से पाचन प्रभावित होता है — ठंड, कम पानी, भारी भोजन और कम शारीरिक गतिविधि मुख्य हैं।

1. ठंड से शरीर की गति धीमी पड़ना

अंतःगत गर्मी घटने से पाचन क्रिया सुस्त हो जाती है और भोजन पेट में ज़्यादा समय तक रहता है।

2. कम पानी पीना

डिहाइड्रेशन से मल त्याग में कठिनाई और कब्ज़ जैसी समस्याएँ बढ़ती हैं।

3. ज़्यादा तला-भुना/भारी खाना

ऐसे भोजन पचने में कठिन होते हैं और अम्लता, गैस व अपच बढ़ाते हैं।

4. कम शारीरिक गतिविधि और नींद-तनाव का असर

घिसी-पिटी दिनचर्या और तनाव अग्नि को असंतुलित करते हैं, जिससे पाचन खराब हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार — अग्नि (Digestive Fire) और भूख का रिश्ता

आयुर्वेद में सर्दियों (हेमंत) को ऐसा ऋतु माना जाता है जब अग्नि प्रबल होती है। इसका मतलब यह है कि पचने की शक्ति अच्छी होने पर आप भारी भोजन भी सहन कर सकते हैं।

अग्नि के तीन रूप

  • मंद अग्नि: पाचन धीमा, अपच और भारीपन।
  • तीक्ष्ण अग्नि: बहुत तेज पाचन — बार-बार भूख लगना पर पाचन अस्थिर।
  • सम अग्नि: संतुलित पाचन — उत्तम स्थिति।

आयुर्वेद का साधारण सूत्र — “भोजन तब ही करें जब भूख लगे” — अग्नि के अनुसार खाने की सलाह देता है।

पाचन गड़बड़ी के सामान्य लक्षण

  • गैस बनना या पेट फूलना
  • खाने के बाद भारीपन
  • खट्टी डकारें या एसिडिटी
  • भूख का बंद होना या अत्यधिक बढ़ना
  • थकान या सुस्ती खाना के बाद
  • मुंह में खराब स्वाद या बदबू

आयुर्वेदिक सुझाव और घरेलू उपाय — पाचन मज़बूत करने के लिए

1. हर्बल उपाय

  • त्रिफला चूर्ण — रात में गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच (चिकित्सक/विशेषज्ञ की सलाह से)।
  • अदरक + नींबू — खाने से पहले थोड़ा अदरक-नींबू चबाएँ।
  • अजवाइन, हिंग, जीरा — गैस व अपच में उपयोगी।
  • लहसुन और हरड़ — ठंड दूर करने और पाचन गर्म रखने में मदद।

2. दिनचर्या (Dinacharya) पर ध्यान

  • सुबह गुनगुना पानी पिएँ।
  • नाश्ता हल्का रखें; दोपहर का भोजन सबसे भारी रखें।
  • रात का भोजन हल्का और जल्दी करें; खाने के बाद थोड़ी सैर लें।

3. पंचकर्म और आयुर्वेदिक डिटॉक्स

यदि पाचन लंबे समय से खराब है तो योग्य आयुर्वेद चिकित्सक की निगरानी में पंचकर्म (वमन, विरेचन, बस्ती आदि) उपयोगी हो सकता है।

4. मन की शान्ति और तनाव प्रबंधन

  • ध्यान, प्राणायाम और हल्की शारीरिक गतिविधि करें।
  • तनाव घटाने से अग्नि संतुलित रहती है।

क्या बार-बार भूख किसी रोग का संकेत हो सकती है?

हाँ — कभी-कभी यह किसी मेडिकल कंडीशन का लक्षण भी होता है। प्रमुख संभावनाएँ:

1. मधुमेह (Diabetes)

बार-बार भूख, अधिक प्यास और वजन घटना डायबिटीज़ का संकेत हो सकते हैं — ब्लड टेस्ट जरूरी है।

2. हाइपरथायरॉइडिज्म

थायरॉइड ज़्यादा सक्रिय होने पर मेटाबॉलिज़्म तेज़ और भूख बढ़ सकती है।

3. एनीमिया (Iron deficiency)

आयरन की कमी से ऊर्जा कम रहती है और कभी-कभी बार-बार खाने की इच्छा होती है।

4. इमोशनल ईटिंग / तनाव

भावनात्मक कारणों से भी लोग बार-बार कुछ खाने लगते हैं — यह पाचन असंतुलन पैदा कर सकता है।

डॉक्टर से कब मिलें

  • अचानक वजन बढ़ना या घटना
  • लगातार थकान
  • बार-बार प्यास या पेशाब लगना
  • नींद की समस्या या बेचैनी

निष्कर्ष

सर्दियों में बढ़ी भूख और कभी-कभी पाचन गड़बड़ी — दोनों ही शरीर के मौसम के अनुसार ढलने की प्रतिक्रिया हैं। हल्का-गरम भोजन, पर्याप्त पानी, हल्का व्यायाम और मन की शांति — ये छोटी चीज़ें आपके पाचन को संतुलित रख सकती हैं। यदि असमान्य लक्षण दिखें तो योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

यदि आप पाचन संबंधी समस्या महसूस कर रहे हैं, तो हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से व्यक्तिगत परामर्श के लिए कॉल करें — 0129-4264323।

FAQs

1. सर्दियों में भूख अधिक क्यों लगती है?

ठंड में शरीर को गर्म रखने के लिए अधिक ऊर्जा चाहिए होती है, इसलिए भूख बढ़ती है।

2. क्या सर्दियों में पाचन समस्याएँ सामान्य हैं?

हाँ — कम पानी, भारी भोजन और कम गतिविधि के कारण गैस, कब्ज़ और भारीपन बढ़ सकता है।

3. कौन सी बीमारियाँ बार-बार भूख का कारण बन सकती हैं?

डायबिटीज़, हाइपरथायरॉइडिज्म और एनीमिया जैसी स्थितियाँ बार-बार भूख का कारण बन सकती हैं।

4. सर्दियों में कौन सा खाना पाचन के लिए अच्छा है?

गरम सूप, दालें, ताजी सब्जियाँ, घी और अदरक-सौंफ जैसी वस्तुएँ पाचन के लिए लाभदायक हैं।

5. क्या ठंड में पानी कम पीना नुकसानदायक है?

हाँ — पानी कम पीने से कब्ज़ और पेट संबंधित समस्याएँ बढ़ सकती हैं; इसलिए पर्याप्त गुनगुना पानी लें।

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