भारत में 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में लगभग 9.36 % को गठिया (Arthritis) का सामना करना पड़ता है — जिसमें पुरुषों में लगभग 7.49 % और महिलाओं में 11.03 % लोग शामिल हैं।
इसका मतलब यह है कि अगर आप या आपके आस-पास के लोग आजकल जोड़ों में सिकुड़न और दर्द महसूस कर रहे हैं, तो यह सिर्फ उम्र की बात नहीं हो सकती — गठिया का प्रारंभिक संकेत भी हो सकता है। गठिया आपकी दिनचर्या, चल-फिर, सोने-उठने, और सामान्य कामों में मुश्किल ला सकता है।
यहाँ आयुर्वेद आपको सिर्फ दर्द से राहत नहीं देता, बल्कि उस मूल कारण को समझकर, शरीर के अंदर से काम करके जोड़ों को फिर से सक्रिय और मजबूत बनाता है — बिना भारी दवाओं के साइड-इफेक्ट के। आइए, अब विस्तार से जानें कि गठिया क्या है, इसके कारण और लक्षण क्या-क्या हैं, और आयुर्वेद कैसे एक सुरक्षित और असरदार इलाज का विकल्प देता है।
आखिर गठिया क्या होता है और यह जोड़ों में दर्द क्यों करता है?
गठिया यानी आर्थराइटिस, जोड़ों में सूजन और दर्द की ऐसी स्थिति है जो धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। आम भाषा में कहें तो जब आपके शरीर के किसी जोड़ (जैसे घुटना, कोहनी, कलाई, उँगलियाँ या टखना) में सूजन, अकड़न या दर्द महसूस होता है, और यह दर्द रोज़मर्रा के कामों को मुश्किल बना देता है — तो उसे गठिया कहा जाता है।
जब जोड़ों के बीच की मुलायम परत (जिसे कार्टिलेज कहा जाता है) घिसने या सूजने लगती है, तो हड्डियाँ आपस में रगड़ खाने लगती हैं। यही वजह है कि चलने-फिरने या सीढ़ियाँ चढ़ने में दर्द बढ़ जाता है। कई लोगों में यह दर्द सुबह उठते समय ज़्यादा महसूस होता है, और दिनभर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, गठिया सिर्फ एक जोड़ का रोग नहीं है, बल्कि यह शरीर में जमा हुए विषैले तत्वों (आम) और वात दोष के असंतुलन से जुड़ा विकार है। जब यह असंतुलन बढ़ता है, तो शरीर के जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न की समस्या होती है।
गठिया के दो मुख्य प्रकार माने जाते हैं —
- ऑस्टियोआर्थराइटिस (Sandhigata Vata):
ऑस्टियोआर्थराइटिस गठिया का सबसे आम प्रकार है। इसमें उम्र बढ़ने या जोड़ों के ज़्यादा इस्तेमाल से कार्टिलेज धीरे-धीरे घिस जाता है। इसके कारण हड्डियाँ आपस में रगड़ खाती हैं, जिससे दर्द और सूजन होती है। ज़्यादातर यह घुटनों, कमर, गर्दन और हाथों के जोड़ों में होता है। - रुमेटाइड आर्थराइटिस (Amavata):
यह एक ऑटोइम्यून रोग है — यानी शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति ही अपने जोड़ों को नुकसान पहुँचाने लगती है। इसके कारण जोड़ों में सूजन, गर्माहट और अकड़न बढ़ जाती है। इसमें दर्द दोनों तरफ़ के समान जोड़ों में होता है, जैसे दोनों घुटनों या दोनों हाथों में एक साथ।
आप इसे ऐसे समझिए — जब शरीर के अंदर की सफाई और पाचन (अग्नि) ठीक नहीं रहती, तो आम बनता है। यही आम जब जोड़ों में जमा हो जाता है, तो गठिया का दर्द और सूजन शुरू होती है।
गठिया के आम लक्षण क्या होते हैं जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए?
गठिया की शुरुआत अक्सर बहुत हल्के दर्द या अकड़न से होती है, लेकिन अगर ध्यान न दिया जाए, तो यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। अगर आप इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो इन्हें नज़रअंदाज़ न करें —
- जोड़ों में दर्द: चलने, झुकने या सीढ़ियाँ चढ़ने में दर्द होना गठिया का सबसे आम संकेत है।
- सूजन और गर्माहट: दर्द वाले जोड़ के आस-पास सूजन या हल्की गर्माहट महसूस होना।
- सुबह की अकड़न: सुबह उठते ही उँगलियाँ या घुटने अकड़ जाना और कुछ देर बाद धीरे-धीरे ठीक होना।
- चलने-फिरने में दिक्कत: लंबे समय तक बैठने के बाद खड़े होने या चलने में कठिनाई महसूस होना।
- जोड़ों से आवाज़ आना: घुटनों को मोड़ने या उठने-बैठने पर ‘चर-चर’ जैसी आवाज़ आना।
- थकान और कमज़ोरी: लगातार दर्द के कारण शरीर में थकान या सुस्ती रहना।
- लालिमा: प्रभावित जोड़ के आस-पास लालपन दिखना या हल्की जलन महसूस होना।
इन लक्षणों को सामान्य थकान समझकर न टालें। कई लोग सोचते हैं कि “थोड़ा दर्द तो उम्र के साथ होता ही है,” लेकिन यह सोच आपको और परेशानी में डाल सकती है।
अगर आपको लगता है कि दर्द लगातार बढ़ रहा है या किसी खास जोड़ में बार-बार सूजन आ रही है, तो तुरंत किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें। जितनी जल्दी निदान होगा, उतनी जल्दी इलाज असर दिखाएगा।
गठिया होने के पीछे क्या कारण होते हैं?
गठिया सिर्फ उम्र बढ़ने का परिणाम नहीं है। इसके पीछे शरीर, जीवनशैली और खानपान से जुड़ी कई आदतें ज़िम्मेदार होती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, गठिया तब शुरू होता है जब शरीर का पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है और आम यानी अधपचा भोजन शरीर में विषैले रूप में जमा होने लगता है। यही आम जोड़ों तक पहुँचकर सूजन और दर्द का कारण बनता है।
आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं —
- कमज़ोर पाचन (अग्नि मंद होना):
अगर आपका खाना सही से पच नहीं रहा, तो शरीर में अधपचा पदार्थ जमा होता है। यही पदार्थ धीरे-धीरे आम में बदलकर जोड़ों में सूजन पैदा करता है। - गलत खानपान:
बार-बार तली-भुनी, ठंडी या भारी चीज़ें खाना, दूध और दही को साथ-साथ लेना, या देर रात खाना खाना – ये सब पाचन को और धीमा कर देते हैं।
इससे शरीर में आम बढ़ता है और वात दोष भड़कता है, जिससे जोड़ों में दर्द होता है। - मोटापा:
अगर आपका वज़न ज़्यादा है, तो घुटनों और पैरों के जोड़ों पर ज़्यादा दबाव पड़ता है। इससे कार्टिलेज जल्दी घिसता है और दर्द बढ़ता है। - उम्र बढ़ना:
उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों की लचीलापन कम हो जाता है और शरीर की पुनर्निर्माण क्षमता भी घटती है, जिससे गठिया का ख़तरा बढ़ जाता है। - आनुवांशिक कारण:
अगर आपके माता-पिता या परिवार में किसी को गठिया रहा है, तो आपके लिए भी यह संभावना बढ़ जाती है। - चोट या पुरानी सूजन:
किसी जोड़ पर पुरानी चोट या लंबे समय तक बनी सूजन भी गठिया का रूप ले सकती है। - बैठे-बैठे जीवनशैली:
अगर आपका ज़्यादातर दिन ऑफिस में कुर्सी पर बैठकर गुजरता है, या आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं, तो रक्त प्रवाह और जोड़ों की लचीलापन कम हो जाती है। धीरे-धीरे जोड़ों में जकड़न और दर्द शुरू हो जाता है। - बाहर का और प्रोसेस्ड खाना:
बार-बार बाहर का खाना, मैदा-मीठे खाद्य पदार्थ, और तैलीय स्नैक्स शरीर में विषैले तत्व बढ़ाते हैं। ये आम को बढ़ाकर गठिया की समस्या को और गहरा कर देते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार गठिया कैसे होता है?
आयुर्वेद में गठिया को केवल जोड़ों का रोग नहीं माना गया है, बल्कि यह शरीर के भीतर हो रहे असंतुलन का परिणाम है। जब आपका पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है, तो खाना पूरी तरह नहीं पचता। यही अधपचा भोजन आम नाम के चिपचिपे विषैले तत्व में बदल जाता है। यह आम धीरे-धीरे रक्त के साथ घूमकर जोड़ों में जमा होने लगता है। जब जोड़ों में यह विष जमा होता है, तो वहाँ सूजन, दर्द और अकड़न पैदा होती है।
साथ ही, जब शरीर में वात दोष बढ़ता है — जैसे ठंड लगने, गलत खानपान, या ज़्यादा देर तक बैठे रहने से — तो जोड़ों में सूखापन आने लगता है। यही सूखापन दर्द और जकड़न को और बढ़ा देता है। इस तरह जब आम और वात दोष एक साथ बढ़ जाते हैं, तो गठिया का दर्द बार-बार लौटकर आता है।
आप इसे ऐसे समझ सकते हैं —
अगर शरीर एक मशीन है, तो अग्नि (पाचन शक्ति) उसका इंजन है। जब इंजन ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर में गंदगी जमा होने लगती है। आयुर्वेद उसी गंदगी, यानी आम को निकालने और इंजन को दुरुस्त करने का काम करता है।
इसीलिए आयुर्वेदिक इलाज केवल दर्द कम करने पर नहीं रुकता, बल्कि वह उस जड़ कारण तक पहुँचता है जहाँ से रोग शुरू हुआ था। यह शरीर की अंदरूनी सफाई कर, दोषों को संतुलित कर, जोड़ों को फिर से लचीला और मजबूत बनाता है।
गठिया के लिए कौन-कौन से असरदार आयुर्वेदिक इलाज हैं?
अगर आप गठिया से जूझ रहे हैं, तो आयुर्वेद में इसका इलाज कई स्तरों पर किया जाता है। यहाँ उपचार का लक्ष्य सिर्फ़ दर्द कम करना नहीं, बल्कि दोषों का संतुलन और आम का निष्कासन है ताकि रोग दोबारा न लौटे।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण को आप चार मुख्य चरणों में समझ सकते हैं —
- दोषों का संतुलन करना:
आयुर्वेद कहता है कि जब वात, पित्त और कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं, तभी शरीर में रोग पनपते हैं। गठिया में खास तौर पर वात दोष बढ़ जाता है। इसलिए उपचार का पहला कदम है — वात दोष को शांत करना। - आम को निकालना:
शरीर में जमा विषैले तत्व यानी आम को निकालने के लिए जड़ी-बूटियों और पंचकर्म का सहारा लिया जाता है। जब आम निकल जाता है, तो सूजन और दर्द अपने आप कम हो जाते हैं। - अग्नि को सुधारना:
पाचन और मेटाबॉलिज़्म को मजबूत करना बहुत ज़रूरी है, ताकि आगे आम बन ही न सके। इसके लिए हल्के, गरम, पचने वाले आहार और औषधियाँ दी जाती हैं। - जोड़ों को पोषण देना:
जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाने के लिए औषधीय तेलों से मालिश, स्नेहपान और विशिष्ट जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है।
इन सभी उपायों के तहत आयुर्वेदिक चिकित्सक आम तौर पर कुछ प्रमुख तरीकों की सलाह देते हैं —
- हर्बल दवाएँ: जो सूजन कम करती हैं और शरीर के दोषों को संतुलित करती हैं।
- पंचकर्म चिकित्सा: शरीर की गहराई से सफाई करने वाली चिकित्सा, जिसमें बस्ती (औषधीय एनिमा), स्वेदन (भाप चिकित्सा) और अभ्यंग (तेल मालिश) शामिल होती है।
- तेल मालिश (अभ्यंग): औषधीय तेलों से मालिश करने से रक्तसंचार बढ़ता है और जोड़ों की अकड़न कम होती है।
- घरेलू उपाय: जैसे गरम पानी से सेंकना, हल्दी वाला दूध, या कैस्टर ऑयल पैक — जो दर्द को तुरंत आराम देते हैं।
- संतुलित आहार और योग: जोड़ों को लचीला और सक्रिय रखने में योग और सही आहार का बड़ा योगदान है।
आयुर्वेद का यही समग्र दृष्टिकोण इसे अन्य उपचारों से अलग बनाता है — यहाँ सिर्फ़ लक्षण नहीं, बल्कि उनकी जड़ का उपचार होता है।
गठिया में कौन-सी आयुर्वेदिक दवाएँ और जड़ी-बूटियाँ सबसे असरदार हैं?
आयुर्वेद में गठिया के लिए कई ऐसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ बताई गई हैं जो न सिर्फ़ दर्द को कम करती हैं बल्कि जोड़ों को भीतर से ठीक करती हैं। ये जड़ी-बूटियाँ शरीर में जमा आम को निकालती हैं, सूजन घटाती हैं और ताकत बढ़ाती हैं।
कुछ प्रमुख और असरदार जड़ी-बूटियाँ नीचे दी जा रही हैं —
- हल्दी (Curcumin):
हल्दी हर भारतीय रसोई में होती है, और गठिया के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। इसमें मौजूद करक्यूमिन सूजन और दर्द दोनों को कम करता है। रोज़ाना हल्दी वाला गुनगुना दूध लेना या हल्दी का सेवन आयुर्वेद में बहुत लाभदायक माना गया है। - अश्वगंधा:
यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है और जोड़ों को मज़बूती देती है। जोड़ों के सूखेपन और थकान को दूर करने में यह बहुत उपयोगी है। - गुग्गुलु (Commiphora mukul):
यह एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक रेज़िन है, जो सूजन कम करने और जोड़ों की जकड़न घटाने में मदद करता है। यह रक्त को शुद्ध करता है और आम को बाहर निकालने में सहायता करता है। - शल्लकी (Boswellia serrata):
जिसे भारतीय लोबान भी कहा जाता है, यह प्राकृतिक दर्दनिवारक है। यह सूजन कम करता है और लंबे समय तक जोड़ों को स्वस्थ रखता है। - अदरक (Ginger):
अदरक पाचन को मजबूत करता है और सूजन घटाने में कारगर है। इसे भोजन में शामिल करना या अदरक की चाय पीना गठिया में राहत देता है। - त्रिफला:
अमलकी, हरितकी और बिभीतकी — इन तीन फलों से बनी यह औषधि शरीर से आम और अन्य विषैले तत्वों को बाहर निकालती है। साथ ही यह पाचन को भी बेहतर बनाती है।
इन सभी औषधियों का सेवन या उपयोग केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर का दोष-संतुलन अलग होता है। आयुर्वेद का उद्देश्य आपको केवल अस्थायी राहत देना नहीं है — यह आपके शरीर के भीतर छिपे कारणों को पहचानकर, धीरे-धीरे उन्हें ठीक करने का मार्ग दिखाता है।
गठिया में कौन-से घरेलू उपाय फायदेमंद हैं?
गठिया के दर्द में राहत पाने के लिए हमेशा भारी दवाओं की ज़रूरत नहीं होती। कुछ आसान घरेलू उपाय आप घर बैठे कर सकते हैं, जो धीरे-धीरे सूजन और अकड़न को कम करते हैं।
यहाँ कुछ ऐसे सरल उपाय दिए गए हैं जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं —
गरम तेल से मालिश
आप रोज़ रात को सोने से पहले गर्म तिल या सरसों के तेल से दर्द वाले जोड़ की हल्की मालिश करें। इससे रक्त प्रवाह सुधरता है और दर्द में आराम मिलता है।
एप्सम सॉल्ट बाथ
गुनगुने पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर उसमें हाथ या पैर कुछ देर डुबोकर रखें। यह मांसपेशियों को आराम देता है और सूजन कम करता है।
कैस्टर ऑयल पैक
हल्का गरम अरंडी (कैस्टर) का तेल दर्द वाले जोड़ पर लगाएँ, उसके ऊपर सूती कपड़ा रखें और फिर गर्म पानी की थैली से सेंक करें। इससे जोड़ों में जमा आम बाहर निकलने में मदद मिलती है।
हल्दी वाला दूध
आप रोज़ रात को एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पी सकते हैं। हल्दी की सूजन कम करने की क्षमता गठिया में बहुत असरदार होती है।
मेथी दाना पानी
रात में एक चम्मच मेथी दाना पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट उस पानी को पी लें। यह शरीर से विषैले तत्व निकालने में मदद करता है और दर्द घटाता है।
इन उपायों को नियमित रूप से अपनाने पर धीरे-धीरे जोड़ों की जकड़न और दर्द में स्पष्ट सुधार महसूस होगा। सबसे ज़रूरी बात — इन उपायों को अपनाने के साथ-साथ अपने खानपान और जीवनशैली पर भी ध्यान दें, ताकि नया आम न बने और रोग दोबारा न लौटे।
निष्कर्ष
गठिया का दर्द धीरे-धीरे आपकी चाल, काम करने की क्षमता और जीवन की खुशियों को सीमित कर सकता है, लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। अगर आप चाहें, तो आयुर्वेद की मदद से शरीर को फिर से हल्का, लचीला और दर्द-मुक्त बनाया जा सकता है। जब आप सही खानपान, नियमित तेल मालिश, हल्का व्यायाम और आयुर्वेदिक इलाज अपनाते हैं, तो शरीर भीतर से ठीक होने लगता है। यह सिर्फ दर्द पर नहीं, बल्कि उसकी जड़ पर असर करता है — यानी पाचन को सुधारना, आम को निकालना और दोषों को संतुलित करना।
अगर आप भी लंबे समय से गठिया या जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो अब इसे नज़रअंदाज़ न करें। समय रहते सही कदम उठाना ही असली इलाज की शुरुआत है।
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FAQs
- गठिया की सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
आयुर्वेद में योगराज गुग्गुलु, हल्दी, अश्वगंधा और महानारायण तेल गठिया में बेहद असरदार मानी जाती हैं। लेकिन सही दवा आपकी प्रकृति के अनुसार चिकित्सक तय करते हैं।
- गठिया रोग को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करें?
आपको पाचन सुधारना, आम निकालना, और वात दोष संतुलित करना ज़रूरी है। इसके लिए आयुर्वेदिक औषधि, पंचकर्म, संतुलित आहार और नियमित योग अपनाना सबसे बेहतर है।
- गठिया के लिए सबसे तेज़ राहत क्या है?
तेल से हल्की मालिश और गुनगुना पानी से सेंक तुरंत राहत देता है। साथ में हल्दी दूध पीने से सूजन और दर्द दोनों में आराम मिलता है।
- गठिया होने पर क्या ना खाएँ?
आपको ठंडा दूध, दही, टमाटर, आलू, तली-भुनी चीज़ें और मीठा नहीं खाना चाहिए। ये आम और सूजन बढ़ाकर दर्द को ज़्यादा करते हैं।
- गठिया ठीक होने में कितना समय लगता है?
अगर आप नियमित इलाज, सही आहार और जीवनशैली अपनाएँ, तो गठिया में सुधार 2 से 3 महीनों में दिखने लगता है। गंभीर मामलों में थोड़ा अधिक समय लगता है।
- क्या गठिया में रोज़ाना चलना-फिरना ठीक है?
हाँ, पर ज़रूरी है कि आप हल्की चाल से चलें। ज़्यादा ज़ोर देने या अचानक उठने-बैठने से बचें। नियमित हल्का व्यायाम जोड़ों को सक्रिय रखता है।
- क्या मौसम बदलने से गठिया बढ़ता है?
हाँ, ठंडे और नमी वाले मौसम में गठिया का दर्द बढ़ सकता है। आप अपने शरीर को गर्म रखें और जोड़ों पर ठंडी हवा लगने से बचें।
- क्या आयुर्वेदिक इलाज के साथ एलोपैथिक दवा ली जा सकती है?
कभी-कभी डॉक्टर की सलाह से दोनों का संतुलित उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बिना परामर्श खुद से दवाएँ मिलाकर न लें। पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।























































































