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माइग्रेन का आयुर्वेदिक उपचार

अगर आप माइग्रेन की परेशानी से बार-बार जूझ रहे हैं, तो आयुर्वेद आपके लिए एक सुरक्षित और असरदार रास्ता हो सकता है। जीवा आयुर्वेद में आपको पारंपरिक जड़ी-बूटियों, पंचकर्म थेरेपी, खानपान में बदलाव और जीवनशैली सुधार के ज़रिए व्यक्तिगत इलाज मिलता है, वो भी अनुभवी आयुर्वेद विशेषज्ञों की देखरेख में।

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माइग्रेन क्या है? (What is Migraine)

माइग्रेन सिर्फ एक साधारण सिरदर्द नहीं है — यह एक जटिल न्यूरोलॉजिकल समस्या है जिसमें सिर के एक तरफ तेज़, धड़कता हुआ दर्द होता है। कई बार इसके साथ मिचली, उल्टी, रोशनी या आवाज़ से संवेदनशीलता भी होती है। कुछ लोगों को माइग्रेन से पहले आँखों के सामने चमकते धब्बे या सुन्नपन जैसे संकेत (Aura) महसूस होते हैं।

आयुर्वेद क्या कहता है?

आयुर्वेद में माइग्रेन को अर्धावभेदक कहा गया है, जो शिरोरोग (सिर से संबंधित रोग) की श्रेणी में आता है। यह मुख्य रूप से वात और पित्त दोष के असंतुलन से उत्पन्न होता है।

  • वात दोष बढ़ने पर नसों में असंतुलन होता है, जिससे सिर में तीव्र दर्द होता है।
  • पित्त दोष बढ़ने से चिड़चिड़ापन, सूजन और रोशनी या गंध के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है।

आयुर्वेदिक उपचार में केवल दर्द दबाने की बजाय दोषों के संतुलन, तनाव नियंत्रण और जीवनशैली सुधार पर ज़ोर दिया जाता है।

माइग्रेन के प्रकार (Types of Migraine)

  • क्रोनिक माइग्रेन: महीने में 15 या अधिक बार सिरदर्द होना।
  • पीरियड्स माइग्रेन: हार्मोनल बदलाव के दौरान महिलाओं में होने वाला।
  • एब्डोमिनल माइग्रेन: बच्चों में पेट दर्द और मिचली के रूप में दिखने वाला।
  • वेस्टिबुलर माइग्रेन: माइग्रेन के साथ चक्कर और संतुलन की समस्या।
  • हेमिप्लेजिक माइग्रेन: सिरदर्द के साथ शरीर के एक हिस्से में सुन्नपन या कमज़ोरी।

माइग्रेन के कारण (Common Causes)

  • मानसिक तनाव और चिंता
  • अनियमित नींद या बहुत अधिक नींद
  • भूखे रहना या समय पर भोजन न करना
  • हार्मोनल परिवर्तन (पीरियड्स, गर्भावस्था, मेनोपॉज़)
  • कैफीन, चॉकलेट, चीज़ या शराब जैसी चीज़ें
  • तेज़ रोशनी, आवाज़ या गंध
  • मौसम में बदलाव या अत्यधिक गर्मी-ठंड
  • लंबे समय तक शारीरिक थकावट या दवाओं का साइड इफेक्ट

माइग्रेन के लक्षण (Symptoms)

  • सिर के एक तरफ तेज़, धड़कता हुआ दर्द
  • रोशनी और आवाज़ के प्रति संवेदनशीलता
  • मिचली या उल्टी की इच्छा
  • आँखों के सामने चमक या धुंधलापन (Aura)
  • चेहरे या शरीर में सुन्नपन या झुनझुनी
  • चिड़चिड़ापन या मूड स्विंग
  • थकान, ध्यान की कमी या गर्दन में जकड़न

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (Ayurvedic Perspective)

आयुर्वेद के अनुसार, माइग्रेन तब होता है जब वात-पित्त दोष असंतुलित होकर मस्तिष्क की नसों और रक्त प्रवाह को प्रभावित करते हैं। शरीर में आम (toxins) बढ़ने से यह असंतुलन और बढ़ जाता है। इसलिए उपचार का लक्ष्य होता है — शरीर की सफाई, दोष संतुलन और मानसिक शांति।

जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति (Jiva Ayunique™ Approach)

  • HACCP प्रमाणित औषधियाँ: वैज्ञानिक रूप से निर्मित हर्बल दवाएँ जो दोषों को संतुलित करती हैं।
  • आयुर्वेदिक थेरेपी: नस्य (नाक में तेल डालना), शिरोधारा, और पंचकर्म डिटॉक्स।
  • योग और ध्यान: मानसिक तनाव को कम कर सिरदर्द की आवृत्ति घटाते हैं।
  • आहार और दिनचर्या: पित्त शांत करने वाला आहार और नियमित नींद।

माइग्रेन के लिए आयुर्वेदिक दवाएँ (Ayurvedic Remedies for Migraine)

  • त्रिफला: शरीर को डिटॉक्स करता है और साइनस ब्लॉकेज कम करता है।
  • ब्राह्मी: दिमाग को शांत करता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
  • अश्वगंधा: तनाव और चिंता को कम करता है।
  • शंखपुष्पी: मानसिक शांति और तंत्रिका संतुलन के लिए प्रभावी।
  • अदरक: मिचली और सूजन को कम करता है।
  • पेपरमिंट और यूक्लिप्टस तेल: माथे की मालिश से सिरदर्द में तुरंत राहत।
  • तिल का तेल (नस्य): वात दोष शांत कर

Our Happy Patients

  • Sunita Malik - Knee Pain
  • Abhishek Mal - Diabetes
  • Vidit Aggarwal - Psoriasis
  • Shanti - Sleeping Disorder
  • Ranjana - Arthritis
  • Jyoti - Migraine
  • Renu Lamba - Diabetes
  • Kamla Singh - Bulging Disc
  • Rajesh Kumar - Psoriasis
  • Dhruv Dutta - Diabetes
  • Atharva - Respiratory Disease
  • Amey - Skin Problem
  • Asha - Joint Problem
  • Sanjeeta - Joint Pain
  • A B Mukherjee - Acidity
  • Deepak Sharma - Lower Back Pain
  • Vyjayanti - Pcod
  • Sunil Singh - Thyroid
  • Sarla Gupta - Post Surgery Challenges
  • Syed Masood Ahmed - Osteoarthritis & Bp

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