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साइटिका के लिए आयुर्वेदिक इलाज

अगर साइटिका (Sciatica) का दर्द आपके रोज़मर्रा के जीवन को धीमा कर रहा है, तो आयुर्वेद में इसका गहराई से इलाज मौजूद है जो सिर्फ लक्षण नहीं, बीमारी की जड़ को ठीक करता है। जीवा आयुर्वेद में आपको पारंपरिक इलाज, जड़ी-बूटियों, सही खानपान और जीवनशैली में बदलाव के साथ एक व्यक्तिगत उपचार योजना मिलती है, वो भी अनुभवी आयुर्वेद विशेषज्ञों की देखरेख में। आज ही जीवा के प्रमाणित विशेषज्ञों से अपनी मुफ्त परामर्श बुक करें।

साइटिका क्या है और आयुर्वेद इसके बारे में क्या कहता है? (What is Sciatica?)

अगर आपकी कमर से लेकर नितम्ब (hips) और टांगों तक दर्द जाता है, झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होता है, तो हो सकता है कि आपको साइटिका की समस्या हो। साइटिका एक ऐसा दर्द है जो शरीर की सबसे लंबी नस (साइटिक नर्व) में सूजन या दबाव के कारण होता है। यह नस कमर से शुरू होकर कूल्हों के रास्ते टांगों के नीचे तक जाती है।

इस समस्या में दर्द अक्सर एक तरफ होता है और चलने, झुकने या लंबे समय तक बैठने पर और बढ़ जाता है। कई बार दर्द इतना तेज़ होता है जैसे बिजली का झटका या जलन हो रही हो। आपको टांग में कमज़ोरी, झनझनाहट या कभी-कभी पैरों तक सुन्नपन भी महसूस हो सकता है।

आयुर्वेद में साइटिका को गृध्रसी (Gridhrasi) कहा जाता है। यह एक वात विकार (Vata Vyadhi) है, यानी वात दोष के असंतुलन से उत्पन्न बीमारी। ‘गृध्र’ का मतलब होता है गिद्ध – क्योंकि इस रोग में रोगी की चाल गिद्ध जैसी हो जाती है, यानी व्यक्ति सीधा चल नहीं पाता, झुककर या लंगड़ाकर चलता है।

आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर में वात दोष बढ़ता है, तो वह नसों, हड्डियों और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। गृध्रसी में यह दोष कमर, कूल्हों और टांगों की नसों में सूजन, दर्द और जकड़न पैदा करता है।

आयुर्वेद में इलाज का उद्देश्य सिर्फ दर्द को दबाना नहीं होता, बल्कि बीमारी की जड़ को समझकर उसे संतुलित करना होता है। यही कारण है कि साइटिका जैसी पुरानी बीमारियों में आयुर्वेद बहुत असरदार माना जाता है।

अगर आप भी लंबे समय से साइटिका से जूझ रहे हैं, तो अब वक्त है आयुर्वेद की मदद लेने का जो आपके शरीर को अंदर से संतुलित करता है, न कि सिर्फ दर्द को दबाता है।

साइटिका के प्रकार (Types of Sciatica)

साइटिका एक जैसा नहीं होता। इसके दो मुख्य प्रकार होते हैं, और ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि दर्द किस कारण से हो रहा है। अगर आप साइटिका के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि आपको कौन-सा प्रकार हो सकता है।

  • 1. असली साइटिका (True Sciatica)
    इसमें साइटिक नर्व (sciatic nerve) पर सीधे असर होता है। जैसे कि कमर की हड्डियों में गड़बड़ी, डिस्क खिसकना (slip disc), या किसी चोट के कारण नस दब जाती है। इससे कमर से लेकर पैर तक तेज़ दर्द, जलन, या झनझनाहट महसूस होती है।
  • 2. साइटिका जैसे लक्षण (Sciatica-like symptoms)
    कई बार दर्द और सुन्नपन बिल्कुल साइटिका जैसा लगता है, लेकिन असल में वजह दूसरी होती है – जैसे मांसपेशियों की जकड़न, या आसपास की किसी और नस में खिंचाव। इसे भी साइटिका कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण मिलते-जुलते हैं।

साइटिका के सामान्य कारण (Common Causes of Sciatica)

अगर आपको अक्सर कमर से लेकर पैर तक तेज़ दर्द, जलन या झनझनाहट महसूस होती है, तो यह सिर्फ थकान या गलत बैठने का असर नहीं हो सकता। कई बार इसके पीछे गहराई से जुड़े कारण होते हैं जो साइटिक नर्व पर असर डालते हैं और दर्द को बढ़ाते हैं। सही समय पर कारण को पहचानना बहुत ज़रूरी होता है ताकि आप इलाज की शुरुआत कर सकें।

आइए जानते हैं साइटिका होने के आम कारण कौन-कौन से हो सकते हैं:

  • स्लिप डिस्क (Herniated Disc):
    जब रीढ़ की हड्डियों के बीच की कुशन जैसी डिस्क बाहर खिसक जाती है, तो यह नस पर दबाव डालती है जिससे साइटिका का दर्द होता है।

  • डिजेनेरेटिव डिस्क (Disc Degeneration):
    उम्र बढ़ने के साथ डिस्क में घिसावट आ जाती है, जिससे नसों में दबाव पड़ता है।

  • स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal Stenosis):
    जब रीढ़ की हड्डी की नलिका संकरी हो जाती है, तब नसों के लिए जगह कम हो जाती है और दर्द शुरू होता है।

  • फॉरेमिनल स्टेनोसिस (Foraminal stenosis):
    यह तब होता है जब रीढ़ से निकलने वाली नसों के रास्ते संकरे हो जाते हैं।

  • स्पॉन्डिलोलिस्थेसिस (Spondylolisthesis):
    इसमें एक कशेरुका (vertebra) दूसरी के ऊपर खिसक जाती है, जिससे नस दब जाती है।

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis):
    हड्डियों में सूजन और झड़ने की समस्या नसों को प्रभावित कर सकती है।

  • चोट या दुर्घटना:
    कमर या नितम्ब में चोट लगने से नसों पर सीधा असर होता है।

  • प्रेग्नेंसी:
    गर्भावस्था में वज़न बढ़ने और शरीर के बदलाव से भी नसों पर दबाव बढ़ सकता है।

  • ट्यूमर या सिस्ट:
    अगर रीढ़ या नर्व के पास कोई गांठ हो जाए तो वह साइटिक नर्व पर दबाव डाल सकती है।

  • रीढ़ की दुर्लभ बीमारियाँ:
    जैसे कॉनस मेडुलरिस सिंड्रोम या कौडा इक्वाइना सिंड्रोम।

साइटिका के जोखिम (Risk Factors)

अगर आपकी जीवनशैली या शरीर की हालत इन में से किसी से मेल खाती है, तो आपको साइटिका होने का खतरा ज़्यादा हो सकता है:

  • आपकी उम्र 30 से ऊपर है और शारीरिक श्रम या लंबे समय तक बैठने का काम करते हैं

  • पहले कभी कमर या रीढ़ की चोट लगी हो

  • आपको मोटापा है, जिससे रीढ़ पर भार ज़्यादा पड़ता है

  • पेट और पीठ की मांसपेशियाँ (core muscles) कमज़ोर हैं

  • आप घंटों तक गलत तरीके से बैठते हैं या झुककर काम करते हैं

  • भारी सामान उठाने में सावधानी नहीं बरतते

  • आपको डायबिटीज़ है, जिससे नसों में कमज़ोरी आती है

  • आप नियमित व्यायाम नहीं करते और अधिकतर समय बैठे रहते हैं

  • आप धूम्रपान करते हैं, जिससे नसों की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है

साइटिका के लक्षण (Signs and Symptoms of Sciatica)

अगर आपको बार-बार कमर से लेकर टांगों तक तेज़ या चुभता हुआ दर्द होता है, तो इसे नज़रअंदाज़ करना सही नहीं होगा। कई बार हम इस दर्द को साधारण थकान समझकर टाल देते हैं, लेकिन जब यह लगातार बना रहता है या धीरे-धीरे बढ़ता है, तो यह साइटिका हो सकता है।

आइए जानते हैं साइटिका के आम लक्षण क्या होते हैं, ताकि आप समय रहते इसे पहचान सकें:

    • कमर से पैर तक फैलता हुआ दर्द:
      यह दर्द कमर से शुरू होकर कूल्हे, जांघ, पिंडली और कभी-कभी पैर की उंगलियों तक जाता है। आमतौर पर यह शरीर के एक ही तरफ होता है।

    • जैसे झटका लग रहा हो या जलन हो रही हो:
      दर्द कई बार बिजली जैसे झटके या जलन की तरह महसूस होता है, जो अचानक शुरू होता है।

    • झनझनाहट या सुन्नपन:
      पैरों में सुई चुभने जैसी अनुभूति या संवेदनहीनता महसूस हो सकती है।

    • कमज़ोरी या भारीपन महसूस होना:
      चलने, सीढ़ी चढ़ने या लंबे समय तक खड़े रहने में पैर कमज़ोर या भारी लग सकते हैं।

    • बैठने या खड़े होने में परेशानी:
      बैठने, खड़े होने या झुकने से दर्द और बढ़ सकता है।

    • सोते समय करवट बदलने में तकलीफ़:
      दर्द रात में बढ़ जाता है और ठीक से सोना मुश्किल हो जाता है।

    पैरों की मांसपेशियों पर नियंत्रण में कमी:
    कुछ मामलों में पैर के अंगों को हिलाना या उठाना मुश्किल हो सकता है।

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Symptoms

कमर से पैर तक फैलता हुआ दर्द:

यह दर्द कमर से शुरू होकर कूल्हे, जांघ, पिंडली और कभी-कभी पैर की उंगलियों तक जाता है। आमतौर पर यह शरीर के एक ही तरफ होता है।

जैसे झटका लग रहा हो या जलन हो रही हो

दर्द कई बार बिजली जैसे झटके या जलन की तरह महसूस होता है, जो अचानक शुरू होता है।

झनझनाहट या सुन्नपन

पैरों में सुई चुभने जैसी अनुभूति या संवेदनहीनता महसूस हो सकती है।

कमज़ोरी या भारीपन महसूस होना:

चलने, सीढ़ी चढ़ने या लंबे समय तक खड़े रहने में पैर कमज़ोर या भारी लग सकते हैं

बैठने या खड़े होने में परेशानी:

बैठने, खड़े होने या झुकने से दर्द और बढ़ सकता है।

सोते समय करवट बदलने में तकलीफ़:

दर्द रात में बढ़ जाता है और ठीक से सोना मुश्किल हो जाता है

पैरों की मांसपेशियों पर नियंत्रण में कमी

कुछ मामलों में पैर के अंगों को हिलाना या उठाना मुश्किल हो सकता है।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

कमर से पैर तक फैलता हुआ दर्द:
जैसे झटका लग रहा हो या जलन हो रही हो
झनझनाहट या सुन्नपन
कमज़ोरी या भारीपन महसूस होना:
बैठने या खड़े होने में परेशानी:
सोते समय करवट बदलने में तकलीफ़:
पैरों की मांसपेशियों पर नियंत्रण में कमी
 

जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति – साइटिका के लिए एक संपूर्ण आयुर्वेदिक तरीका

जीवा आयुर्वेद साइटिका के इलाज के लिए एक प्राकृतिक और पूरी तरह से व्यक्तिगत तरीका अपनाता है। यहाँ इलाज सिर्फ दर्द को दबाने तक सीमित नहीं होता, बल्कि उस असली कारण को समझकर किया जाता है जिससे यह समस्या शुरू हुई। हर व्यक्ति की शरीर प्रकृति और समस्या को ध्यान में रखकर इलाज की योजना बनाई जाती है ताकि आपको अंदर से पूरी तरह से राहत, संतुलन और स्थिरता मिल सके।

जीवा आयुनिक™ उपचार पद्धति की मूल बातें – आपके स्वास्थ्य का संपूर्ण समाधान

  • आयुर्वेदिक दवाएँ (HACCP प्रमाणित): जीवा में दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाएँ आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक जड़ी-बूटियों के संतुलन से बनाई जाती हैं। ये दवाएँ शरीर की सफाई करती हैं, ठीक होने की प्रक्रिया को तेज़ करती हैं और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • योग, ध्यान और माइंडफुलनेस: तनाव को दूर करने और मानसिक शांति पाने के लिए योग और ध्यान बेहद असरदार हैं। ये तकनीकें आसान हैं और रोज़ाना करने से आपका मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।
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  • आहार और जीवनशैली सलाह: आपकी प्रकृति और बीमारी को समझकर, जीवा के विशेषज्ञ आपको ऐसा आहार और दिनचर्या बताते हैं जो आपके शरीर को मज़बूत बनाए, रोगों से बचाए और दीर्घकालीन स्वास्थ्य बनाए रखे।

साइटिका के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ – जड़ों से राहत पाने का तरीका (Ayurvedic Medicines for Sciatica)

अगर आप साइटिका के दर्द से लंबे समय से परेशान हैं और सिर्फ दर्द निवारक दवाओं पर निर्भर रहकर थक चुके हैं, तो आयुर्वेद आपको एक प्राकृतिक और स्थायी समाधान देता है। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियाँ और घरेलू उपाय हैं जो नसों की सूजन को कम करके दर्द में राहत देते हैं और शरीर को अंदर से मज़बूत बनाते हैं।

यहाँ हम आपके लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों की सूची दे रहे हैं, जो साइटिका में असरदार मानी जाती हैं:

    • हरसिंगार (Harshringar):
      यह नसों की सूजन को कम करता है और दर्द को शांत करता है। इसके पत्तों का काढ़ा या रस उपयोगी माना जाता है।

    • सहजन (Moringa):
      यह जोड़ों और नसों की सूजन को कम करता है और शरीर की गतिविधि को बेहतर बनाता है।

    • मेथी (Methi):
      जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देने वाली यह जड़ी आमतौर पर घरों में पाई जाती है।

    • अजवाइन (Ajwain):
      यह प्राकृतिक सूजनरोधी (anti-inflammatory) गुणों से भरपूर होती है और साइटिका में राहत देती है।

    • हल्दी (Haldi):
      यह एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट है, जो नसों की सूजन को कम करती है।

    • सेंधा नमक (Rock Salt):
      यह मांसपेशियों को शांत करता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। गर्म पानी में मिलाकर इसका उपयोग किया जाता है।

    • सरसों का तेल (Mustard Oil):
      इसमें मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है और कमर व टांगों की अकड़न में राहत मिलती है।

    • अश्वगंधा (Ashwagandha):
      यह एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक टॉनिक है जो तनाव को कम करता है, नसों को मज़बूत करता है और शरीर को संतुलित करता है।

    • शल्लकी (Shallaki):
      इसे गोंद के रूप में भी जाना जाता है और यह नसों तथा जोड़ों की सूजन को कम करने में बहुत असरदार है।

    • पुनर्नवा (Punarnava):
      यह शरीर को डिटॉक्स करने के साथ-साथ ऊतकों (tissues) को फिर से जीवित करने में मदद करता है।

    • गुग्गुलु (Guggulu):
      यह रक्त को शुद्ध करता है और जोड़ों व नसों की सूजन में राहत देता है। कई आयुर्वेदिक फार्मूलों में यह उपयोग किया जाता है।
    • निर्गुंडी (Nirgundi):
    • यह दर्द को कम करता है और नसों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है। इसे तेल या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है।

इन औषधियों का सही और संयमित उपयोग अगर जीवा के अनुभवी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से किया जाए, तो साइटिका जैसी जटिल समस्या में भी आपको गहरी और स्थायी राहत मिल सकती है। याद रखें, आयुर्वेद सिर्फ लक्षणों को नहीं दबाता, यह आपकी पूरी जीवनशैली को संतुलित कर जड़ से इलाज करता है।

FAQs

आयुर्वेद में साइटिका के लिए हरसिंगार, अश्वगंधा, शल्लकी, गुग्गुलु और निर्गुंडी जैसी जड़ी-बूटियाँ बहुत असरदार मानी जाती हैं। इनका उपयोग दर्द, सूजन और नसों की कमज़ोरी को ठीक करने में किया जाता है। लेकिन सबसे बेहतर दवा आपके शरीर की प्रकृति और दोष के अनुसार चुनी जाती है।

साइटिका तब होती है जब साइटिक नर्व पर दबाव आता है या उसमें सूजन हो जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण होते हैं – गलत बैठने की आदतें, ज़्यादा वज़न, कमज़ोरी या रीढ़ की समस्याएँ। आयुर्वेद इसे वात दोष का असंतुलन मानता है।

अक्सर विटामिन B12 की कमी से नसों में सूजन या कमज़ोरी आ सकती है, जिससे साइटिका जैसे लक्षण दिखते हैं। आयुर्वेदिक रूप से ऐसे मामलों में शरीर को पोषक तत्वों से भरपूर आहार, जड़ी-बूटियाँ और सही दिनचर्या अपनाने की सलाह दी जाती है।

निर्गुंडी, अश्वगंधा और पुनर्नवा जैसी जड़ी-बूटियाँ नसों को मज़बूत और शांत करने में सहायक हैं। ये नसों की सूजन, दर्द और थकावट को कम करने के लिए उपयोग की जाती हैं। इनका नियमित सेवन नसों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है।

हरसिंगार (नाइट जैस्मिन) साइटिका दर्द में बहुत फ़ायदेमंद मानी जाती है। इसके पत्तों का काढ़ा नसों की सूजन को कम करता है और दर्द में राहत देता है। इसके अलावा गुग्गुलु और शल्लकी भी काफ़ी प्रभावी हैं।

आंवला, अनार, पपीता और केला जैसे फल साइटिका में फ़ायदेमंद माने जाते हैं। ये शरीर को ताकत देने के साथ नसों की सेहत को सुधारते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं, जिससे वात दोष का संतुलन बना रहता है।

साइटिका का तेज़ इलाज तभी संभव है जब आप शुरुआती लक्षणों को पहचान कर सही समय पर इलाज शुरू करें। आयुर्वेद में पंचकर्म, हर्बल दवाएँ, नियमित योग और संतुलित आहार मिलकर साइटिका को जड़ से ठीक करने में मदद करते हैं।

योग में भुजंगासन, मर्कटासन, वज्रासन और शलभासन जैसी मुद्राएँ साइटिका के दर्द में राहत देती हैं। ये कमर और टांगों की नसों को खींचने और आराम देने में मदद करती हैं। किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही योग करें।

हाँ, अगर आप नियमित रूप से आयुर्वेदिक दवाएँ, उचित आहार, जीवनशैली सुधार और थेरेपी अपनाते हैं, तो साइटिका पूरी तरह से ठीक हो सकता है। समय पर इलाज और धैर्य सबसे ज़रूरी हैं।

जी हाँ, सरसों तेल में लहसुन या निर्गुंडी डालकर हल्के हाथों से मालिश करने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है। आयुर्वेदिक तेलों से मालिश नसों की कार्यक्षमता सुधारने में भी मदद करती है।

लंबे समय तक बैठने से बचें, झुककर भारी चीज़ें न उठाएँ, सही मुद्रा में बैठें, वज़न नियंत्रित रखें और रोज़ हल्का व्यायाम करें। दिनचर्या संतुलित रखने से आप साइटिका के खतरे को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।

हाँ, ठंडी चीज़ें या ठंडे पानी से नहाना वात को और बढ़ा सकता है, जिससे साइटिका का दर्द बढ़ सकता है। आयुर्वेद में गर्म पानी से स्नान और गरम पाचनवर्धक चीज़ें खाने की सलाह दी जाती है।

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