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जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

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जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएँ क्या होती हैं? (What is Joint & Muscle Pain?)

अगर आपको चलने-फिरने में दिक्कत हो रही है, उठने-बैठने में जोड़ों में खिंचाव या दर्द महसूस होता है, या मांसपेशियों में जकड़न बनी रहती है तो यह संकेत हो सकता है कि आपके शरीर में जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी कोई समस्या है। यह परेशानी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है — घुटनों, कंधों, कमर, गर्दन, टखनों, कुहनियों या पीठ में।

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, गलत बैठने का तरीका, घंटों एक ही स्थिति में बैठना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, बढ़ता वज़न और पोषण की कमी जैसी वजहों से यह समस्याएँ पहले की तुलना में ज़्यादा देखने को मिल रही हैं। बहुत से लोग गठिया, साइटिका, ऑस्टियोआर्थराइटिस और गाउट जैसी बीमारियों से परेशान हैं। कामकाजी लोगों के साथ-साथ बुज़ुर्गों और युवाओं में भी ये दिक्कतें तेज़ी से बढ़ रही हैं।

कई बार ये समस्याएँ धीरे-धीरे शुरू होती हैं और समय के साथ गंभीर रूप ले लेती हैं। दर्द, सूजन, अकड़न, चलने में परेशानी, शरीर में थकावट जैसी समस्याएँ रोज़मर्रा की ज़िंदगी को मुश्किल बना देती हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द आमतौर पर वात दोष के असंतुलन से होता है। इसके अलावा शरीर में जमा हुए विषैले पदार्थ (आम) भी इन तकलीफ़ों की जड़ हो सकते हैं। जब पाचन ठीक नहीं होता तो यह आम शरीर में इकट्ठा होकर जोड़ों में सूजन, जकड़न और दर्द पैदा करता है।

जीवा आयुर्वेद में इन समस्याओं का इलाज केवल लक्षणों को दबाने का नहीं, बल्कि उनकी जड़ से समाधान का होता है ताकि आप बिना दर्द के फिर से अपनी ज़िंदगी खुलकर जी सकें।

 

जीवा में इलाज की जाने वाली जोड़ों और मांसपेशियों की समस्याएँ (Types of Joint & Muscle Pain)

जीवा आयुर्वेद में जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का गहराई से इलाज किया जाता है। हर बीमारी की अपनी अलग वजह होती है, और हर मरीज़ की स्थिति अलग होती है। इसलिए यहाँ पर इलाज भी व्यक्ति के शरीर, प्रकृति और समस्या की जड़ को ध्यान में रखकर किया जाता है।

 

     
  • एंकायलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis): रीढ़ की हड्डी कठोर हो जाती है और दर्द बढ़ता है। वातजन्य रोग के रूप में इसका इलाज पंचकर्म व औषधियों से किया जाता है।
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  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylitis): गर्दन में दर्द, अकड़न और झनझनाहट; वात दोष और मांसपेशियों की कमजोरी से जुड़ा।
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  • आर्थराइटिस/गठिया (Arthritis): जोड़ों में सूजन और दर्द; वात और आम दोष की अधिकता इसका कारण है।
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  • ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): जोड़ों के घिसने से उत्पन्न दर्द; वात दोष संतुलन और पोषण बढ़ाने से राहत।
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  • गाउट (Gout): यूरिक एसिड बढ़ने से होने वाला वातरक्त रोग; दर्द, सूजन और लालिमा मुख्य लक्षण।
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  • साइटिका (Sciatica): कमर से पैरों तक जलन या दर्द; सायाटिक नस पर दबाव से उत्पन्न।
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  • रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से जोड़ों में सूजन; इसे “आमवात” कहा गया है।
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  • फ्रोज़न शोल्डर (Frozen Shoulder): कंधे का जकड़ना और दर्द; वात दोष वृद्धि से उत्पन्न।
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  • डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT): नसों में खून के थक्के जमना; रक्त प्रवाह सुधारने वाली औषधियाँ दी जाती हैं।
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  • अकिलीज़ टेंडन डिसऑर्डर (Achilles Tendon Disorder): एड़ी के पास सूजन और दर्द; स्नेहन व बस्ती उपचार उपयोगी।
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  • रिकेट्स (Rickets): बच्चों में कैल्शियम-विटामिन D की कमी से हड्डियों की कमजोरी।
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  • गैन्गलियन सिस्ट (Ganglion Cyst): जोड़ों के पास गांठ बनना; वात-दोष असंतुलन से जुड़ा।
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  • ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): हड्डियों की कमजोरी और अस्थिधातु की कमी; विशेष औषधियों से मजबूती दी जाती है।
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  • एवीएन (Avascular Necrosis): हड्डी तक रक्तसंचार बंद हो जाने से दर्द; पंचकर्म से राहत।
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  • ऑस्टियोमाइलाइटिस (Osteomyelitis): हड्डियों का संक्रमण; संक्रमण हटाकर हड्डियों को पुनर्जीवित किया जाता है।
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  • सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy): मांसपेशियों की अकड़न और समन्वय में कठिनाई; बच्चों के लिए विशिष्ट आयुर्वेदिक थेरपी उपयोगी।

 

आयुर्वेद जोड़ों और मांसपेशियों की समस्याओं के बारे में क्या कहता है?

आयुर्वेद के अनुसार, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द केवल लक्षण नहीं बल्कि वात दोष के असंतुलन और आम के जमाव का परिणाम है।

जब पाचन कमजोर होता है, तो अपचित भोजन "आम" में बदलकर सूक्ष्म मार्गों में रुकावट पैदा करता है, जिससे सूजन, जकड़न और दर्द होता है। इसमें अस्थि, मज्जा, स्नायु और रक्त धातु प्रभावित होते हैं।

जीवा आयुर्वेद में इलाज जड़ से किया जाता है—दर्द को दबाने के बजाय कारण को दूर करने पर ध्यान दिया जाता है, ताकि शरीर भीतर से मज़बूत बन सके।

 

आयुर्वेदिक इलाज के फ़ायदे

     
  • जड़ से इलाज: लक्षण नहीं, बल्कि असली वजह (वात या आम) पर ध्यान।
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  • सुरक्षित और बिना साइड इफेक्ट: प्राकृतिक औषधियाँ शरीर के अनुकूल।
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  • इम्युनिटी और पाचन में सुधार: विषैले तत्वों को बाहर निकालकर शरीर को ऊर्जावान बनाता है।
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  • जीवनशैली में संतुलन: आहार, दिनचर्या और सोच को सुधारने पर ज़ोर।
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  • व्यक्तिगत इलाज: हर व्यक्ति की प्रकृति और रोग की गहराई के अनुसार उपचार।

 

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ और उपयोग की जाने वाली थेरपीज़

 

मुख्य जड़ी-बूटियाँ (Herbs)

     
  • शल्लकी (Boswellia serrata): जोड़ों की सूजन और अकड़न को कम करती है।
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  • गुग्गुल (Commiphora wightii): वात दोष शांत करती है और आम को निकालती है।
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  • अश्वगंधा (Withania somnifera): हड्डियों और मांसपेशियों को मज़बूती देती है।
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  • हल्दी (Turmeric): सूजन और दर्द घटाने वाला प्राकृतिक तत्व ‘कुरकुमिन’ इसमें होता है।
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  • योगराज गुग्गुलु: वात संतुलन, सूजन नियंत्रण और लचीलापन बढ़ाने में सहायक।
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  • पुनर्नवा (Boerhavia diffusa): सूजन कम करने और शरीर की सफाई में मददगार।
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  • निर्गुंडी और नीलगिरी तेल: बाहरी मालिश से दर्द और सूजन घटाते हैं।

 

मुख्य आयुर्वेदिक थेरपीज़ (Therapies)

     
  • बस्ती (Basti): वात दोष को संतुलित करने के लिए औषधीय एनिमा थेरपी।
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  • विरेचन (Virechana): शरीर की आंतरिक सफाई और सूजन कम करने की प्रक्रिया।
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  • अभ्यंग (Abhyanga): औषधीय तेलों से मालिश जो जोड़ों की गति सुधारती है।
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  • नस्य (Nasya): सिर और गर्दन क्षेत्र के वात विकारों में उपयोगी।
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  • पिंडस्वेद: गर्म पोटली से दर्द, अकड़न और सूजन कम करने की चिकित्सा।

 

जीवा आयुनिक™ – हमारा इलाज का विशेष तरीका

     
  • HACCP प्रमाणित दवाइयाँ: वैज्ञानिक रूप से तैयार सुरक्षित औषधियाँ।
  •  
  • इलाज की प्रगति पर नज़र: हर स्टेप ट्रैक कर सही दिशा में सुधार सुनिश्चित।
  •  
  • व्यक्तिगत खानपान और जीवनशैली: डाइट और दिनचर्या शरीर के अनुसार तय।
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  • योग, ध्यान और माइंडफुलनेस: मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन के लिए।

 

इलाज शुरू करने के आसान कदम

     
  1. निःशुल्क परामर्श बुक करें: ऑनलाइन या क्लिनिक विज़िट से विशेषज्ञ से मिलें।
  2.  
  3. मूल कारण की जाँच: प्रकृति, पाचन शक्ति और जीवनशैली के आधार पर रोग की जड़ पहचानी जाती है।
  4.  
  5. व्यक्तिगत आयुर्वेदिक इलाज शुरू करें: जड़ी-बूटियाँ, आहार, योग और लाइफस्टाइल प्लान शामिल।

 

अब दर्द नहीं, राहत चुनिए – आयुर्वेद के साथ

अगर जोड़ों या मांसपेशियों का दर्द आपकी ज़िंदगी को रोक रहा है, तो अब समय है एक सही कदम उठाने का। बार-बार दवाइयाँ बदलने के बजाय, जीवा आयुर्वेद का जड़ से इलाज अपनाएँ और अपने शरीर को अंदर से ठीक करें।

आप घर बैठे ही फोन या वीडियो कॉल के ज़रिए हमारी ऑनलाइन परामर्श सेवा का लाभ उठा सकते हैं या नज़दीकी जीवा क्लिनिक में जाकर विशेषज्ञ से मिल सकते हैं।

आज ही निःशुल्क परामर्श बुक करें: 0129-4264323 पर कॉल करें और दर्द-मुक्त जीवन की शुरुआत करें।

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