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गठिया के लिए आयुर्वेदिक इलाज

गठिया यानी जोड़ों का दर्द एक आम लेकिन तकलीफ़देह समस्या है, जो आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को मुश्किल बना सकती है। जीवा आयुर्वेद में आपको मिलता है जड़ों तक पहुँचने वाला आयुर्वेदिक इलाज – जड़ी-बूटियों, पारंपरिक थैरेपी, खानपान और जीवनशैली में बदलाव के साथ। आज ही किसी प्रमाणित जीवा विशेषज्ञ से मुफ्त परामर्श बुक करें।

गठिया क्या है और आयुर्वेद इस बारे में क्या कहता है? (What is Arthritis?)

अगर आपके जोड़ों में अकड़न रहती है, चलने-फिरने में दर्द होता है या सुबह उठते ही शरीर भारी और सूजा हुआ लगता है, तो ये गठिया (Arthritis) के लक्षण हो सकते हैं। गठिया कोई एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता से जुड़ी कई बीमारियों का एक समूह है। यह घुटनों, कमर, हाथ-पैर, कंधों या रीढ़ जैसे किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है।

गठिया के कई कारण हो सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र, पुराने चोटें, अधिक वज़न, आनुवंशिक कारण, या फिर शरीर में सूजन बढ़ाने वाली दूसरी बीमारियाँ। कुछ मामलों में यह समस्या अचानक शुरू होती है और समय के साथ और भी गंभीर हो जाती है।

अब बात करते हैं आयुर्वेद की।

आयुर्वेद में गठिया को 'आमवात' कहा जाता है। इसमें दो मुख्य कारण माने गए हैं –

  • आम (यानि शरीर में जमा हुआ अपाचित विष या toxin), और
  • वात दोष (शरीर में गति से जुड़ा दोष)।

जब आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाती है, तो भोजन पूरी तरह नहीं पचता और शरीर में 'आम' बनने लगता है। यह आम जब वात दोष के साथ मिलकर जोड़ों में पहुँचता है, तो सूजन, दर्द और अकड़न जैसी समस्याएँ शुरू हो जाती हैं। इसे ही आयुर्वेद में आमवात कहा गया है।

आयुर्वेद का मानना है कि हर बीमारी की जड़ उसके कारण को समझकर ठीक की जा सकती है। इसलिए जीवा आयुर्वेद में गठिया का इलाज सिर्फ दर्द कम करने तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसका मकसद होता है आम को बाहर निकालना, वात को संतुलित करना और जोड़ों को फिर से स्वस्थ बनाना।

अगर आप भी गठिया से परेशान हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि इसका प्राकृतिक और जड़ों से इलाज संभव है और वो है आयुर्वेद के ज़रिए।

गठिया के प्रकार (Types of Arthritis)

आपको जोड़ों में दर्द हो रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गठिया कई तरह का होता है? हर प्रकार की गठिया के पीछे कारण अलग होता है और लक्षण भी कुछ हद तक अलग हो सकते हैं। इसलिए सही इलाज के लिए यह समझना ज़रूरी है कि आपको किस प्रकार का गठिया है।

यहाँ कुछ प्रमुख प्रकार बताए जा रहे हैं जो आमतौर पर देखे जाते हैं:

  1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)

    यह सबसे आम प्रकार है और ज़्यादातर उम्र बढ़ने के साथ होता है। जब आपकी हड्डियों के बीच की कार्टिलेज (गद्दी जैसी परत) घिसने लगती है, तो हड्डियाँ आपस में रगड़ खाने लगती हैं, जिससे दर्द और सूजन होती है।
    कहाँ होता है: घुटने, कमर, गर्दन, हाथ

  2. रूमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)

    यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति गलती से आपके ही जोड़ों पर हमला करती है। इससे जोड़ों में सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है।
    लक्षण: सुबह-सुबह जोड़ों में ज़्यादा अकड़न और थकान महसूस होना

  3. गठिया (Gout)

    अगर आपके खून में यूरिक एसिड बढ़ जाए, तो यह छोटे-छोटे क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जम जाता है। इससे अचानक तेज़ दर्द, जलन और सूजन होती है।
    असर: अक्सर पैर के अंगूठे पर सबसे पहले होता है

  4. एंकायलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis)

    यह कमर की हड्डियों और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसमें धीरे-धीरे अकड़न और चलने-फिरने में कठिनाई होने लगती है।

  5. सोरियाटिक आर्थराइटिस (Psoriatic Arthritis)

    अगर आपको सोरायसिस (त्वचा की बीमारी) है, तो यह गठिया उस से जुड़ा हो सकता है। इसमें त्वचा के साथ-साथ जोड़ों में भी सूजन आती है।

गठिया के आम कारण (Common Causes of Arthritis)

अगर आपको जोड़ों में बार-बार दर्द, सूजन या अकड़न होती है, तो इसके पीछे कुछ गहरे कारण हो सकते हैं। गठिया केवल उम्र बढ़ने की वजह से नहीं होता, बल्कि आपकी जीवनशैली, आदतें और कुछ अंदरूनी समस्याएँ भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

यहाँ कुछ आम कारण दिए जा रहे हैं जिनकी वजह से आपको गठिया हो सकता है:

  • कमज़ोर पाचन और अपाचित भोजन: जब आपका खाना पूरी तरह से नहीं पचता, तो शरीर में आम (toxins) बनने लगता है। यह आम जोड़ों में जाकर सूजन और दर्द का कारण बनता है।
  • शारीरिक गतिविधि की कमी: अगर आप रोज़ाना व्यायाम नहीं करते, तो शरीर में जड़ता आ जाती है और जोड़ों में कठोरता बनने लगती है।
  • बार-बार जोड़ों पर दबाव या चोट: लगातार किसी एक जोड़ पर काम करना, भारी वज़न उठाना या पुराने चोट का ठीक से इलाज न होना भी गठिया का कारण बन सकता है।
  • गलत खानपान: बहुत अधिक तला-भुना, खट्टा, भारी और वात बढ़ाने वाला भोजन जैसे चना, मूंगफली, बासी खाना आदि वात और आम दोनों को बढ़ाता है।
  • मोटापा: अगर आपका वज़न अधिक है, तो घुटनों और पैरों के जोड़ों पर लगातार दबाव पड़ता है, जिससे वहाँ घिसाव और सूजन होती है।
  • आनुवंशिक कारण: अगर आपके परिवार में किसी को गठिया है, तो आपके लिए इसका खतरा बढ़ जाता है।
  • पुरानी बीमारियाँ या संक्रमण: शरीर में चल रही पुरानी सूजन, वायरल संक्रमण या किसी रोग के कारण भी गठिया हो सकता है।

गठिया के लक्षण और संकेत (Signs and Symptoms of Arthritis)

गठिया धीरे-धीरे शुरू होता है, लेकिन अगर आप उसके शुरुआती संकेतों को पहचान लें, तो समय रहते सही इलाज शुरू किया जा सकता है। कई बार लोग जोड़ों के हल्के दर्द या थकान को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन यही छोटे-छोटे लक्षण आगे चलकर बड़ी परेशानी का रूप ले सकते हैं।

यहाँ कुछ आम लक्षण और संकेत दिए जा रहे हैं, जो इस बात का इशारा करते हैं कि आपको गठिया हो सकता है:

  • जोड़ों में लगातार दर्द: जब आपके घुटनों, हाथों, कमर या किसी भी जोड़ में रोज़-रोज़ दर्द रहने लगे, तो यह गठिया का संकेत हो सकता है।
  • सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न: अगर आप सुबह उठते ही महसूस करते हैं कि आपके जोड़ अकड़ गए हैं और कुछ समय बाद ही सामान्य हो पाते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।
  • सूजन और गर्मी महसूस होना: किसी जोड़ के आसपास की जगह अगर लाल, सूजी हुई और छूने पर गर्म लगती है, तो यह गठिया की सूजन का हिस्सा हो सकता है।
  • जोड़ों में चलने-फिरने में कठिनाई: जब आपको किसी जोड़ को मोड़ने, घुमाने या सीधा करने में दिक्कत आने लगे, तो यह गठिया का लक्षण हो सकता है।
  • थकान और कमज़ोरी: गठिया सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं होता। आपको सामान्य से ज़्यादा थकावट और कमज़ोरी भी महसूस हो सकती है, खासकर रूमेटॉइड गठिया में।
  • हल्की बुखार जैसी स्थिति: कुछ प्रकार के गठिया जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस में हल्का बुखार, भूख में कमी और वज़न घटने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।
  • लालिमा या रंग बदलना: प्रभावित जोड़ के पास की त्वचा का रंग बदलना या चमड़ी पर खिंचाव आना भी एक संकेत हो सकता है।

Symptoms

जोड़ों में लगातार दर्द

जब आपके घुटनों, हाथों, कमर या किसी भी जोड़ में रोज़-रोज़ दर्द रहने लगे, तो यह गठिया का संकेत हो सकता है।

जोड़ों में अकड़न

अगर आप सुबह उठते ही महसूस करते हैं कि आपके जोड़ अकड़ गए हैं और कुछ समय बाद ही सामान्य हो पाते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।

सूजन और गर्मी महसूस होना

किसी जोड़ के आसपास की जगह अगर लाल, सूजी हुई और छूने पर गर्म लगती है, तो यह गठिया की सूजन का हिस्सा हो सकता है।

थकान और कमज़ोरी

गठिया सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं होता। आपको सामान्य से ज़्यादा थकावट और कमज़ोरी भी महसूस हो सकती है, खासकर रूमेटॉइड गठिया में।

हल्की बुखार जैसी स्थिति

कुछ प्रकार के गठिया जैसे रूमेटॉइड आर्थराइटिस में हल्का बुखार, भूख में कमी और वज़न घटने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।

लालिमा या रंग बदलना

प्रभावित जोड़ के पास की त्वचा का रंग बदलना या चमड़ी पर खिंचाव आना भी एक संकेत हो सकता है।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से जूझ रहे हैं?

जोड़ों में लगातार दर्द
जोड़ों में अकड़न
सूजन और गर्मी महसूस होना
थकान और कमज़ोरी
हल्की बुखार जैसी स्थिति
लालिमा या रंग बदलना
 

क्या आपको इनमें से कोई लक्षण महसूस होता है (गठिया)?

नीचे दिए गए विकल्पों में से सभी का चयन करें जो आप पर लागू होते हैं:

  • जोड़ों में लगातार दर्द
  • सुबह उठने पर जोड़ों में अकड़न
  • सूजन या जोड़ों के पास गर्मी महसूस होना
  • चलने-फिरने या जोड़ मोड़ने में परेशानी
  • सामान्य से अधिक थकान और कमज़ोरी
  • हल्का बुखार या भूख में कमी
  • जोड़ों के पास त्वचा का रंग बदलना

जीवा Ayunique™ उपचार पद्धति – गठिया का सम्पूर्ण आयुर्वेदिक समाधान

जीवा आयुर्वेद में गठिया का इलाज केवल दर्द या सूजन को कम करने तक सीमित नहीं होता। यहाँ हर मरीज़ की स्थिति को समझकर उसका इलाज किया जाता है। हमारे विशेषज्ञ जड़ में जाकर बीमारी के कारण को पहचानते हैं और फिर आयुर्वेदिक दवाइयों, थैरेपी, खानपान और दिनचर्या के ज़रिए पूरा और संतुलित इलाज करते हैं – जिससे आपको सिर्फ राहत नहीं, बल्कि अंदर से सुधार मिले।

जीवा Ayunique™ उपचार पद्धति के मुख्य सिद्धांत – सरल और प्रभावशाली देखभाल

  • HACCP प्रमाणित आयुर्वेदिक दवाइयाँ: जीवा में दी जाने वाली आयुर्वेदिक दवाइयाँ वैज्ञानिक तरीके से बनाई जाती हैं, जो आपके शरीर को अंदर से साफ करती हैं, बीमारी को ठीक करने में मदद करती हैं और मन को भी शांत रखती हैं।
  • योग, ध्यान और मानसिक संतुलन: आपकी मानसिक शांति भी शरीर के लिए ज़रूरी है। इसलिए जीवा में आसान और सुकून देने वाले योग और ध्यान के ज़रिए तनाव को दूर किया जाता है।
  • पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार: यहाँ पंचकर्म, तेल मालिश और प्राकृतिक डिटॉक्स जैसे उपाय किए जाते हैं जो शरीर की गहराई से सफाई करते हैं और फिर से संतुलन लाते हैं।
  • आहार और जीवनशैली पर मार्गदर्शन: आपको क्या खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कैसे दिनचर्या बनानी चाहिए – इन सभी बातों पर हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ आपकी मदद करते हैं, ताकि आपका शरीर मज़बूत बने और बीमारियाँ दोबारा न हों।

गठिया के लिए आयुर्वेदिक दवाइयाँ – दर्द और सूजन से पाएँ जड़ों से राहत (Ayurvedic Medicines for Arthritis)

अगर आप लंबे समय से जोड़ों के दर्द, सूजन और अकड़न से परेशान हैं और दवाइयों से सिर्फ थोड़ी देर की राहत मिल रही है, तो अब वक्त है आयुर्वेद का सहारा लेने का। आयुर्वेद में गठिया यानी आमवात का इलाज जड़ों से किया जाता है। इसका मतलब है – शरीर में जमा आम को निकालना, वात को संतुलित करना और जोड़ों को फिर से ताकतवर बनाना।

यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाइयाँ और जड़ी-बूटियाँ दी जा रही हैं, जो गठिया के इलाज में काफ़ी असरदार मानी जाती हैं:

  • अदरक (Ginger): इसमें सूजन कम करने वाले गुण होते हैं और यह खून का प्रवाह भी बेहतर करता है। इससे जोड़ों का दर्द और सूजन कम होती है और हड्डियाँ मज़बूत होती हैं।
  • तिल के बीज (Sesame Seeds): तिल कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो हड्डियों के ऊतकों को पोषण देकर गठिया की तकलीफ़ को कम करता है।
  • अरंडी का तेल (Castor Oil): यह एक प्राकृतिक सूजन-नाशक तेल है, जिससे जोड़ों की मालिश करने पर सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
  • गुग्गुल (Guggulu): यह एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है जो शरीर को विषरहित करने के साथ-साथ पुराना जोड़ दर्द भी कम करती है।
  • निर्गुंडी (Nirgundi): यह जोड़ों के दर्द, सूजन और अकड़न में राहत देती है। इसके पत्तों का लेप या तेल जोड़ों पर लगाने से आराम मिलता है।
  • अजवाइन (Ajwain): ठंड के मौसम में जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है, ऐसे में अजवाइन बहुत फायदेमंद होती है। इससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
  • दशमूल (Dashmool): यह दस औषधीय जड़ों का मिश्रण होता है, जो वात रोगों में बहुत असरदार माना जाता है। इससे शरीर की सूजन कम होती है और दर्द में राहत मिलती है।
  • शल्लकी (Shallaki): इसे Boswellia serrata भी कहा जाता है। यह जोड़ों की सूजन कम करती है और शारीरिक गति को बेहतर बनाती है।
  • अश्वगंधा (Ashwagandha): यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाती है, सूजन कम करती है और जोड़ों की ताकत बढ़ाती है।
  • त्रिफला (Triphala): यह तीन फलों (आंवला, बहेड़ा और हरड़) का मिश्रण होता है। यह शरीर से आम निकालने और पाचन सुधारने में मदद करता है।

इन आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल अगर सही तरीके से और विशेषज्ञ की सलाह से किया जाए, तो गठिया के दर्द और सूजन से राहत पाई जा सकती हैं। सबसे खास बात यह है कि ये दवाइयाँ शरीर को अंदर से ठीक करती हैं, जिससे आपको लंबे समय तक आराम मिलता है।

FAQs

गठिया के लिए गुग्गुल, अश्वगंधा, शल्लकी, और दशमूल जैसी आयुर्वेदिक दवाएँ काफ़ी असरदार मानी जाती हैं। ये दवाएँ सूजन, दर्द और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती हैं। लेकिन सही दवा का चुनाव हमेशा विशेषज्ञ से परामर्श के बाद करें।

निर्गुंडी, गुग्गुल, अदरक, और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियाँ गठिया के इलाज में काफ़ी उपयोगी हैं। ये सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करती हैं और आम (toxins) को बाहर निकालने में मदद करती हैं।

हड्डियों को मज़बूत बनाने के लिए तिल के बीज, अश्वगंधा, हडजोड़ बूटी और आंवला बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। ये हड्डियों को पोषण देते हैं और जोड़ो की ताकत बढ़ाते हैं।

आयुर्वेद में इसका इलाज आम को बाहर निकालने, वात दोष को संतुलित करने और रोग प्रतिरोधक शक्ति को मज़बूत करने से होता है। पंचकर्म, हर्बल दवाएँ, और अनुशासित दिनचर्या से आप इस बीमारी को जड़ से नियंत्रित कर सकते हैं।

हाँ, अगर आप शुरुआत से ही सही दिनचर्या, संतुलित खानपान और डाइजेशन को ठीक रखें, तो आम बनने से रोका जा सकता है। इससे शरीर में विष जमा नहीं होता और वात संतुलित रहता है, जिससे गठिया को रोका जा सकता है।

अर्थराइटिस में आपको तला-भुना खाना, अधिक नमक, बासी भोजन, ठंडी चीज़ें और वात-वर्धक चीज़ें जैसे चना, मूंगफली, अचार आदि से दूर रहना चाहिए। ये शरीर में आम और वात को बढ़ाते हैं जिससे दर्द बढ़ सकता है।

गठिया के मरीज़ों को टमाटर, बैंगन, आलू और हरी मिर्च जैसी सब्ज़ियाँ कम खानी चाहिए। ये सब्ज़ियाँ शरीर में सूजन बढ़ा सकती हैं और वात दोष को भड़का सकती हैं।

आयुर्वेद में इसके लिए तीन उपाय ज़रूरी माने जाते हैं – शरीर से आम निकालना (डिटॉक्स), वात का संतुलन, और हड्डियों को पोषण देना। नियमित योग, खानपान सुधार और हर्बल औषधियों से गठिया को जड़ से ठीक किया जा सकता है।

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