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क्या स्लिप डिस्क और साइटिका एक जैसे हैं? दोनों में फर्क और आयुर्वेदिक उपचार समझिए

Information By Dr. Arun Gupta

भारत में कमर और रीढ़ की हड्डी-सम्बन्धित दर्द अब एक आम समस्या बन चुकी है। 2022 की एक व्यापक समीक्षा में पाया गया कि भारत में लगभग 48% लोग कमर दर्द (low back pain) से पीड़ित होते हैं; सालाना (annual) यह दर करीब 51% और जीवनभर (lifetime) करीब 66% है।  यह आँकड़ा बताता है कि कमर दर्द — चाहे हल्का हो या गंभीर — आपके, आपके परिवार या आपके परिचितों में से किसी को भी किसी समय हो सकता है।

इस बढ़ती समस्या के बीच एक महत्वपूर्ण भ्रम है: बहुत से लोग समझते हैं कि स्लिप डिस्क और साइटिका एक ही बात है। हो सकता है आप भी ऐसा सोचते हों। लेकिन असल में — स्लिप डिस्क और साइटिका दो अलग-अलग स्थिति हैं, और इनका कारण, लक्षण व इलाज अलग हो सकता है।

इस लेख में, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि स्लिप डिस्क और साइटिका में असली फर्क क्या है, कैसे जानें कि आपकी तकलीफ किसने दी है — और अगर आप चाहते हैं, तो आप किस तरह से आयुर्वेदिक उपचार, घरेलू उपाय और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से राहत पा सकते हैं।

अगर आप या आपका कोई परिचित इन में से किसी दर्द से जूझ रहा है, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

लोग स्लिप डिस्क और साइटिका को एक जैसा क्यों समझ लेते हैं, जबकि दोनों अलग हैं?

अक्सर जब आपकी कमर में तेज़ दर्द होता है, या दर्द जांघों होते हुए पैर तक पहुँचने लगता है, तो आप इसे एक ही बीमारी समझ लेते हैं। यही वजह है कि बहुत से लोग स्लिप डिस्क और साइटिका को एक ही समस्या मानते हैं।
लेकिन असल सच्चाई इससे अलग है। दोनों के लक्षण कई बार एक जैसे लग सकते हैं, इसलिए आपको भ्रम हो जाता है।

सबसे बड़ी वजह यह है कि:

  • दोनों ही समस्याएँ आपकी कमर के निचले हिस्से और पैरों को प्रभावित करती हैं

  • दोनों में दर्द नीचे की ओर फैलता है

  • दोनों ही स्थितियों में बैठना, झुकना या चलना मुश्किल हो सकता है

  • दोनों में झनझनाहट, सुन्नपन या कमज़ोरी महसूस हो सकती है

इन समान लक्षणों के कारण आपको लगता है कि शायद आपकी समस्या भी वही है जो दूसरों को हो रही है। लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि दोनों स्थितियाँ शरीर के दो अलग हिस्सों में शुरू होती हैं। 

स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी में होने वाली समस्या है, जबकि साइटिका नस पर दबाव आने की वजह से पैदा होता है।अगर आप इन दोनों के अंतर को समझ लेते हैं, तो सही उपचार चुनना आसान हो जाएगा और आपको जल्दी राहत भी मिलेगी।

स्लिप डिस्क क्या होती है और यह आपकी रीढ़ की हड्डी को कैसे प्रभावित करती है?

आपकी रीढ़ की हड्डी कई छोटी-छोटी कशेरुकाओं से बनी होती है। हर कशेरुका के बीच एक मुलायम डिस्क होती है, जो आपकी रीढ़ को झटकों से बचाती है और आपको आसानी से झुकने, मुड़ने और चलने-फिरने में मदद करती है।

जब यह डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है या फट जाती है, तो इसे स्लिप डिस्क कहा जाता है। इसमें डिस्क का मुलायम हिस्सा बाहर आकर पास की नसों को दबाने लगता है। यही दबाव दर्द, झनझनाहट या सुन्नपन का कारण बनता है।

यह समस्या आपकी कमर या गर्दन, दोनों जगह हो सकती है।

स्लिप डिस्क होने पर आपको क्या महसूस होता है?

अगर आपको स्लिप डिस्क है, तो आप इनमें से कई समस्याएँ महसूस कर सकते हैं:

  • कमर या गर्दन में तेज़ दर्द

  • गर्दन से कंधों या कमर से पैरों में फैलता दर्द

  • हाथों या पैरों में सुन्नपन

  • चलने-फिरने में कठिनाई

  • लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर दर्द का बढ़ जाना

कई बार आपको दर्द शांत लगता है, लेकिन थोड़ी सी गलत मुद्रा या अचानक वज़न उठाने पर यह बढ़ जाता है।

स्लिप डिस्क क्यों होती है?

आपकी रोज़मर्रा की आदतें ही अक्सर इसके लिए ज़िम्मेदार होती हैं:

  • गलत मुद्रा में लंबे समय तक बैठना

  • बहुत भारी सामान उठाना

  • बार-बार झुककर काम करना

  • मोटापा

  • उम्र के साथ डिस्क का कमज़ोर होना

  • व्यायाम न करना या अचानक बहुत ज़्यादा मेहनत करना

अगर आप लगातार बैठकर काम करते हैं, मोबाइल पर गर्दन झुकाकर लंबे समय तक देखते हैं, या गद्दा बहुत सख़्त या बहुत मुलायम है, तो जोखिम और बढ़ जाता है।

कमर से पैर तक फैलने वाले साइटिका दर्द का असली कारण क्या है?

साइटिका दर्द कोई अलग बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक स्थिति है जिसमें आपकी सबसे बड़ी नस (सायटिक नर्व) दबाव में आ जाती है। यह नर्व आपकी कमर से शुरू होकर कूल्हों, जांघों और पैरों तक जाती है। इसलिए जब इस पर दबाव पड़ता है, तो दर्द सीधे नीचे तक फैलता है।

साइटिका होने पर दर्द क्यों फैलता है?

क्योंकि यह नस एक लंबा रास्ता तय करती है। जहाँ-जहाँ से नर्व गुज़रती है, वहीं-वहीं आपको दर्द, सुन्नपन या झनझनाहट महसूस हो सकती है।

आपको लगेगा कि:

  • कमर के नीचे तेज़ दर्द उठता है

  • दर्द कूल्हों से होकर जांघ तक जाता है

  • कई बार पिंडली या पाँव तक पहुँच जाता है

  • हल्की सी हरकत भी दर्द बढ़ा देती है

कुछ लोगों में यह दर्द हल्का होता है, लेकिन कुछ में इतना तेज़ कि चलना भी मुश्किल हो जाता है।

साइटिका होने के कारण

साइटिका की सबसे बड़ी वजह स्लिप डिस्क ही होती है, क्योंकि खिसकी हुई डिस्क नर्व को दबा देती है। लेकिन इसके अलावा भी कारण हो सकते हैं:

  • रीढ़ की नली का संकरा होना

  • पिरिफॉर्मिस मांसपेशी का सख़्त हो जाना

  • रीढ़ की हड्डी में घिसाव

  • लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठना

  • अधिक कामकाज या चोट लगना

  • गर्भावस्था में शरीर पर बढ़ा दबाव

अगर आप दिनभर कुर्सी पर बैठे रहते हैं, पैरों को क्रॉस करके बैठते हैं, या बार-बार झुककर काम करते हैं, तो जोखिम बढ़ जाता है।

स्लिप डिस्क बनाम साइटिका: असली अंतर क्या है जिसे आपको ज़रूर समझना चाहिए?

जब आपकी कमर या पैर में दर्द होता है, तो आपको लगता है कि शायद यह वही समस्या है जिसके बारे में आप अक्सर सुनते हैं — स्लिप डिस्क या साइटिका। लेकिन दोनों समस्याओं के बीच एक बहुत साफ़ और महत्वपूर्ण अंतर है। अगर आप इस फर्क को समझेंगे, तो आप अपने लक्षणों को सही तरीके से पहचान पाएँगे और सही उपचार चुन पाएँगे।

दोनों में मुख्य अंतर

  • स्लिप डिस्क रीढ़ की हड्डी में होने वाली समस्या है। इसमें डिस्क अपनी जगह से खिसककर नसों पर दबाव डालती है।

  • साइटिका उस स्थिति को कहते हैं जिसमें सायटिक नर्व दबाव में आती है और कमर से पैर तक फैलता दर्द होता है।

लक्षणों में अंतर

स्लिप डिस्क में आप:

  • कमर या गर्दन में तेज़ दर्द

  • किसी विशेष हरकत पर दर्द का बढ़ जाना

  • हाथ या पैर में कमज़ोरी महसूस करते हैं

साइटिका में आप:

  • कमर से शुरू होकर कूल्हों और पैरों तक फैलता दर्द

  • पैर में झनझनाहट या सुन्नपन

  • लंबे समय तक बैठने या खड़े होने में तकलीफ़ महसूस करते हैं

सरल शब्दों में

  • स्लिप डिस्क = रीढ़ की समस्या

  • साइटिका = नस पर दबाव की समस्या

स्लिप डिस्क साइटिका का कारण बन सकती है, लेकिन हर साइटिका का कारण स्लिप डिस्क नहीं होता। यही बात समझने से आपका इलाज अधिक सटीक और असरदार बनता है।

आयुर्वेद स्लिप डिस्क और साइटिका की समस्या को किस तरह समझाता है?

आयुर्वेद इन दोनों समस्याओं को केवल हड्डियों या नसों की तकलीफ़ नहीं मानता, बल्कि इसे शरीर में मौजूद दोषों के असंतुलन से जुड़ा मानता है।

स्लिप डिस्क और साइटिका को आयुर्वेद में मुख्य रूप से वात दोष की विकृति माना जाता है। जब वात बढ़ता है, तो यह हड्डियों, नसों और मांसपेशियों को सीधे प्रभावित करता है। इससे दर्द, जकड़न, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होने लगती है।

आयुर्वेदिक दृष्टि से स्लिप डिस्क

आयुर्वेद में इसे कटिग्रह या कभी-कभी गृध्रसी से जुड़ी अवस्था के रूप में समझा जाता है। इसमें:

  • कमर के आसपास भारीपन

  • अकड़न

  • नसों पर दबाव

  • बैठने-उठने में दर्द

इन सबका कारण वात का असंतुलन होता है।

आयुर्वेदिक दृष्टि से साइटिका

साइटिका को आयुर्वेद में गृध्रसी रोग कहा गया है। गृध्र यानी गिद्ध — क्योंकि इस रोग से चलने की चाल झुकी हुई हो जाती है।

इसमें मुख्य लक्षण हैं:

  • पैर में नीचे तक फैलता दर्द

  • सुन्नपन

  • मांसपेशियों में खिंचाव

  • चलने में कठिनाई

अगर इसमें पित्त भी बढ़ जाए, तो दर्द जलन जैसा महसूस होता है।

आयुर्वेद का मूल उद्देश्य

आयुर्वेद केवल दर्द को दबाने पर नहीं, बल्कि तीन स्तर पर काम करता है:

  • मूल कारण को शांत करना

  • बढ़े हुए दोषों को संतुलित करना

  • शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को बढ़ाना

इसलिए आयुर्वेद में किया गया उपचार लंबे समय तक राहत दे सकता है।

स्लिप डिस्क और साइटिका के लिए कौन-कौन से आयुर्वेदिक उपचार सबसे ज़्यादा राहत देते हैं?

अगर आप दवाएँ लेते-लेते थक चुके हैं और फिर भी राहत नहीं मिल रही, तो आयुर्वेद एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प बन सकता है। आयुर्वेद में ऐसी कई विधियाँ हैं जो वात को शांत कर नसों के दबाव को कम करती हैं, दर्द घटाती हैं और रीढ़ की हड्डी की ताकत बढ़ाती हैं।

अभ्यंग

गर्म औषधीय तेल से की जाने वाली मालिश। इससे रक्तसंचार सुधरता है और जकड़न कम होती है। आपको खासकर पीठ और कमर के हिस्से में गहरी राहत मिलती है।

स्वेदन

गर्म भाप या औषधीय बंडल से सेंक। यह मांसपेशियों को ढीला करता है और नसों के दबाव को कम करता है। स्वेदन स्लिप डिस्क और साइटिका दोनों में राहत देता है।

कटि-वस्ति

यह कमर के निचले हिस्से पर गर्म औषधीय तेल का विशेष प्रकार से बांधकर किया जाने वाला उपचार है। यह रीढ़ के आसपास की मांसपेशियों को पोषण देता है और दबाव कम करता है।

बस्ती उपचार

आयुर्वेद में बस्ती (औषधीय एनीमा) को वात के लिए सबसे प्रभावी चिकित्सा माना गया है। यह गहरे स्तर पर वात को शांत करता है और लंबे समय तक राहत देता है।

विरेचन

यह शरीर की शुद्धि का उपचार है, जिससे सख़्त जमा दोष बाहर निकलते हैं। यह खासकर तब उपयोगी होता है जब दर्द के साथ जलन या सूजन भी हो।

आंतरिक आयुर्वेदिक औषधियाँ

कई सुरक्षित और प्रभावी दवाएँ स्लिप डिस्क और साइटिका में उपयोग की जाती हैं:

  • दशमूल क्वाथ

  • महायोगराज गुग्गुलु

  • निरगुंडी तेल

  • अश्वगंधा और शतावरी चूर्ण

  • बाला तेल

ये औषधियाँ नसों को पोषण देती हैं, सूजन कम करती हैं और दर्द को शांत करती हैं।

क्यों आयुर्वेद असरदार है?

क्योंकि इसमें:

  • रीढ़ की ताकत बढ़ाई जाती है

  • नसों के दबाव को कम किया जाता है

  • शरीर को अंदर से संतुलित किया जाता है

  • दुष्प्रभाव का खतरा बहुत कम होता है

आयुर्वेदिक उपचार तभी अधिक असरदार होते हैं जब वे आपके शरीर और लक्षणों के हिसाब से किए जाएँ। इसलिए किसी प्रमाणित आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह ज़रूरी होती है।

कौन-से घरेलू आयुर्वेदिक उपाय आपके दर्द, जकड़न और सूजन को स्वाभाविक रूप से कम कर सकते हैं?

अगर आपकी कमर का दर्द बार-बार लौट आता है या साइटिका के कारण पैर तक फैल जाता है, तो कुछ सरल घरेलू आयुर्वेदिक उपाय आपको काफी आराम दे सकते हैं। इन उपायों का उद्देश्य आपकी नसों को शांत करना, जकड़न कम करना और दर्द वाली जगह पर गर्माहट पहुँचाना है, ताकि आप आसानी से चल-फिर सकें।

हल्का गर्म तेल लगाना

गर्म तेल मालिश एक बहुत आसान और प्रभावी उपाय है। इसके लिए आप:

  • तिल का तेल

  • निरगुंडी तेल

  • बाला तेल

इनमें से किसी को हल्का गर्म करके कमर और पैरों के दर्द वाले हिस्सों पर धीरे-धीरे लगाएँ। इससे रक्तसंचार बढ़ता है, मांसपेशियाँ ढीली होती हैं और तनाव कम होता है।

नमक की गर्म पोटली

नमक को हल्का भूनकर कपड़े में बाँधें और दर्द वाली जगह पर हल्का-हल्का सेक करें। यह मांसपेशियों की जकड़न कम करता है और नसों को शांत करता है।

हल्दी और अदरक का सेवन

हल्दी और अदरक दोनों ही प्राकृतिक सूजनरोधी माने जाते हैं। अगर आप रोज़ हल्का गरम हल्दी वाला दूध या अदरक का काढ़ा लेते हैं, तो सूजन और दर्द दोनों में राहत मिलती है।

कम प्रभाव वाले व्यायाम

तेज़ कसरत करने की ज़रूरत नहीं है। बस दिन में थोड़ा-सा:

  • हल्का चलना

  • हल्की स्ट्रेचिंग

  • पीठ को आराम देने वाले कुछ आसन

इनसे आपकी रीढ़ को सहारा मिलता है और दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है।

गर्म पानी का स्नान

गर्म पानी की भाप या स्नान से मांसपेशियाँ ढीली होती हैं और दर्द में आराम आता है। खासकर यदि आपका दर्द जकड़न के साथ हो, तो यह उपाय बहुत लाभकारी साबित होता है।

ये सभी उपाय सरल हैं, सुरक्षित हैं और शरीर को भीतर से आराम देते हैं। लेकिन याद रखें, अगर दर्द बहुत ज़्यादा है या लंबे समय तक बना रहता है, तो यह संकेत है कि आपको चिकित्सकीय सलाह की आवश्यकता है।

अगर आप स्लिप डिस्क या साइटिका से परेशान हैं, तो आपकी रोज़ की जीवनशैली में कौन-से बदलाव ज़रूरी हैं?

स्लिप डिस्क और साइटिका सिर्फ दवाओं या मालिश से पूरी तरह ठीक नहीं होते। आपकी रोज़ की आदतें ही तय करती हैं कि आपको राहत मिलेगी या तकलीफ़ और बढ़ेगी। इसलिए कुछ छोटे-छोटे बदलाव आपके दर्द को कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

एक ही मुद्रा में लंबे समय तक न बैठें

अगर आप लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं, तो आपकी रीढ़ पर ज़्यादा दबाव पड़ता है। हर एक घंटे में पाँच मिनट टहलें। इससे नसों पर पड़ा तनाव कम हो जाता है।

सही मुद्रा में बैठें

पीठ सीधी रखें और कमर को सहारा दें। बहुत आगे झुककर या बिस्तर पर टेढ़ा बैठकर मोबाइल चलाना आपकी समस्या बढ़ा सकता है।

भारी सामान न उठाएँ

अगर आपको कुछ उठाना है, तो कमर से झुककर न उठाएँ। घुटने मोड़ें, व्यस्त चीज़ उठाएँ और शरीर को सीधा रखें। यह रीढ़ की सुरक्षा का सबसे आसान तरीका है।

सोने का सही तरीका अपनाएँ

बहुत सख़्त या बहुत नरम गद्दा दोनों ही नुकसानदायक हैं। सोने के लिए ऐसा गद्दा चुनें जो आपके शरीर को सहारा दे और कमर पर अतिरिक्त दबाव न डाले।

हल्का और सुपाच्य भोजन खाएँ

वात को बढ़ाने वाले भारी, तले-भुने या बहुत मसालेदार खाने से आपकी तकलीफ़ बढ़ सकती है। इसके बजाय हल्का, ताज़ा और पौष्टिक भोजन आपकी नसों और मांसपेशियों को स्वाभाविक रूप से शांत करता है।

रोज़ थोड़ा चलना ज़रूरी है

कई लोग दर्द होने पर पूरी तरह आराम करने लगते हैं, लेकिन यह आदत तकलीफ़ को और बढ़ाती है। दिन में दस-पंद्रह मिनट हल्का चलना आपकी पीठ के लिए फायदेमंद है।

आपकी जीवनशैली में ये छोटे बदलाव आपके उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं। अगर आप इन्हें लगातार अपनाते हैं, तो आप अपने दर्द पर बेहतर नियंत्रण पा सकते हैं और लंबे समय तक राहत महसूस कर सकते हैं।

निष्कर्ष

कमर का दर्द, पैरों में फैलती झनझनाहट या अचानक उठने-बैठने में होने वाली मुश्किलें आपके रोज़मर्रा के जीवन को आसानी से बिगाड़ सकती हैं। जब तक आप स्लिप डिस्क और साइटिका के बीच का असली फर्क नहीं समझते, तब तक सही इलाज चुनना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि जब आप अपनी समस्या को पहचान लेते हैं, उसके कारण समझ लेते हैं और समय रहते उपचार शुरू करते हैं, तो राहत पाना बिल्कुल संभव है।

आयुर्वेद आपको सिर्फ दर्द से राहत नहीं देता, बल्कि आपकी रीढ़, नसों और मांसपेशियों को गहराई से ठीक करने में मदद करता है। अगर आप घरेलू उपाय, सही जीवनशैली और उचित आयुर्वेदिक उपचार को नियमित रूप से अपनाते हैं, तो आप धीरे-धीरे बेहतर महसूस करने लगते हैं और अपनी सामान्य दिनचर्या में वापस लौट पाते हैं।

अगर आप स्लिप डिस्क या साइटिका की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आज ही हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से व्यक्तिगत परामर्श लें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. आयुर्वेद में सर्जरी के बिना स्लिप डिस्क को ठीक करने में कितने सप्ताह लगेंगे?

आमतौर पर 4 से 8 सप्ताह में आपको अच्छी राहत महसूस होने लगती है। सही उपचार, नियमित जीवनशैली और हल्की व्यायाम दिनचर्या से सुधार तेज़ होता है।

  1. साइटिका के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

साइटिका में दशमूल क्वाथ, महायोगराज गुग्गुलु और निरगुंडी तेल काफी राहत देते हैं। आपकी समस्या के अनुसार सही दवा चुनने के लिए चिकित्सक की सलाह ज़रूरी है।

  1. नसों के लिए कौन सी आयुर्वेदिक दवा सबसे अच्छी है?

अश्वगंधा, बाला तेल, शतावरी चूर्ण और दशमूल नसों को पोषण देते हैं और कमज़ोरी कम करते हैं। सही मात्रा और समय आपके लक्षणों पर निर्भर करता है।

  1. साइटिका को जड़ से कैसे खत्म करें?

आप वात को संतुलित करने वाले उपचार, पंचकर्म, निरंतर योग, हल्का व्यायाम और जीवनशैली सुधार अपनाएँ। नियमित देखभाल से दर्द धीरे-धीरे जड़ से शांत होता है।

  1. क्या स्लिप डिस्क में पूरी तरह आराम करना सही है?

पूरा दिन लेटे रहना ठीक नहीं है। हल्की चाल, आसान स्ट्रेचिंग और सही मुद्रा अपनाने से आपकी रीढ़ जल्दी मजबूत होती है और दर्द कम होता है।

  1. क्या गलत गद्दा स्लिप डिस्क और साइटिका को बढ़ा सकता है?

हाँ, बहुत नरम या बहुत सख़्त गद्दा आपकी कमर पर दबाव बढ़ा सकता है। मध्यम कड़ाई वाला गद्दा आपकी रीढ़ को बेहतर सहारा देता है।

  1. क्या वज़न बढ़ना आपकी कमर की नसों पर असर डालता है?

हाँ, अतिरिक्त वज़न आपकी रीढ़ और नसों पर लगातार दबाव डालता है। थोड़ा-सा वज़न कम करने से भी दर्द में बड़ा सुधार दिख सकता है।

  1. क्या लंबे समय तक बैठे रहने से साइटिका बार-बार लौट आता है?

हाँ, लगातार एक मुद्रा में बैठने से नस पर दबाव बढ़ता है। हर घंटे पाँच मिनट चलने से आप इस दोहराव वाले दर्द को काफी हद तक रोक सकते हैं।

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