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लंबे समय तक ड्राइविंग या गलत बैठने से साइटिका क्यों ट्रिगर होता है? आयुर्वेद बताता है उपचार का सही मार्ग

Information By Dr. Arun Gupta

अगर आपका दिन गाड़ी चलाने, ऑफिस की कुर्सी पर टिके रहने या मोबाइल पर झुककर बित जाता है, तो कमर के निचले हिस्से में खिंचाव होना कोई आश्चर्य बात नहीं है। शुरुआत में यह हल्की-सी ऐंठन जैसा लगता है, लेकिन धीरे-धीरे वही दर्द कूल्हे से लेकर पैर तक फैलने लगे, तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी साइटिका नर्व इस दबाव को अब और नहीं झेल पा रही है।

आजकल ज़्यादातर लोग बिना महसूस किए घंटों एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं — ट्रैफिक में, मीटिंग में, घर पर, और यहाँ तक कि आराम करते समय भी। शरीर चुप रहता है, लेकिन भीतर-ही-भीतर आपकी रीढ़ और नर्व पर लगातार बोझ बढ़ता रहता है। यही वजह है कि साधारण-सी बैठने की आदत भी कई बार गहरे दर्द में बदल सकती है।

अगर आपको भी लगता है कि लंबे समय तक बैठने या ड्राइविंग के बाद कमर भारी हो जाती है, पैर में झुनझुनी उतरती है, या उठते-बैठते समय खिंचाव चुभता है, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ आप समझेंगे कि आपका शरीर यह दर्द क्यों महसूस करता है, साइटिका असल में होता क्या है, और आयुर्वेद इस समस्या की जड़ पकड़कर इसे कैसे ठीक करने में मदद करता है।

क्या वाकई लंबे समय तक ड्राइविंग करने से आपका साइटिका दर्द ट्रिगर हो जाता है?

अगर आप रोज़ाना घंटों गाड़ी चलाते हैं, ट्रैफिक में फँसते हैं या लंबी दूरी की ड्राइविंग करते हैं, तो कमर के निचले हिस्से में खिंचाव महसूस होना बहुत सामान्य है। लेकिन जब यही खिंचाव लगातार बढ़ने लगता है, पैर में झुनझुनी और सुन्नपन महसूस होने लगता है, या दर्द कूल्हे से होकर पैर तक जाता है, तब यह संकेत होता है कि आपकी साइटिका नर्व पर दबाव पड़ रहा है।

साइटिका नर्व क्या है

साइटिका नर्व आपके शरीर की सबसे लंबी नर्व होती है। यह आपकी कमर से शुरू होकर नितम्बों से होकर पैर तक जाती है। जब किसी कारण से इस नर्व पर दबाव या सूजन आती है, तो कूल्हे, जाँघ या पिंडली तक फैलता हुआ तेज़ दर्द होता है। इसे ही साइटिका कहा जाता है।

ड्राइविंग में लगातार बैठने से कैसे दबाव बढ़ता है

जब आप लम्बे समय तक बिना हिले एक ही अवस्था में बैठकर ड्राइव करते हैं, तो आपकी कमर, नितम्ब और जाँघों पर लगातार भार पड़ता है। गाड़ी की सीट आपके शरीर को एक खास स्थिति में बांधे रखती है, जिससे रीढ़ के निचले हिस्से पर दबाव बढ़ जाता है। समय के साथ यह दबाव आपकी डिस्क और नर्व तक पहुँच सकता है और साइटिका के लक्षण शुरू हो सकते हैं।

सीट पोज़िशन और वाइब्रेशन का असर

गाड़ी चलाते समय आपका शरीर हल्की-हल्की कंपनें झेलता रहता है। यह कंपनें आपकी रीढ़ को लगातार हिलाती हैं और निचले हिस्से की मांसपेशियों पर खिंचाव बढ़ा देती हैं। अगर आपकी सीट बहुत पीछे, बहुत आगे या बहुत नीचे है, तो कमर एक अस्वाभाविक स्थिति में मुड़ जाती है। ऐसी गलत अवस्था में लंबे समय तक बैठना आपकी साइटिका नर्व पर सीधा दबाव डाल सकता है।

क्या आपकी बैठने की गलत मुद्रा साइटिका नर्व पर दबाव बढ़ा रही है?

आप चाहे घर में हों, ऑफिस में हों या कार चला रहे हों, बैठने की मुद्रा आपके निचले हिस्से की सेहत तय करती है। कई लोग बिना सोचे-समझे घंटों झुककर बैठते हैं, तिरछे हो जाते हैं या एक ही दिशा में मुड़कर काम करते रहते हैं। ये आदतें धीरे-धीरे आपकी साइटिका नर्व को परेशान कर सकती हैं।

झुककर बैठना

जब आप आगे की ओर झुककर बैठते हैं, तो आपकी रीढ़ में अतिरिक्त दबाव पड़ता है। कमर की हड्डियाँ आगे की ओर धँसती हैं और नर्व के आसपास की जगह कम होने लगती है। ऐसे में साइटिका नर्व आसानी से दब सकती है।

टेढ़ी या एक तरफ झुकी कमर

कई बार लोग एक तरफ झुककर काम करते हैं या लंबे समय तक कमर को टेढ़ा रखकर बैठते हैं। यह स्थिति आपकी रीढ़ के प्राकृतिक आकार को बिगाड़ देती है और इससे डिस्क इधर-उधर खिसकने लगती है। अगर डिस्क थोड़ा भी हिलती है, तो नर्व पर दबाव आ सकता है और साइटिका का दर्द शुरू हो सकता है।

लगातार एक ही पोज़िशन में बने रहना

अगर आप लगातार एक ही तरीके से बैठे रहते हैं, तो मांसपेशियाँ और नसें सख्त होने लगती हैं। रक्तसंचार कम हो जाता है और निचले हिस्से में सूजन या सूक्ष्म चोटें हो सकती हैं। यही स्थिति समय के साथ साइटिका दर्द को जन्म देती है।

मोटापा और कमज़ोर मांसपेशियाँ

अगर आपके पेट या कूल्हों पर चर्बी ज़्यादा है, तो यह आपकी कमर पर अतिरिक्त भार डालती है। कमज़ोर कोर मांसपेशियाँ इस भार को संभाल नहीं पातीं, जिससे रीढ़ पर खिंचाव बढ़ने लगता है। इससे निचले हिस्से की डिस्क और नर्व पर दबाव आने लगता है और साइटिका ट्रिगर हो सकता है।

क्या आपकी दिनचर्या साइटिका को और खराब कर रही है?

साइटिका केवल बैठने या ड्राइविंग की वजह से ही नहीं बढ़ता, कई बार आपकी रोज़मर्रा की आदतें भी इस दर्द को लगातार तीखा बनाती रहती हैं। अगर आपके दिन में सही गतिविधि, सही आहार और सही व्यवहार नहीं जुड़ा है, तो आपकी साइटिका नर्व पर तनाव बढ़ता रहता है।

शारीरिक गतिविधि की कमी

अगर आपका दिन ज़्यादातर बैठकर या लेटकर बीतता है, तो शरीर की मांसपेशियाँ कमज़ोर होने लगती हैं। कमज़ोर मांसपेशियाँ आपकी रीढ़ को ठीक तरह से सहारा नहीं दे पातीं। इससे निचले हिस्से पर भार बढ़ता है और समय के साथ नर्व दबने लगती है।

अगर आप हल्की-फुल्की चाल, स्ट्रेच या साधारण व्यायाम को रोज़ शामिल नहीं करते, तो साइटिका बार-बार उभर सकता है।

तनाव और वात वृद्धि

तनाव आपके शरीर में वात को बढ़ाता है। आयुर्वेद में माना जाता है कि जब वात बढ़ता है, तो नर्व, मांसपेशियों और जोड़ो में सख़्ती, दर्द और सूजन बढ़ सकती है। अगर आप लगातार मानसिक दबाव में रहते हैं, नींद पूरी नहीं करते या भोजन के समय अनियमित रहते हैं, तो यह वात असंतुलन को और बढ़ाता है। इसका सीधा असर आपकी साइटिका नर्व पर पड़ सकता है।

ठंडी हवा के संपर्क में आना

कई लोगों को ठंडी हवा लगते ही कमर और पैर का दर्द बढ़ने लगता है। आयुर्वेद के अनुसार ठंड वात को बढ़ाती है। अगर आपकी कमर, नितम्ब या पैर ठंडी हवा के संपर्क में रहते हैं — जैसे स्कूटर चलाते समय, एयर कंडिशनर के सामने बैठते समय या ठंडे फ़र्श पर बैठते समय — तो वात बढ़ता है और साइटिका दर्द उभर सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार लंबे समय तक बैठने से साइटिका क्यों ट्रिगर होता है?

आयुर्वेद में साइटिका को वातजन्य रोग माना जाता है। इसका मतलब है कि जब आपके शरीर में वात दोष बढ़ जाता है, तो यह नर्व और मांसपेशियों में असंतुलन पैदा करता है। लंबे समय तक बैठना भी मुख्यतः वात को बढ़ाने वाली आदतों में आता है। इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि यह कैसे असर डालता है।

वाता दोष की असंतुलन भूमिका

वात शरीर में गति, नाड़ी, सूचनाओं का संचार, जोड़ो की कार्यप्रणाली और मांसपेशियों की सक्रियता को नियंत्रित करता है। जब आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, बिना हिले-डुले, तो वात रुकावट की स्थिति में फँसने लगता है। यह रुकावट नाड़ी में तनाव बढ़ाती है, जिससे साइटिका नर्व संवेदनशील हो सकती है।

स्नायु, अस्थि और मज्जा पर प्रभाव

वात का सीधा संबंध स्नायु (नसों), अस्थि (हड्डियाँ), और मज्जा (नसों की भीतरी संरचना) से होता है। लंबे समय तक बैठे रहने से इन सभी धातुओं पर दबाव बढ़ता है और वात असंतुलित होता है। यदि स्नायु पर सीधे दबाव पड़ता है, तो नर्व सिकुड़ने लगती है, जो साइटिका के दर्द को तेज़ कर देता है।

धातु और अग्नि पर असर

जब वात बढ़ता है, तो धातुओं का पोषण भी कम होने लगता है। कम अग्नि से शरीर में आम बनती है और यह आम नाड़ी मार्ग में रुकावट पैदा करती है। जब रुकावट बढ़ती है, तो साइटिका नर्व के आसपास सूजन और दर्द की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह, लंबे समय तक बैठना आपके शरीर में वात, धातु और अग्नि — तीनों को प्रभावित कर सकता है।

आयुर्वेद साइटिका (Gridhrasi) को किस तरह समझता है?

आयुर्वेद में साइटिका को “गृध्रसी” कहा गया है। इसके लक्षण और कारणों का विस्तार से उल्लेख मिलता है। गृध्रसी शब्द का अर्थ है — ऐसा दर्द जिसमें व्यक्ति का चलना-फिरना वैसा हो जाता है जैसे गृध्र (गिद्ध) की चाल। इसका मतलब है कि कमर, नितम्ब और पैर में कठोरता और झुकाव आने लगता है।

गृध्रसी का पारंपरिक विवरण

ग्रन्थों में इसे वातजन्य रोग बताया गया है जिसमें दर्द कमर से शुरू होकर जाँघ, पिंडली और पैर तक जाता है। कई बार दर्द इतना तीखा होता है कि चलना कठिन हो जाता है। यहाँ तक कि पैरों में कमज़ोरी और जकड़न भी बढ़ सकती है।

चलने, उठने-बैठने में तकलीफ़

यदि आप सुबह उठते समय, कुर्सी से खड़े होते समय या थोड़ी दूरी चलने पर दर्द महसूस करते हैं, तो यह गृध्रसी के प्रमुख लक्षणों में से एक है। कुछ लोग बताते हैं कि उन्हें पैर को मोड़ने या उठाने पर बहुत तेज़ खिंचाव महसूस होता है।

पैर में झुनझुनी, सुन्नपन और तेज़ दर्द

गृध्रसी में अक्सर दर्द एक दिशा में फैलता है — कमर से कूल्हे तक और फिर पैर के पीछे की ओर। इसके साथ-साथ झुनझुनी, सुई चुभने जैसा एहसास, या पैर का सुन्न पड़ जाना भी हो सकता है। अगर नर्व पर दबाव लगातार बना रहे, तो पैर में कमज़ोरी भी बढ़ सकती है।

क्या आपके साइटिका दर्द के पीछे लगातार बनी 'आम' भी ज़िम्मेदार है?

आयुर्वेद के अनुसार कई बार साइटिका का दर्द केवल बैठने, खड़े होने या ड्राइविंग की वजह से नहीं बढ़ता, बल्कि आपके शरीर में जमा हुई आम भी इस समस्या को गहरा कर देती है। आम वह अधपचा भोजन और अपशिष्ट है, जो तब बनता है जब आपकी पाचन अग्नि पूरी तरह सक्रिय नहीं होती। यह आम धीरे-धीरे शरीर की नसों, मांसपेशियों और धमनियों में रुकावटें पैदा कर सकती है।

पाचन अग्नि

अगर आपकी पाचन अग्नि कमज़ोर है, तो भोजन पूरी तरह नहीं पचता। जब यह भोजन शरीर में अधपचा रह जाता है, तो उससे आम बनने लगती है। कमज़ोर अग्नि कई कारणों से बिगड़ सकती है — जैसे देर से खाना, ज्यादा ठंडा खाना, बार-बार खाना, तनाव, नींद की कमी या भारी भोजन करना।

जब आपकी अग्नि कमज़ोर होती है, तो शरीर में सूजन, भारीपन और दर्द बढ़ने लगता है। यह स्थिति सीधे साइटिका नर्व को प्रभावित कर सकती है।

आम का संचार

आम शरीर में रह जाए तो वह धीरे-धीरे रक्त और नाड़ी मार्ग में फैलने लगती है। यह नर्व के आसपास सूजन पैदा कर सकती है, जिससे नर्व पर दबाव बढ़ता है और दर्द बार-बार उभरता है। 

आम मांसपेशियों को कठोर बनाती है और रक्तसंचार को धीमा करती है। अगर आपकी कमर, नितम्ब या पैर में भारीपन, अकड़न या सूजन महसूस होती है, तो यह आम का संकेत हो सकता है।

नर्व और मांसपेशियों में रुकावट

जब आम नाड़ी मार्ग में जमा होने लगती है, तो नर्व तक पोषण पहुंचना कम हो जाता है। इससे नर्व कमज़ोर पड़ सकती है और दबाव को झेलने में असमर्थ हो जाती है। 

मांसपेशियों में रुकावटें बनने से तनाव बढ़ता है और यही तनाव साइटिका को रोज़ाना ट्रिगर करता है। अगर आप बार-बार दर्द, खिंचाव या सुन्नपन महसूस करते हैं, तो आम को साफ़ करने वाले उपाय आपके लिए बहुत लाभदायक हो सकते हैं।

घर पर आप कौन से आसान उपाय अपनाकर साइटिका दर्द को कम कर सकते हैं?

अगर आपका साइटिका दर्द बार-बार उभरता है, तो घर पर किए जाने वाले कुछ सरल उपाय इसे काफी हद तक कम कर सकते हैं। ये उपाय सुरक्षित हैं और शरीर के तनाव को कम करके नर्व को राहत देते हैं।

गरम सेंक

कमर, नितम्ब और पैर के जिस हिस्से में दर्द फैलता है, वहाँ गरम सेंक देने से रक्तसंचार बढ़ता है। गरम सेंक मांसपेशियों को ढीला करता है और सूजन कम करता है। अगर आप रोज़ 10–15 मिनट तक गरम सेंक करें, तो आपको काफी राहत महसूस हो सकती है।

सरल स्ट्रेच

कुछ हल्के स्ट्रेच साइटिका नर्व पर दबाव कम करने में मदद करते हैं। आप कूल्हे को हल्के से खींचने वाले स्ट्रेच, पिंडली को ढीला करने वाले स्ट्रेच या कमर खोलने वाले स्ट्रेच कर सकते हैं। यह मांसपेशियों की जकड़न हटाते हैं और नर्व की पकड़ कम करते हैं।

हल्की वॉक

अगर आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो अचानक दर्द बढ़ सकता है। हल्की वॉक करने से निचले हिस्से में गर्माहट आती है और रक्तप्रवाह बेहतर होता है। आप रोज़ 10–20 मिनट की आरामदायक चाल से शुरुआत कर सकते हैं। यह सरल कदम आपके साइटिका की समस्या में बहुत राहत दे सकता है।

पोस्चर सुधार

बैठते समय आपकी कमर सीधी होनी चाहिए और पैरों को पूरी तरह ज़मीन पर टिकना चाहिए। अगर आपकी कुर्सी बहुत कठोर या बहुत नीची है, तो कमर पर दबाव बढ़ जाता है। सही पोस्चर आपकी नर्व को स्वस्थ रखने में सबसे ज़्यादा मददगार होता है। हर 40–45 मिनट में उठकर थोड़ा चलना आपकी पीठ को आराम देता है।

साइटिका राहत के लिए आयुर्वेद में कौन सी जड़ी-बूटियाँ उपयोगी मानी जाती हैं?

आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियाँ ऐसी हैं जो नर्व को शांत करती हैं, सूजन घटाती हैं, वात को संतुलित करती हैं और मांसपेशियों को मजबूत बनाती हैं। अगर आप सही मार्गदर्शन के साथ इनका उपयोग करें, तो साइटिका दर्द में गहरी राहत मिल सकती है।

अश्वगंधा

अश्वगंधा वात को संतुलित करती है और शरीर की थकी हुई मांसपेशियों को ताकत देती है। अगर आपका दर्द तनाव या कमज़ोरी के कारण बढ़ता है, तो यह बहुत उपयोगी हो सकती है।

गुढूची

गुढूची शरीर की सूजन और गर्मी दोनों को संतुलित करती है। जब नर्व के आसपास सूजन रहती है, तो गुढूची उसे शांत कर सकती है और दर्द को कम कर सकती है।

एरंड

एरंड नाड़ी मार्ग को खोलने और शरीर में जमा आम को साफ़ करने के लिए जाना जाता है। अगर आपका दर्द कठोरता और रुकावट के कारण बढ़ता है, तो एरंड बहुत प्रभावी हो सकता है।

रसना

रसना वात को शांत करने वाली प्रमुख औषधियों में से एक है। यह मांसपेशियों की जकड़न कम करती है और गहरे दर्द में आराम देती है।

ग्रीष्म और ठंडे मौसम में उपयोग का अंतर

गर्मियों में वात थोड़ा शांत रहता है, इसलिए हल्की मात्रा में ये जड़ी-बूटियाँ काफी होती हैं। लेकिन ठंड में वात स्वाभाविक रूप से बढ़ता है, इसलिए जड़ी-बूटियों का असर मजबूत करना ज़रूरी होता है। ठंडी हवा और ठंडा मौसम साइटिका को जल्दी ट्रिगर कर सकता है, इसलिए इस मौसम में इन औषधियों का उपयोग और नियमितता ज़रूरी है।

निष्कर्ष

जब आपका दिन ड्राइविंग, बैठने और भागदौड़ में बीतता है, तो कमर और नर्व पर पड़ने वाला दबाव नज़र नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे वही दबाव गहरी समस्या का रूप ले लेता है। अगर आप अपने शरीर के छोटे-छोटे संकेतों को समय रहते समझ लें, तो साइटिका जैसे दर्द को बढ़ने से आसानी से रोका जा सकता है। सही पोस्चर, हल्की गतिविधि, घर पर किए जाने वाले सरल उपाय और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ — यह सब मिलकर आपकी नर्व को रोज़ मिलने वाला तनाव कम कर सकते हैं। आपकी आदतों में छोटे बदलाव आपकी रीढ़ और निचले हिस्से को बहुत बड़ा सहारा देते हैं।

ध्यान रखें, अगर दर्द बार-बार लौटकर आता है, सुन्नपन बढ़ रहा है या चलने-फिरने में असुविधा महसूस हो रही है, तो इसे अनदेखा न करें। समय पर सही सलाह लेने से भविष्य की परेशानी से बचा जा सकता है।

यदि आप साइटिका या इसी तरह की किसी तकलीफ़ से जूझ रहे हैं, तो हमारे प्रमाणित जीवा डॉक्टरों से आज ही व्यक्तिगत परामर्श लें। कॉल करें: 0129-4264323

FAQs

  1. साइटिका को ठीक करने का सबसे तेज़ तरीका क्या है?

सबसे तेज़ राहत सही पोस्चर, गरम सेंक, हल्की स्ट्रेच और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के संयोजन से मिलती है। अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है, तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।

  1. क्या दौड़ने से साइटिका से बचाव होता है?

हल्की दौड़ कुछ लोगों को मदद कर सकती है, लेकिन तेज़ दौड़ नर्व पर तनाव बढ़ा सकती है। आप पहले चलने और सरल स्ट्रेच से शुरुआत करें, फिर शरीर की क्षमता देखकर आगे बढ़ें।

  1. साइटिका में बैठने का सही तरीका क्या है?

आपकी कमर सीधी हो, पैर ज़मीन पर टिके हों और शरीर तिरछा न हो। हर 40–45 मिनट में उठकर थोड़ी चाल चलें, ताकि नर्व पर दबाव कम हो।

  1. साइटिका के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?

अश्वगंधा, गुढूची, एरंड और रसना बहुत उपयोगी मानी जाती हैं। लेकिन आपके शरीर के दोष के अनुसार असली दवा तय होती है, इसलिए पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें।

  1. क्या वज़न बढ़ने से साइटिका का दर्द ज़्यादा होता है?

हाँ, अतिरिक्त वज़न कमर और नितम्ब पर दबाव बढ़ाता है, जिससे नर्व जल्दी दबती है। अगर आप धीरे-धीरे वज़न नियंत्रित करें, तो दर्द काफी कम हो सकता है।

  1. क्या साइटिका में लंबी दूरी की यात्रा करना सुरक्षित है?

अगर यात्रा में लंबे समय तक बैठना पड़ता है, तो दर्द बढ़ सकता है। आप बीच-बीच में खड़े होकर थोड़ा चलें, स्ट्रेच करें और कमर को सहारा दें।

  1. क्या रात में सोने की गलत मुद्रा से साइटिका बढ़ सकता है?

हाँ, बहुत सख़्त या बहुत नरम गद्दा, पेट के बल सोना या कमर मुड़ाकर सोना दर्द बढ़ा सकता है। आप करवट लेकर सोएँ और कमर को सहारा दें।

  1. क्या योगाभ्यास साइटिका में राहत दे सकता है?

हल्के और नियंत्रित योगासन मांसपेशियों की जकड़न कम करते हैं और नर्व को आराम देते हैं। आप दर्द के अनुसार सरल आसनों से शुरुआत करें और ज़रूरत हो तो विशेषज्ञ की मदद लें।



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