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हर महीने शरीर में नई जगह दर्द क्यों उभरता है? रूमेटॉयड आर्थराइटिस में आम की भूमिका समझिए

Information By Dr. Arun Gupta

बढ़ती उम्र के साथ शरीर के घिसने-पिसने के कारण उसमें दर्द उठना एक आम बात है। लेकिन यदि आपको हर महीने, अलग अलग जगह ऐसा दर्द हो रहा है जिसके ठीक होने के कोई लक्षण नहीं लग रहे, या फिर जो जिंदगी के आम कार्य करने में बाधा पैदा कर रहा है, तो सम्भावना है कि यह सर्फ उम्र बढ़ने का लक्षण नहीं है बल्कि, ऐसा संभव है कि आप किसी अंतर्निहित जटिलता (underlying complication) जैसे रूमेटॉयड अर्थरइटिस से गुज़र रहे हैं।

आइए जानते हैं हैं कि रूमेटॉयड अर्थरइटिस क्या है और शरीर के दर्द में यह क्या भूमिका निभाता है।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस क्या है? (What Is Rheumatoid Arthritis)

रूमेटॉयड अर्थरइटिस एक क्रॉनिक (long term) बीमारी है जिसका मतलब है कि यह बीमारी एक लम्बे समय के दौरान रूप लेती है। यह एक स्वप्रतिरक्षी रोग (autoimmune disease) है, यानि कि ये रोग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी के कारण होता है। इस रोग में शरीर का इम्यून सिस्टम संक्रमण (infection) से लड़ने की जगह जोड़ों को लक्षित कर देता है। इस बीमारी में सायनोवियम परत सूजने लगती है। सायनोवियम एक विशेष संयोजी ऊतक (connective tissue) है जो जोड़ों के अंदर की परत बनाता है। सूजन के कारण साइनोवियम मोटा हो जाता है और जोड़ों के भीतर कार्टिलेज (उपास्थि) और हड्डी को नुकसान पहुँचाने वाले रसायन छोड़ता है।

यह स्थिति समय के साथ बढ़ती रहती है और कार्टिलेज और हड्डियों को नष्ट कर देती है, जिससे उनका अकार भी बिगड़ जाता है और उनके काम करने कि क्षमता भी कम हो जाती है।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से (Ayurvedic Perspective On Rheumatoid Arthritis) 

आइए जानते हैं आयुर्वेदा इसके बारे में क्या कहता है। 

आयुर्वेदा में रूमेटॉयड अर्थरइटिस को आमवात कहा जाता है। आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार, शरीर तीन दोषों के संतुलन से बना हुआ है। कोई भी बीमारी या जटिलता इन्ही दोषों के असंतुलन के कारण पैदा होती है।

आमवत (rheumatoid arthritis) वात दोष के अनसंतुलन के कारण होता है। यह मूल रूप से पाचन तंत्र (digestive system) में खराबी कारण होता है। पाचन तंत्र बिगड़ने से शरीर में विशक्त पढ़ार्थ (toxins) इकट्ठे होने शुरू होजाते हैं, जो वात दोष के असंतुलन के साथ मिलकर जोड़ों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस में ज़्यादातर शरीर के दोनों हिस्सों में सामान जोड़ों में दर्द होता है, लेकिन इसके कारण हुई सूजन बाकी अंगों, जैसे आँखें, त्वचा, ह्रदय, फेफड़े, और रक्त वाहिकाओं (blood vessels) पर भी दबाव डाल सकती है और दर्द दे सकती है।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस के लक्षण (Symptoms)

सामान्य लक्षण 

  • छोटे जोड़ों में प्रभाव

प्रतिरक्षा कोशिकाएं (immune cells) छोटे जोड़ों में, ज़्यादातर हाथ की उँगलियाँ, कालाइयाँ, पैर की उँगलियाँ, और टख़नों में जमा होकर सूजन पैदा करदेते हैं, जिससे दर्द या जकड़न होती है। यह जकड़न विशेष रूप से सुबह के समय या जोड़ों के लम्बे आराम के बाद होती है और लगभग 30 मिनट से पहले कम नहीं होती।

  • थकान

शरीर में सूजन के कारण कई लोग थकान और गिरा-गिरा और हल्का बुखार भी महसूस करते हैं। 

  • रूमेटॉयड नोड्यूल्स

यह त्वचा के नीचे होने वाली गांठों को बोला जाता है। इनका सटीक कारण अज्ञात है लेकिन ऐसा कहा जा सकता है की यह शरीर की सूजन प्रेतिक्रिया (inflammatory response) का नतीजा होती हैं। यह छूने में रबड़ जैसी और दर्द रहित होती हैं, लेकिन अगर ये किसी नस के ऊपर दबाव डाले, संक्रमित (infected) होजाये, या फट जाएं, तोह परेशानी बन सकतीं हैं। यह ज़्यादातर कोहनी के पीछे, कलाई, हाथ-पैरों के जोड़ों, और एड़ी की नस के ऊपर होती हैं, हालांकि ये दुर्लभ मामलों में शरीर के अंदरूनी हिस्सों में भी हो सकती हैं।

अन्य लक्षण 

रूमेटॉयड अर्थरइटिस से गुज़र रहे लोगों में से 40% लोग जोड़ों के दर्द के अलावा अन्य लक्षण भी महसूस करते हैं। यह लक्षण हैं:

  • आँखें: आँखों में सूखापन, दर्द और सूजन।
  • फेफड़े: फेफड़ों के चारों ओर सूजन (प्ल्यूरिसी) या फेफड़ों के ऊतकों में निशान पड़ना।
  • हृदय: हृदय के आसपास की थैली में सूजन (पेरिकार्डिटिस) या हृदय रोग का खतरा बढ़ना।
  • रक्त वाहिकाएं: रक्त वाहिकाओं में सूजन (वास्कुलिटिस)

रूमेटॉयड अर्थराइटिस के सामान्य जोखिम और कारण (Causes And Risk Factors)

इस बीमारी का कारण है प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी, जिसके सटीक कारण अज्ञात है। लेकिन कुछ ऐसे जोखिम जो इस बीमारी के होने की सम्भावना को बढ़ा सकते हैं, वो हैं: 

  • आनुवंशिकी (genetic): कुछ जीन RA के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाते हैं।
  • पर्यावरणीय कारक: धूम्रपान एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है और बीमारी की गंभीरता को बढ़ा सकता है। मोटापा और वायु प्रदूषण भी जोखिम बढ़ा सकते हैं।
  • लिंग: महिलाओं में पुरुषों की तुलना में RA होने की संभावना 2.5 गुना अधिक होती है।
  • आयु: क्योंकि यह कहीं न कहीं शरीर के घिसने से जुड़ा है, इसलिए यह आमतौर पर 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच शुरू होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

आयुर्वेदिक कारण (Ayurvedic Causes)

  • आम (Ama) का निर्माण: कमजोर पाचन अग्नि (जठराग्नि) के कारण भोजन पूरी तरह से नहीं पचता है, जिससे शरीर में 'आम' (चयापचयी अपशिष्ट या विषाक्त पदार्थ) बनता है। यह आम शरीर में घूमता है और जोड़ों में जमा हो जाता है।
  • वात (Vata) दोष का असंतुलन: जब आम वात दोष (जो गतिशीलता और तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है) के साथ मिलता है, तो यह जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न पैदा करता है।
  • कफ (Kapha) और पित्त (Pitta) की भूमिका: सूजन की स्थिति में कफ और पित्त दोष भी शामिल हो सकते हैं, जिससे जटिलताएं बढ़ती हैं।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस से होने वाली जटिलताएं (Complications Of Rheumatoid Arthritis)

यह बीमारी शरीर को अंदर से कमज़ोर करदेती है। अंदरूनी सूजन के कारण शरीर में और भी जटिलताएं रूप ले सकती हैं जैसे:

  • हड्डियों के कमज़ोर होने से जोड़ों के आकार में परिवर्तन आ सकता है और उनका संरेखण (alignment) बिगड़ सकता है।
  • थकान और कमज़ोरी के कारण कार्य की क्षमता में कमी आना।
  • शरीर में आयी हुई सूजन धमनियों (arteries) पर भी दबाव डाल सकती है जिससे ह्रदय रोग कि सम्भावना बढ़ जाती है।
  • इससे दिल का दौरा (heart attack), स्ट्रोक, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर और पेरिकार्डिटिस (हृदय के चारों ओर की थैली की सूजन) का खतरा बढ़ जाता है।

रूमेटॉयड अर्थरइटिस के लिए आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic Treatment For Rheumatoid Arthritis)

रूमेटाइड अर्थराइटिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार लक्षणों को नियंत्रित करने, सूजन को कम करने और बीमारी की प्रगति को धीमा करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। उपचार में आमतौर पर आहार (खान पान ) में बदलाव, जीवनशैली में संशोधन, हर्बल दवाएं और डिटॉक्सिफिकेशन (पंचकर्म) थेरेपी शामिल होती हैं। 

आयुर्वेदिक उपचार के सिद्धांत (Principles Of Ayurvedic Treatment)

आयुर्वेदिक उपचार का मुख्य लक्ष्य 'आम' (विषाक्त पदार्थ) को खत्म करना और वात दोष को संतुलित करना होता है। 

  • लंघन (उपवास): पाचन में सुधार और 'आम' को कम करने के लिए हल्के आहार या उपवास की सलाह दी जाती है।
  • स्वेदन (पसीना लाना): जोड़ों की जकड़न (stiffness) और दर्द को कम करने के लिए रुक्ष स्वेद (सूखा स्वेदन, जैसे बालुका पोटली) जैसी थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
  • दीपनीय और पाचन औषधियाँ: पाचन अग्नि (मेटाबोलिज्म) को बढ़ाने और विषाक्त पदार्थों को पचाने के लिए कड़वे और तीखे स्वाद वाली जड़ी-बूटियाँ दी जाती हैं।
  • शोधन (डिटॉक्सिफिकेशन): पुराने मामलों में, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए पंचकर्म थेरेपी, विशेष रूप से क्षार बस्ती जैसी एनिमा थेरेपी, प्रभावी मानी जाती हैं। 

सामान्यतः उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ और दवाएं

कुछ जड़ी-बूटियाँ और आयुर्वेदिक दवाएं जो आमतौर पर रुमेटीइड अर्थराइटिस के प्रबंधन में उपयोग की जाती हैं: 

  • अश्वगंधा: यह एक इम्यूनोमॉड्यूलेटर है जो सूजन और दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • गुग्गुलु: इसे गठिया के लिए एक प्रमुख दवा माना जाता है, जो जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत देती है।
  • गिलोय: यह सूजन-रोधी गुणों वाली एक प्रभावी जड़ी-बूटी है।
  • पीड़ांतक (Peedantak) चूर्ण/तेल: दर्द से राहत के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • महायोगराज गुग्गुलु: जोड़ों और मांसपेशियों को राहत देने वाली आयुर्वेदिक टैबलेट। 

जीवनशैली और घरेलू उपाय (Lifestyle And Home Remedies)

दवाओं के साथ-साथ, जीवनशैली में बदलाव भी महत्वपूर्ण हैं: 

  • व्यायाम: हल्के व्यायाम जैसे योग, ताई ची, या साइकिल चलाना लक्षणों को कम कर सकते हैं और गतिशीलता बढ़ा सकते हैं। प्राणायाम जैसे कपालभाति और अनुलोम-विलोम भी सहायक हो सकते हैं
  • आहार: जड़ी-बूटियों, मसालों और पकी हुई सब्जियों से भरपूर आहार फायदेमंद होता है।
  • तापमान चिकित्सा: कठोर जोड़ों को आराम देने के लिए गर्म सिकाई और सूजन को कम करने के लिए ठंडी सिकाई का उपयोग किया जा सकता है। 

निष्कर्ष (Conclusion)

रुमेटीइड अर्थराइटिस एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है। किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को शुरू करने से पहले, एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक या डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है, क्योंकि उपचार प्रत्येक व्यक्ति के दोष असंतुलन और स्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है।

आयुर्वेदिक उपचार लक्षणों के प्रबंधन और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रुमेटीइड अर्थराइटिस का कोई स्थायी इलाज नहीं है। प्रभावी परिणाम के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना सबसे अच्छा हो सकता है। कोई भी लक्षण नज़र आने पर तुरंत जीवा आयुर्वेदा को संपर्क करें और फ्री कंसल्टेशन द्वारा हमारे विशेषज्ञ डॉक्टर्स से परामर्श करें।

FAQS:- 

  1. क्या रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) का आयुर्वेद में पूरी तरह से इलाज संभव है?

नहीं, एलोपैथी की तरह आयुर्वेद में भी रूमेटाइड अर्थराइटिस का पूरी तरह से इलाज संभव नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसे केवल प्रभावी ढंग से प्रबंधित (manage) किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य लक्षणों को कम करना, सूजन रोकना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना होता है।

  1. आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने में कितना समय लगता है?

आयुर्वेदिक उपचार एक समग्र प्रक्रिया है और इसका असर दिखने में समय लगता है। कुछ लोगों को हफ्तों में राहत महसूस हो सकती है, जबकि अन्य को महत्वपूर्ण सुधार देखने के लिए महीनों तक नियमित उपचार, दवा और जीवनशैली में बदलाव का पालन करना पड़ता है।

  1. क्या मैं आयुर्वेदिक दवाओं के साथ एलोपैथिक दवाएं ले सकता हूँ?

हाँ, अक्सर गंभीर मामलों में एलोपैथिक दवाएं (DMARDs) बंद नहीं करनी चाहिए। आयुर्वेद और एलोपैथी दवाओं को एक साथ लिया जा सकता है, लेकिन दोनों के बीच उचित समय अंतराल होना चाहिए। यह संयोजन हमेशा एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक और आपके एलोपैथिक विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।

  1. "आम" क्या है, और यह RA से कैसे संबंधित है?

आयुर्वेद के अनुसार, "आम" (Ama) शरीर में अपच के कारण बनने वाले विषाक्त पदार्थ या अधपका भोजन है। जब पाचन अग्नि कमजोर होती है, तो यह 'आम' पैदा होता है, जो शरीर में घूमकर जोड़ों में जमा हो जाता है, जिससे दर्द, सूजन और अकड़न होती है, जिसे 'आमवात' कहा जाता है।

  1. क्या पंचकर्म थेरेपी RA के लिए फायदेमंद है?

हाँ, पंचकर्म (Panchakarma) थेरेपी आमवात के प्रबंधन में बहुत महत्वपूर्ण है। बस्ती (medicated enema) और विरेचन (controlled purgation) जैसी प्रक्रियाएं शरीर से विषाक्त पदार्थों (आम) को बाहर निकालने और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती हैं, जिससे जोड़ों की सूजन और दर्द में लंबी अवधि के लिए राहत मिलती है।

  1. RA के मरीज को किस प्रकार के आहार से बचना चाहिए?

RA के मरीजों को ठंडे, भारी, तैलीय, और पचाने में मुश्किल खाद्य पदार्थों 

से बचना चाहिए। विशेष रूप से दही, छाछ, रात भर भिगोए हुए चावल को अक्सर वर्जित माना जाता है क्योंकि ये 'आम' को बढ़ाते हैं।

  1. क्या RA में व्यायाम या योग करना सुरक्षित है?

हाँ, हल्के व्यायाम और योग सुरक्षित हैं और फायदेमंद भी। तैराकी, स्ट्रेचिंग, प्राणायाम और ध्यान जोड़ों की गतिशीलता बनाए रखने, अकड़न कम करने और तनाव घटाने में मदद करते हैं। हालांकि, तीव्र दर्द या सूजन के दौरान आराम करना चाहिए और किसी भी नए व्यायाम कार्यक्रम को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

  1. क्या अश्वगंधा और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियाँ वास्तव में काम करती हैं?

हाँ, अश्वगंधा और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियाँ अपने सूजन-रोधी (anti-inflammatory) और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (प्रतिरक्षा प्रणाली को विनियमित करने वाले) गुणों के लिए जानी जाती हैं। वे दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं, लेकिन इन्हें चिकित्सक द्वारा बताई गई सही मात्रा और संयोजन में ही लिया जाना चाहिए।

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